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आंसू

अर्पणा तिवारी
इंदौर (मध्य प्रदेश)

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नयनों का श्रंगार हुए हैं जब,
खुशियों का संदेश सुनाते हैं।
दृग कोरो का भार हुए हैं जब,
व्यथा हृदय की बतलाते हैं।
झरते है मोती बन कर नैनो से,
जाने कितने शोक मिटाते हैं।
मन की सीपी के मोती है जो,
यदा कदा अखियों में लहराते है।
पीड़ा की अभिव्यक्ति है आंसू,
बहकर मन निर्मल कर जाते है।
खुशियों का उपहार भी आंसू,
अधरों की मुस्कानों संग आते हैं।
पावनता का पर्याय बने है आंसू,
इसीलिए गंगाजल कहलाते हैं।

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परिचय :- अर्पणा तिवारी
निवासी : इंदौर मध्यप्रदेश
शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित और अप्रकाशित हैं


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