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Tag: सपना आनंद शर्मा

ह्दय वेदना
कविता

ह्दय वेदना

सपना आनंद शर्मा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** यह कैसा सन्नाटा है, चारों और बस एक आस लिए खड़ा हर कोई है, अपनों को पाने की चाह तो कहीं अपनों से बिछड़ने का रंजो गम पसरा है, यह कैसा सन्नाटा है,... यह कैसा सन्नाटा है... देख व्यथा हर किसी की हृदय कॉप सा जाता है, मर्मस्पर्श ता झंझोर रख देती है, आज इंसानियत इंसानों पर भारी है, सबको पास रखने के लिए सबसे बस दूरिया ही जरूरी है, यह कैसा सन्नाटा है ... यह कैसा सन्नाटा है ...? परिचय :- सपना आनंद शर्मा निवासी - इंदौर मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी क...
ज़िन्दगी दे मौका
कविता

ज़िन्दगी दे मौका

सपना आनंद शर्मा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** ऐ ज़िन्दगी दे मौका फिर से जीना चाहते हैं। वही माँ की गोद पिता का कंधा चाहते हैं। भाई का हाथ, बहन का उम्र भर साथ चाहते हैं। ऐ ज़िन्दगी दे मौका फिर से जीना चाहते हैं। वहीं मस्त हवाओ का झोंका, पेड़ो की टहनीयों पर बंधे झूले फिर खुली हवा में बहना चाहते हैं। ऐ ज़िन्दगी दे मौका फिर से जीना चाहते हैं। फिर वहीं मस्त हो दोस्तों के साथ पल बिताना चाहते हैं, भूल हर ग़म ज़िन्दगी के खिलखिलाकर ठहाके लगाना चाहते है। ऐ ज़िन्दगी दे मौका फिर से जीना चाहते हैं। परिचय :- सपना आनंद शर्मा निवासी - इंदौर मध्य प्रदेश घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक ...
अनमोल  हीरा  बेटियाँ
कविता

अनमोल हीरा बेटियाँ

सपना आनंद शर्मा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मेहँदी रोली कंगन का सिंगार नही होता रक्षाबंधन भाईदूज का त्योहार नही होता रह जाते है वो घर सुने आँगन बन कर जिस घर मे बेटियों का अवतार नही होता जन्म देने के लिए माँ चाहिये राख़ी बांधने के लिए बहन चाहिये कहानी सुनाने के लिए दादी चाहिये जिद पूरी करने के लिए मौसी चाहिये खीर खिलाने के लिए मामी चाहिये साथ निभाने के लिए पत्नी चाहिये पर यह सभी रिश्ते निभाने के लिए बेटियाँ तोह ज़िन्दा रहनीं चाहिये घर आने पर दौड़ कर जो पास आए उससे कहते है बेटियाँ.... थक जाने पर प्यार से जो माथा सहलाए उससे कहते है बेटियाँ.... "कल दिला देंगे" कहने पर जो मान जाए उससे कहते है बेटियाँ..... हर रोज़ समय पर दवा की जो याद दिलाएं उससे कहते है बेटियाँ..... घर को मन से फूल सा जो सजाए उससे कहते है बेटियाँ.... सहते हुए भी अपने दुख को चुपा जाए उससे कहते है बेटियाँ.... दूर जान...