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Tag: संजय जैन

बुढ़ापा
कविता

बुढ़ापा

संजय जैन मुंबई ******************** न जीत हूँ न मरता हूँ न ही कोई काम का हूँ। बोझ बन कर उनके घर में पड़ा रहता हूँ। हर आते जाते पर नजर थोड़ी रखता हूँ। पर कह नही सकता कुछ भी घरवालो को। और अपनी बेबसी पर खुद ही हंसता रहता हूँ।। बहुत जुल्म ढया है हमने लगता उनकी नजरो में। सब कुछ अपना लूटकर बनाया उच्चाधिकारी हमने। तभी तो भाग रही दुनियाँ उनके आगे पीछे। और हम हो गये उनको एक बेगानो की तरह। गुनाह यही हमारा है की उनकी खातिर छोड़े रिश्तेनाते। इसलिए अब अपनी बेबसी पर खुद ही हंस रहा हूँ।। खुदको सीमित कर लिया था अपने बच्चों की खातिर। और तोड़ दिया थे रिश्तेनाते सब अपनो से। पर किया था जिनकी खातिर वो ही छोड़ दिये हमको। पड़ा हुआ हूँ उनकी घर में एक अंजान की तरह से। और भोग रहा हूँ अब अपनी करनी के फलों को। तभी तो खुद हंस रहा हूँ अपनी बेबसी पर लोगो।। न जीत हूँ न मरता हूँ न ही कोई काम का हूँ। बोझ बन कर उनके घर में प...
सुंदरता
कविता

सुंदरता

संजय जैन मुंबई ******************** नही होती सुंदरता किसी के भी शरीर में। ये बस भ्रम है अपने अपने मन का। यदि होता शरीर सुंदर तो कृष्ण तो सवाले थे। पर फिर भी सभी की आंखों के तारे थे।। क्योंकि सुंदरता होती है उसके कर्म और विचार में। तभी तो लोग उसके प्रति आकर्षित होकर आते है। वह अपनी वाणी व्यवहार और चरित्र से जाना जाता है। तभी तो लोग उसे अपना आदर्श बना लेते है।। जो अर्जित किया हमने अपने गुरुओं से ज्ञान। वही ज्ञान को हम दुनियाँ को सुनता है। जिससे होता है एक सभ्य समाज का निर्माण। फिर सभी को ये दुनियां, सुंदर लगाने लगती है। इसलिए संजय कहता है, जमाने के लोगो से। शरीर सुंदर नही होता सुंदर होते उसके संस्कार।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन मे...
कर्मो का फल
गीत

कर्मो का फल

संजय जैन मुंबई ******************** नही भूल पाया हूँ में जिन्होंने दगा दिया था। मेरी हंसती जिंदगी में जहर जिन्होंने घोला था। कहर बनकर उनपर भी टूटेगा मेरे हाय का साया। और तड़पेगे वो भी जैसे में तड़प रहा।। जिंदगी का है हुसूल जो तुमने औरों को दिया। वही सब तुमको भी आगे जाकर मिलेगा। फिर तुमको याद आएंगे अपने सारे पाप यहां। और भोगोगे अपनी करनी का पूरा फल।। समय चक्र एक सा कभी नही चलता है। जो आज तेरा है वो कल औरों का होगा। यही संसार का नियम विधाता ने बनाया है। और स्वर्ग नरक का खेल यही दिखाया जाता है।। जो गम तुमने दिए थे वो अब तुम्हे मिलेंगे। और तेरे साथी ही तुझ पर अब हंसेगे। और ये सब देखकर तू अपनी करनी पर रोएगा। पर तेरी आंसू कोई भी पूछने वाला नहीं होगा। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर...
कहो पर सुनो मत
कविता

कहो पर सुनो मत

संजय जैन मुंबई ******************** लिखे वो लेखक पढ़े वो पाठक। जो पढ़े मंच से वो होता है कवि। जो सुनता वो श्रोता होता है। यही व्यवस्था है हमारे भारत की। लिखने वाला कुछ भी लिख देता है। पढ़ने वाला कुछ भी पढ़ लेता है। और कुछ का कुछ अर्थ लगा लेता है। पर सवाल जवाब का मौका किसे मिलता है? यही हालात आजकल हमारे महान देश का है। न कोई सुनता है न कोई कुछ कहता है। अपनी अपनी ढपली हर कोई बजता रहता है। और अपनी धुन में वो मस्त रहता है। इसलिए अब हिंदुस्तान में संवाद खत्म हो गया है। और भारत को विश्वस्तर पर पीछे कर दिया है। जिसका सबसे ज्यादा असर, हिंदी साहित्य पर पड़ा है। और भारत की संस्कृति व इतिहास लुप्त हो रहा है। मंदिर मस्जिद गुरूद्वरा तक भी अब धर्म नही बचा है। और इंसानियत का मानो जनाजा निकल चुका है।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई...
जन्माष्टमी
गीत

जन्माष्टमी

संजय जैन मुंबई ******************** कितना पावन दिन आया है। सबके मन को बहुत भाया है। कंस का अंत करने वाले ने, आज जन्म जो लिया है। जिसको कहते है जन्माष्टमी।। काली अंधेरी रात में नारायण लेते। देवकी की कोक से जन्म। जिन्हें प्यार से कहते है। कान्हा कन्हैया श्याम कृष्ण हम।। लिया जन्म काली राती में, तब बदल गई धरा। और बैठा दिया मृत्युभय, कंस के दिल दिमाग में। भागा भागा आया जेल में, पर ढूढ़ न पाया बालक को। रचा खेल नारायण ने ऐसा, जिसको भेद न पाया कंस।। फिर लीलाएं कुछ ऐसी खेली। मंथमुक्त हुए गोकुल के वासी। माता यशोदा आगे पीछे भागे। नंदजी देखे तमाशा मां बेटा का।। सारे गांव को करते परेशान, फिर भी सबके मन भाते है। गोपियाँ ग्वाले और क्या गाये, बन्सी की धुन पर थिरकते है। और मौज मस्ती करके, लीलाएं वो दिख लाते है। और कंस मामा को, सपने में बहुत सताते है।। प्रेम भाव दिल में रखते थे, तभी तो राधा से मिल पाए...
बहिन भाई का संबंध
कविता

बहिन भाई का संबंध

संजय जैन मुंबई ******************** छोटी बड़ी बहिनों का, हमे मिलता रहे प्यार। क्योकि मेरी बहिना ही, है मेरी मातपिता यार। जो मांगा वो लेकर दिया, अपने आपको सीमित किया। पर मांग मेरी पूरी किया, और मेरे को खुश करती रही। मेरी गलतियों को छुपाती रही, और खुद डाट खाती रही। पर मुझे हमेशा बचती रही, ऐसी होती है बहिना। उन सब का उपकार में, कभी चुका सकता नहीं। अपनी बहिनों को मैं, कभी भूला सकता नहीं। रहेंगी यादे सदा उनकी, मेरे दिल के अंदर। जो कुछ भी हूँ आज में, बना बदौलत उनकी ही। ये कर्ज हमारे ऊपर उनका जिसको उतार सकता नही। मैं अपनी बहिन को जिंदा, रहते भूल सकता नही। रक्षा बंधन पर बहिना से, मिलना तो एक बहाना है। वो तो मेरी हर धड़कन में, बसती क्योंकि बहिन हमारी है। इसलिए टूट सकता नही, भाई बहिन का ये बंधन। इसलिये भूल सकता नही, रक्षा बंधन रक्षा बंधन।। उपरोक्त मेरी कविता सभी भाइयों की ओर से बहिनों के लिए समर्पित...
अपनो से डर
कविता

अपनो से डर

संजय जैन मुंबई ******************** न जाने कितनों को, अपने ही लूट लिया। साथ चलकर अपनो का, गला इन्होंने घोट दिया। ऊपर से अपने बने रहे, और हमदर्दी दिखाते रहे। मिला जैसे ही मौका तो, खंजर पीठ में भौक दिया।। ये दुनियाँ बहुत जालिम है, यहां कोई किसी का नही। इंतजार करते है मौके का, जो मिलते भूना लेते है। और भूल जाते है अपने सारे रिश्ते नातो को।। और अपना ही हित ऐसे लोग देखते है।। आजकल इंसान ही इंसान पर, विश्वास नही करता। क्योंकि उसे डर, लगता है अपनो से। की कही उससे विश्वासघात, मिलने वाले न कर दे। इसलिए अपनापन का अब, अभाव होता जा रहा है।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) स...
परिणाम
कविता

परिणाम

संजय जैन मुंबई ******************** खेल खेलो ऐसा की किसी को समझ न आये। लूट जाये सब कुछ कोई समझ न पाए। कर्ताधर्ता कोई और है पर दाग और पर लग जाये। और मकरो का रास्ता आगे साफ हो जाये।। देश का परिदृश्य अब बदल रहा है। लोगो का ईमान अब बहुत गिर रहा है। इच्छा शक्ति लोगो की छिड़ हो रही है। और अच्छे लोगो की देश में कमी हो गई है।। ऐसा तभी होता है जब घोड़ा गधा साथ दौड़ता है। और बुध्दि का परिक्षण बिना संवादों से होता है। और उस के परिणाम देश में अब दिख रहा है। तभी तो देश का नागरिक ईमानदारी से लूट रहा है। बस लूट रहा है...बस...।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबार...
रक्षा बंधन
कविता

रक्षा बंधन

संजय जैन मुंबई ******************** हर सावन में आती राखी। बहिना से मिलवाती राखी। बहिन-भाई का अनोखा रिश्ता। बना रहे ये बंधन हमेशा।। जो भूले से भी ना भूले। बचपन की वो सब यादे। बहिन-भाई का अटूट प्रेम। सब कुछ याद दिलाती राखी।। भाई बहिन का पवित्र रिश्ता। हर घर में खुशियां बरसाता। बहिना सब के दिलमें बसती। क्योकिं घर की वो है लक्ष्मी।। मन भावन क्षण लाती राखी। एक दूसरे की रक्षा की याद दिलाती राखी। वचन हमेशा याद दिलाती बहिन भाई को ये राखी। इसलिए हर साल ये आती स्नेह प्यार सब का बढ़ाती।। भैया भाभी वचन एक देना, कभी न छोड़ोगे मातपिता को। यही वचन है भाई मेरा राखी का उपहार भी मेरा। घर घर में लायेगा ये वचन खुशियां अपरम्पार। देखो आया बहिन भाई का, रक्षा बंधन का त्यौहार।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपन...
सावन का महीना
गीत

सावन का महीना

संजय जैन मुंबई ******************** मधुर मिलन का ये महीना। कहते जिसे सावन का महीना। प्रीत प्यार का ये महीना, कहते जिसे सावन का महीना। नई नबेली दुल्हन को, प्रीत बढ़ाता ये महीना।। ख्वाबो में डूबी रहती है, दिन रात सताती याद उन्हें। होती रिमझिम रिमझिम वारिश जब भी, दिल में उठती तरंगे अनेक। पिया मिलन को तरस रही है, इस सावन के महीने में वो।। रोग लगा है नया नया, ब्याह हुआ है अभी अभी। करे इलाज कैसे इसका, मिट जाए ये रोग नया। पिया मिलन तुम करवा दो, सावन के इस महीने में।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेख...
खो न जाँऊ कही
गीत

खो न जाँऊ कही

संजय जैन मुंबई ******************** खो न जाँऊ कही, अपने के बीच से। इसलिए लिखता हूँ, गीत कविता आपके लिए। ताकि बना रहे संवाद, हमारा आप के साथ। और मिलता रहे सदा, आप सभी का आशीर्वाद।। दिल में जो आता है, मैं वो लिख देता हूँ। अपनी भावनाओं को, आपके सामने रखता हूँ। कुछ को पसंद आती है, कुछ का विरोध सहता हूँ। पर अपनी लेखनी को, मैं निरंतर रखता हूँ।। शिकायते है कुछ लोगों की, तुम विषय पर नहीं लिखते हो। कृपा विषय पर लिखे, और ग्रुप में प्रेषित करें। पर बनावटी विचारों को, मैं नहीं लिख पाता हूँ। और उनकी आलोचनाओ का, शिकार हो जाता हूँ।। उम्र बीत जाती है, अपनी छवि बनाने में। यदि कदम डगमगा जाए, तो रूठ अपने जाते है। इसलिए मन की सुनकर, मैं गीत कविताएं लिखता हूँ। तभी तो यहां तक, आज पहुंच पाया हूँ।।   परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष स...
याद रहोगे
कविता

याद रहोगे

संजय जैन मुंबई ******************** हम सब एक दिन मर जाएंगे। इस संसार से मुक्ति पा जायेंगे। और छोड़ जाएंगे अपनी लेखनी व कर्म। जिस के कारण ही याद किये जाएंगे।। शब्दो के वाण दिल को बहुत चुभते है। दिलसे जुड़ी बातों को ही याद रखते है। भूल जाते है जिंदा में जब लोग। तो मरने के बाद क्यों याद करेंगे।। लोग करनी के कारण, ही याद किये जाते है। जो अच्छा करके जाते है, वो ही याद आते है। यदि किया नहीं कोई, अच्छा काम जिंदगी में। तो बाहर वाले क्या, घर वाले ही भूल जाते है।। मानव जीवन है अनमोल, इसके मूल्य को समझे। खुद जीये औरों को भी, सुख शांति से जीने दे। इस सिद्धांत को अपने, जीवन में अपनाएंगे। तो निश्चित ही लोगो के, दिलो में जिंदा रह पाओगे।।   परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर का...
कलयुग के भगवान
गीत, भजन

कलयुग के भगवान

संजय जैन मुंबई ******************** तुम हो कलयुग के भगवान गुरु विद्यासागर। तुम हो ज्ञान के भंडार गुरु विद्यासागर। हम नित्य करें गुण गान गुरु विद्यासागर।। बाल ब्रह्मचारी के व्रतधारी सयंम नियम के महाव्रतधारी। तुम हो जिनवाणी के प्राण गुरु विद्यासागर। हम नित्य करे गुण गान गुरु विद्यासागर।। दया उदय से पशु बचाते भाग्योदय से प्राण बचाते मेरे मातपिता भगवान गुरु विद्यासागर । हम नित्य करे गुण गान गुरु विद्यासागर।। जैन पथ हमको चलाते खुद आगम के अनुसार चलते। वो सब को देते विद्या ज्ञान गुरु विद्या सागर। हम नित्य करे गुण गान गुरु विद्यासागर। तुम हो कलयुग के भगवान गुरु विद्यासागर। ज्ञान के सागर विद्यासागर हम नित्य करे गुण गान गुरु विद्या सागर।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर क...
बर्बादी की डगर
कविता

बर्बादी की डगर

संजय जैन मुंबई ******************** किताबो में पढ़ कर, रेडियो में सुन कर। चल चित्र को देखकर, कहानी बड़ेबूड़ो से सुनकर। मोहब्बत करने का मन, दिल में पनापने लगा। और लगा बैठे दिल , पड़ोसी की लड़की से।। अब न दिल धड़कता है, न सांसे ही चलती है। ये कमवक्त मोहब्बत भी, क्या बला होती है। जो न जीने देती है, न ही मरने देती है। चलते फिरते इन्सान को, एक लाश बना देती है।। मोहब्बत के चक्कर में, न जाने कितने लूट गये। और कितने खुदा को, पहले ही प्यारे हो गये। जिसे मिल गई मोहब्बत, वो आबाद हो गया। नही तो जिंदा एक, लाश बनके राह गया।। किसी को इसने पागल, बना कर छोड़ दिया। तो किसीको घायाल करके, बीच मजधार में छोड़ दिया। इसलिए अब मोहब्बत के, नाम से लोग घबराते है। न खुद करते है और, न किसीको सलाह देते है।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में प...
पर्यावरण
कविता

पर्यावरण

संजय जैन मुंबई ******************** मेरे भी दिल मे अभी, उम्मीदे बहुत बाकी है। बस सभी का साथ चाहिए। पर्यावरण को बचाने के लिए। इंसानों का साथ चाहिए। जो हर मोड़ पर साथ दे, इसे बचने के लिए।। तप्ती हुई इस धूप में, शीतल सी छाया चाहिए। जो हाल गर्मी से हो रहा है । उसे शीतल करने एक, ठंडी सी लहर चाहिए।। बिना वृक्षो के कारण ही, यह हाल है गर्मी का। उससे बचने के लिए, वृक्षारोपन करना चाहिए। तभी इन गर्म हवाओं को, शीतल हम कर पाएंगे। और अपने देश का, पर्यवरण को बचा पाएंगे।। इस लक्ष्य को पाने के लिए। पर्यवरणको बचाने के लिए। एक जूनून हर देशवासियो के, दिलमें बस भरपूर चाहिए। और सभी का साथ चाहिए।। . परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय है...
आंखों आंखों में
कविता

आंखों आंखों में

संजय जैन मुंबई ******************** तेरी आँखों में हमें, जाने क्या नज़र आया। तेरी यादों का दिल पर, शुरुर है छाया। अब हम ने चाँद को, देखना छोड़ दिया। और तेरी तस्वीर को, दिल में छुपा लिया।। दिल की धड़कनो को, पढ़कर तो देखो। दिल की आवाज को, दिलसे सुनकर देखो। यकीन नहीं है तो, आंखों में आंखे डालकर देखो। तुम्हें समाने दिख जाएंगे, और दिल में तेरे बस जाएंगे।। जो बातें लवो पर न आये, उन्हें दिल से कह दिया करो। मुझे चेहरा पढ़ना आता है, एक बार समाने दिखा दो। जब में तन्हा होता हूँ तो, तुम्हें दिलसे आवाज़ देकर। अपने दिल में बुला लेता हूँ।। . परिचय :-बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित ...
होली का रंग
कविता

होली का रंग

संजय जैन मुंबई ******************** तुम्हें कैसे रंग लगाए, और कैसे होली मनाए? दिल कहता है होली, एक दूजे के दिलों में खेलो। क्योंकि बहार का रंग तो, पानी से धूल जाता है। पर दिल का रंग दिल पर, सदा के लिए चढ़ा जाता है।। प्रेम मोहब्बत से भरा, ये रंगों त्यौहार है। जिसमें राधा-कृष्ण का, स्नेह प्यार बेसुमार है। जिन्होंने स्नेह प्यार की, अनोखी मिसाल दी है। और रंगों को लगाकर, दिलों की कड़वाहटे मिटाते है।। होली आपसी भाईचारे और प्रेमभाव को दर्शाती है। और सात रंगों की फुहार से, ७-फेरो का रिश्ता निभाती है। साथ ही ऊँच नीच का, भेदभाव मिटाती है। और लोगों के हृदय में भाईचारे का रंग चढ़ती है।। . परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचना...
गुरु और शिष्य
गीत

गुरु और शिष्य

संजय जैन मुंबई ******************** गुरु शिष्य का हो, मिलन यहां पर, फिर से दोवारा। यही प्रार्थना है हमारा। यही प्रार्थना है हमारा।। गुरु चाहते है, कि शिष्य को, मिले वो सब कुछ। जो में हासिल, कर न सका, अपने जीवन में। वो शिष्य हमारा, हासिल करे, अपने जीवन में। मैं देता आशीष शिष्य को, चले तुम सत्य के पथ पर, मिलेगा ज्ञान यही पर।। गुरु शिष्य का मिलन...। शिष्य भी पूजा करता, अपने गुरु की हर दम। उन्होंने मार्ग प्रशस्त किया, मोक्ष् जाने का शिष्य का। इसी तरह अपनी कृपा, मुझ पर बनाये रखना। ऐसी है प्रार्थना गुरुवर, में सेवक हूँ गुरुवर का। में सेवक हूँ गुरुवर का ।। गुरु शिष्य का ......।। नगर नगर में श्रावक जन, पूजा गुरु शिष्य की करते। उनके बताये हुए मार्ग पर, सदा ही हम सब चलते। मिल जायेगा हमे भी, शायद पापो से छुटकारा। यही समझता मानवधर्म हमारा। यही बतलाता मानवधर्...
आज फिर याद आये
गीत

आज फिर याद आये

संजय जैन मुंबई ******************** मेरे दिल मे बसे हो तुम, तो में कैसे तुम्हे भूले। उदासी के दिनों की तुम, मेरी हम दर्द थी तुम। इसलिए तो तुम मुझे, बहुत याद आते हो। मगर अब तुम मुझे, शायद भूल गए थे।। आज फिर से तुम्ही ने, निभा दी अपनी दोस्ती। इतने वर्षों के बाद, किया फिरसे तुम्ही याद। में शुक्रगुजार हूँ प्रभु का, जिन्होंने याद दिला दि तुमको। की तुम्हारा कोई दोस्त, आज फिर तकलीफ में है।। में कैसे भूल जाऊं, उन दिनों को में। नया-नया आया था, तुम्हारे इस शहर में। न कोई जान न पहचान, थी तुम्हारे इस शहर में। फिर भी तुमने मुझे, अपना बना लिया था।। मुझे समझाया था कि, दोस्ती कैसी होती है। एक इंसान दूसरे का, जब थाम लेता है हाथ। और उसके दुखो को, निस्वार्थ भावों से सदा। करता है उन्हें जो दूर, वही सच्चा दोस्त होता है।। . परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्...
कलम का कमाल
गीत

कलम का कमाल

संजय जैन मुंबई ******************** लिखता में आ रहा, गीत मिलन के में। कलम मेरी रुकती नही, लिखने को नए गीत। क्या क्या में लिख चुका, मुझको ही नही पता। और कब तक लिखना है, ये भी नही पता। लिखता में आ रहा.....।। कभी लिखा श्रृंगार पर। कभी लिखा इतिहास पर। और कभी लिख दिया, आधुनिक समाज पर। फिर भी आया नही, सुधार लोगो की सोच में।। लिखता में आ रहा...।। लिखते लिखते थक गये, सोच बदलने वाली बाते। फिर नही बदले लोगो के विचार। इसे ज्यादा क्या कर सकता, एक रचनाकार।। लिखता हूँ सही बात, अपने गीतों में... अपने गीतों में......।। . परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं...
एक चेहरा दिखता है
कविता

एक चेहरा दिखता है

संजय जैन मुंबई ******************** जहाँ पर हम होते है, वहां पर तुम नहीं होते। जहाँ पर तुम होते हो, वहां पर हम नहीं होते। फिर क्यों हर रोज सपने में, तुम मुझको दिखते हो। न हम तुमको जानते है, और न ही तुम मुझको।। ख़्वाबों का ये सिलसिला, निरंतर चलता जा रहा। हकीकत क्या है इसका, नहीं हमको है अंदाजा। किसी से जिक्र इसका, नहीं कर सकता हूँ मै। कही ज़माने के लोग, हमें पागल न समझ ले।। की रब से मै करता हूँ, सदा ही ये प्रार्थना। सदा ही खुश रहना तुम, दुआ करता संजय ये। की तुम जो भी हो, और जहाँ पर भी हो तुम। सदा ही सुखी शांति से, रहना वहां पर तुम।। अनजाने में कभी जो, मिल गए अगर तुमको। तो नज़ारे फेर मत लेना, हमें अनजान समझकर। कही रब को भी हो मंजूर, हम दोनों का ये मिलाना। की तुम दोनों बने हो बस, सदा ही साथ रहने को।। . परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत है...
वो ख्यालो में मिले
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वो ख्यालो में मिले

संजय जैन मुंबई ******************** सवाल का जबाव सवाल में ही मिला मुझे ..। वो शख्स मेरा ख़्याल था, ख़्याल में ही मिला मुझे। फिर भी न जाने ये दिल, क्यों यहाँ वहां पर भटकता है। जबकि मुझे पता है। मेरे ख्यालो का राजा मुझे, ख्यालो में ही मिलता है।। गमे ख्यालो को हम, वरदास कर नहीं पाते। फिर भी अपने प्यार का, इजहार कर नहीं पाते। डूब जाते है ऐसे, सपनो की दुनियां में। जहाँ से हम तैरकर भी, वापिस नहीं आ पाते।। जब जब खुदा ने, मुझसे ख्यालो में पूछा। क्या चाहते हो, तमन्नाये कहने लगी। की बस मेरे ही ख्यालो में, उनके दीदार हो जाये। और जब मुझे सही में, उन से प्यार हो जाये। तो मेरा हम सफर बनकर, मेरे साथ हो जाये।। ख्यालो की बनाई दुनियां। अब हकीकत में बदल गई। जो ख्यालो में आता था, अब वो मेरा हमसफ़र बन गया। मानो मेरी जिंदगी का, वो आधार बन गया। अब तो साथ साथ जिंदगी को, हंसते खिल खिलाते जी रहे है। और ख्यालो...
मायके की यादे
कविता

मायके की यादे

संजय जैन मुंबई ******************** बचपन की यादों को, मैं भूला सकती नहीं। मां के आँचल की यादे, कभी भूली ही नहीं। दादा-दादी और नाना-नानी, का लाड़ प्यार हमे याद है। मौसी बुआ का दुलार, दिल से निकला नही। वो चाची की चुगली, चाचा से करना। भाभी की शिकायत भैया से करना। बदले में पैसे मिलना, आज भी याद है। और उस पैसे से, चाट खाना याद है। भाई बहिनों का प्यार, और लड़ना भी याद है। भैया की शादी का वो दृश्य, आंखों के समाने बार बार आता है। जिसमें भाभी की विदाई पर, उनका जोर से रोना याद है। खुद की शादी और विदाई का, हर एक लम्हा याद आ रहा है। मांबाप के द्वारा दी गई, हिदायते और नासियते दिल में रखें हूँ। मानो अपनी दुनियां खो आई हूँ। मांबाप का आंगन छोड़ आई हूं। दिल में नई उमंगे लेकर, पिया के साथ आई हूं। जो मेरे जीवन का, अब आधार स्तम्भ है। मानो मेरी जिंदगी का यही संसार है। छोड़ा माता पिता और, भाई बहिनों को तो। नये ...
मेरी माँ मेरा आधार
कविता

मेरी माँ मेरा आधार

संजय जैन मुंबई ******************** कितना मुझे हैरान, परेशान किया लोगों। पर मकसद में वो, कामयाब हो नहीं पाये। क्योंकि है माँ का आशीर्वाद, जो मेरे सिर पर। इसलिए तो बड़ी से बड़ी, मुश्किलों से निकल जाता हूँ।। धन दौलत से ज्यादा, मुझे मेरी माँ प्रिये है। तभी तो मैं भागता नहीं, पैसों के लिए कभी। पैसा और सौहरत हमें, बहुत मिलती रहती है । क्योंकि मेरे साथ, मेरी मां जो रहती है।। पैसों की खातिर में अपनी, मां को छोड़ सकता नहीं। चाहे मुझे पैसा और सौहरत, बिल्कुल भी न मिले। पर मुझे पता है माँ से बढ़कर, संसार में कुछ भी नहीं। इसलिए तो मेरी माँ ही, मेरे जीवन का आधार है।। . परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं हिंदी रक्षक मंच (hi...
जुबां से निकलेगा
कविता

जुबां से निकलेगा

संजय जैन मुंबई ******************** आज कल कम ही नजर आते हो। मौसम के अनुसार तुम भी गुम जाते हो। कैसे में कहूँ की तुम मुझे बहुत याद आते हो।। दर्द दिल में बहुत है किस से व्या करू। हमसफ़र बिछड़ गया। अब किसका इंतजार करू। अब जो भी मिलते है वो हंसते और हँसाते है। पर दिल के दर्द को वो बड़ा देते है।। तेरी यादों को सीने से लगाये रखा है। बीती बातो को दिल में सजाये के रखा है। अब तेरे दिल में क्या है मेरे लिए। वो तो तुझे ही पता होगा।। एक बार प्रेम से कोई शब्द बोलकर देखो। तेरा दिल फिर मेरे लिए मचलेगा। और जो दिल में तुमने दावा के रखा है। कसम उस खुदा की वो तेरे ही जुबा से निकलेगा।। . परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं हिंदी...