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गुरु और शिष्य

संजय जैन
मुंबई

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गुरु शिष्य का हो, मिलन यहां पर,
फिर से दोवारा।
यही प्रार्थना है हमारा।
यही प्रार्थना है हमारा।।

गुरु चाहते है, कि शिष्य को,
मिले वो सब कुछ।
जो में हासिल, कर न सका,
अपने जीवन में।
वो शिष्य हमारा, हासिल करे,
अपने जीवन में।
मैं देता आशीष शिष्य को,
चले तुम सत्य के पथ पर,
मिलेगा ज्ञान यही पर।।
गुरु शिष्य का मिलन…।

शिष्य भी पूजा करता,
अपने गुरु की हर दम।
उन्होंने मार्ग प्रशस्त किया,
मोक्ष् जाने का शिष्य का।
इसी तरह अपनी कृपा,
मुझ पर बनाये रखना।
ऐसी है प्रार्थना गुरुवर,
में सेवक हूँ गुरुवर का।
में सेवक हूँ गुरुवर का ।।
गुरु शिष्य का ……।।

नगर नगर में श्रावक जन,
पूजा गुरु शिष्य की करते।
उनके बताये हुए मार्ग पर,
सदा ही हम सब चलते।
मिल जायेगा हमे भी,
शायद पापो से छुटकारा।
यही समझता मानवधर्म हमारा।
यही बतलाता मानवधर्म हमारा।।
गुरु शिष्य का मिलन यहां,
पर फिर से हो दोवारा।
यही प्रार्थना है हमारा।
यही प्रार्थना है हमारा।

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परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ – साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।


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