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आंसू

दिनेश कुमार किनकर
पांढुर्ना, छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)

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प्रिय, आंसुओ को बहने न देना!

जब कभी मन भर आये,
रख सिर अपनो के कांधे,
मन को हल्का कर लेना,….
आंसुओ को बहनें न देना!….

सुख के दिन सदा न रहते,
दुख सबके जीवन में आते,
दिल को “आह” न कहने देना,….
प्रिय, आंसुओ को बहने न देना!..

जब रिश्तों की दीवार दरकती,
साथ सदा कड़वाहट लाती,
कटु वचनों को जब्त कर लेना,….
प्रिय, आंसुओ को बहने न देना!…..

हृदय जब पीड़ा से भर जाये,
और जब सहन न होने पाए,
बन पर्वत खडी हो जाना,……
प्रिय, आंसुओ को बहने न देना!….

परिचय –  दिनेश कुमार किनकर
निवासी : पांढुर्ना, जिला-छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र :  मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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