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मध्यमवर्गीयों का दर्द
कविता

मध्यमवर्गीयों का दर्द

संजय जैन मुंबई (महाराष्ट्र) ******************** सोच-सोच कर रो रहा हूँ अपनी करनी पर। कैसा वक्त आन पड़ा अब सबको रोने को। चारो ओर मची है अब मंहगाई की मार । फिर भी कहते थक नहीं रहे अच्छे दिन आगये इस बार।। कहा से चले थे कहा तक आ पहुंचे। क्या इससे भी ज्यादा अच्छे दिन अब आयेंगे। जब मध्यमवर्गी लोगों को घर में भूखे ही मरवायेंगे। वैसे भी कौन करता परवाह इन मध्यमवर्गी परिवारों की। न तो वोट बैंक होते है ये और न होते है आंदोलनकारी। फिर क्यों करे चिंता सरकारे मध्यमवर्गी परिवारों की।। फंड मिलता है अमीरो से और वोट मिले गरीबों से। हाँ पर टैक्स सबसे ज्यादा देते ये ही मध्यमवर्गी परिवार। जिस पर यश आराम और राज करती है देश की सरकारें। सबसे ज्यादा अच्छे दिनों में लूट रहे मध्यमवर्गी परिवार। जाॅब चलेंगे नये नहीं है और हुए युवा देश के बेकार। फिर भी अच्छे दिन कहते-२ थक नहीं रही देश की सरकार। हाय हाय अच्छे दिन हा...
परिवार
कविता

परिवार

संजय जैन मुंबई ******************** जोड़ जोड़कर तिनका, पहुंचे है यहां तक। अब में कैसे खर्च करे, बिना बजह के हम। जहां पड़े जरूरत, करो दबाकर तुम खर्च। जोड़ जोडक़र ......। रहता हूँ मैं खिलाप, फिजूल खर्च के प्रति। पर कभी न में हारता, मेहनत करने से । और न ही में हटता, अपने फर्ज से। पैसा कितना भी लग जाये, वक्त आने पर।। बिना वजह कैसे लूटा दू, अपने मेहनत का फल। सदा सीख में देता हूँ, अपने बच्चो को। समझो प्यारे तुम सब, इस मूल तथ्य को। तभी सफल हो पाओगे, अपने जीवन में।। क्या खोया क्या पाया, हिसाब लगाओ तुम। जीवन भर क्या किया, जरा समझ लो तुम। कितना पाया कितना खोया, सही करो मूल्यांकन। खुद व खुद समझ जाओगे, जीवन को जीने का मंत्र।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक स...
कहानी… मेरे पापा की
गीत

कहानी… मेरे पापा की

संजय जैन मुंबई ******************** पापा जी के चरणों में अपना शीश झूकता हूँ। उनके त्याग बलिदान को अपने बच्चो को सुनता हूँ। ऐसे पापाजी के चरणों में अपना शीश झूकता हूँ...।। जन्म लिया उन्होंने ने बड़े जमींदार के घर में। बड़े बेटे बनकर उन्होंने निभाया अपना कर्तव्य। यश आराम से जिंदगी जी रहे थे परिवार के सब। भगवान की कृपा दृष्टि से सब अच्छा चल रहा था।। और भाई बहिन माता पिता का प्रेम बरस रहा था। ऐसे पापा जी के चरणों में अपना शीश झूकता हूँ...।। भाई बहिन के प्रेम में वो ऐसे रहे थे। उन्हें उनके अलावा कुछ और नहीं दिखता था। भाई बहिन पर वो अपनी जान नीछावर करते थे। ऐसे पापाजी के चरणों में अपना शीश झूकता हूँ...।। पर समय परिवर्तन ने कुछ ऐसा कर दिखाया। भाई-बहिन और पिता ने मुँह मोड़ लिया बेटे से। कल तक जो सबको बहुत प्यारे भाई लगते थे। अब वो ही सब की आँखो में खटकने लगे। २६ सालों के साथ रहने का अब अंत हो...
विद्या की माता शारदे
गीत

विद्या की माता शारदे

संजय जैन मुंबई ******************** वो ज्ञान की माता है सरस्वती नाम है उनका-२। वो विद्या की माता है। शारदा माता नाम उनका। वो ज्ञान की माता है।। हाय रे मनका पागलपन मुझ से लिखवाता है। क्या मुझे लिखना क्या वो लिखवता ये तो वो ही जाने-२। मन में मेरे वो आकर लिखवाते है मुझसे।। वो ज्ञान की माता है..।। इधर जिंदगी झूम रही है उधर मौत खड़ी। कोई क्या जाने कब आ जाये मेरा बुलावा जी-२। और क्या लिखना मुझको रह गया है अब बाकी। वो ज्ञान की माता है...।। मेरे दिल और ध्यान में सदा रहती है माता जी। जो कुछ भी मैं लिखता और गाता उनके कृपा दृष्टि से-२। मैं उनके चरणो में वंदन बराम्बार करता। वो ज्ञान की माता है..।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और...
इतना मत डूबो…
कविता

इतना मत डूबो…

संजय जैन मुंबई ******************** देखकर दर्द को कठोर से कठोर। इंसान का पत्थर दिल भी पिघलता है। और हमदर्दी के दो शब्द उसे बोलता है। जिससे उसका दर्द थोड़ा कम होता है।। दौलत के नशे में इतना मत डूबो। की समाने तुम्हें कुछ दिखे ही नहीं। क्योंकि रास्ते हमेशा सीधे सीधे नहीं होते। इसलिए उन्हें देख कर ही चलना पड़ता है।। मिट गई हस्तियां बड़े बड़े साहूकारों और जमीरदारो की। फिर भी ये संसार आज तक चल रहा है। और अपनी-अपनी करनी का वो फल भोग रहे है। और संसार चक्र में उलझकर अपना जीवन जी रहे है।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते र...
आत्म चिंतन सूत्र
कविता

आत्म चिंतन सूत्र

संजय जैन मुंबई ******************** चार रोटी हजम कर लेते हो तो। किसी की चार बातें भी हजम करना सीखो। कह गये कड़वे शब्दो पर मौन रहकर विचार करो। और समय का इंतजार करो उन्हें अपनी की करनी का फल इसी भव में मिल जायेगा। इसलिए अपनी शक्ति को यू ही बर्बाद मत करो।। अमीरी दिलसे होती है धन से नहीं। सुखकी प्राप्ति दान से होती है धन संग्रह से नहीं। पाप की नींव पर पुण्य का महल खड़ा नहीं होता है। इसलिए धर्म को चुने और परिग्रह से बचे।। कोई भी संकट मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं। हारा वही, जो संकट से लड़ा नहीं। इसलिए अपने कर्म पर यकीन करो। और वेबजह की चिंता करना तुम छोड़ दो।। धन से सुविधायें तो जुटाई जा सकती हैं। किंतु आत्म सुख सन्तोष नहीं। क्योंकि साम्राज्य की अपेक्षा सम्यग्दर्शन अधिक मूल्यवान है। इसे प्राप्त करने की अपने जीवन में कोशिश करो।। जितने की आवश्यकता है उतने का उपयोग करे। बाकी का उन्हें दे जिन्हें ...
गाँवों में जाकर देखो
कविता

गाँवों में जाकर देखो

संजय जैन मुंबई ******************** सोच बदलो गाँव बदलो अब चलो गाँव में। तभी हम गांवों को खुशाल बना पाएंगे। और नया हिंदुस्तान हम मिलकर बनाएंगे। और गांवों का इतिहास एक बार फिरसे दोहरायेंगे। गांवों की मिट्टी का कोई जवाब नहीं है। पैरो में लगती है तो चलने की शक्ति आती है। माथे पर लगाओं तो मातृभूमि बुलाती है। और दर्द अपना हमें रो रो कर सुनती है।। जितनी भी नदियाँ बहती जब तक वो गांवों में। तब तक उनका जल शीतल शुध्द रहता है। जैसे ही शहरो से जोड़ती है काया उनकी बदल जाती है। और शहर गांवों की सोच इसमें भी दिख जाती है।। शहर में सिर्फ मकान है पर आत्मीयता नहीं। गाँवो में मिट्टी के मकान है पर आत्मीयता का भंडार है। खुद के लिए जीना है तो शहर में रहो। समाज परिवार के साथ जीना है तो गाँवो में बसो।। देखना अगर है स्नेह प्यार और आत्मीयता को तो। किसी अंजान से गाँव में आज भी जाकर देखो। फर्क तुम्हें दिख जायेगा ...
इंतजार
गीत

इंतजार

संजय जैन मुंबई ******************** मेरा दिल खाली खाली है किसी दिल वाली के लिए। लवो पर जिसके रहता हो सदा ही संजय संजय। बना कर रखूँगा उसको अपने दिल की रानी। तो आ जाओ मेरे दिलमें खुला है मेरे दिल का द्वार।। अभी तक न जाने कितनो ने पुकारा है। तभी तो हिचकियाँ मुझे आ रही है बार बार । जो भी हो तुम दिलरुबा सामने तो आ जाओं। और झलक अपनी तुम मुझे जरा दिखा जाओं।। मेरे दिल की धड़कने नहीं है अब मेरे बस में। न जाने कौन है वो जो इन्हें तेजी से धड़का रहा। और अपनी धड़कनो को मेरे दिलसे मिला रहा। न खुद सो रहा है और न मुझे सोने दे रहा।। बीस की उम्र से लेकर बहुत मुझे वो सता रहा। पर अपने चेहरे को वो अभी तक छुपा रहा है। कसम से पता नहीं मुझको क्यों वो इतना सता रहा। शायद कोई पूर्व जन्म का बंधन हमसे निभा रहा है। इसलिए मैं भी उसका इंतजार कर रहा हूँ।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान म...
आर पार की लड़ाई
कविता

आर पार की लड़ाई

संजय जैन मुंबई ******************** मेहनत करे किसान पर मलाई हमें चाहिए। खेत बिके या बिके गहने उसे हमको क्या लेने-देने। हमको तो उसकी फसल बिन मोल चाहिए। और हमे कमाने का मौका हमेशा चाहिए। फर्ज उसका खेती करना तो वो खेती करे। हमको करना है धन्धा तो हम लूटेंगे उसे।। होता आ रहा है यही अपने देश में। तो क्यों हम बदले अपनी परंपराओ को। बात बहुत सीधी है जरा तुम समझ लो। तुम हो किसान तो दिलसे खेती करो। ऋण में पैदा होते हो ऋण में ही मरते हो। पर फिर भी खेती खुशी खुशी करते हो।। फिर क्यों उलझ रहे हो देश की सरकार से। जो खुदको बेच चुकी पूंजीपतियों के हाथो में। अब सरकार का भी हाल किसानो जैसा होगा। न जी पायेंगी न मर पायेंगी कठपुतली बनकर रह जायेगी। क्योंकि इतिहास अपने आपको फिर से दोहरायेगा। और देश अपनी पराम्पराओ को कैसे भूल पायेगा।। चुनावो में पूंजीपतियों के पीछे दौड़ लगाएंगे। और फिर इन के गुलाम बन जायेंगे...
स्वंय को जाने
कविता

स्वंय को जाने

संजय जैन मुंबई ******************** तन की खूबसूरती एक भ्रम है..! जो इंसान को घमंडी बना देता है। मन की खूबसूरती ही असली सुंदरता है। जो दिलको शांत और मनको व्यवहारिक बनता है। सब से खूबसूरत तो आपकी "वाणी" है..! जो चाहे तो दिल जीत ले.. या चाहे तो दिल चीर दे !! वाणी की मधुरता से गैर अपने हो जाते है। और आपकी दिलसे तरीफ करते है। इन्सान सब कुछ कॉपी कर सकता है..! लेकिन अपनी किस्मत और नसीब को नही..! यदि कर्म अच्छे करोगें तो फल अच्छा मिलेगा। भले श्रेय मिले न मिले, पर श्रेष्ठ देना बंद न करें। आपकी सेवा भक्ति एकदिन रंग लायेगी। तब लोगो की जुबा पर तुम्हारा ही नाम रहेगा। कुछ आपके आलोचक तो कुछ प्रसंशक होंगे। जो समाज में आपको शांति से नहीं रहने देंगे। रखेंगे स्वंय अपना ख़याल तो आपका हरपल शुभ होगा। आपके कर्मो से ही मुक्ति का मार्ग प्रसव होगा। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान मे...
किसान का हाल
कविता

किसान का हाल

संजय जैन मुंबई ******************** सारे देश को जो अन्न देता खुद लेकिन भूखा सोता। फिर भी किसी से कुछ कभी नहीं वो कहता। क्या हालत कर दी उनकी देश की सरकार ने। कठ पुतली सरकार बन बैठी देश के पूंजीपतियों की। तभी उसे समझ न आ रही तकलीफे खेतिहर किसानो की।। सारे देश को जो अन्न देता खुद लेकिन भूखा सोता..।। जब भी विपत्ति देश पर आती अपना सब कुछ वो लगा देते है। भले ही तन पर न हो कपड़ा पर खेत को बोता है। सब कुछ गिरवी रख देता पर फर्ज न अपना भूलता। और सभी की भूख को खुद भूखा रहकर मिटता। ऐसे होते है अपने देश के सारे ये किसानगण।। सारे देश को जो अन्न देता खुद लेकिन भूखा सोता..।। बहिन बेटी और बीबी के सारे गहने रख जाते है। लाला साहूकार के पास और कभी-२ भूमि भी गिरवी रखी जाती किसान की। और नहीं छोड़ता हल चलाना अपने वो खेतो में। और छोड़ता देता अपने खेतो को ईश्वर के आशीष पर। फिर चाहे कुछ भी पैदा हो उस ईश्वर की...
मोक्षमार्ग का पथ
कविता

मोक्षमार्ग का पथ

संजय जैन मुंबई ******************** ज्ञान धर्म की तरफ मेरा ध्यान बड़ता जा रहा है। जीवन का सच्चा अर्थ हमे समझ आ रहा है। बिना धर्म के मुक्तिपथ हमें मिल नहीं सकता। इसलिए हर कोई धर्म से जोड़ता जा रहा है।। जब से तुम आये हो इस संसार में। तब से लेकर अबतक तुमने किया क्या है। जरा सोचो समझो और करो विचार। तभी जिंदगी के सच को तुम पहचान पाओगें।। जब भी तुम करो तीनलोक के नाथ के दर्शन। तो स्वंय को देखो तुम नाथ के अंदर। तो तुम्हें जीवन का सच्चा पथ मिल पायेगा। और मोक्षगति का मार्ग तुम्हें निश्चित ही मिल जायेगा।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं ...
बड़े बाबा की भक्ति
गीत, भजन

बड़े बाबा की भक्ति

संजय जैन मुंबई ******************** विधा : गीत भजन तर्ज : (हम मेहनत कस इस दुनिया से अपना .....) श्री आदिनाथ की भक्ति को श्रुत धाम हम जाएंगे। एक बार नही सौ बार नहीं हम जीवन भर जाएंगे। हम आदिनाथ की......।। माया के चक्कर में पड़कर अपना जीवन तू गवा रहा। और झूठ फरेब करके तू दौलत बहुत कमा रहा। ये दौलत साथ न जायेगे जिस दिन तू मर जायेगा। तब तुझे बड़े बाबा याद आएंगे पर तेरा सब कुछ मिट जाएगा।। श्री आदिनाथ की भक्ति को श्रुत धाम हम जाएंगे। एक बार नही सौ बार नहीं हम जीवन भर जाएंगे। हम आदिनाथ की......।। क्यों अपने मनुष्य जीवन को तू युही गंवा रहा। मिला है तुझे मनुष्य जीवन तो कुछ दया धर्म भी करता जा। यही सब तेरे साथ में जाने वाला है तो तू क्यों इसे गंवा रहा।। श्री आदिनाथ की भक्ति को श्रुत धाम हम जाएंगे। एक बार नही सौ बार नहीं हम जीवन भर जाएंगे। श्री आदिनाथ की......।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश...
जिंदगी क्या है
कविता

जिंदगी क्या है

संजय जैन मुंबई ******************** फूल बन कर मुस्कराना जिन्दगी है। मुस्कारे के गम भूलाना जिन्दगी है l मिलकर खुश होते है तो क्या हुआ l बिना मिले दोस्ती निभाना भी जिन्दगी है।। जिंदगी जिंदा दिलो की आस होती है। मुर्दा दिल क्या खाक जीते है जिंदगी। मिलना बिछुड़ जाना तो लगा रहता है। जीते जी मिलते रहना ही जिंदगी है।। जिंदगी को जब तक जीये शान से जीये। अपनी बातो पर अटल रहकर जीये। बोलकर मुकर जाने वाले बहुत मिलते है। क्योंकि ऐसे लोगो का ही आजकल जमाना है।। पहचान बनाकर जीने वाले, कम मिलते है जिंदगी में। प्यार से जीने वाले भी कम मिलते है। वर्तमान में जीने वाले, जिन्दा दिल होते है।। प्यार से जो जिंदगी को जीते है। गम होते हुए भी खुशी से जीते है। ऐसे ही लोगो की जीने की कला को। हम लोग जिंदा दिली कहते है।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २...
मोहब्बत हो गई
कविता

मोहब्बत हो गई

संजय जैन मुंबई ******************** खुद एक चांद हो तो क्यों पूर्णिमा इंतजार करे। और मोहब्बत का इसी रात में होकर मदहोश हम आंनद ले।। तुम जैसे दोस्त से यदि मोहब्बत हो जाये। तो हमें सीधी सीधी जन्नत मिल जाये।। डूब चुका था प्यार के सागर में, और नश नश में मोहब्बत भर गया था। क्यों बहार निकाला मुझे इस सागर से..? इस प्रश्न का उत्तर अब तुमको ही देना है।। गुजारिश है तुमसे आज दिलमें थोड़ी सी जगह दे दो। और अपनी गर्म सांसो से मुझे फिरसे जीवन दे दो।। आज दिलको मत रोकना हजूर दिलसे मिलने को। क्योंकि ये पहले ही व्याकुल था तुम्हारे दिलमें डूबने को।। इतने सुंदर हो तुम की देखकर दर्पण भी शर्मा रहा है। मेरा दिल भी तो आईना है जो परछाई मुझे दिखा रहा।। इसलिए मेरा दिल आज तुम्हारे दिलमें शामाया है। जो धड़कनों को मेरी मोहब्बत करने को बुला रहा।। कितनी हसीन रात है जो हमको बुला रही है। क्योंकि दो दो चांद जो एक साथ...
गरीबी की परिभाषा
कविता

गरीबी की परिभाषा

संजय जैन मुंबई ******************** गरीबी क्या होते है किसी किसान से पूछो। ये वो शख्स होता है जो खाने देता अन्य। परन्तु इसकी झोली में नहीं आता उसका हक। इसलिए यही से गरीबी का खेल शुरू हो जाता है।। कड़ी मेहनत और लगन से किसानी वो करते है। कितना पैसा और समय वो इस पर लगाते है। और फल के लिए वो भगवान पर निर्भर होते है। और गरीबी अमीरी का निर्णय फसल आने पर होता है।। मेहनत और काम ही इन का लक्ष्य होता है। उसी के बदले में जो कुछ इन्हें मिलता है। उसे इनका जीवन यापन चलता है। अब निर्णय आपको करना है की ये गरीब है या.....।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-...
आशीष मिला तो….
गीत, भजन

आशीष मिला तो….

संजय जैन मुंबई ******************** तेरा आशीष पा कर, सब कुछ पा लिया हैं। तेरे चरणों में हमने, सर को झुका दिया हैं। तेरा आशीष पा कर .....। आवागमन गालियां न हत रुला रहे हैं। जीवन मरण का झूला हमको झूला रहे हैं। आज्ञानता निंद्रा हमको सुला रही हैं। नजरे पड़ी जो तेरी, मानो पापा धूल गए है। तेरा आशीष पा कर.....।। तेरे आशीष वाले बादल जिस दिन से छाए रहे हैं। निर्दोष निसंग के पर्वत उस दिन से गिर रहे हैं। रहमत मिली जो तेरी, मेरे दिन बदल गये है। तेरी रोशनी में विद्यागुरु, सुख शांति पा रहे है। तेरा आशीष पा कर ....।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रि...
आस रहती है
कविता

आस रहती है

संजय जैन मुंबई ******************** न खुशी की कोई लहर, हमे आगे दिखती है। जीवन और मृत्यु का डर, अब हमें नहीं लगता है। बस एक आस दिल में, सदा हम रखते है। अकाल मृत्यु न हो, इस काल में।। न कर पाते क्रिया कर्म, न बेटा निभा पाते धर्म। अनाथो की तरह से, किया जाता अंतिम क्रियाकर्म। न उनको चैन मिलता है, न परिवारवालो को शांति। मुक्ति पाई भी तो, बिना लोगो के कंधों से।। किये होंगे पूर्वभव में, कुछ उसने बुरे कर्म। तभी इस तरह से, उसे मिली है मुक्ति। इसलिए मैं कहता हूँ, करो अच्छे कर्म तुम। और सार्थक जीवन जीकर, पाओ अपनी मुक्ति को।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे ...
घर
कविता

घर

संजय जैन मुंबई ******************** न गम का अब साया है, न खुशी का माहौल है। चारो तरफ बस एक, घना सा सन्नाटा है। जो न कुछ कहता है, और न कुछ सुनता है। बस दूर रहने का, इशारा सबको करता है।। हुआ परिवर्तन जीवन में, इस कोरोना काल में। बदल दिए विचारों को, उन रूड़ी वादियों के। जो घरकी महिलाओं को, काम की मशीन समझते थे। और घरके कामो से सदा, अपना मुँह मोड़ते थे।। घर में इतने दिन रहकर, समझ आ गये घरके काम। घर की महिलाओं को कितना होता है काम। जो समयानुसार करती है, और सबको खुश रखती है। पुरुषवर्ग एकही काम करते है, और उसी पर अकड़ते है।। देखकर पत्नी की हालत, खुद शर्मिदा होने लगा। और बटाकर कामों में हाथ, पतिधर्म निभाना शुरू किया। और पत्नी का मुरझाया चेहरा, कमल जैसा खिल उठा। और मुझे सच्चे अर्थों में, घरगृहस्थी समझ आ गया।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं...
हिंदी भाषा
कविता

हिंदी भाषा

संजय जैन मुंबई ******************** हिंदी ने बदल दी, प्यार की परिभाषा। सब कहने लगे मुझे प्यार हो गया। कहना भूल गए, आई लव यू। अब कहते है मुझसे प्यार करोगी। कितना कुछ बदल दिया, हिंदी की शब्दावली ने। और कितना बदलोगें, अपने आप को तुम। हिंदी से सोहरत मिली, मिला हिंदी से ज्ञान। तभी बन पाया, एक लेखक महान। अब कैसे छोड़ दू, इस प्यारी भाषा को। ह्रदय स्पर्श कर लेती, जब कहते है आप शब्द। हर शब्द अगल अलग, अर्थ निकलता है। इसलिए साहित्यकारों को, हिंदी भाषा बहुत भाती है। हर तरह के गीत छंद, और लेख लिखे जाते है। जो लोगो के दिल को छूकर, हृदय में बस जाते है। और हिंदी गीतों को, मन ही मन गुन गुनते है। और हिंदी को अपनी, मातृभाषा कहते है। इसलिए हिंदी को राष्ट्रभाषा भी कहते है।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी ...
हिंदी ही आधार है
कविता

हिंदी ही आधार है

संजय जैन मुंबई ******************** जब सीखा था बोलना, और बोला था माँ। जो लिखा जाता है, हिंदी में ही सदा।। गुरु ईश्वर की प्रार्थना, और भक्ति के गीत। सबके सब गाये जाते, हिंदी में ही सदा। इसलिए तो हिंदी, बन गई राष्ट्र भाषा।। प्रेम प्रीत के छंद, और खुशी के गीत। गाये जाते हिंदी में, प्रेमिकाओ के लिए। रस बरसाते युगल गीत, सभी को बहुत भाते। और ताजा कर देते, उन पुरानी यादें।। याद करो मीरा सूर, और करो रसखान को। हिंदी के गीतों से बना, गये इतिहास को। युगों से गाते आ रहे उनके हिंदी गीत। गाने और सुनने से, मंत्र मुध हो जाते।। मेरा भी आधार है, मातृ भाषा हिंदी । जिसके कारण मुझे, मिली अब तक ख्याति। इसलिए माँ भारती को, सदा नमन करता हूँ। और संजय अपने गीतों को हिंदी में ही लिखता है। हिंदी में ही लिखता है।। मातृभाषा हिंदी को, शत शत वंदन में करता हूँ। और अपना जीवन हिंदी को समर्पित करता हूँ। हिंदी को समर्...
दिल के रिश्ते
गीत

दिल के रिश्ते

संजय जैन मुंबई ******************** अपने बचपन की बातें आज याद कर रहा हूँ। कितना सच्चा दिल हमारा तब हुआ करता था। बनाकर कागज की नाव, छोड़ा करते थे पानी में। बनाकर कागज के रॉकेट, हवा में उड़ाया करते थे। और दिल की बातें हम किसी से भी कह देते थे। और बच्चों की मांग को सभी पूरा कर देते थे।। न कोई भय न कोई डर, हमें बचपन में लगता था। मोहल्ले के सभी लोगों से जो लाड प्यार मिलता था। इसलिए आज भी उन्हें में सम्मान देता हूँ। और उन्हें अपने परिवार का हिस्सा ही समझता हूँ।। जो बचपन की यादों से अपना मुँह मोड़ता है। और उन सभी रिश्तों को समय के साथ भूलता है। उससे बड़ा अभागा और कोई हो नहीं सकता। जो अपने स्वर्णयुग को कलयुग में भूल रहा है।। सगे रिश्तो से बढ़कर होते मोहल्ले के रिश्ते। तभी तो सुख दुख में सदा ही खड़े हो जाते है। और अपनों से बढ़कर निभाते सभी रिश्ते। इसलिए मातपिता जैसे वो सभी लोग होते है। और हमें ये लो...
शिक्षकों से मिला हमें
कविता

शिक्षकों से मिला हमें

संजय जैन मुंबई ******************** दिया मुझे शिक्षकों ने, हर समय बहुत ज्ञान। तभी तो पढ़ लिखकर, कुछ बन पाया हूँ। इसलिए मेरी दिल में, श्रध्दा के भाव रहते है। और शिक्षकों को मातपिता से बढ़ाकर उन्हें सम्मना देता हूँ। जो कुछ भी हूँ मैं आज, उन्ही के कारण बन सका। इसलिए उनके चरणों में, शीश अपना झुकता हूँ।। शिक्षा का जीवन में लोगों, बहुत ही महत्त्व होता है। जो इससे वंचित रहता है जीवन उनका अधूरा होता है। शिक्षा को कोई न बाट और न छिन सकता है। जीवन का ये सबसे अनमोल रत्न जो होता है। धन दौलत तो आती और जाती रहती है। पर ज्ञान हमारा संग देता जिंदगीकी अंतिम सांसों तक।। जितना तुम पूजते अपने मात पिता को। उतना ही गुरुओं को भी अपने दिल से पूजो तुम। देकर दोनों को तुम आदर, एक तराजू में तौलो तुम। दोनों ही आधार स्तंम्भ है, तुम्हारे इस जीवन के। जो हर पल हर समय, काम तुम्हारे आते है। तभी तो मातपिता और, शिक्षक दिवस...
शिक्षकों का योगदान
कविता

शिक्षकों का योगदान

संजय जैन मुंबई ******************** हूँ जो कुछ भी आज मैं, श्रेय में देता हूँ उन शिक्षकों। जिन्होंने हमें पढ़ाया लिखाया, और यहां तक पहुंचाया। भूल सकता नहीं जीवन भर, मैं उनके योगदानों को। इसलिए सदा में उनकी, चरण वंदना करता हूँ ।। माता पिता ने पैदा किया। पर दिया गुरु ने ज्ञान। तब जाकर में बना लेखक, और एक कुशल प्रबंधक। श्रेय में देता हूँ इन सबका, अपने उनको शिक्षकों। जिनकी मेहनत और ज्ञान से, बन गया पढ़ा लिखा इंसान।। रहे अँधेरा भले उनके जीवन में। पर रोशनी अपने शिष्यों को दिखाते है। जिस से कोई बन जाता कलेक्टर, तो कोई वैज्ञानिक कहलाता है।। सुनकर उन शिक्षकों को, तब गर्व बहुत ही होता है। मैं कैसे भूल जाऊं उनको, जिन्होंने हमें योग बनाया है। देकर ज्ञान की शिक्षा, हमें यहाँ तक पहुंचाया है।। शिक्षक दिवस के अवसर पर मैं उन सभी शिक्षकों के चरणों मे वंदन करता हूँ। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के न...
गुरु सेवा
भजन

गुरु सेवा

संजय जैन मुंबई ******************** गुरुदेव मेरे, गुरुदेव मेरे, चरणों में अपने हमको बैठा लो। सेवा में अपनी हमको लगा लो, गुरुदेव मेरे गुरुदेव मेरे। मुझको अपने भक्तो की दो सेवादारी। आयेंगे सत संघ सुनने, जो भी नर नारी, मै उनका सत्कार करूँगा, बंधन बारंबार करूँगा।। गुरुदेव मेरे, गुरुदेव मेरे, चरणों में अपने हमको बैठा लो। मुझको अपने रंग में, रंग लो तुम स्वामी। में अज्ञानी मानव हूँ , तुम अन्तर्यामी। मेरे अवगुण तुम विश्रा दो, मन में प्रेम की ज्योत जला दो।। गुरुदेव मेरे, गुरुदेव मेरे, चरणों में अपने हमको बैठा लो। सेवा में अपनी हमको लगा लो, गुरुदेव मेरे, गुरुदेव मेरे। गुरुदेव मेरे, गुरुदेव मेरे, चरणों में अपने हमको बैठा लो।। परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन...