Thursday, November 7राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: संतोष गौरहरी साहू

वृक्ष
कविता

वृक्ष

संतोष गौरहरी साहू डोंबिवली पूर्व मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** देखो बागों में कैसे फल फूल से बगिया सजी हुई ! हरियाली इस जग में अपने वृक्षों से ही बनी हुई! रहते कड़ी धूप में वो, कहते नहीं कभी कुछ भी ! देते हमको सब कुछ वो, ना लेते बदले में कुछ भी ! कड़ी धूप से बचना हो तो छाया वृक्षों की लगती ! ताजे मीठे फलो को खाने से मिलती हमको शक्ति! आंधी तूफ़ा हो बाढ भुकम्प, इनको ना किसीका डर! पर इंसानों की बस्ती में, लगता इनको सबसे डर! वृक्ष है तो जीवन धरती पर सफल और साकार है! वृक्ष ना हो इस जग में तो फिर सुना ये संसार है! धरती पर वृक्षों ने हमको, दिया अनमोल खजाना है! वृक्ष हमें लगाना है, इस जग को हमे बचाना! परिचय -   संतोष गौरहरी साहू पिता : श्री गौरहरी कैलास साहू जन्म तिथि : २८/०२/१९९० जन्म स्थान : मुंबई, महाराष्ट्र। निवासी : डोंबिवली पूर्व, मुंबई (महाराष्ट्र) ...
झंडा मेरा है महान
कविता

झंडा मेरा है महान

संतोष गौरहरी साहू डोंबिवली पूर्व मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** तीन रंगो से बना तिरंगा, सब करते इसका सम्मान, झंडा मेरा है महान, करता हु मैं इसे प्रणाम! हो जाता सर गर्व से ऊंचा, गाऊँ जब में राष्ट्रीय गान, झंडा मेरा है महान, करता हु मैं इसे प्रणाम! रंगो का क्या कहू मैं तुमसे, धरती अंबर है इसकी शान, झंडा मेरा है महान, करता हु मैं इसे प्रणाम! लहराये ये ऐसे जैसे खेतो में लहराते धान, झंडा मेरा है महान, करता हु मैं इसे प्रणाम! मैं इसका और ये मेरा कहता है ये हिंदुस्तान, झंडा मेरा है महान, करता हु मैं इसे प्रणाम! रुकते नहीं कदम बढ़ने से, जब कर्ता कोई इसका अपमान, झंडा मेरा है महान, करता हु मैं इसे प्रणाम! तीन रंगो से बना तिरंगा, है मेरे भारत का शान, झंडा मेरा है महान, करता हु मैं इसे प्रणाम! लेता हु प्रण मैं अब से, न होने दूंगा इसका अपमान, झं...
बेटी
कविता

बेटी

संतोष गौरहरी साहू डोंबिवली पूर्व मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** क्या हुआ बेटा नहीं बेटी भी नाम कमायेगी, आएगी जब आंच देश पर वो भी मर मिट जाएगी. रण में लड़ने वाली झाँसी की रानी वो कहलायेगी ! एक मौका दो बेटी को वो सबसे आगे आएगी इस जग में नाम कमायेगी ! रौशन करता बेटा जग को, तो बेटी भी क्या कम है ! बेटी हुई बेटा नहीं, तो फिर किस बात का गम है, बेटी नहीं सृष्टि में, तो सृष्टि यूं ही सिमट जाएगी. एक मौका दो बेटी को वो सबसे आगे आएगी इस जग में नाम कमायेगी ! बेटा बेटी थे घर में दो, बेटे को पढ़ना लिखना सिखा दीया, क्या गल्ती थी बेटी की, जो उसे पढ़ने से मना किया, बेटे की हर जिद को, मम्मी पापा ने है पुरा किया ! पर उस बेटी ने है आज बेटे को भी हरा दिया ! अपने आत्म सम्मान के लिए वह कुछ भी कर जाएगी, एक मौका दो बेटी को वो सबसे आगे आएगी, इस जग में नाम कमायेगी ! ब...