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बूंद

जयश्री सिंह बैसवारा
सोनभद्र, (उत्तर प्रदेश)

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सहसा ही तूं जब गिरती है,
धरती की सुखी छाती पर
मस्त मलंग होकर तूं
लहराती पेड़ों की डाली पर
चारों तरफ है मौसम छाया,
है तेरी मनमानी से
खिल उठे चितवन में फूल
बस तेरी मेहरबानी से
चारों तरफ है फैली खूशबू,
बस तेरे ही आने से
है छायी हरियाली
तेरे यूँ इठलाने से
अनायास ही मन उठ
कहता लिख जाऊँ
कुछ तेरे कहने से
छायी है जो ये हरियाली,
तेरे जख्मों के भरने से

परिचय :- जयश्री सिंह बैसवारा
निवासी : सोनभद्र, (उत्तर प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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