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वो जमाना

सुधीर श्रीवास्तव
बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश)
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छंद मुक्त कविता

आज जब अपने
पिताजी की
उस जमाने की
बातें याद आती हैं,
तो सिर शर्म से
झुक जाता है।
माँ बाप और
अपने बड़ों से
आँख मिलाने में ही
डर लगता था,
उनकी किसी
बात को
नकारने की बात
सोचना भी
सपना लगता था।
घर में भी
अपने बड़ों के
बराबर बैठना सिर्फ़
सोचना भर था,
अपने लिए कुछ
कहना भी
कहाँ हो पाता था।
बस चुपके से धीरे से
अपनी बात दादी,
बड़ी माँ या माँ से
कहकर भी
खिसकना पड़ता था।
रिश्तों के अनुरूप ही
सबका सम्मान था,
परंतु हर किसी के लिए
हर किसी के मन
खुद से ज्यादा प्यार था।
उस समय दूश्वारियां भी
आज से बहुत ज्यादा थीं,
परंतु प्यार, लगाव,
सबकी चिंता
हर किसी के ही मन में
हजार गुना ज्यादा थीं।
आज भी मुझे
इसका अहसास है
क्योंकि मैंने भी ऐसा ही
काफी कुछ देखा है,
अपने बाप को
बड़े बाप के सामने
सदा खड़े ही जो देखा है।
बच्चे जवान हो गये
मगर बड़े बाप से
नजरें मिलाने
बराबर बैठकर
बात करने में भी
काँप जाता हाँड है,
बड़ी माँ ही अभी भी
हमारी सूत्रधार हैं।
हमारे बाप हमारे
साथ नहीं हैं
पर हमने
उनकी सीख को
जिंदा कर रखा है,
परंतु सोचता हूँ
आज को देखकर
तो ये सब मात्र
किस्सा लगता है।

परिचय :- सुधीर श्रीवास्तव
जन्मतिथि : ०१/०७/१९६९
शिक्षा : स्नातक, आई.टी.आई., पत्रकारिता प्रशिक्षण (पत्राचार)
पिता : स्व.श्री ज्ञानप्रकाश श्रीवास्तव
माता : स्व.विमला देवी
धर्मपत्नी : अंजू श्रीवास्तव
पुत्री : संस्कृति, गरिमा
संप्रति : निजी कार्य
विशेष : अधीक्षक (दैनिक कार्यक्रम) साहित्य संगम संस्थान असम इकाई।
रा.उपाध्यक्ष : साहित्यिक आस्था मंच्, रा.मीडिया प्रभारी-हिंददेश परिवार
सलाहकार : हिंंददेश पत्रिका (पा.)
संयोजक : हिंददेश परिवार(एनजीओ) -हिंददेश लाइव -हिंददेश रक्तमंडली
संरक्षक : लफ्जों का कमाल (व्हाट्सएप पटल)
निवास : गोण्डा (उ.प्र.)
साहित्यिक गतिविधियाँ : १९८५ से विभिन्न विधाओं की रचनाएं कहानियां, लघुकथाएं, हाइकू, कविताएं, लेख, परिचर्चा, पुस्तक समीक्षा आदि १५० से अधिक स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित। दो दर्जन से अधिक कहानी, कविता, लघुकथा संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन, कुछेक प्रकाश्य। अनेक पत्र पत्रिकाओं, काव्य संकलनों, ई-बुक काव्य संकलनों व पत्र पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल्स, ब्लॉगस, बेवसाइटस में रचनाओं का प्रकाशन जारी।अब तक ७५० से अधिक रचनाओं का प्रकाशन, सतत जारी। अनेक पटलों पर काव्य पाठ अनवरत जारी।
सम्मान : विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा ४५० से अधिक सम्मान पत्र। विभिन्न पटलों की काव्य गोष्ठियों में अध्यक्षता करने का अवसर भी मिला। साहित्य संगम संस्थान द्वारा ‘संगम शिरोमणि’सम्मान, जैन (संभाव्य) विश्वविद्यालय बेंगलुरु द्वारा बेवनार हेतु सम्मान पत्र।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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