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किसान देश का है

श्‍वेता अरोड़ा
शाहदरा दिल्ली

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हमारी एक एक रोटी के
निवाले पर नाम उसका है,
धधकती गरमी मे,
ककडती सर्दी मे,
करता है वो
खून पसीना एक,
ये अहसान उसका है,
ना रह जाए भूखे हम,
मेहनत दिन
रात वो करता है,
ये तो देश का
किसान है जनाब,
अनाज के एक-एक
दाने को सोने की
तरह संजोता है!
गर्म लू के थपेडे खाकर
यो भूख हमारी मिटाता है,
करो कुछ कोशिशे ऐसी कि
ना रह जाए बेटी
उसकी बिन ब्याही,
बेटा उसका पढ जाए,
कर्ज के बोझ मे
आकर ना वो
मौत को गले लगाए,
अगर हम कुछ कर पाए
ऐसा तो अहसान नही,
बस ये तो हमारी
तरफ से ब्याज उसका है,
क्योकि
हमारी एक एक रोटी के
निवाले पर नाम उसका है!

परिचय : श्‍वेता अरोड़ा
निवासी : शाहदरा दिल्ली
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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