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प्रजातंत्र बोलेगा

रचयिता : विनोद सिंह गुर्जर

आये हैँ चुनाव,
लगे दिल पर घाव
अब प्रजातंत्र बोलेगा ।
जनसेवक होशियार तू रहना,
सिंहासन डोलेगा।।. .. .

पाँच बर्ष तक मनमानी की,
नेताजी झूठे तुम।
भोली जनता को छल बल से,
कई बरस लूटे तुम।।
कई योजना बनी तुम्हारी
सार्थक एक नहीं ।
जहां से गिनती शुरू हुई थी ,
पहुंचे आज वही ।।
दंगे और फसादों को अब,
जन – जन तौलेगा ।।
जनसेवक होशियार तू रहना,
सिंहासन डोलेगा ।।. …

राम का मंदिर बना नहीं,
कसमें झूठी तुम खाए ।
राम लला तंबू में रोवे,
माँ सीता घबराये।।
बेशर्मी की हद होती है,
किंतु लांघ तुम पार गये।
सत्ता के मद में सब भूले,
वादे, स्वर्ग सिधार गये।।
आने वाला कल पापों की,
गठरी खोलेगा।।….
जनसेवक होशियार तू रहना,
सिंहासन डोलेगा ।।. …

वर्ण व्यवस्था छिन्न-भिन्न कर,
आपस में लड़वाते ।
न्यायपालिका के आंगन,
अन्याय का वृक्ष लगाते।।
स्वर्ण-दलित आंदोलित होकर,
न्याय मांग रहे हैं।
एक ही छत के नीचे बैठे,
बगले झांक रहे हैं ।।
फैली अराजकता में तू क्या,
चैन से सो लेगा।।….
जनसेवक होशियार तू रहना,
सिंहासन डोलेगा ।।…

अनशन बैठ किसान रो रहा,
जनता तड़प रही है।
दूध-दही, हरी साग-सब्ज,
मँहगाई भड़क रही है ।।
डीजल अब पेट्रोल भाव ,
पेट्रोल, हुआ कंचन है ।
छोड़ो, इक्कीस सदी को यारो,
साइकिल ही जीवन है ।।
नंगा अब क्या नहाये निचोड़े,
और क्या धो लेगा ।।…
जनसेवक होशियार तू रहना,
सिंहासन डोलेगा।।….

हमने जो सोचा था शायद,
वो सरकार नहीं है।
जन-मन की भाषा ना समझे,
हमें स्वीकार नहीं है।।
ना हम गूँगे, ना हम बहरे,
सब कुछ जान रहे हैं।
तू सत्ता पाने का भूखा,
हम पहिचान रहे है।।
समय तुझे दिखलायेगा दिन,
जब दर-दर डोलेगा।।…

जनसेवक होशियार तू रहना,
सिंहासन डोलेगा।।….

परिचय :-  विनोद सिंह गुर्जर आर्मी महू में सेवारत होकर साहित्य सेवा में भी क्रिया शील हैं। आप अभा साहित्य परिषद मालवा प्रांत कार्यकारिणी सदस्य हैं एवं पत्र-पत्रिकाओं के अलावा इंदौर आकाशवाणी केन्द्र से कई बार प्रसारण, कवि सम्मेलन में भी सहभागिता रही है।

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