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सिसक रहे आज होली के रंग

आशा जाकड़
इंदौर म.प्र.

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सिसक रहे आज होली के रंग।
महंगाई ने करदिया रंग बदरंग।।

लाल रंग अब लहू बनके बह रहा
पीत वर्ण कायर बन छुपकर रोरहा
हरी-भरी वसुंधरा अब कहाँ रही?
ऊंची-ऊंची इमारतें आस्माँ छू रही।
रह गया बस अब होली का हुड़दंग
महंगाई ने कर दिया रंग बदरंग।।

बच्चों की पिचकारी औंधे मुंह पड़ी,
बिन पानी-रंग टंकी शुष्क सी पड़ी।
महंगाई-मार रंग फुहार फीकी पड़ी,
फागुनी बयार मन्द-शांत चल पड़ी।
बिन पानी कैसी होली पिया के संग।
महंगाई ने कर दिया रंग-बदरंग

पावन पर्व अस्त-व्यस्त हो रहे ,
पर्वों की गरिमा क्षत-विक्षत रो रहे।
वन-उपवन टेसू के फूल मुरझा रहे
खाद्य पदार्थ-भाव आस्माँ छू रहे।
मथुरा भी गाये बिन होली सूने अंग
महंगाई ने कर दिया रंग-बदरंग।।

परिचय :- आशा जाकड़ (शिक्षिका, साहित्यकार एवं समाजसेविका)
शिक्षा – एम.ए. हिन्दी समाज शास्त्र बी.एड.
जन्म स्थान – शिकोहाबाद (आगरा)
निवासी – इंदौर म.प्र.
व्यवसाय – सेन्ट पाल हा. सेकेंडरी स्कूल इन्दौर से सेवानिवृत्त शिक्षिका)
प्रकाशन कृतियां – तीन काव्य संग्रह – राष्ट्र को नमन, नये पंखों की उड़ान, हमारा कश्मीर)
कहानी संग्रह – (अनुत्तरित प्रश्न), एक निबंध पुस्तक सिंहस्थ महोत्सव २०१६
उपलब्धियाँ – काव्य गोष्ठियों में नियमित पाठ, हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित लगभग ५० पुस्तकों मे कहानी कविताओं व समीक्षाओं का प्रकाशन। आकाशवाणी व दूरदर्शन पर काव्य पाठ।
सम्मान – सरल अलंकरण (इन्दौर), महाराज कृष्ण जैन स्मृति सम्मान(शिलांग), मानद उपाधि राष्ट्रभाषा गौरव सम्मान (इलाहाबाद) नारी अस्मिता सम्मान, महादेवी वर्मा सम्मान मैं हूँ बेटी सम्मान (लखनऊ), मगसम प्रतिभा स्वर्ण सम्मान (दिल्ली) अन्तरा शब्द शक्ति सम्मान, महारानी लक्ष्मीबाई मैमोरियल सम्मान, काव्य रंगोली मातृत्व सम्मान, कल्पना चावला स्मृति सम्मान, विश्व शांति सम्मान आदि।


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