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Tag: सुरेश चन्द्र जोशी

तेरी यों ही गुजर जायेगी
कविता

तेरी यों ही गुजर जायेगी

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** मत कर निज प्रसन्नता की बात, तेरी आत्मा बिखर जायेगी | छोड़ मन सुख जग के लिए, तेरी यों ही गुजर जायेगी || भाव-भावना रौंदी अब तक, आगे भी रोंदी जायेगी | छोड़ मन सुख जग के लिए, तेरी यों ही गुजर जायेगी || भुलाना जीवन अनुभवों को, तेरी मूर्खता ही कहलायेगी | छोड़ मन सुख जग के लिए, तेरी यों ही गुजर जायेगी || करेगा स्व- सुख की बात तो, परछाई भी दूर हो जायेगी | छोड़ मन सुख जग के लिए, तेरी यों ही गुजर जायेगी || बदला यदि तू नहीं अब तक, तो दुनियाँ क्यों बदल जायेगी | छोड़ मन सुख जग के लिए, तेरी यों ही गुजर जायेगी || कटुता भरे तेरे जीवन में, अब मधुरता नहीं चल पायेगी | छोड़ मन सुख जग के लिए, तेरी यों ही गुजर जायेगी || चली है सृष्टि शिव-शक्ति कृपा से, आगे भी शक्ति ही चलायेगी | छोड़ मन सुख जग के लिए, तेरी यों ह...
दीपावली यह मंगलमय हो
कविता

दीपावली यह मंगलमय हो

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** बृहस्पतिवार के स्वभाव से, चित्रा- नक्षत्र अति उर्जामय हो | सुंदरतम् प्रीति-योग से, दीपावली यह मंगलमय हो | | चंद्राऽर्क स्थित तुला राशि में, भोम-बुध भी तुलामय है हो | मंद-वृहस्पति मकर में तो, दीपावली यह मंगलमय हो || वृष में राहु वृश्चिक में केतु, धनु राशि आज शुक्रमय हो | ऐसे शुभग्रह पंचांग योग में, दीपावली यह मंगलमय हो || शुभ-लक्ष्मी सुलक्ष्मी आए गृह में, शारदाऽनुकंपा से जग सुज्ञानमय हो | हो शिव शक्ति की कृपा कुटुंब में, दीपावली यह मंगलमय हो || करुँ मैं "सुरेश " शिव लधून वंदन, परिवार शुभचिंतकों का शुभमय हो | सदा ऽनुकंपा शिव शक्ति की मिले, दीपावली यह मंगलमय हो || मायाशांति की लालसा मन में, हर्षिता हृदया शिवानी शिवम्मय हो | कहे "सुरेश" हिमराज सुता से, दीपावली सबकी मंगलमय हो || दीपावली सबकी यह मंगलमय हो, दी...
श्री लधूनेश्वर महादेव
भजन, स्तुति

श्री लधूनेश्वर महादेव

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** कूर्मावताराभिधान जनपद में, लधून महादेव तीर्थ है | चंद राजार्चित महादेव का, लधून महादेव तीर्थ है || होती समर्पित नवबाल जहाँ, लधून महादेव तीर्थ है | वैशाख शुक्ल चतुर्दशी जाते, श्री लधून महादेव तीर्थ हैं || कर समर्पण नवान्न नैवेद्य, होता वहाँ महादेवार्चन है | होती अपरा बृहत्पूजा जहाँ, लधून महादेव तीर्थ है || कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी, जागरण होता बैकुण्ठ चतुर्दशी | होता बृहत्मेलायोजन सदा, तिथि कार्तिक शुक्ल की चतुर्दशी || कर शिवार्चना तृतीय प्रहर, लधून महादेव तीर्थ पर हैं | रुद्र यज्ञ होता संपन्न जहाँ, लधून महादेव तीर्थ है || बैठ ध्यान में लिंग शक्ति के, देवियां मांगती जहां वरदान हैं | अद्भुत धाम महादेव का, लधून महादेव तीर्थ है || उषाकाल ले भास्कर किरण, आता डोला लधूनेश्वर का है | जहां भक्त परिक्रमावलोकन करें,...
देशभक्ति
कविता

देशभक्ति

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** परिभाषा अज्ञात देशभक्ति की, देशभक्ति को कैसे पढ़ाएंगे? अवधारणा नहीं राष्ट्रोत्थान की, देशभक्ति को कैसे पढ़ाएंगे? प्रमाण मांगेंगे पराक्रम का श्रीमान् , देशभक्ति को कैसे पढ़ाएंगे? बोल नहीं सकते "वंदे-मातरम्" तो देश भक्ति को कैसे पढ़ाएंगे? करतल ध्वनि ना की राष्ट्र क्रीडकों के लिए, क्या देशभक्ति पढ़ाएंगे ? प्रतिपल स्व-स्वरूप बदलने वाले, क्या देशभक्ति को पढ़ाएंगे? समाप्त छात्रानुशासन कराने वाले, देश भक्ति को कैसे पढ़ाएंगे ? शिष्यों से गुरु हत्याएं करवाने वाले, देशभक्ति को कैसे पढ़ाएंगे ? कर शोषण गुरु संप्रदाय का, सफल देशभक्ति कर पाएंगे ? जिसको स्वयं न ज्ञान देशभक्ति का, वे क्या देश भक्ति पढवाएंगे ? शिक्षा लें गुरु सम्मान की श्रीमान् , देश भक्ति गुरु से समझ पाएंगे | बिना गुरु ज्ञान के तो श्रीमान् , देशद्रोही ही...
गंगा माँ और इजा
कविता, स्मृति

गंगा माँ और इजा

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** अविरल प्रवाहित जगत जननी की, अद्भुत धारा और गति आज देखी। इंदिरा एकादशी के अवसर इजा , जनसमूह अद्भुत भीड़ आज देखी।। पितर मुक्ति प्रदायिनी एकादशी, श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बतलाई। पितर मुक्ति और आत्म शांति की, इंदिरा एकादशी परम बतलाई।। कर नमन जगज्जननी गंगा को माँ, जन्म दात्री इजा चरणों का ध्यान किया। तेरी कृपा से ही तेरे निरमित्त इजा, पाँचवां गंगा स्नान किया।। किया था प्रथम जब हे इजा, तेरी अस्थि विसर्जन करवाने आया। किया था द्वितीय इजा हे जब, त्रिमासी केस समर्पित करने आया।। छमासी तृतीय स्नान इजा, वासंतिक अवसर पर तूने करवाया। बाज्यू की पुण्यतिथि पर इजू तूने, वर्षा का स्नान चतुर्थ करवाया।। इजा तेरे पुण्य प्रताप-प्रसाद की, फलश्रुति जो तूने पंचम भी करवाया। शब्द नहीं इजा तेरी कृपा के लिए, स्नान जो तूने पंचम भी करवा...
तुझसे शीघ्र मिलन होगा
कविता

तुझसे शीघ्र मिलन होगा

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** दे रही है शारीरिक स्थिति संकेत, इजा तुझसे मिलन शीघ्र होगा। दे रही है सांसारिक स्थिति संकेत, इजा तुझ से मिलन शीघ्र होगा।। खान-पान,रहन-सहन सभी का, अंतिम निष्कर्ष सामने शीघ्र होगा। दे रही है शारीरिक स्थिति संकेत, इजा तुझ से मिलन शीघ्र होगा।। हस्त, पाद, अक्षि, कर्ण, कटि, आदि का, यदि इस तरह ह्रास-गमन होगा। दे रही है शारीरिक स्थिति संकेत, इजा तुझसे मिलन शीघ्र होगा।। शुष्क-कर्ण,हस्त-पाद को अब तो, आवश्यक न तो तेल लेपन होगा। दे रही है शारीरिक स्थिति संकेत, इजा तुझसे मिलन शीघ्र होगा।। न होंगे सौभाग्य नियम फिर, न हाथ पर एक ही कंगन होगा। दे रही है शारीरिक स्थिति संकेत, इजा तुझसे मिलन शीघ्र होगा।। तनाव न भोजन का रहेगा, न नियम कोई भाग शयन का होगा। वाम-दक्षिण त्याग शयन अब तो, इजा तुझसे मिलन शीघ्र होगा।। खंडित न सिद्धां...
श्री लालबहादुर शास्त्री
कविता

श्री लालबहादुर शास्त्री

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** शिक्षक शारदा प्रसाद गृहस्थी में, राम दुलारी के पति हुए। घर उनके दो अक्टूबर तिथि को, लालबहादुर एक सपूत दुलारी के हुए।। अति स्नेह से कुटुम्ब ने, नन्हे जो अभिधान दिया। अठारह मासावस्था में विधि ने, नन्हे के पिता को निधन दिया।। प्राथमिक शिक्षा ननिहाल हुई, प्राप्तोपाधि काशी विद्यापीठ से हुई। किया दूर स्व-पैतृक उपाधि को, जोड़ी उपाधि शास्त्री पाई हुई।। "अंग्रेजो भारत छोड़ो" को किसी ने, "करो या मरो" में बदल दिया। देशभक्त लाल बहादुर शास्त्री ने भी, "मरो नहीं मारो" में बदल दिया।। बने संसदीय सचिव पंत शासन में, पुलिस, परिवहन मंत्रालय, भार दिया। फिर शासक ने स्वार्थ के लिए, दल का महासचिव बना दिया।। स्वच्छ सुंदर व्यक्तित्व ने उनको, द्वितीय प्रधानमंत्री भारत का बना दिया। नौ जून उन्नीस सौ चौसठ को, राष्ट्र ने पदभार ग्रहण कर...
छत्र-छाया में
कविता, स्मृति

छत्र-छाया में

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** होता परिवार छत्रछाया में, कितने निश्चिंत रहते आज | पिता होते नब्बे वर्ष के आज, माताश्री होती तिरासी वर्ष की आज || जीने नहीं दिया बावन वर्ष भी, सपने देखता नब्बे वर्ष का | जननी भी तो जी नहीं सकी, जीवन अपना नब्बे वर्ष का || मूल्य आदर्शो के धनी पिता का, अनुशासन हम पर सदा रहता | वैदिक नियम के दृढ पालन से, अनुशासित मन सदा रहता || जीवन संघर्ष की प्रबल शिक्षा, मिलती पिता के जीवन से | संस्कार संयम की संयुक्त शिक्षा, मिलती रहती माँ के जीवन से || यदि होते दोनों सिर पर आज, परिवार हमारा अलौकिक होता | चलता शासन पिता का आज, समाज हमारा अलौकिक होता || न होती जयंती-पुण्यतिथि की चर्चा, जन्मोत्सव घर में होता आज | होती लधूनेश्वर महादेव की पूजा, पूजनोत्सव घर में होता आज || होता परिवार छत्रछाया में, कितने निश्चिंत रहते आज | ...
पार्वती नन्दन श्री गणेश
स्तुति

पार्वती नन्दन श्री गणेश

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** आओ पार्वती नंदन श्री गणेश, स्वागत करता भारत देश | आओ शिवसुत हे श्री गणेश, स्वागत करता मैं सुरेश || विघ्न विनाशक हे विनायक, तुम गजमुख लंबोदर सुत महेश | विघ्न हरो प्रभु सब भक्तन के, धरा सहित आपदा में भारत देश || आओ प्रभु सुरक्षित करो धरा को, जनमानस अब अति ब्याकुल है | तुम्हारी धरा का उपासक भी तो, कितनाआज अत्यंत भयाकुल है || आशीष गणपति का पाकर हम, सभी शिव-शक्ति शरण में जायेंगे | उमासुत प्रभु के आशीष से हम, फल शिव-शक्ति चरण में पायेंगे || हे विद्या फलप्रदायक विघ्नहर्ता, भक्तों के त्राता बन जाओ प्रभु | आकरके भक्त संप्रदाय घरों में, सुफल दाता अब बन जाओ प्रभु || आओ उमासुत श्री गणेश, स्वागत करता भारत देश | आओ शिव सुत हे श्री गणेश प्रभु, स्वागत करता मैं सुरेश || स्वागत करता मैं सुरेश, स्वागत करता.... परिचय :- स...
प्रायश्चित्त
कविता

प्रायश्चित्त

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** हो सुधार असत्य इतिहास का, राष्ट्रीय, प्रायश्चित हो अब तो | जो अधिकारी सम्मान के, वे सम्मानित राष्ट्र में हों अब तो || तिरंगा पहला सुभाष ने, लहराया जाने सब अब तो | हो इतिहास में नेहरू से पहले, सम्मान सुभाष बोस का अब तो || झूले सहर्ष मृत्यु के झूले पर, जानें उनकी सत्यता राष्ट्र अब तो | भगत सिंह-राजगुरु-सहदेव का, हो सम्मान प्रतीक राष्ट्र का अब तो || योगदान सभी क्रांतिकारियों का, करें राष्ट्र अवश्य स्वीकार अब तो | नहीं हुए हम स्वतंत्र बिना अहिंसा से, करे आभास राष्ट्र अवश्य अब तो || टैगोर-तिलक-सावरकर आदि, क्यों सीमित पंक्तियों में अब तो | जागो मनीषियो-शिक्षाविदो, प्रसारित ग्रंथों में करो अब तो || था न विशेष योगदान जिनका, लिखवाया इतिहास उन्हीं पर तो | करें सुधार अब-भूलों का | लिखाओ इतिहास सही अब तो || हो इतिहा...
रक्षाबंधन कैसे मनाऊँ मैं
कविता

रक्षाबंधन कैसे मनाऊँ मैं

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** ग्यारह मास बिताये मातु बिना तो पर्व रक्षाबंधन कैसे मनाऊँ मैं | वर्ष-वर्षी तक मातृ शोक का तो, पर्व रक्षाबंधन कैसे मनाऊँ मैं || नहीं नियम पर्व कुछ भी मनाने का, सात्विकता अब्द यह बिताता मैं | आहार को आशीष से चला रहा, तो पर्व रक्षाबंधन कैसे मनाऊँ मैं || रहे दिन छियालीस अब वर्षी के, स्मृति पटल से नहीं बिसराऊं मैं | सिर पर सदैव ही जननी आशीष, तो पर्व रक्षाबंधन कैसे मनाऊँ मैं || रक्षित जीवन तेरे आशीष से, रक्षाबंधन को कैसे मनाऊँगा मैं | तेरी अनुकम्पा होगी जननी तो, पर्व रक्षाबंधन को आगे मनाऊँगा मैं || दिया लेखनी को आशीष तूने, इसे आजीवन अब चलाऊंगा मैं | तेरे आशीष से ही तेरे आदर्श हे जननी, लेखनी से आगे अब बढाऊँगा मैं || वर्ष वर्षी तक मातृ-शोक का तो, पर्व रक्षाबंधन कैसे मनाऊँ मैं | ग्यारह मास बीते मातु बिना तो, पर्व रक्...
घी त्यार-ओगली संक्रांति
कविता

घी त्यार-ओगली संक्रांति

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** आई सिंह संक्रांति तो, घी त्यार ओल्गी मनाई | पकाकर बेडू रोटी तो, घी में भिगोकर खाई ||१|| नव पल्लवित हरित प्रकृति, खेतों में पत्तियां सुंदर बनाई | मिलाकर अरबी की बाबा को, सुंदर सब्जी क्या बनाई ||२|| त्याग कर खेती-बाड़ी को अब, तुमने धनिया जब नहीं जमाई | दैंअब कैसे तुम्हें परम स्नेहियो, घी संक्रांति की बधाई ||३|| बने सब गरीबी रेखा के लोग, बीपीएल बना सहाई है | निष्क्रिय बने बंधु बंधुओं को, घृत- संक्रांति की बधाई है ||४|| त्याग रहे संस्कृति और सभ्यता, पर्वोत्सवों में मतिहीनता दिखाई है | देवभूमि के सभी प्रिय बंधुओं को, घृत संक्रांति की बधाई है ||५|| शिक्षायुक्त लोगों ने रोजगार लेकर, समाज में अपनी जगह बनाई है | बाकी सदा बने निष्क्रियों को भी, घृत संक्रांति की बधाई है ||६|| घृत संक्रांति की बधाई है, घृतसंक्रांति क...
दर्द
कविता

दर्द

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** दर्द जो था तेरे जन्म का, जननी ही जाने दर्द को। भला निष्ठुर दर्द क्या जाने, आया है सहने तू दर्द को।। है तू खिलौना एक दर्द का, क्या तू देगा इस दर्द को। तेरा तो साथी दर्द है रे संवारेगा वही तेरे दर्द को।। ना होता तू दर्दी तो, संभालता कौन दर्द को। है तू आसरा दर्द का, मौन सहेज ले दर्द को।। न मिटाया किसी ने दर्द तेरा, क्यों भला मिटाये दर्द को। न कर्म उसका दर्द मिटाना, वह जुडा ही दर्द देने को।। मिला जन्म से दर्द तुझे तो, चाहता क्यों छोडना दर्द को। न छोडेगा कभी तुझे दर्द तो, अपनाले तू स्वयं ही दर्द को।। जिया है जिसके दर्द के लिए, उसने ही बढाया तेरे दर्द को। जियेगा जिसके दर्द के लिए, वही बढायेगा तेरे दर्द।। भुलायेगा प्यारे अगर दर्द तू , तो अपनायेगा कौन दर्द को। अनुपथगामी है तेरा दर्द तो, सदा दे तू सहारा इस दर्द ...
शिव पर्व हरेला
कविता

शिव पर्व हरेला

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** पर्व हरेला कुमाँऊ का, मनाते हैं उत्तराखंड में। निवास जिन श्री महादेव का, विराजते वह कैलाशखंड में।। घर ससुराल महादेव का, है जब पुण्य उत्तराखंड में। तभी हरेला पवित्र सावन का मनाते हैं हम उत्तराखंड में।। प्रतीक हरेला हरियाली का, सदा सुसमृद्धि सूचक है। ब्रत पूजन उमा-महेश्वर का, जीवन समृद्धि सूचक है।। स्वागत सावन हरेले का, आरंभ सप्तदिन पूर्व करते हैं। श्रद्धा से सप्तधान्य का, गृह में बपन सप्तदिन पूर्व ही करते हैं।। स्वरूप जिस तरह धरा का, हरा भरा सावन में होता है। उसी तरह आशीष महेश्वर का, फलीभूत जीवन में होता है।। पूजन विशेष श्री महादेव का, हरेले से लोग यहां पर करते हैं। जन-जीवन शिवार्चन का, जिया लोग यहाँ पर करते हैं।। महापर्व यह देवभूमि का, प्रतिवर्ष श्रद्धा से हम मनाते हैं। हो कल्याण समस्त भारतभूमि का, शिव ...
पुण्यतिथि पिता की
कविता, संस्मरण

पुण्यतिथि पिता की

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर (दिल्ली) ******************** अठतीसवीं पुण्यतिथि पिता की, गंगा तट पर याद की। आई थी इस जन्म जयंती वर्ष में, माताश्री भी शरण में आपकी।। संघर्ष किया जननी ने तो, तप- शक्ति थी आपकी। क्यों छोड़ गए थे उस देवी को, क्या इच्छा थी आपकी।। हम तो दण्डित होते रहे पर, सेवा न कर पाए आपकी। उनको दंडित कौन करेगा, जिसने सेवा करने दी आपकी।। मिटा न सका कोई सिद्धांत, सत्पथ पर चलने के आपकी। थी इच्छा प्रबल अति शिक्षा की, अवधारणा मन में आपकी।। सहन न कर पाया लंपट वह, संतति उन्नति को आपकी। किया प्रयोग तंत्र विद्या का, मनस्थिति कैसे बिगाड़ी आपकी।। किया कुछ भी हो धृष्ट ने फिर भी, वह बराबरी न कर पाया आपकी। थे परम शिव- शक्ति उपासक आप, वह छाया भी न था आपकी।। आई जुलाई की तीसरी तिथि, जो जीवन ले गई थी आपकी। करता सुरेश जगतारिणी बन्दन, संरक्षण हेतु माता और आपकी।। परिचय ...
कर्म-मार्ग की स्थिरता
संस्मरण

कर्म-मार्ग की स्थिरता

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर दिल्ली ******************** सामान्य जीवन यापन करना मूल सिद्धांतों, को बनाए रखते हुए अपने लक्ष्य पर स्थिर रहना, कर्म मार्ग में कभी प्रमाद न करना, पारंपरिक शिक्षा को महत्व देना, वेद, आयुर्वेद व ज्योतिष, कर्मकांड, पर अपनी प्रबल ज्ञान शक्ति से आस्था बनाए रखते हुए, पुत्रों को सुशिक्षित करना, इन सभी जीवन जीवन चर्या को जीने वाले व्यक्ति थे पंडित जीवानंद जोशी वैद्य। उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र के जनपद चंपावत के दुर्गम क्षेत्र में "दुन्या" गांव में अठारह सितंबर उन्नीस सौ इकत्तीस प्रातः नौ बजकर सत्तावन मिनट पर जन्मे पंडित श्री जीवानंद जोशी "वैद्य" जी का जीवन संघर्ष की एक ज्ञानवर्धक पुस्तक के रूप में है। चार भाई-बहनों में सबसे वरिष्ठ पंडित वैद्य जी की आयु जब बारह वर्ष की थी, तो उनकी माता श्री की मृत्यु हो गई थी जब मां की मृत्यु हुई थी उस समय सबसे छोटा बालक मात्र ढाई वर...
गृहस्थाश्रम में पत्नी
आलेख

गृहस्थाश्रम में पत्नी

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर दिल्ली ******************** मनुष्य ब्रह्मचर्याश्रम के बाद विवाह संस्कार करके गृहस्थाश्रम मेंं प्रवेश करता है, गृहस्थी के लिए पत्नी मात्र कामपूर्ति के उद्देश्य से नहीं है, अपितु यह मानव को सभ्य सुसंस्कृत व संस्कारवान बनाती है। यदि यह विवाह संस्कार नहीं होता तो मानव समाज में-माँ, बहन, बेटी आदि पहचानने की शक्ति नहीं होती। सृष्टिकर्ता के दांए स्कंध से पुरुष और बांए स्कंध से स्त्री की उत्पत्ति होने के कारण स्त्री को वामांगी कहा जाता है, अतेव शादी के बाद उसे पति के बांई ओर बैठाने की परंपरा है। धर्मग्रंथों में पत्नी को पति का आधा अंग कहा जाता है उसमें भी उसे वामांगी कहा जाता है, अर्थात वह पति का बांंयां भाग है, शरीर विज्ञान और ज्योतिष विज्ञान ने भी पुरुष के दांए व स्त्री के बांए भाग को शुभ माना है। मनुष्य के शरीर का वांया हिस्सा खासतौर पर मस्तिष्क की रचनात्मकता का प...
आखिर क्यों…?
कविता

आखिर क्यों…?

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर दिल्ली ******************** बने अगर विश्वस्तरीय मोहल्ला क्लीनिक तो विद्यालयों में टीकाकरण होता क्यों? बने अगर उत्कृष्ट चिकित्सालय तो निजी चिकित्सालय में जाते परिवार आपके क्यों ? प्रारूप शिक्षा का आप सराहते रहते तो नकल विधि-निदेशक सिखाते क्यों? सराहा कहते प्रारूप शिक्षा का विश्व ने तो निजी विद्यालयों में निज बच्चे पढ़ाते क्यों ? व्यवस्था स्वास्थ्य की उत्कृष्ट आपकी तो केंद्र से सहायता मांगते हो क्यों ? स्वयं न कर पाए प्राणवायु व्यवस्था तो विधायक आपके छुपाए पकड़े जाते क्यों ? कर्मठता अगर थी आप मैं तो न्यायालय द्वारा शुतुर मुर्ग कहलाए क्यों ? दिया आदेश उच्चतम न्यायालय ने तो जांच (औडिट) होगी तो घबराते आप ही क्यों ? जाते नहीं हो क्षेत्रों में अपने तो मात्र प्रेस वार्ता ही करते हो क्यों ? बने हो स्वयं अकर्मण्य अति तो दूसरों पर र...
इजा (मातृ) शतकम्
कविता

इजा (मातृ) शतकम्

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर दिल्ली ******************** उत्तराखंड राज्य में, पिथौरागढ़ नामका जनपद था। वहाँ पुल्लाके समीप मेंं, गजना नामक गाँव था ।।१।। ऋषिभरद्वाज के वंशज, जोशी कुल में उत्पन्न हैं। महाविप्र इन्द्रदेव जी, बृद्धप्रमातामह भूषण हैं ।।२।। लालमणी प्रमातामह तो, मातामह ईश्वरीदत्त हैं। मातामह पत्नी मातामही, विख्यात भवानी देवी हैं।।३।। लालमणी भवानी के घर में, सुकर्मफलों से कन्या हुई। वह कन्या इसलोक मेंं, पार्वती नाम से ख्यात हुई ।।४।। होकर स्वकुलभूषण भी, माता पिता से हेय हुई । ब्रणकष्ट अति सहकर भी, दक्षिणहस्त से पीडित हुई ।।५।। मातापिता का दुर्भाग्य था उनको, न सुता महत्व का भान हुआ। उनके अकरणीय कर्म से, निष्क्रिय दाहिना हाथ हुआ ।।६।। मौनसगोत्र शिरोमणि, दुन्याँ गाँव में निवासी हुए। बलभद्र जोशी नाम से, प्रसिद्ध प्रपितामह हमारे हुए।।७।। बलभद्र...
सनक हिम्मत और अनुभव
आलेख

सनक हिम्मत और अनुभव

सुरेश चन्द्र जोशी विनोद नगर दिल्ली ******************** सनक-हिम्मतऔर अनुभव ये जीवन की तरक्की के तीन महत्वपूर्ण सूत्र हैं। सनक आपसे वो भी करवा लेता है, जो आप नहीं कर सकते थे। अथवा ये मानते थे कि ये काम मेरी क्षमता से बाहर है और मुझसे कभी नहीं होगा। असंभव को भी संभव कर के दिखाना ये जुनून का काम है। एक विश्वविजयी सम्राट ने कभी अगर ये कहा है था कि मेरे शब्दकोष में असंभव जैसा कोई शब्द ही नहीं तो ये उसका जुनून ही था जो उसे भीतर से दुनिया को मुठ्ठी में करने का आत्मबल प्रदान कर रहा था। हिम्मत आपसे वो करवाती है, जो आप करना चाहते हैं। जीवन में कुछ बड़ा करने का अथवा कुछ अलग करने का स्वप्न लगभग हर कोई देखता है मगर हौसले के अभाव में उनका वह महान स्वप्न भी केवल दिवास्वप्न बनकर रह जाता है। जीवन में कुछ बड़ा करने के सपने देखना भी अच्छी बात है मगर उन सपनों को साकार करने के लिए सदा प्रयत्नशील रहना उससे भी अ...