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चींटी

दिलीप कुमार पोरवाल “दीप”
जावरा मध्य प्रदेश

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एक नन्ही सी चींटी
एक नन्ही सी चींटी
जीवन में बहुत कुछ सिखा जाती है।
जैसे ये कतार में चलती है
सिखा जाती है अनुशासन में रहना।

एक नन्ही सी चींटी
जीवन में बहुत कुछ सिखा जाती है।
मुंह में लेकर दाना
जब चढ़ती है दीवारों पर,
सिखा जाती है परिश्रम करना।

एक नन्ही सी चींटी
जीवन में बहुत कुछ सिखा जाती है।
जब गिरती है दीवार से
तब उठकर संभलना
फिर चल देना और दीवार पर चढ जाना,
सिखा जाती है कैसे संघर्ष करना।

एक नन्ही सी चींटी
जीवन में बहुत कुछ सिखा जाती है।
काम जब कोई हो बड़ा
तब कई चींटियों को इकट्ठा करना,
तब सिखा जाती है मिलकर बोझ उठाना।

एक नन्ही-सी चींटी
जीवन में बहुत कुछ सिखा जाती है।
मौसम विज्ञान की होती है बड़ी ज्ञाता,
जब होती है कोई भूगर्भीय हलचल,
या कोई और हो प्राकृतिक आपदा,
तब कैसे ये अपने अंडो को लेकर
सुरक्षित स्थान पर दौड़ी चली जाती है,
तब सिखा जाती है आपदा में धैर्य से काम लेना।

एक नन्ही सी चींटी
जीवन में बहुत कुछ सिखा जाती है।
जब बिछड जाता है इनका कोई साथी,
तो सिखा जाती है उसका भी साथ निभाना।
नहीं छोड़ती उसको अकेले,
सिखा जाती है उसकी मृत्यु से भी,
साथियों का साथ निभाना।

एक नन्ही सी चींटी,
जीवन की बारीकियां सिखा जाती है।
एक नन्ही सी चींटी
जीवन में बहुत कुछ सिखा जाती है।

परिचय :- दिलीप कुमार पोरवाल “दीप”
पिता :- श्री रामचन्द्र पोरवाल
माता :- श्रीमती कमला पोरवाल
निवासी :- जावरा म.प्र.
जन्म एवं जन्म स्थान :- ०१.०३.१९६२ जावरा
शिक्षा :- एम कॉम
व्यवसाय :- भारत संचार निगम लिमिटेड
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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