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भारत-माँ का वीर लाल
कविता

भारत-माँ का वीर लाल

सुप्रिया सिन्हा बरियारपुर, मुंगेर (बिहार) ******************** धन्य है ! हमारी भारत-माता धन्य है ! भारत-माँ का वीर लाल, वतन-ए-आबरू बचाने के लिए अर्पित कर दिया अपना भाल। प्रखर शिलाखंड जैसी दृढ़ काया अदम्य-उन्नाद-फड़कती भुजा, केशरी की तरह उद्वेग गर्जन थामे शमशीर, प्रबल-पंजा। स्वतंत्रता के रण में चला जीवट वीर जवान रिपुओं के नापाक इरादे का विध्वंस करने, परवश अनल की दहकती चिंगारी को अपने फौलादी भुजबल से ध्वस्त करने। रूके नहीं कभी जोशीले कदम उनके बढ़ता गया वो अथक, अविचल ,,, परतंत्रता के साँकल को तोड़ने के लिए दुश्मनों के आगे डटा रहा बन के अडिग उपल। पेशानी पर भारत-माँ की मिट्टी का कर तिलक सरफरोश के असीम जज्बे का आगाज़ कर, शत्रुओं से लड़ता रहा वो मरते दम तक अपने उबलते खून में इंकलाब की ज्वाला जगाकर। उन्होंने लहू का कतरा-कतरा बहा दिया हो गए शही...