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मुझे अपनी शरण में ले

डॉ. पंकजवासिनी
पटना (बिहार)

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भाद्र मास तिथि को अष्टमी लिया नर अवतार!
अर्धरात्रि आलोकित हो उठा कारागार!!
खुलीं बेड़ियाँ मात-पितु की सो गए प्रहरी!
खुल गए सब बंद द्वार, हुआ विचित्र चमत्कार!!

चले वसुदेव गोकुल को, थमा जमुना ज्वार!!
जन्मदाता देवकी वसु, नंद-यशु पालनहार!
बाललीला लख अतुल, नंद यशु बलि बलि जाएँ!!
पाएँ स्वर्ग सुख: गृहांगण संग गोकुल गुंजार!!

प्राण खींच पूतना के किया पवित्र अमियधार!!
किया वकासुर वध संग बच्चन के मार हुलार!
क्रीड़ा कर कालिया दह किया यमुना उद्धार!!
गिरि को उंगली पर उठा मर्दित इंद्र अहंकार!
निर्भय किया जन को गिरि प्रकृति महत्व साकार!!

चरवाहा बन गउओं के बने पालनहार!
बांस की बंसी के सुलभ मन रंजन सृजनहार!!
गौ गोपी ग्वाल डूबे प्रेम: सुन वंशी स्वर!
गोपी राधा संग रास कर प्रेम भक्ति संचार !!

दधि माखन रोक मथुरा हित, विरोध आचार!
कर से पूर्व दें बालकों को पौष्टिक आहार!!
जन जन को सिखलाया अन्याय पर करे वार!
कंस वध करके किया अंत भू का पापाचार !!

व्यर्थ युद्ध टाल कर रणछोड़ बने मुरलीधर!!
पर जब दुर्योधन किया अन्याय अत्याचार!
तब युद्ध का बिगुल फूँके तुम न्याय के पक्षधर!!
जब दुविधा मोह की कारा में बंदी था नर!
गीता का उपदेश दे संकट किया दूर कर!!

कर्मयोग का पाठ पढ़ा, बताय आत्मा अमर!
तुम धरा के श्रेष्ठ मानव निर्लिप्त योगेश्वर!!
लीला पुरुषोत्तम परमात्मा परमेश्वर!
जीवन की सुखद तान छेड़ते तुम बंशीधर!!

तुम राधा के प्राणेश्वर! मीरा के गिरधर!!
मनुजता के कंठहार प्रेम के अनंत सागर!!
तुम हो अपरिभाषित! अनिर्वचनीय!! अविनश्वर!!!
कान्हा तेरे चरणों में समर्पित: नत शीश धर!

राधा संग तेरी छवि सुखदायी अति सुंदर!!
मुझे अपनी शरण में ले भवसागर से तर!!!

परिचय : डॉ. पंकजवासिनी
सम्प्रति : असिस्टेंट प्रोफेसर भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय
निवासी : पटना (बिहार)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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