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वो ख़त

श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
लखनऊ (उ.प्र.)

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डायरी के पन्नों को पलटते,
हमें याद आ गए वो तुम्हारे ख़त
कितने महके से हुआ करते थे, वो ख़त,
खुशी का खाजाना हुआ करते थे,
गहरी नींद से जगा दिया करते थे वो ख़त।
जागती आंखों में सुहाने सपने
संजोया करते थे वो ख़त!!
दिल के हालात और जज़्बात से रूबरू
किया करते थे वो ख़त
समय की इस दौड़ में ना जाने
कहां गुम हो गए वो ख़त,
ना वो सपने रहे, ना मीठी
नींद भरे सुकून के वो ख़त
दूर तक फैली खामोशी,
हमसे सवाल करती है
कभी-कभी तो बातें हज़ार करती है,
कि.. चलो पुराने खतों को फिर से ढूंढते हैं,
उन्ही शब्दों को नई पहचान देते हैं,
सपने तो अब भी छुपे होंगे उन पन्नों में,
कुछ अधूरे, कुछ पूरे, क्या पता फिर से
चल पड़ें वो सिलसिलेवार, “वो ख़त”!!

परिचय :- श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
पति : श्री राकेश कुमार चतुर्वेदी
जन्म : २७ जुलाई १९६५ वाराणसी
शिक्षा : एम. ए.,एम.फिल – समाजशास्त्र,पी.जी.डिप्लोमा (मानवाधिकार)
निवासी : लखनऊ (उ.प्र.)
विशेष : साहित्यिक पुस्तकें पढ़ने के शौक ने लेखन की प्रेरणा दी और विगत ६-७ वर्षों से अपनी रचनाधर्मिता में संलग्न हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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