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निदान

राकेश कुमार तगाला
पानीपत (हरियाणा)
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मम्मी, आप इतनी चिंता क्यों कर रही हो? बेटी चिंता क्यों ना करूँ? मम्मी क्या चिंता करने से मेरी शादी हो जाएगी? बेटी, कह तो तुम ठीक रही हो, पर क्या करूँ, माँ हूँ ना? माँ, हो तभी तो कह रही हूँ। तुम चिंता मत करो।
जिया की माँ, कहाँ खोई हुई हो? आओ बहन, बैठो। बस बेटी की चिंता खाए जा रही हैं। क्या हुआ एकाएक जिया की चिंता? हाँ, बहन तुम्हारी बेटी नहीं है ना। तुम्हें क्या पता बेटी की चिंता क्या होती हैं?
हाँ, बहन, तुम ठीक कह रही हो। बेटों की तो कोई चिंता ही नहीं होती। मैंने अपने बेटे को खूब पढ़ा-लिखा दिया हैं। पिछले दो साल से मेरा बेटा सरकारी नौकरी के लिए लगातार प्रयास कर रहा है। हमारे पास जमीन-जायजाद भी नहीं है। मैंने तो सारी जिंदगी इस कच्चे मकान में निकाल दी। आगे वह कुछ ना कह सकी।
बहन, चिंता ना करो, तुम्हारा बेटा सुमित,बहुत मेहनती हैं। उसे जल्दी ही अच्छी नौकरी मिल जाएंगी।
छोड़ो ये सब चिंता, ये बताओ कल तुम्हारे घर मेहमान आए थे। हां, सुमित को देखने वाले आए थे। बधाई हो। जिया की माँ, बधाई बाद में देना।पहले पूरी बात तो सुन लो।
लड़की वालों को मेरा घर पसन्द नहीं आया, साथ ही बेटे की नौकरी को लेकर भी उन्हें कोई भरोसा नहीं था। सुमित की माँ, ये तो कोई बात नहीं है, लड़का कोशिश तो कर रहा है।
आज नहीं तो कल नौकरी मिल ही जाएगी। पर उन्हें कौन समझता?
उन्हें तो अपनी बेटी का सुख चाहिए था। तभी जिया चाय के कप हाथ में लिए आ गई। लो चाची चाय पिओ, चिंता छोड़ो।
सुमित की माँ ने चाय पकड़ते हुए कहा, जुग-जुग जियो, तुम्हें बढ़िया घर-बार मिलेगा।
अच्छा चलती हूँ, बहन। जिया की माँ को अपनी परेशानी का हल सामनें ही दिख रहा था। वह मन ही मन सुमित और जिया के सम्बन्ध के बारे में सोच रही थी।
माँ, आज तुम बहुत खुश लग रही हो। हाँ, जिया मैंने सुमित से तुम्हारा रिश्ता तय कर दिया है, तुम्हें कोई….। नहीं माँ मैं खुश हूँ। वह आसमान की तरफ देख कर भगवान का धन्यवाद कर रही थीं।

परिचय : राकेश कुमार तगाला
निवासी : पानीपत (हरियाणा)
शिक्षा : बी ए ऑनर्स, एम ए (हिंदी, इतिहास)
साहित्यक उपलब्धि : कविता, लघुकथा, लेख, कहानी, क्षणिकाएँ, २०० से अधिक रचनाएँ प्रकाशित।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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