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रचयिता : प्रेम प्रकाश चौबे
“मां, मैं भी कॉलेज जाऊंगी, मैं आगे पढ़ना चाहती हूं” बेटी ने अपना निर्णय सुना दिया ।
“नहीं, जितना पढ़ना था, पढ़ चुकीं” मां ने कहा ।
“इसे कौन सा डॉक्टर या इंजीनियर बनना है, शादी के बाद, चूल्हा ही तो फूंकना है, उस के लिए १२ वीं तक कि पढ़ाई काफी है”, भैया ने अपनी समझदारी झाड़ी, जो सोफे पर मां के पास ही बैठा था।
“क्यों, मैं इंजीनयर क्यों नहीं बन सकती? मैं ने गणित विषय लिया है। मुझे पढ़ने-लिखने का बहुत शौक है” बेटी ने रुआंसे से स्वर में कहा। “और आप लोग हैं कि मुझे पढ़ने देना ही नहीं चाहते। मां तो पुरानी पीढ़ी की हैं, उन का ऐसा सोचना स्वभाविक है, भैया, पर तू तो नई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करता है, फिर भी तू उन्हीं के पक्ष का समर्थन करता है? यदि हर घर में तेरे जैसे भाई रहे तो हो चुका “नारी शिक्षा” का कार्यक्रम पूरा” बिटिया रो पड़ी थी।
“नहीं, बेटे, रोते नहीं हैं ” कहते हुए पिताजी ने कमरे में प्रवेश करते हुए कहा “तुम तो गणित की छात्रा हो। समीकरण समझती हो न, तुम्हारे पिता, तुम्हारे पक्ष में हैं। हो गया न समीकरण सन्तुलित। कल से तुम कॉलेज जाओगी”- कहते हुए पिताजी सोफे पर बेटी के पास बैठ गए।
लेखक परिचय : नाम – प्रेम प्रकाश चौबे
साहित्यिक उपनाम – “प्रेम”
पिता का नाम – स्व0 श्री बृज भूषण चौबे
जन्म – ४ अक्टूबर १९६४
जन्म स्थान – कुरवाई जिला विदिशा म.प्र.
शिक्षा – एम.ए. (संस्कृत) बी.यु., भोपाल
प्रकाशित पुस्तकें – १ -“पूछा बिटिया ने” आस्था प्रकाशन, भोपाल २ – “ढाई आखर प्रेम के” रजनी प्रकाशन, दिल्ली से
अन्य प्रकाशन – अक्षर शिल्पी, झुनझुना, समग्र दृष्टि, बुंदेली बसन्त, अभिनव प्रयास, समाज कल्याण व मकरन्द आदि अनेक पाक्षिक, मासिक, त्रैमासिक पत्रिकाओं में कविता, कहानी, व्यंग्य व बुंदेली ग़ज़लों का प्रकाशन।
प्रसारण – आकाशवाणी व दूरदर्शन भोपाल से कविताओं व बुंदेली ग़ज़लों का प्रसारण।
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