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शिक्षकों का योगदान

संजय जैन
मुंबई

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हूँ जो कुछ भी आज मैं,
श्रेय में देता हूँ उन शिक्षकों।
जिन्होंने हमें पढ़ाया लिखाया,
और यहां तक पहुंचाया।
भूल सकता नहीं जीवन भर,
मैं उनके योगदानों को।
इसलिए सदा में उनकी,
चरण वंदना करता हूँ ।।

माता पिता ने पैदा किया।
पर दिया गुरु ने ज्ञान।
तब जाकर में बना लेखक,
और एक कुशल प्रबंधक।
श्रेय में देता हूँ इन सबका,
अपने उनको शिक्षकों।
जिनकी मेहनत और ज्ञान से,
बन गया पढ़ा लिखा इंसान।।

रहे अँधेरा भले
उनके जीवन में।
पर रोशनी अपने
शिष्यों को दिखाते है।
जिस से कोई
बन जाता कलेक्टर,
तो कोई वैज्ञानिक कहलाता है।।

सुनकर उन शिक्षकों को,
तब गर्व बहुत ही होता है।
मैं कैसे भूल जाऊं उनको,
जिन्होंने हमें योग बनाया है।
देकर ज्ञान की शिक्षा,
हमें यहाँ तक पहुंचाया है।।

शिक्षक दिवस के अवसर
पर मैं उन सभी शिक्षकों के
चरणों मे वंदन करता हूँ।

परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ – साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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