Saturday, November 23राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: हरिदास बड़ोदे “हरिप्रेम”

हिंदी मेरी शान है
कविता

हिंदी मेरी शान है

हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" आमला बैतूल (मध्यप्रदेश) ******************** हिंदी मेरी शान है, हिंदी मेरी सरल पहचान। हिंदी मेरा वतन है, नित्य करूं मैं गुणगान।। हिंदी मेरी भाषा है, राष्ट्रभाषा सदा महान। हिंदी मेरी मातृभाषा, मातृभूमि का वरदान।। हिंदी मेरा सम्मान है, हिंदी राष्ट्र स्वाभिमान। हिंदी मेरे तन मन रहे, हिंदी मेरा अभिमान।। हिंदी की सेवा मैं करूं, श्री चरण में वंदन। हिंदी की रक्षा में सदा, अर्पण करूं जीवन।। हिंदी ही मेरी जान है, हिंदी मेरा हिंदुस्तान। हिंदी मेरी धड़कन में, जीवन मेरा कुर्बान।। हिंदी भारतवर्ष में, सर्व धर्म का समाधान। हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई, राष्ट्र में योगदान।। हिंदी में सबका सार है, गीता ग्रंथ रामायण। हिंदी सबकी जननी है, जग में एक प्रमाण।। हिंदी से जल जंगल जमीन, हिंदी से किसान। हिंदी राष्ट्र भारत की सुरक्षा, करे मेरा जवान।। हिंद...
चंदा मामा
गीत, बाल कविताएं

चंदा मामा

हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" आमला बैतूल (मध्यप्रदेश) ******************** तर्ज-: चंदा मामा दूर के चंदा मामा पास है, हम सबके साथ है। भारत माँ के बच्चे गाएं, हम सबको एहसास है। चंदा मामा खुश है, भारत माँ भी खुश है। संसार सारा खुशियां मनाएं, हम सबको विश्वास है। चंदा मामा प्यारा है, भारत माँ का दुलारा है। विश्वगुरु भारत बन जाए, हम सबको यह आस है। चंदा मामा भाई है, भारत माँ की कलाई है। रक्षासूत्र चंद्रयान ले गए, भारत का प्रेम संदेश है। चांद ने फहराया तिरंगा है, हिंदुस्तान की शान तिरंगा है। इसरो ने चंद्रयान- ३ चलाए, भारत में हर्षोल्लास है। चंदा मामा पहले दूर थे, भारत माँ के अब पास है। "हरिप्रेम" सदा गुण गाएं, जन-जन में मिठास है। परिचय :-  हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" निवासी : आमला बैतूल (मध्यप्रदेश) गोविन्द कॉलोनी, आमला वार्ड : रानी लक्ष्मी बाई (क्र....
हम भी क्या सोचे
कविता

हम भी क्या सोचे

हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" आमला बैतूल (मध्यप्रदेश) ******************** कोई तो होगा इतना वफा करे क्यों, वो बेचैन रहे हरदम हम भी क्या सोचे। इतना भी करे कोई मिलने को तरसे, आस उनकी भी रही हम भी क्या सोचे। ऐसी लागी उनसे लगन अच्छा हुआ, मिलने को आतुर हुए हम भी क्या सोचे। जहां में इतना तो कोई प्यारा होगा, मोहब्बत क्यों उम्मीद करे हम भी क्या सोचे। सलोनी सी सूरत क्या ऐसे देंखे, मनचले से पूंछो तो कोई हम भी क्या सोचे। ये समां कोई जलाए भी तो ऐसे, परवाना पूंछे क्या उनसे हम भी क्या सोचे। चांद के पार चले जाना तो कोई, रुक ना जाए राहों में हम भी क्या सोचे। वो आए भी क्या इस तरह जहां में, सोचा हमने भी ऐसा सही हम भी क्या सोचे। कोई तो होगा अपना अब प्यारा, खिलौना हो गया सपना हम भी क्या सोचे। 'दीया' ने क्या दिया जिसे दिया जब, आस के भरोसे मांगे सिर्फ हम भी क्या सोचे। ...
मेरे पिताजी मेरे भगवान
कविता

मेरे पिताजी मेरे भगवान

हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** परम पूज्य मेरे पिताजी, तुम मेरे भगवान हो। जीवनदान तुमसे ही पाया, तुम मेरी जान हो।। मेरे मालिक मेरे पिताजी, तुम मेरे जन्मदाता हो। जनम दिया है दुनिया में, मेरे भाग्य विधाता हो। मेरे पिताजी इस संसार के, वह निराले इंसान है। मेरे पिताजी का जीवन में, जो सर्वोत्तम स्थान है। मेरे भाग्य में है पिताजी, यह ईश्वर का वरदान है। मुझे छत की क्या जरूरत, पिताजी आसमान है। बापू की क्षमता माँ की ममता, मैं करूं सम्मान है। अहो भाग्य से मुझे मिले, सर्वदा करूं गुणगान है। जीवन दुःख मेरे जो आया, बापू ने सहन किया। मैने देखे सपने जितने, पिताजी ने ही पूर्ण किया। इस जीवन में पिताजी ने, अमूल्य दिया उपहार है। जीवन में लौटा ना सकूं, अतुल्य किया उपकार है। खून पसीने में रहकर, मुझे मेरा अधिकार दिया। छ...
नूतन वर्ष मंगलमय हो
कविता

नूतन वर्ष मंगलमय हो

हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** नूतन वर्ष मंगलमय हो, सारा जहां रोशन रहे। दिन दुनी रात चौगुनी हो, खुशियों की सौगात रहे। पुलकित मन सबका हो, ऐसा मन में विश्वास रहे। खुशियों भरा जीवन हो, भाईचारे का विस्तार रहे। इच्छाओं की पूर्ति हो, शतबुद्धि हमारे पास रहे। धन संपदा घर में हो, सुख समृद्धि का वास रहे। फूलों की तरह महक हो, गुलिस्तां का बागवान रहे। प्रेमभाव और समागम हो, सदा ईश्वर का वरदान रहे। मूलमंत्र है सहज जीवन हो, सद्द्विचारों का सम्मान रहे। नववर्ष की पावन बेला हो, अनुपम रिश्तों में सुधार रहे। परिचय :-  हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" निवासी : गंजबासौदा, जिला- विदिशा (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविता...
हिन्दी गौरव राष्ट्रीय सम्मान
कविता

हिन्दी गौरव राष्ट्रीय सम्मान

हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** मेरा प्रणाम है सादर प्रणाम, इन्दौर नगरी को मेरा प्रणाम। मेरा प्रणाम...।। हिन्दी रक्षक डॉट कॉम, हिन्दी रक्षक मंच निर्माण। हिन्दी गौरव राष्ट्रीय सम्मान, समीक्षा समिति का परिणाम। मेरा प्रणाम...।। दिव्यांग का सर्वांगीण उन्नयन, वेलफेयर सोसायटी दिव्योत्थान। साहित्यकार श्रेणी में सम्मेलन, राष्ट्रीय स्तर का वृहद आयोजन। मेरा प्रणाम...।। साहित्य जगत है एक वरदान, साहित्यकार है सदा ऊर्जावान। श्रेष्ठ भारत है श्रेष्ठ संविधान, हिन्दी रक्षक मंच सबसे महान। मेरा प्रणाम...।। परिचय :-  हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" निवासी : गंजबासौदा, जिला- विदिशा (मध्य प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कह...
तेरा चमक रहा दरबार
भजन, स्तुति

तेरा चमक रहा दरबार

हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** "मैया तेरे दरबार की, धूल का मैं एक टुकड़ा, हरि नाम दास हूं बड़ा, सुनले मेरा दुखड़ा" तेरा चमक रहा दरबार ओ मैया, लग रहा भक्तो का डेरा...।। गड़ ऊंचे मंदिर मैया विराजी, नवरूपों में सजी महारानी। सज रहे गांव गली चौराहे, नवरूपों में झांकी विराजी। देखो चल रहा जागरण ओ मैया, लग रहा भक्तो का डेरा। तेरा चमक रहा दरबार ओ मैया, लग रहा भक्तो का डेरा...।। "सुन ले मेरा दुखड़ा मैया, थोड़ा ना कर इंतजार, बेचारा नही मैं लाल हूं, मुझपर कर उपकार" तेरा चमक रहा दरबार ओ मैया, लग रहा भक्तो का डेरा...।। नंगे-नंगे पांव मैं चलकर आया, ऊंची-ऊंची सीढ़ियां मैं चढ़कर आया। धूपबाती की ज्योत जलायी, लाल रोली का तिलक लगाया। देखो भक्त करे जयकारा ओ मैया, लग रहा भक्तो का डेरा।। तेरा चमक रहा दरबार ओ मैया, लग रहा भ...
तू मेरा जहां…!
कविता

तू मेरा जहां…!

हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** एक तू..., बस तू..., सिर्फ तू..., है मेरी जां..., एक तू..., बस तू..., सिर्फ तू..., है मेरी जां...। तू मेरी है धड़कन, तू मेरा जहां, तू मेरी है धड़कन, तू मेरा जहां। "एक तू मेरी जां..., बस तू धड़कन..., सिर्फ तू है जहां...।" तू मेरी है धड़कन, तू मेरा जहां, तू मेरी है धड़कन, तू मेरा जहां। तू मेरा जहां...।। दुआं मैं करूं, जुदां मेरी जां, सिर्फ तू है, जहां से, जी ना सकूं, बिन तेरे जहां, लग जा गले, प्यार से। जो तू नही, तो मैं नही, जो तू नही, तो मैं नही, आज तू कहां..., कल तू वहां..., दिल-ए-जवां..., तू मेरा जहां...। "एक तू..., बस तू..., सिर्फ तू..., है मेरी जां...।" तू मेरी है धड़कन, तू मेरा जहां, तू मेरी है धड़कन, तू मेरा जहां। तू मेरा जहां...।। सुना ऐ जहां, तू जानले, मेरे हमसफर, तू देर ना ...
काश पंख होते मेरे…
कविता

काश पंख होते मेरे…

हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** काश पंख होते मेरे, उड़ जाता, काश पंख होते मेरे, उड़ जाता। मनचाही जगह पर मैं, चला जाता, काश पंख होते मेरे, उड़ जाता। काश पंख होते मेरे, उड़ जाता।। कोई अपना दूर सही, याद सताती है, जिस पल में याद करूं, याद आती है। दिल जितना याद करे, मुझको रुलाती है, मेरा दिल धड़के यूं, मिल जाता। मनचाही जगह पर मैं, चला जाता, काश पंख होते मेरे, उड़ जाता। काश पंख होते मेरे, उड़ जाता।। दिन याद करूं दूनी, रात चौगुनी आती है, आकर मेरे सपनों में, समां जाती है। एहसान किया ऐसा, सपनों में आकर सही, मेरा सपना चाहे यूं, मिल जाता। मनचाही जगह पर मैं, चला जाता, काश पंख होते मेरे, उड़ जाता। काश पंख होते मेरे, उड़ जाता।। हर पल मैं याद करूं, एहसास मुझे ऐसा, जुदाई भी क्या ऐसी, मुझे तड़पाती है। देखो छलके आंसू मेरे, क...
आज तू कहां…!
कविता

आज तू कहां…!

हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** आज तू कहां..., आज तू कहां..., आज तू कहां..., कभी साथ थे..., हंसी थे..., जवां थे..., जिन्दगी के दो पल...। आज तू कहां...।। छोटी-छोटी बातें, ओ मुलाकातें, रूठना मनाना, फिर मुस्कुराना। ख्वाबों में मेरे, यूं चले आना, याद मैं करूं..., ना... जाने... तू... है... कहां...। आज तू कहां...।। सुना-सुना अंगना, है मेरे आना, आकर मुझको, फिर गले लगाना। गले लगाकर, यूं शर्माना, याद मैं करूं..., ना... जाने... तू... है... कहां...। आज तू कहां...।। बार-बार रहते, क्यों दूर हमसे, दूर होकर, क्यूं यादों में मेरे। आ जाए शर्म तो, फिर लौट आना, याद मैं करूं..., ना... जाने... तू... है...कहां...। आज तू कहां...।। सच-सच बोलूं, अब तेरे सहारे, सारी उमर हो, बस साथ हमारे। हर पल जीना, है संग तुम्हारे, याद मैं करूं.....
मेरा अस्तित्व है क्या…
गीत

मेरा अस्तित्व है क्या…

हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** मैं क्या हूं, मैं क्यों रो पड़ा, मैं क्या हूं, मैं क्यों हस रहा। मैं कुछ नहीं, मेरा अस्तित्व है क्या, मैं कुछ नहीं, मेरा अस्तित्व है क्या। "मैं कैसे कहूं, किससे कहूं, कोई अपना पराया, लगने लगा।" मैं कुछ नहीं, मेरा अस्तित्व है क्या, मैं कुछ नहीं, मेरा अस्तित्व है क्या...।। मान भी जा, ऐ दिल ना हो दुखी, मेरा होना, ना होना एक जैसा। "मैं कैसे कहूं, किससे कहूं, कोई अपना पराया, लगने लगा।" मेरा दिल रोये, मेरा अस्तित्व है क्या, मैं कुछ नहीं मेरा अस्तित्व है क्या। मैं कुछ नहीं मेरा अस्तित्व है क्या...।। जाना अनजाना सा, सपना लगे, मैं अपना कहने, कहते चला। "मैं कैसे कहूं, किससे कहूं, कोई अपना पराया, लगने लगा।" मेरा मन तड़पे, मेरा अस्तित्व है क्या, मैं कुछ नहीं, मेरा अस्तित्व है क्या। मैं कुछ...
स्वर्णिम मध्यप्रदेश है
गीत

स्वर्णिम मध्यप्रदेश है

हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** स्वर्णिम, मध्यप्रदेश है..., स्वर्णिम, मध्यप्रदेश है...। स्वर्णिम, मध्यप्रदेश है..., स्वर्णिम, मध्यप्रदेश है...। जन-जन गाहे यशगान..., भाग्यवान है यह राज्य, उज्जवल..., मध्यप्रदेश है। अतुल्य भारत करे गुणगान, स्वर्णिम, मध्यप्रदेश है। मेरा भारत है महान्, स्वर्णिम, मध्यप्रदेश है। स्वर्णिम, मध्यप्रदेश है...।। शान-ए-हिन्दुस्तान मेरा, सौंदर्य हृदयप्रदेश यह। अखंड भारत में विशेष यह, स्वराज्य सर्वश्रेष्ठ है। नवयुग का अनुपम सृजन, सर्वांगीन उत्थान यहां। रोशन मध्यप्रदेश यह, तारीफ-ए-हिन्दुस्तान है। जन-जन गाहे यशगान..., लोकप्रिय है यह राज्य, सुखद..., मध्यप्रदेश है। अतुल्य भारत करे गुणगान, स्वर्णिम, मध्यप्रदेश है। मेरा भारत है महान्, स्वर्णिम, मध्यप्रदेश है। स्वर्णिम, मध्यप्रदेश है...।। स्वास्थ्य-शिक...
तू… मेरी जां है…!
कविता

तू… मेरी जां है…!

हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** तू..., मेरी जां है, जां है..., तू भूल गया..., मेरा..., तू जहां था, जहां था..., तू भूल गया...। तू भूल गया...।। तू..., मेरी जां है, जां है..., तू भूल गया..., मेरा..., तू जहां था, जहां था..., तू भूल गया...। तू भूल गया...।। तू सांचा था क्यूं, गैर हुआ, अपना रिश्ता क्यूं, गैर किया। दर्द भरी यादें, तू दे गया, सुना जहां मेरा, तू कर गया।। "दुआ मैं करूं..., तू खुश रहे सदा..., मुझे प्यार में..., धोखा मिल गया..., बेवफा तू..., क्यों हो गया.., बेवफा तू...।" तू भूल गया..., तू भूल गया...। तू..., मेरी जां है...।। खुला आसमां है, तू उड़ जा, संग मेरी यादें, सब भूल जा। सपने संवर गए, जो अब तेरे, कैसे बिखर गए, जो थे अपने।। "जिंदगी तुझपर मेरी..., कुर्बान हो जाए सदा..., मुझे प्यार में..., ...
मैं जो पुकारूं… दौड़ी चली आना
भजन, स्तुति

मैं जो पुकारूं… दौड़ी चली आना

हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** "मैं जो पुकारूं, दौड़ी चली आना, मैं तेरा भक्त हूं, देर ना लगाना।" मैं जो पुकारूं, दौड़ी चली आना, मैं तेरा भक्त हूं, देर ना लगाना। सदा नमन करूं, मेरी मईया..., पखारूं तेरे पईया। ऐसी दया करो, ऐसी दया करो, ऐसी दया करो, मेरी मईया..., पखारूं तेरे पईया।। तू..., पर्वत विराजी कहीं, धरातल विराजी, तेरे..., सच्चे भक्तों के तू, मन में विराजी, मन मंदिर पूजो, सब मन मंदिर पूजो, श्रद्धा भाव भक्ति से, मन मंदिर पूजो। सदा नमन करूं, मेरी मईया..., पखारूं तेरे पईया। ऐसी दया करो, ऐसी दया करो, ऐसी दया करो, मेरी मईया..., पखारूं तेरे पईया।। तेरे..., द्वारपाल बजरंगी, पवनसुत बाला, तूने..., धन्य किया है प्यारे, अंजनी का लाला, पल-पल पुकारूं, तुझें हर-पल पुकारूं, श्रद्धा भाव भक्ति से, पल-पल पुकारूं...
लाडो खुश रहना
कविता

लाडो खुश रहना

हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** लाडो खुश रहना, खुशहाल रखना परिवार, बाबुल मैया, ऐ चाहे हो...। बेटी खुश रहना, खुशहाल रखना परिवार, बाबुल मैया, ऐ चाहे हो...। बाबुल मैया, ऐ चाहे हो...।। सोने की थाली में, कंचन सा पानी, प्राणों से प्यारी, मेरी बिटिया रानी, लाडो कर देना..., बेटी कर देना, एक उपकार, बाबुल मैया, जो चाहे हो। बेटी कर देना, एक उपकार, बाबुल मैया, जो चाहे हो। "का चाहे, बाबुल मैया, का चाहे, बाबुल मैया, जो चाहे हो।" लाडो दे देना..., बेटी दे देना, खुशियां हजार, बाबुल मैया, ऐ चाहे हो। बेटी दे देना, खुशियां हजार, बाबुल मैया, ऐ चाहे हो। लाडो खुश रहना...। बाबुल मैया, ऐ चाहे हो...।। सोने सा अंगना में, महके बागवानी, फूलों से प्यारी, मेरी बिटिया रानी, लाडो कर देना..., बेटी कर देना, एक उपकार, बाबुल मैया, जो च...
जागो हे भोले…
भजन, स्तुति

जागो हे भोले…

हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** "ईश्वर सत्य है, सत्य ही शिव है, शिव ही सुंदर है, सत्यम शिवम् सुंदरम...। सत्यम शिवम् सुंदरम..., सुंदरम..., सुंदरम..., सत्यम शिवम् सुंदरम...।। जागो हे भोले..., जागो..., जागो..., जागो..., जागो हे भोले, जागो प्यारे, मेरे भोले कि सूरत, है निराली। जागो हे भोले...।। गणेश-कार्तिक पूत तुम्हारे, आदिगौरी मां संगिनी तुम्हारी। मन पावन करो, कामना पूर्ण करो, सदा नमन करूं, ओमकार प्यारे। जागो हे भोले...।। हाथो में त्रिशूल डमरूं बाजे, माथे पर त्रिनेत्र चंद्र सांजे, जटा में रहे गंग, डाले गले में भुजंग, नीलकंठेश्वर, महाकाल प्यारे। जागो हे भोले...।। ज्योर्तिलिंग में शक्ति तुम्हारी, करे पूजन ऐ धरती सारी, भक्तों के भगवन्, करूं चरणों में सुमिरन, शिवशक्ति का रूप, भोलेनाथ प्यारे। जागो हे भोले...
भगवन् तेरी शरणम्…।
भजन, स्तुति

भगवन् तेरी शरणम्…।

हरिदास बड़ोदे "हरिप्रेम" गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश) ******************** भगवन् तेरी शरणम्, मैं आया कृपा करना, भगवन् तेरी शरणम्, मैं आया कृपा करना। जो तेरी इच्छा हो, तो मुझपर दया करना, जो तेरी इच्छा हो, तो मुझपर दया करना। भगवन् तेरी शरणम्...।। मेरे माता-पिता, गुरु की, छवि दिखे तुझमें, श्रीगणेश, शिव-शक्ति का, दिव्य रूप दिखे तुझमें। मेरी आत्मा का मालिक तू, श्रद्धा-नमन स्वीकार करना, एक आस ही मेरे पास, प्रभु मुझपर कृपा करना। भगवन् तेरी शरणम्...।। तेरी सूरत दीवानी है, मैं तेरा दीवाना हूं, मन मंदिर मेरे आजा, मैं तेरा पूजारी हूं। मेरे दिल की धड़कन तू, श्रद्धा-भक्ति स्वीकार करना, एक आस ही मेरे पास, प्रभु मुझपर कृपा करना। भगवन् तेरी शरणम्...।। धन दौलत नहीं चाहूं, मुझे तेरा सहारा हो, बस यही दुआ मांगू, निच्छल प्रेम मेरा हो। यह विनती मेरी सुनले, श्रद्धा-भाव स्व...