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टीस के टेसू

माधुरी व्यास “नवपमा”
इंदौर (म.प्र.)

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आज शाला में रखा जब पहला कदम,
दिल मे उठी एक हूंक, आँखे हो गई नम।

मन मे उठने लगी ये कैसी अजीब तरंग,
जाने कहाँ थी खो गई मन की सब उमंग।

पसरा था भवन में चुभता सा सन्नाटा दुखद,
स्मृति पटल पर थे, विगत के वो दिवस सुखद।

प्यारी बगिया में होती थी गुंजित किलकारियाँ,
हर पल हँसती थी खिलखिलाती फुलवारियाँ।

हाज़िर है आज यहाँ प्रकृति के सब उपमगार,
नही उपस्थित बस यहाँ बच्चों की वो झनकार।

जाने कब गूंजेगी यहाँ ठहाकों की वो मीठी धुन,
लहराते सपनों पर दौड़ लगते बच्चों के वो झुंड।

होने लगी महसूस बगिया के फूलों की चिंता,
चिंतन से करेंगे महफ़ूज फुलवारी की फ़िजा।

ख़ौफ़ का ये मंजर गुजर रहा है गुजर जाएगा,
अमा की कालिमा पर सुबह तो उजाला आएगा।

है हम सबका विश्वास मलय पवन फिर बहेगी,
करती फिर वह हर एक प्राणों में स्पंदन चलेगी।

प्रखरित नवोदित सूरज सा जब ज्ञान हमारा,
मुखरित होगी जैसे मंगल उत्सव की धारा।

 

परिचय :- माधुरी व्यास “नवपमा”
निवासी – इंदौर म.प्र.
सम्प्रति – शिक्षिका (हा.से. स्कूल में कार्यरत)
शैक्षणिक योग्यता – डी.एड ,बी.एड, एम.फील (इतिहास), एम.ए. (हिंदी साहित्य)


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