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Tag: सुनील कुमार

विजयदशमी
कविता

विजयदशमी

सुनील कुमार बहराइच (उत्तर-प्रदेश) ******************** हर साल की तरह इस साल भी रावण का पुतला जलाएंगे बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाएंगे। पर क्या इस तरह हम अपने भीतर के रावण को मार पाएंगे बुराइयों और समस्याओं को दफन कर पाएंगे। क्या मात्र रावण का पुतला जलाने से हमारी असुरी प्रवृत्तियां खत्म हो जाएंगी घटनाएं अपहरण हत्या बलात्कार की रुक जाएंगी? त्रेता युग के एक दशानन को तो मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने खत्म कर दिया था पर कलयुग में तो हमारे सामने समस्या रूपी दशाननों की फौज है क्या मात्र पुतला जलाकर हम इन दशाननों को खत्म कर पाएंगे या इनसे मुक्ति का कोई और रास्ता निकाल पाएंगे विजयदशमी पर्व की खुशियां मनाने से पहले हमें सोचना होगा रावण दहन का तरीका नया खोजना होगा। तभी देश की समृद्धि और विकास में बाधक समस्याओं और बुराइयों रूपी आधुनिक दशाननों को हम खत्म कर ...
शिव आराधना
भजन

शिव आराधना

सुनील कुमार बहराइच (उत्तर-प्रदेश) ******************** शिव ‌भोले हम भक्त तुम्हारे बेआस-बेसहारे लो हम तो आ गए अब शरण में तुम्हारे शिव ‌भोले हम भक्त तुम्हारे मुफलिस गरीब हम हैं औकात क्या हमारी आन पड़ी है हम पर आज विपदा भारी मझधार में फंसे हैं मिलते नहीं किनारे शिव ‌भोले हम भक्त तुम्हारे लो हम तो आ गए अब शरण में तुम्हारे शिव ‌भोले हम भक्त तुम्हारे तेरी दया से चलती ये दुनिया सारी एक तुम ही दाता सारा जग है भिखारी हम पर दया जो कर दो बन जाए बिगड़ी हमारी शिव ‌भोले हम भक्त तुम्हारे बेआस-बेसहारे लो हम तो आ गए अब शरण में तुम्हारे शिव ‌भोले हम भक्त तुम्हारे दर से न तेरे लौटा कोई ले‌ के झोली खाली हम पर भी दया कर दो हे नीलकंठधारी बिगड़ी मेरी बना दो बस इतनी अरज हमारी दर पर तेरे खड़े हैं ले के झोली खाली झोली मेरी भी भर दो हे त्रिनेत्रधारी। परिचय :- सुनील कुमार निवासी ...
साहित्य और समाज
कविता

साहित्य और समाज

सुनील कुमार बहराइच (उत्तर-प्रदेश) ******************** साहित्य और समाज का आपस में गहरा नाता है साहित्य समाज का दर्पण कहलाता है। मनोभावों को शब्द रूप दे साहित्य रचा जाता है सत्य झलक समाज की साहित्य ही दिखलाता है साहित्य समाज का दर्पण कहलाता है। नई दिशा समाज को साहित्य ही दिखलाता है सजक कर समाज को अपना कर्तव्य निभाता है साहित्य समाज का दर्पण कहलाता है। निराशा में भी आशा की किरण दिखलाता है सोच-समझकर कर चलना सिखलाता है साहित्य समाज का दर्पण कहलाता है। कालजयी सृजन समाज ही करवाता है साहित्य संरक्षण भी समाज करवाता है समाज साहित्य का आधार कहलाता है। कालजयी सृजन कर साहित्यकार सम्मान पाता है मर कर भी अमर हो जाता है साहित्य समाज का दर्पण कहलाता है। परिचय :- सुनील कुमार निवासी : ग्राम फुटहा कुआं, बहराइच,उत्तर-प्रदेश घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है...
गुरु महिमा
कविता

गुरु महिमा

सुनील कुमार बहराइच (उत्तर-प्रदेश) ******************** गुरुदेव के पावन चरणों में जो शीश झुकाते हैं ज्ञान का अनमोल खजाना वो ही तो पाते हैं। गुरुदेव की अमृतवाणी निज जीवन अपनाते हैं सारे जहां की खुशियां अपने कदमों में पाते हैं। दिव्यज्ञान की ज्योति जला उर का तम मिटाते हैं सही-गलत का भेद पूज्य गुरुदेव ही बताते हैं। मां-बाप तो देते जन्म गुरुदेव पहचान दिलाते हैं भवसागर से पार उतरना गुरुदेव ही सिखाते हैं। गुरुदेव के पावन चरणों में जो शीश झुकाते हैं जीवन की बाधाओं से सहज ही मुक्ति पाते हैं। परिचय :- सुनील कुमार निवासी : ग्राम फुटहा कुआं, बहराइच,उत्तर-प्रदेश घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के स...
कलम जब बोलती है
कविता

कलम जब बोलती है

सुनील कुमार बहराइच (उत्तर-प्रदेश) ******************** मन में बिखरे भावों को शब्दों का रूप देती है कह न पाते जो जुबां से बात वो भी कह देती है कलम जब बोलती है। अंतर्मन में जो होता है प्रकट उसे कर देती है भावों को शब्द रूप दे साहित्य सृजन करती है कलम जब बोलती है। भूत-वर्तमान-भविष्य के सभी राज खोलती है कलम जब बोलती है। कभी-कभी प्रहार ये तलवार से तेज करती है कभी-कभी प्रहार तलवार का रोक देती है कलम जब बोलती है। परिचय :- सुनील कुमार निवासी : ग्राम फुटहा कुआं, बहराइच,उत्तर-प्रदेश घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां,...
अनाथ बच्चों की व्यथा
कविता

अनाथ बच्चों की व्यथा

सुनील कुमार बहराइच (उत्तर-प्रदेश) ******************** सर से मासूम के हटा जब मां-बाप का साया मां-बाप की आंखों का तारा अनाथ कहलाया। माया ईश्वर की मासूम समझ न पाया आखिर क्यों उठ गया मां-बाप का साया मां-बाप के बिना मासूम अनाथ कहलाया। खेलने-खाने की उम्र में जिम्मेदारियों का बोझ उठाया कभी होटलों तो कभी भट्टों पर रात बिताया मां-बाप के बिना मासूम अनाथ कहलाया। कभी शोषण का हो शिकार बचपना गंवाया कभी बाल अपराधी बन जीवन नरक बनाया मां-बाप के बिना मासूम अनाथ कहलाया। दो जून की रोटी के खातिर दर-दर की ठोकरें खाया कभी रुखा-सूखा खाकर कभी भूखा ही रात बिताया मां-बाप के बिना मासूम अनाथ कहलाया। मां-बाप को याद कर छुप-छुप नीर बहाया पापी पेट के लिए कभी भिक्षावृत्ति अपनाया मां-बाप के बिना मासूम अनाथ कहलाया। परिचय :- सुनील कुमार निवासी : ग्राम फुटहा कुआं, बहराइच,उत्...
बढ़ती आबादी
कविता

बढ़ती आबादी

सुनील कुमार बहराइच (उत्तर-प्रदेश) ******************** बढ़ती आबादी देखकर धरा ये थर-थर कांप रही देखो-देखो आबादी ये तेज कितना भाग रही। सोच रही है धरा ये बात दुनिया क्यों न मान रही तेजी से बढ़ती आबादी को दुनिया क्यों न थाम रही। सोचो-सोचो कुछ तो सोचों तेजी से बढ़ती आबादी का कुछ तो हल खोजो। दिन ब दिन ऐसे ही आबादी जो बढ़ती जाएगी पेट भरने को दुनिया अन्न कहां उगाएगी जीवित रहने को ये प्राणवायु कहां से लाएगी। चेतो-चेतो अब तो चेतो नहीं देर बहुत हो जाएगी यही हाल रहा जो बढ़ती आबादी का स्वर्ग से सुंदर धरा ये मिट जाएगी। परिचय :- सुनील कुमार निवासी : ग्राम फुटहा कुआं, बहराइच,उत्तर-प्रदेश घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपन...
आधुनिक जीवन में विज्ञान
कविता

आधुनिक जीवन में विज्ञान

सुनील कुमार बहराइच (उत्तर-प्रदेश) ******************** आधुनिक जीवन में विज्ञान कर रहा है बड़ा कमाल रोटी-कपड़ा या हो मकान हर जगह पहुंच गया विज्ञान। बना मोटरगाड़ी-रेल-विमान आवागमन कर दिया आसान शिक्षा-चिकित्सा और सुरक्षा सबमें है इसका योगदान आधुनिक जीवन में विज्ञान कर रहा है बड़ा कमाल। उन्नत कृषि उपकरणों ने कृषि कार्य किया आसान बड़े-बड़े कामों को भी पल भर में दे रहा अंजाम आधुनिक जीवन में विज्ञान कर रहा है बड़ा कमाल। विद्युतबल्ब-ट्यूबलाइट से रौशन हुआ जग- संसार रेडियो-टीवी और मोबाइल कराते हैं मनोरंजन अपार आधुनिक जीवन में विज्ञान कर रहा है बड़ा कमाल। टेलीफोन-मोबाइल ने बात-चीत किया आसान कंप्यूटर-लैपटॉप से निपटा रहा है अब काम आधुनिक जीवन में विज्ञान कर रहा है बड़ा कमाल। संदेश भेजना हुआ आसान फैला जब से अंतराजाल विज्ञान ने खोले उन्नति के द्वार चांद पर जा पहुंचा इं...
गर्भ में बेटी की पुकार
कविता

गर्भ में बेटी की पुकार

सुनील कुमार बहराइच (उत्तर-प्रदेश) ******************** गर्भ में बेटी करे पुकार मेरी मैया मुझे न मार। दिल में मेरे है अरमान मैं भी देखूं जग-संसार पाऊं मैं सब का प्यार मेरी मैया मुझे न मार। पाकर तुम्हारा स्नेह-दुलार मैं भी भरूंगी ऊंची उड़ान छू कर मैं अनंत आकाश सपने सभी करूंगी साकार सुन ले तू मेरी मनुहार मेरी मैया मुझे न मार। ऊंचा करूंगी कुल का नाम पूरा करूंगी सबका अरमान जीने का दो तुम अधिकार मेरी मैया मुझे न मार। परिचय :- सुनील कुमार निवासी : ग्राम फुटहा कुआं, बहराइच,उत्तर-प्रदेश घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानिय...
विदाई
कविता

विदाई

सुनील कुमार बहराइच (उत्तर-प्रदेश) ******************** रीति ये कैसी जग ने बनाई है कल तक थी जो अपनी आज हुई वो पराई है दिल के टुकड़े की आज कर रहे विदाई है। खुशी की है बेला मगर आंख सबकी भर आई है रीति ये कैसी जग ने बनाई है। किसी से मिलन है किसी से जुदाई है रीति ये कैसी जग ने बनाई है। छुप-छुप कर रोए भैया मां सुध-बुध बिसराई है बाबुल की भी आंखें डबडबाई हैं घड़ी विदाई की आई है रीति ये कैसी जग ने बनाई है। कलेजे पर रख पत्थर लाडली की कर रहे विदाई है रीति ये कैसी जग ने बनाई है। परिचय :- सुनील कुमार निवासी : ग्राम फुटहा कुआं, बहराइच,उत्तर-प्रदेश घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित कर...
जीवन साथी
कविता

जीवन साथी

सुनील कुमार बहराइच (उत्तर-प्रदेश) ******************** बात दिल की कहे बिना समझ जाता है सुख हो या दुख हरदम साथ निभाता है सच्चा जीवन साथी वही तो कहलाता है। कड़क धूप में शीतल पवन बन जाता है पतझड़ में बसंत का एहसास दिलाता है सच्चा जीवन साथी वही तो कहलाता है। रोने पर रोता जो हंसने पर मुस्कुराता है साया बनकर हर कदम साथ निभाता है सच्चा जीवन साथी वही तो कहलाता है। संग होने से जिसके हर ग़म मिट जाता है स्पर्श से जिसके तन-मन खिल जाता है सच्चा जीवन साथी वही तो कहलाता है। निराशा में आशा की किरण बन जाता है जीवन की हर इक बला से जो बचाता है सच्चा जीवन साथी वही तो कहलाता है। परिचय :- सुनील कुमार निवासी : ग्राम फुटहा कुआं, बहराइच,उत्तर-प्रदेश घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कवि...
मेरे पापा मेरा अभिमान
कविता

मेरे पापा मेरा अभिमान

सुनील कुमार बहराइच (उत्तर-प्रदेश) ******************** खुशियों के खातिर हमारे खुशियां अपनी देते त्याग मेरे पापा मेरा अभिमान। पूरी करते मेरी हर मांग रक्षा करते बन वो ढाल मेरे पापा मेरा अभिमान। सपनों के खातिर हमारे अपने सपने देते त्याग मेरे पापा मेरा अभिमान। गलतियों पर देते हमें डांट करते फिर वो स्नेह अपार मेरे पापा मेरा अभिमान। खुद सहते वो कष्ट अपार हम पर न आने देते आंच मेरे पापा मेरा अभिमान। ईश्वर का है अनुपम वरदान रौशन जिनसे मेरा घर-द्वार मेरे पापा मेरा अभिमान। पापा मेरे जीवन का आधार पापा का हम पर है उपकार भूल नहीं सकता कभी पापा का स्नेह दुलार। परिचय :- सुनील कुमार निवासी : ग्राम फुटहा कुआं, बहराइच,उत्तर-प्रदेश घोषणा पत्र : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविता...