शिवलाल गोयल “शिवा”
लुनाडा, बाड़मेर (राजस्थान)
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बहुत कवियों ने गुणगान किया है,
इसका इतिहास और गाथाएँ बहुत पुरानी है।
जिसके शब्दों की मिठास और ताकत किनसे अनजानी है।
जिसको सुनते ही हर इक मानुष का हृदय तृप्त हो जाता है।।
वो माँ हिन्दी भाषा है, वो माँ हिन्दी भाषा है।सहज, सरल, सुन्दर अक्षरों का मेल है हिन्दी,
पढने, पढाने और लिखने में अनमोल है हिन्दी,
सहानुभूति व्यवहार, नैतिक आचरण है हिन्दी,
साहित्य की मुस्कान है,… (2)शीत है हिन्दी, ग्रीष्म है हिन्दी।
वर्षा है हिन्दी, हर इक ॠतु है हिन्दी।।
उत्तर-दक्षिण, पूर्व-पश्चिम
भारतवर्ष की हर इक दिशा है हिन्दी।
भारत की भाग्य रेखा है हिन्दी।
वो माँ हिन्दी भाषा है,…. (2)नदियों की कल्ल-कल्ल सी आवाज है हिन्दी।
समन्दर की गहराई है हिन्दी।
हिन्द हिमालय से निकलती हुई रस धार है हिन्दी।
खेतों के खलिहानों में,
केसर के फसलों में है हिन्दी।
बाग-बगीचों की हरियाली है हिन्दी।
वो माँ हिन्दी भाषा है,…..(2)सुबह की लालिमा है हिन्दी,
रात्रि की सितारों की सिम-सिमाती चांदनी है हिन्दी,
दुपहरी की तेज धुप है हिन्दी,
शाम-संवेरा है हिन्दी।
दीपक की जग-मग जलती ज्योति है हिन्दी।
अलग-अलग वर्ग, पंथ और जाति की
एकजुटता बनाए रखती है हिन्दी,
वीरों के पराक्रम, अदम्य साहस और शौर्य है हिन्दी।
हर इक भारतवासी की आन-बान-शान है हिन्दी,
वो माँ हिन्दी भाषा है,……. (2)पुष्प की सुगंध है हिन्दी।
हिन्दुस्तान की अंगराज है हिन्दी,
ज्ञान के मुकुट की ताज है हिन्दी।
शब्दों और संस्कृति का सिगार है हिन्दी।
भारत माता के आत्म-गौरव है हिन्दी।
संस्कृत से उदय हुई ये हिन्दी,
देवनागरी लिपि में
भारत की मान-सम्मान है हिन्दी।
मेरी कलम है हिन्दी, मेरा साहित्य है हिन्दी।
मेरा गुमान है हिन्दी, मेरी पहचान है हिन्दी।।
वो माँ हिन्दी भाषा है,……. (2)बढते तकनीकी युग के दौर में,
क्युं है ये दुर्दशा हिन्दी भाषा की,
लोग आ रहें हैं अंग्रेजी के लुभाने में।
भारतीयों की जुबां पर होतें हुए भी हिन्दी,
क्यों अपना रहें हैं अंग्रेजी को।
मुझे है शिकवा ये,…..
हिन्दी राजभाषा है, राष्ट्रभाषा क्यों नहीं।
हम सब मिलकर के करेंगे हिन्दी का उत्थान…।।
परिचय : शिवलाल गोयल “शिवा”
पिता – श्री धन्नाराम जी गोयल
जन्म – २७ अगस्त २००२
निवासी – लुनाडा, बाड़मेर (राजस्थान)
शिक्षा – अध्ययनरत-राजकीय पी.जी महाविद्यालय (प्रथम वर्ष अध्ययनरत),बाड़मेर (राजस्थान)।
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