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Tag: सुरभि शुक्ला

शब्दो की खामोशी
कविता

शब्दो की खामोशी

सुरभि शुक्ला इन्दौर (मध्य प्रदेश) ******************** एक न एक दिन सब बदल जाते हैं अपने पराए हो जाते हैं रिश्ते-नाते टूट जाते हैं दोस्त-यार छूट जाते हैं धीरे-धीरे रास्ते बदल लेते हैं तुमसे अपने सारे बंधन तोड़ देते है हवा चलते-चलते रुक जाती हैं कली टूट कर जमीं पर बिखर जाती है फूलों से खुशबू उड़ जाती है हरी भरी पत्तियां पीली पड़ जाती है मुलायम नर्म घास सूख जाती है एक दिन उपजाऊ मिट्टी भी बंजर हो जाती है हाथों की लकीरें मिट जाती है चेहरे पर झुर्रियां आ जाती है एक दिन ज़िंदगी भी धोखा दे‌ देती है जिस्म से रूह साथ छोड़ देती है और मौत अपने दामन में लपेट लेती है। ताउम्र के लिए अपना हमसफर बना लेती है परिचय :-   सुरभि शुक्ला शिक्षा : एम.ए चित्रकला बी.लाइ. (पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान) निवासी : इन्दौर (मध्य प्रदेश) जन्म स्थान : कानपुर (उत्तर प्रदेश) रूचि : ल...
ये कैसी दुनिया
कविता

ये कैसी दुनिया

सुरभि शुक्ला इन्दौर (मध्य प्रदेश) ******************** ये कैसी अजब नगरी है जहाॅं कोई राजा और कोई रंक है कोई आसमान में बैठा कोई ज़मीन की धूल में लेटा है कोई ऐसी के आलिशान कमरों में सोता तो कोई सड़क के किनारे फुटपाथ पर सारी रात जागता है कोई फाईव स्टार होटल में आराम से बढ़िया व्यंजन खाता तो कोई उनकी जूठन से अपना पेट भरता है कोई धन की गड्डी ही दिनभर गिनता रहता तो कोई एक एक रुपया जोड़ने में जिंदगी गुजार देता है कोई दाग़ लगे श्वेत वस्त्रों में भी शरीफ़ होता तो कोई शरीफ़ होकर भी दाग़ दार कहलाता है परिचय :-   सुरभि शुक्ला शिक्षा : एम.ए चित्रकला बी.लाइ. (पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान) निवासी : इन्दौर (मध्य प्रदेश) जन्म स्थान : कानपुर (उत्तर प्रदेश) रूचि : लेखन, गायन, चित्रकला सम्प्रति : निजी विद्यालय में पुस्तकालयाध्यक्ष आप भी अपनी कविताएं,...
मतलबी दुनिया
कविता

मतलबी दुनिया

सुरभि शुक्ला इन्दौर (मध्य प्रदेश) ******************** किसी को अपना मत समझ यहाॅं सब मतलब के साथी है कब तुझे गिरा कर आगे बढ़ जाऍं सारे जलाने वाले हाथ है यहाॅं होश में होकर भी बेहोश सारे यहाॅं ख़ुद को बचाने में मशगूल है तेरा रास्ता बंद कर कब मंज़िल में खड़े हो जाऍं सब अपना रास्ता बनाने में लगे है यहाॅं सब जुगाड़ू है यहाॅं हाथ सेंक कर तमाशा देखने वाले हज़ारों हैं यहाॅं तेरी ऑंख खुलेगी जब यहाॅं तो तू किनारे पड़ा होगा किसी और का महल खड़ा होगा यहाॅं बहुत हमदर्द है यहाॅं पीछे मुड़ा की तेरा राज़ खोलने वाले खड़े है यहाॅं मीठा बोल कर तूझे अपना बनाएंगे यहाॅं फिर तेरे पीछे तेरी ही हॅंसी उड़ाएंगे यहाॅं।। परिचय :-   सुरभि शुक्ला शिक्षा : एम.ए चित्रकला बी.लाइ. (पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान) निवासी : इन्दौर (मध्य प्रदेश) जन्म स्थान : कानपुर (उत्तर प्रदेश) रूचि : ...
मोहिनी मूरत
कविता, स्तुति

मोहिनी मूरत

सुरभि शुक्ला इन्दौर (मध्य प्रदेश) ******************** मोहिनी मूरत मोहिनी मूरत सांवली सूरत सबका मन मोहे सिर पर मोर मुकुट सजे पैरों में पैजनियां बाजे मोहिनी मूरत सांवली सूरत सबका मन मोहे अधरों लगी बांसुरी बजाएं गोपियों का मन हर्षाएं मोहिनी मूरत सांवली सूरत सबका मन मोहे झूठ मूठ की बात बनाएं मैया को सताएं मोहिनी मूरत सांवली सूरत सबका मन मोहे ग्वालों के संग मटकी फोड़े छिप-छिप कर सब खाएं परिचय :-   सुरभि शुक्ला शिक्षा : एम.ए चित्रकला बी.लाइ. (पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान) निवासी : इन्दौर (मध्य प्रदेश) जन्म स्थान : कानपुर (उत्तर प्रदेश) रूचि : लेखन, गायन, चित्रकला सम्प्रति : निजी विद्यालय में पुस्तकालयाध्यक्ष आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्ष...
आंखे
कविता

आंखे

सुरभि शुक्ला इन्दौर (मध्य प्रदेश) ******************** कमाल होती हैं आंखे बिन बोले सब कह देती हैं दिल में छिपे सारे राज़ खोल देती हैं सच और झूठ से पर्दा उठा कर एक-एक रहस्य उजागर करती हैं आंखे क्या कहें इनके बारे में रोज‌ नई कहानी सुनाती हैं हर किरदार का नया रंग दिखाती हैं ये, अपने और परायों की असली पहचान कराती हैं आंखे जिनसे हम अन्जान होते हैं उन्ही किताबों के पन्ने खोलती हैं और एक नया सबक सिखाती हैं हर आदमी के अध्याय को बार-बार समझ कर पढ़ने को कहती हैं आंखे परिचय :-   सुरभि शुक्ला शिक्षा : एम.ए चित्रकला बी.लाइ. (पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान) निवासी : इन्दौर (मध्य प्रदेश) जन्म स्थान : कानपुर (उत्तर प्रदेश) रूचि : लेखन, गायन, चित्रकला सम्प्रति : निजी विद्यालय में पुस्तकालयाध्यक्ष आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्...