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उतना ही भोजन ले थाली में व्यर्थ ना जाए नाली में

अमित राजपूत
उत्तर प्रदेश

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जिस प्रकार मानव को जीवित रहने के लिए पानी और हवा की आवश्यकता है इसी प्रकार मनुष्य को जीवित रहने के लिए भोजन की आवश्यकता पड़ती है जहां कुछ लोगों पर खाने के लिए कुछ  नहीं है वहीं कुछ लोग भोजन का अनादर कर देते हैं और इतना खाना वेस्ट करते हैं जो कि बिल्कुल ही गलत है आपने शादी विवाह में देखा होगा कि लोग अपनी थाली में इतना खाना ले लेते हैं कि वह खा भी नहीं पाते और बाकी खाना फेंक देते हैं जो कि बेहद ही गलत है हमें उतना ही भोजन थाली में लेना चाहिए जितना हम खा सकें खाने को बिल्कुल भी नही छोड़ना चाहिए शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति खाने का अनादर करता है वह पाप का भागी बनता है जहां कुछ एनजीओ और संस्थाएं शादी विवाह आदि में बचे खाने को गरीब और असहाय लोगों में जिन पर खाने के लिए कुछ भी नहीं है उनको देकर पुण्य के भागी बन रहे हैं वहीं कुछ लोग खाने का इतना अनादर आदर कर देते हैं जो बिल्कुल सही नहीं है जरा सोचिए कि कुछ ऐसे व्यक्ति हैं जिन पर खाने के लिए बहुत सारा है वहीं कुछ ऐसे व्यक्ति भी हैं जिन पर खाने को कुछ नहीं है और भूखे ही सो जाते हैं हम सभी को यह सोचना चाहिए कि हम खाना उतना ही ले जितना हम खा सकें और बचा हुआ खाना असहाय गरीब लोगों को खिला दें जिससे कि उनका पेट भर सके हम सभी को इस विषय पर संज्ञान लेते हुए यह प्रण लेना चाहिए कि हम शादी विवाह में उतना ही खाना ले थाली में कि वह ना जाए नाली में आशा है हम सब इस विषय पर ध्यान देंगे और खाने का अनादर बिल्कुल नहीं करेंगे ताकि उन गरीब असहाय लोगों का पेट भी भर सके जो बेचारे भूखे सो जाते हैं
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लेखक परिचय :- अमित राजपूत उत्तर प्रदेश गाजियाबाद

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