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Tag: सपना

जन-मन का राजा
कविता

जन-मन का राजा

सपना दिल्ली ************* सौभाग्य है देवभूमि का जिसने राजा वीरभद्र सिंह सा नेता पाया... समझ जनता को जो अपनी ही संतान प्रेम, स्नेह उन पर लुटाते अदम्य साहस पूर्ण व्यक्तित्व जिया जीवन स्वाभिमान से मन में न था उनके कोई वैर जिससे मिलते उसे अपना बना लेते न झुके न दिया झुकने औरों को जिसने सबको प्रेमभाव से गले लगाया.... राजनीति के थे सच्चे सिपाही देश प्रेम रहा सदा जिनके पहले बाकी सब बाद में इनके नेतृत्व में हर क्षेत्र में, हिमाचल ने शिखर छुएं कई-कई.... गाँव- गाँव का किया विकास दीन-दुखियो की सेवा में समर्पित रहे हमेशा एक ऐसा नेता जो जनता की समस्याओं को सुनने खुद जाते उनके बीच सुन उनकी यूँ समस्याएँ कोशिश सदा रहती उनकी निर्वहन हो हर समस्या का.. देखो कैसा सन्नाटा आज यहाँ छाया क्या विपक्षी, क्या प्रतिद्वंद्वी शोक मना रहा आज समस्त हिमाचल अपने प्रिय नेता को खोकर विशाल ...
प्यारी मां
कविता

प्यारी मां

सपना दिल्ली ************* आपके होने से ही वजूद है मेरा नौ महीने कोख में रख मेरे लिए ही तो हर दर्द सहा आपने... आपके हाथों में ही पाया मैंने पहला स्पर्श आपकी ऊंगली पकड़ कर चलना मैंने सीखा हर बुरी नज़र से बचाकर आपने आंचल में छिपाया .. हालात से नहीं डरना मुकाबला करो डटकर आपने  मुझे सिखाया.... गलती करने पर मुझे डांटा कभी प्यार से गले लगाया कभी मां बनकर कभी दोस्त बनकर परेशानियों  को आपने सुलझाया... आगे चलकर ठोकर न खाऊँ बिना सहारा लिए मुझे बढ़ना सिखाया इसलिए... हिम्मत जब हारने लगी कभी हौंसला बढ़ाकर साहस दिया.. मंजिल छू लूं मुझे उस काबिल बनाया । परिचय :- सपना पिता- बान गंगा नेगी माता- लता कुमारी शैक्षणिक योग्यता- एम.ए.(हिंदी), सेट, नेट, जेआर. एफ. अनुवाद में डिप्लोमा ( अंग्रेज़ी से हिंदी), पी.एचडी. (ज़ारी) साहित्यिक उपलब्धियां- १५ से अधिक राष्ट्रीय और अन्...
किंकरी  देवी
कविता

किंकरी  देवी

सपना दिल्ली ************* किंकरी  देवी न तो वह शिक्षित नहीं क़ानून का ज्ञान बेहद आम सी औरत हिमाचल में था आशियाना उनका किंकरी देवी था जिनका नाम...... पहाड़ों से  बेहद लगाव खनन माफिया से बचाने पहाड अकेली ही विरुद्ध खड़ी हो गई उनके.... डराया गया, धमकी भी मिली फिर भी अजब निडर थी जान की परवाह किये बिना डटी रही अपने लक्ष्य पर.... हिम्मत न हारी, विरोध हुए बहुत कर खुद पर विश्वास, न्याय खातिर भूख हड़ताल भी की उन्नीस दिन.. आखिर वह समय आया सपना हुआ पूरा, अधिकार मिला खनन माफिया का मिटा कारोबार.... जाते जाते लोगों को पर्यावरण का महत्व सिखा दिया नई पीढ़ी को दिए कई ऐसे उपहार .. ऐसी नारी शक्ति को नमन शत् शत् नमन। परिचय :- सपना पिता- बान गंगा नेगी माता- लता कुमारी शैक्षणिक योग्यता- एम.ए.(हिंदी), सेट, नेट, जेआर. एफ. अनुवाद में डिप्लोमा ( अंग्रेज़ी से हिंदी), पी.एचडी. (ज़ारी) सा...
प्रकृति
कविता

प्रकृति

सपना दिल्ली ************* प्रकृति रुके बिना थके उपकारी, निरछल अपनी ममता हम पर लुटाती.... जीव , जंतु, पशु, पंछी सहारा देती अपने आंचल में जरूरतों का रखती पूरा ख्याल... क्या नहीं सहती हमारे लिए गलती भी करें देती हमें सीख कभी उत्साह बढ़ाती कभी उदाहरण दिखा कर मोल समझाती अपना.... तेरे रूप अनेक हर रूप में कुछ न कुछ बीज बोऐं हम एक फल उसमें अनेक हमें देती करे इतना कुछ मांगे न कोई मोल हमसे... चकाचौंध में नए ज़माने की भूल मां की ममता करते खिलवाड़ हम उससे उसे लेना पड़ता भंयकर रूप मजबूर होकर..... भूले हम बिन प्रकृति मां सबका अस्तित्व खतरे में सुरक्षा कवच वह हम सबकी सबकी भलाई उसको सुंदर रखने में... प्रण लें नहीं करेंगे खिलवाड़ ममता के बदले उतना ही रखेंगे ख्याल जितना वह रखती हम सबका।। परिचय :- सपना पिता- बान गंगा नेगी माता- लता कुमारी शैक्षणिक योग्यत...
उठो नारी तुम्हें अब उठाना होगा
कविता

उठो नारी तुम्हें अब उठाना होगा

सपना दिल्ली ************* उठो नारी तुम्हें अब उठाना होगा नारी क्यों तू हारी तोड़ चुप्पी अपनी आवाज़ उठानी होगी बहुत सह लिया तुमने अब नहीं सहेगी बहुत जिया अपनों के लिए तुम्हें अब अपने लिए भी जीना होगा.... देखा जाएगा जो भी होगा यह ख़ुद को सिखा री ख़ुद को न समझ तू कमज़ोर बिना तेरे सृष्टि का अस्तित्व मिट्टी में मिल जाएगा ज़ोर से कह, मचा शोर दुर्गा भी तू चंडी भी तू ममता की मूरत भी तुझसे री ... इस धोखे में न रहना तू तेरी लाज़ बचाने को कृष्ण बन कोई आएगा तुझे बचाएगा बन काली  अपनी लाज़ ख़ुद ही बचानी होगी विश्वास कर तू सब कुछ करने जोगी और न बन बावरी.... रुकना नहीं, झुकना नहीं तोड़ विवशताओं के बंधन सारे बस आगे ही बढ़ते जाना है अपनी मंज़िल को पाना है कर  ख़ुद पर  यकीन अपने सपनों को कर नवीन अपना सम्मान तुम्हें पाना होगा अपना गीत गाना होगा दूसरों के लिए ही तो जीती रही हो अब तक ख़ुद के लिए अब जीना होगा देखा जाएगा...
बाल श्रम
कविता

बाल श्रम

सपना दिल्ली ******************** आओ मिलकर हम सब सुंदर भारत का निर्माण करें.... किसी बच्चे का दामन न छूटे अपने बचपन से रोंदे न कोई उसके सपनों को बाल श्रम के घन से कोई छीने न इनसे इनका भोलापन फिर न कोई छोटू मज़बूर हो दुकान पर दिन रात काम करता दिखे.... कड़कड़ाती ठंड में काँपते हाथों से लोगों को चाय बाँटता मिले .... ...ऐसी ही कहानी लक्ष्मी की भी होगी गुड्डों से खेलने की उम्र में दूसरों के यहाँ झाड़ू- पोंछा करना होता होगा दिल उसका भी पसीजता होगा.. ज़रा ज़रा सी बात पर रोज़ मार वह खाती होगी.... ..चन्दू की भी यही कहानी होगी पढ़ने लिखने की बजाए सड़कों पे पेन, किताब बेचता फिरेगा यक़ीनन मन उसका भी करता होगा वह भी कागज़ पर कुछ अपनी मन की लिखे.... ....पर भूखा ज़िस्म लिखना भूल काम पर फिर लग जाता होगा। आओ सब संकल्प करें अब संकल्प करें मिटायें देश से बाल श्रम को थामकर इनका हाथ इनका सहारा हम बनें... देश में ऐसा म...
किसान
कविता

किसान

सपना दिल्ली ******************** अन्नदाता ख़ुद  होकर पानी पीकर भूख मिटाएँ जग को भूखा न सोने दें अन्नदाता किसान कहाएँ...... आँधी हो चाहे तूफ़ान चिलमिलाती धूप हो ठण्ड से निकलती जान मेहनत से  नहीं घबराते करते फसलों की देखभाल प्यारी संतान  समान....... दुनिया  न सोये भूखी उसके लिए न जाने गुजारते कितनी रातें बिना सोये परिवार से पहले देश की चिंता इन्हें छोहे..... कहने को तो संविधान हमारा सबसे प्यारा सबको मिलता समान अधिकार इसके द्वारा आज क्यों किसान हमारा सड़क़ों पर उतरा सारा फिर भी उन्हें न्याय नहीं मिल पा रहा ... कब जीतेगा वह जो कभी न हारा। परिचय :- सपना पिता- बान गंगा नेगी माता- लता कुमारी शैक्षणिक योग्यता- एम.ए.(हिंदी), सेट, नेट, जेआर. एफ. अनुवाद में डिप्लोमा ( अंग्रेज़ी से हिंदी), पी.एचडी. (ज़ारी) साहित्यिक उपलब्धियां- १५ से अधिक राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में सहभागिता तथा प्रपत्र...
शरद ऋतु
कविता

शरद ऋतु

सपना दिल्ली ******************** शरद ऋतु आते ही सूरज दादा भी खेलें हमसे आँख मिचोली देर से आते जल्दी चल बनते, कभी रहते दिन भर गायब.... दिन निकलता पर होता नहीं उजाला चारों ओर रहता अंधेरा छाया ऐसा लगता मानो कोहरे का आतंक सब पर है भारी..... उस पर सर्द हवाएं, शीत लहर से कट कट करते दांत बजते रोज़ नहाना होता बेहाल पानी भी बन जाता  दुश्मन देखते ही इसे भागते सब दूर दूर... कबंल, रजाई छोड़ उठने की न अब हिम्मत होती गर्म कपड़े डालो जितना फिर भी ठंड से राहत नहीं उस पर भी जुकाम, खांसी सबको लेते अपने घेरे में होठ, पैर सब फट जाते मानो जैसे रुखापन जीवन में बस जाता... गली, मुहले  में अब न होती पहली वाली रौनक सब घर के अंदर दुबके है मिलते चारों ओर बस सन्नाटा छाया रहता..... रहम करो अब तो हम पर सूरज दादा चीर इस कोहरे को अपनी किरणों से तुम फिर से अपना परचम लहराओ ठिठुरते जीवों को आकर तुम राहत दो...! परिचय :-...
सोच बदलो
कविता

सोच बदलो

सपना दिल्ली ******************** आगे निकलने की होड़ छोड़ मिलकर कदम बढ़ाओ बदलो न रास्ता मुश्किल में देख बन दुख में साथी दूसरों की हिम्मत बँधाओ घर, बाहर बहू -बेटी, महसूस सुरक्षित करें हो न शोषण मिले सम्मान ऐसा तुम संसार बसाओ। हो न कन्या भ्रूण हत्या केवल पढ़ाओ नहीं उसे सपनों की उड़ान की आज़ादी दिलवाओ भ्रष्टाचार, अत्याचार का मिटे निशान भाईचारे की रीति हो ऐसा प्रेम का तुम संसार रचाओ। सबको मिले न्याय ठोकर न खाए आम जन दर दर की ऐसा न्यायतंत्र बनाओ। सबको  मिले रोज़गार भूखा न सोए कोई मजबूर सिर पर सबके हो छ्त बेसहारा को सहारा मिले सम्मान बड़ों का हो दुश्मन भी बढ़ाए दोस्ती का हाथ... ऐसी दुनिया का निर्माण कराओ! परिचय :- सपना पिता- बान गंगा नेगी माता- लता कुमारी शैक्षणिक योग्यता- एम.ए.(हिंदी), सेट, नेट, जेआर. एफ. अनुवाद में डिप्लोमा ( अंग्रेज़ी से हिंदी), पी.एचडी. (ज़ारी) साहित्यिक उपलब्धियां- १५ से अध...
करते जो खुद पर विश्वास
कविता

करते जो खुद पर विश्वास

सपना दिल्ली ******************** करते जो खुद पर विश्वास रचते वे  ही नया इतिहास... बिना फल की इच्छा करे कर्मों पे हो अटल विश्वास धरती ही नहीं अंबर छू लेने का जिनके मन में  बुलंद अहसास रचते वे ही नया इतिहास... छोड़ उम्मीद दूसरों से रखते खुद पर अटल विश्वास नहीं रुकते किसी के कहने पर डराता नहीं उन्हें कोई उपहास कर अपने पर विश्वास राह में मिलें चाहे फूल चाहे कांटे बिना रुके बिना थके लक्ष्य पथ पर बस आगे ही बढ़ने की बात रचते वे ही नया इतिहास..... देख दूसरों को संकट में सहारा जो उनका बनते भूखा रहकर खुद भूख दूसरों की मिटाते खुद से पहले देश की चिंता बताते मातृ भूमि की रक्षा करने को जो रहते हर दम तत्पर ख़ास रचते वे ही नया इतिहास.... लालच नहीं जिनके मन में कुछ भी झोपडी़ में रहकर भी महल समान सुख का जीवन बीताते कर्मों पर कर विश्वास जो अडिग रहे उनका ही फैला प्रकाश रचते वे ही नया इतिहास...। परिचय :- सप...
जीवन उत्सव
कविता

जीवन उत्सव

सपना दिल्ली ******************** जीवन उत्सव है सुख-दुःख का संगम.... दुश्मनी, जलन ऊंच-नीच की बात अकड़, जाति-पाति बन्धन से ऊपर उठकर प्रेम करके देखो जीवन उत्सव है। छोड़ कल की चिंता आज में जी बड़ी खुशियों के पीछे न भाग छोटी-छोटी खुशियां बटोर कर तो देखो जीवन उत्सव है। बड़ों का आदर छोटों से प्रेम सहारा बेसहारा का ज़रूरतमंद की मदद करके तो देखो जीवन उत्सव है। छोड़ मोबाइल, लेपटॉप चंद लम्हे अपनों के साथ कुछ अपनी सुनाएं कुछ उनकी सुनो जीवन उत्सव है। उगते सूरज की पहली किरण चांदनी रात चिड़ियों की चहचहाहट... सप्तरंगी दुनिया क़ुदरत की खोकर तो देखो... जीवन उत्सव है। परिचय :- सपना पिता- बान गंगा नेगी माता- लता कुमारी शैक्षणिक योग्यता- एम.ए.(हिंदी), सेट, नेट, जेआर. एफ. अनुवाद में डिप्लोमा ( अंग्रेज़ी से हिंदी), पी.एचडी. (ज़ारी) साहित्यिक उपलब्धियां- १५ से अधिक राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठियों में सहभ...
प्रेम
कविता

प्रेम

सपना दिल्ली ******************** माँ-बाप का प्रेम जग में सबसे अनमोल बच्चों की छोटी छोटी खुशियों में ढूँढें जो अपनी ख़ुशी उनकी खुशियों के लिए छोड़ दें जो अपनी सारी खुशियां। कभी बन जाते गुरु हमारे कभी बन जाएँ दोस्त अच्छे बुरे का पाठ सिखाते दुनिया की बुरी नज़र से हमें बचाते। प्रेम का मतलब हमें सिखलाते अपनेपन का एहसास करवाते दूर रहने पर भी जो हर दम रहते पास हमारे। बिना कुछ बोले मन की बात समझ लेते रिश्तों की मजबूती का राज हमें बतलाते। दर्द में देख हमें आँसू उनकी आंखों से बहें बावजूद मुश्किल से लड़ना सिखलाते ख़ुद को भूल ध्यान हमारा रखते जल्दी हो जाऊं ठीक प्रार्थना ईश्वर से करते देख यह त्याग प्रेम से साक्षात हम होते... समझ आता बिना प्रेम जीवन हमारा निरर्थक जैसे बिन पानी मछली का जीवन। स्वार्थ से ऊपर है प्रेम जीवन का आधार है प्रेम नित् नित् बढ़ता ही जाए ऐसा स्पर्श है प्रेम... सबसे करो प्रेम ऐसा पा...
बचपन हमारा
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बचपन हमारा

सपना दिल्ली ******************** कितना प्यारा होता है, बचपन हमारा न किसी बात की फ़िक्र हमें, न किसी से ड़र हमें, न कोई टेंशन जो जी में आए करते जिसे करने का मन न उससे कोसों दूर भागते। पापा की परी कहलाती माँ की गुड़िया होती भाई की लाड़ो बहन की चुटकी दादा-दादी के आँखों का तारा। जब पापा पूछते, सबसे प्यारा कौन? तो पापा की साइड हो जाती, और जब यही प्रश्न माँ करती तो माँ के आंचल से लिपट जाती और कहती सबसे प्यारी आप! माँ जिसे करने से मना करें वही करने को मन बाए औ’ पकड़े जाने पर, भाई, दीदी को आगे कर ख़ुद पीछे छिप जाती। मन करता तो पढ़ती वरना न पढ़ने के सौ बहाने बनाती अपना काम दीदी से करवाती औ’ ख़ुद छोटी होने का फ़ायदा उठाती। सबसे अपनी बात मनवाती छोटी-छोटी बातों पर रूठ जाती और फिर पल-भर में ही मान जाती। सखियों संग मिलकर शोर से कॉलोनी सिर पर उठा देती तब न भूख लगती, न प्यास, खेल में सब कुछ भूल जाती। ……वह ...
बच्चों का दर्द
कविता, बाल कविताएं

बच्चों का दर्द

सपना दिल्ली ******************** कोई तो समझे बच्चों का दर्द शिक्षा के नाम पर हम पर होता अत्याचार बस्ता तले दबे कंधे चारों पहर बस पढ़ाई का क़हर। घर में पढ़ाई स्कूल में पढ़ाई वापिस आकर टूशन में पढ़ाई इतना ही नहीं घर आने पर फिर पढ़ाई। जीना मुश्किल कर दिया है इस पढ़ाई ने हम बच्चों का सोते-जागते दिमाग में चलता रहता बस पढ़ाई-पढ़ाई का ही दृश्य। जैसे ही पढ़ाई से ध्यान भटके शुरू हो जाती घर पर डांट स्कूल में डांट टूशन में डांट जैसे सबने हमे डाँटने की डिग्री ही पाई हो। न उछल-कूद न कोई शरारत न मौज-मस्ती मानो बचपन ही सिमट गया हमारा, इस पढ़ाई में। सबको लगता बच्चा होना सबसे आसान न कोई टेंशन न कोई परवाह जीवन में बस मौज-मस्ती! होता बिलकुल उलट पढ़ाई का बोझ लादा जाता इतना नीचे दबकर दम घुटा हम मासूमों का। बच्चा क्यों नहीं बन जाते एक दिन के लिए हमारे जैसा फिर समझ पाओगें हमारे मन के मासूम अहसासों को। फिर तुम बच्च...
सपने
कविता

सपने

सपना दिल्ली ******************** सपने देखना जितना सरल प्राप्त करना उन्हें कठिन है उतना ही। सपने को पूरा करने में करना पड़ता है, ख़ुद से संघर्ष होना पड़ता है परिवार के ख़िलाफ़ भी कभी ठोकर खाकर गिरना भी पड़ता ख़ुद को हिम्मत देकर, ख़ुद ही संभलना पड़ता। नाकामयाबी पर लोगों के कड़वे वचन, अमृत समझ पीना पड़ता। फिर भी अपने सपने को पूरा करने की मन में आस अभी बाकी है... अपनी कामयाबी दिखाना, अभी बाकी है। मेरी नाकामयाबी के जो क़िस्से सुनाते फिरते हैं, उन्हीं के मुँह से वाहवाही सुनना अभी बाकी है। आँसू  के घूँट भी पीना है... नहीं छोड़ना है, संघर्ष का दामन सपनों को हकीकत में बदलकर कामियाब होकर दिखलाना अभी बाकि है। परिचय :- सपना पिता- बान गंगा नेगी माता- लता कुमारी शैक्षणिक योग्यता- एम.ए.(हिंदी), सेट, नेट, जेआर. एफ. अनुवाद में डिप्लोमा ( अंग्रेज़ी से हिंदी), पी.एचडी. (ज़ारी) साहित्यिक उपलब्धियां- १५ से अधिक राष्ट्र...