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फूलों की बातें

संजय वर्मा “दॄष्टि”
मनावर (धार)

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फूलों का ये कहना
दिल की बातें दिल में ही रखना
छीन ले जाता कोई खुश्बू
बस इस बात का तो रोना

फूल बिन सेहरे-गजरे
उदास हुए
याद नहीं क्यों
सांसे उतनी ही बची फूलों की
न जाने तितली-भोरें
फूलों के क्यों खास हुए

उडा न पवन
खुशबुओं को इस तरह
मोहब्बतें भी रूठ जाएगी
बेमौसम के पतझड़ की तरह
कुछ याद रहेगी खुशबुओं की
जब तक रहेगी
धड़कन से सांसों की तरह

खुश्बुएं भी रूठ जाती फूलों से
काँटों की पहरेदारी बनती
दगाबाज की तरह
तोड़ लेता कोई जैसे
अपने रूठे को मनाने की तरह

चाह है बनना
पेड़ के फूलों की तरह
क्यारियों के फूल तो
अक्सर टुटा करते
इंसान भी बेवजह क्यों
सबसे रूठा करते

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परिचय :- संजय वर्मा “दॄष्टि”
पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा
जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन)

शिक्षा :- आय टी आय
व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग )
प्रकाशन :- देश – विदेश की विभिन्न पत्र – पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति “दरवाजे पर दस्तक”, खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान – २०१५, अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
संस्थाओं से सम्बद्धता :- शब्दप्रवाह उज्जैन, यशधारा – धार, मगसम दिल्ली,
काव्य पाठ :- काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ, शगुन काव्य मंच


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