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शुक्रिया दोस्त

संध्या नेमा
बालाघाट (मध्य प्रदेश)
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चलो एक दोस्त को शुक्रिया करते हैं
कुछ एहसान है उसके अपने ऊपर

भूल गई थी मैं अपनी ही राह
और शांत और चुप सी हो गई थी

बातें थी मन पर मगर आंखों से
देख नहीं सकती थी कानों से
सुन नहीं सकती थी

दिल में था लाखों बोझ पर
हटा नहीं सकती थी सपने थे
पर पूरे कर नहीं सकती थी

दोस्त ने बहुत बातें किया और कैसे
मन की बात जुबान तक ला दिया
पता ही नहीं चला एक दोस्त को

एक दोस्त ने सुना समझा और जाना
और राह का रास्ता भी बता दिया
एक दोस्त को धन्यवाद दोस्त

चलो एक दोस्त को शुक्रिया करते हैं
बहुत एहसान है उसके अपने ऊपर

परिचय : संध्या नेमा
निवासी : बालाघाट (मध्य प्रदेश)
घोषणा : मैं यह शपथ पूर्वक घोषणा करती हूँ कि उपरोक्त रचना पूर्णतः मौलिक है।


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