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दुल्हन ही दहेज है

विरेन्द्र कुमार यादव
गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश)

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वास्तव में दहेज का अर्थ
स्वेच्छा से दिया गया उपहार होता है,
लड़की के मां-बाप का उस
उपहार में स्नेह और प्यार होता है।

समाज के कुछ लोभी और लालची ने
स्नेह व प्यार के उपहार को
व्यापार का बना दिया,
भारतीय समाज में दहेज रुपी
अभिश्राप फैला दिया।

देश के कानून ने दहेज लेना
व दहेज देना दोनों अपराध बना दिया,
फिर भी समाज ने इसे
देना-लेना बन्द नहीं किया।

मानव तुने अपने ही समाज में
ये कैसी कुप्रथा फैला दिया,
दहेज लोभी को अपनी बेटी देकर
उसको आत्महत्या करने पर विवष कर दिया।

हर व्यक्ति की मानसिकता को
इस समाजिक कुप्रथा ने बदल दिया,
बहुमुल्य उपहरो के साथ बहू घर में आई
तो समाज ने अच्छा मान-सम्मान बढ़ा दिया।

मेरी बहू महंगे-महंगे उपहार घर में लाई है,
समाज में मेरा मान-सम्मान बढ़ाई है।
जबकि घर बहू के अच्छे संस्कार
व कुशल व्यवहार से चलता है,
न कि घर-परिवार महंगे-महंगे
उपहार से चलता है।

ये समाज के लोगों बदल डालो
अपनी-अपनी बिचारधारा,
प्रभाव न डाल पाये समाज में ये कुप्रथा दुबारा।
दुल्हन ही दहेज है, दुल्हन ही दहेज है।।
बदल डालो अपनी-अपनी विचारधारा,
बदल डालो अपनी-अपनी विचारधारा।
दुल्हन ही दहेज है, दुल्हन ही दहेज है।।

परिचय :- विरेन्द्र कुमार यादव
निवासी : गौरा बस्ती (उत्तर-प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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