Friday, November 22राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

धन्यवाद कोरोना

रश्मि श्रीवास्तव “सुकून”
पदमनाभपुर दुर्ग (छत्तीसगढ़)

********************

आप सब सोंच रहे होंगे कि जहां एक ओर पूरी दुनिया इस कोरोना नमक महामारी से हड़कंप मची हुई है लोग कोरोना के नाम से डरे सहमे नज़र आ रहे हैं वहाँ इसे क्या सूझी जो कोरोना के लिए धन्यवाद ज्ञापन किया जा रहा है। हम सभी यह अच्छी तरह जानते एवं मानते हैं की हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। हमने कोरोना के नकारात्मक पहलू को देखा, सुना और समझा पर इसके दूसरे पहलू पर यदि गौर फरमाएँ तो इसके कुछ फायदे हमें दिखते हैं। आइये देखते हैं कैसे :-

प्रकृति का शुद्धि करण हुआ – पूर्ण लॉक डाउन के चलते जब सारे फैक्ट्री, कारखाने, मोटर गाड़ी वो सारी चीजें पूरी तरह बंद हो गई जिनसे हमारे वातावरण में प्रदूषण फैल रहा है और रिपोर्ट बताते हैं की ५० साल के इतिहास में इतनी स्वच्छ न ही नदियां रहीं और न ही इतनी प्रदूषण मुक्त हवाएँ जिसमे खुलकर सांस लिया जा सके।
फिजूल खर्ची पर लगा रोक – लॉक डाउन के दौरान हम यह अच्छे से जान पाये कि हमारी ज़रूरतें तो बहोत ही मामूली थी पर हम लोगों ने देखा देखी और आगे बढ़ने की होड़ में व्यर्थ सामानों का संचय कर फिजूल खर्ची करते रहे।
परिवार को दिया क्वालिटी टाइम – हमने इस दौरान आपाधापी भरे जीवन से परे अपने घर वालों के साथ गुणवत्ता युक्त समय बिताया जो शायद कभी लॉक डाउन के बगैर संभव नही होता। क्योंकि हमारी व्यस्त से व्यस्ततम दिनचर्या में हम घर, परिवार, बच्चे, ऑफिस आदि के बीच समयाभाव के चलते तालमेल नही बैठा पा रहे थे।
गांवों के प्राकृतिक वातावरण का महत्व – कोरोना ने लोगों को एहसास दिलाया कि वो शुद्धता हमारे प्राकृतिक वातावरण गाँव में मिल रहा है जो स्वच्छ और स्वस्थ जलवायु गाँव में है वह इन शहरों और महानगरों में नही।
शादी विवाह के लाखों करोड़ों के खर्चे पर लगाम – लोग शादी विवाह के दौरान अपनी हैसियत दिखाने के लिए या फिर ‘उसने अपनी बच्चों की शादी में इतना खर्च किया तो क्या मैं नही कर सकता ‘वाली सोंच पे विराम लगा दिया। पानी की तरह पैसों को बहाया जाता था, उस पर भी रोक लगी।
मृत्यु भोज के अनावश्यक खर्च पर नियंत्रण – मृत्यु उपरांत धन के अभाव में भी लोग ऋण लेकर मृत्यु से संबन्धित सारे कर्मकांड एवं मृत्यु भोज पर भी व्यर्थ धन व्यय करते थे उस पर भी प्रतिबंध लगा।
धैर्यवान बने – कोरोना और लॉक डाउन ने लोगों को धैर्य रखना, संयम से काम लेना सिखाया। इस परीक्षा की घड़ी मे लोगों के बीच आपसी समंजस्य बढ़ा एवं लोग संतोष पूर्ण जीवन अपनाने लगे।
मूलभूत जरूरतें मालूम हुई – बड़े पैसे वालों को यह ज्ञान हुआ की हमारी मूलभूत जरूरतें रोटी, कपड़ा और मकान है बाकी के तामझाम सारे आडंबर ही हैं। हमारा जीवन तो सीमित संसाधनों में निर्वहन हो सकता है।
इंसान पहचाने गए – इस दुख की घड़ी में इस विपदा की घड़ी में हमने यह भी देखा कि कुछ लोग सीमित आय में भी मजदूरों, भूखे प्यासे की मदद के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया और दूसरी ओर एक से एक साधन सम्पन्न लोग अपने वातानुकूलित कमरे मे बैठे सिर्फ समाचार देखते रह गए। संकट के समय में ही इंसान पहचाना जाता है।
पैसा ही सब कुछ नही होता – इस महामारी ने लोगों को एक बात समझा दी कि पैसा ही सब कुछ नही होता। सब कुछ होते हुए भी इन स्थितियों मे धन, दौलत, रुतबा सब धरे के धरे रह जाते हैं और व्यक्ति को नियति को स्वीकारना होता है।

.

परिचय : रश्मि श्रीवास्तव “सुकून”
निवासी : मुक्तनगर, पदमनाभपुर दुर्ग (छत्तीसगढ़)
घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करती हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीयहिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻  hindi rakshak manch 👈🏻 … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें..

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *