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Tag: संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया

मॉं कुष्मांडा
स्तुति

मॉं कुष्मांडा

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** नवरात्र चतुर्थ दिवस, मॉं कुष्मांडा आती हो, भक्तों को हर्षाती हो, जय हो कुष्मांडा। गंभीर रोगों से मुक्त कराती हो, ग्रहों के अशुभ प्रभाव से बचाती हो, राग,द्वेष,दुख की देवी हो, भक्तों को देती हो सहारा। तेरे दर्शन पाकर, खुल जाता किस्मत का ताला, भय दूर करती हो माता, सृष्टि की रचना तुम ही तो करती हो। मंद मुस्कान से ही की, समस्त ब्रह्मांड की रचना, जीवन समृद्ध-सुखी बनाती हो, भक्त करे मॉं तेरा पूजन अर्जन। गुड़हल पुष्प अर्पित करें, मालपुआ का भोग लगावे, हाथ जोड़ संगीता सूर्यप्रकाश, शीश झुकावे वंदन, अभिनंदन प्रणाम करें बारम्बार। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। ...
हिन्दी भाषा
कविता

हिन्दी भाषा

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** हिन्दुस्तान की भाषा हिन्दी, भारत मां के माथे पर बिंदी सम, हिन्दी भाषा सहज,सरल, विदेशों में परचम लहराती हिन्दी। हिन्दी रस हैं, अलंकार हैं, दोहा, सोरठा छंद, चौपाई, कुंडलिया हैं। हिंदी रामायण हैं, महाभारत हैं, गीता हैं, वेद हैं, पुराण हैं। हिन्दी भाषा हिन्दुस्तान की धरा हैं, हिन्दी उन्मुक्त गगन हैं, हिन्दी असंख्य तारे हैं, हिन्दी चंदन सम सुगंधित पवन हैं। हिन्दी हिन्दुस्तान की हैं आन-बान, मान-सम्मान, भारत का स्वाभिमान, हिन्दी भाषा हिन्दुस्तान की पहचान हैं, हिन्दी भाषा भारतीयों अभिमान हैं। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्...
गणपति
कविता

गणपति

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** गणपति हैं महान, प्रथम पूजे सारा जहांन, गणपति की भक्ति से न कोई अंजान, आ आए भक्तों के प्रधान, जो पूजे उनका हो कल्यान, गणपति का करें जो ध्यान, उसको होता बुद्धि ज्ञान, हम सब करें गणपति का गुणगान, गणपति लेते भक्तों का संज्ञान, प्रतिदिन सभी भारतवासी करें प्रणाम। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail...
आया माखन चोर कन्हैया
कविता

आया माखन चोर कन्हैया

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** आया माखन चोर कन्हैया, गली-गली, गांव-गांव, शहर-शहर में मच गया शोर, लेकर आया जन्माष्टमी की भोंर, आया माखन चोर कन्हैया, सुनो सब गोर से मथुरा, गोकुल, वृंदावन, ब्रज में सब, जगह ढोल-मंजीरे बज उठे। द्वार-द्वार, नगर-नगर सब लोग, उमंग उत्साह संग नृत्य करें, गायन करें आया माखन चोर कन्हैया, अधरों पर मुस्कान लिए, अधरों पर धर बांसुरी बजाएं, मधुर धुन सुनाएं, सकल भारतवासी, सुन सुध-बुध खो कान्हा छवि निहारें, आया माखन चोर कन्हैया। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा स...
मेरी जिंदगी
कविता

मेरी जिंदगी

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** मेरी जिंदगी एक सुहाना सफर हैं, मेरी जिंदगी ही जीवन-संगीत हैं, मेरी खुशी मेरे परिवार की खुशी, खुशी से ही मेरा मीठा मुंह होता। खुशी की मिठाई, खाना ही हैं मेरे लिए सर्वोपरि, मेरी जिंदगी सुख में एक गीत हैं, दुख में भी एक संगीत हैं। जिंदगी एक मीत हैं, जिंदगी से करो प्रीत, यही हैं सच्ची जीत, गीत गुनगुनाने की रीत। जिंदगी तो बहती सुर सरिता, जिंदगी सप्त सुरों से सजी, सुंदर महफिल हैं, जिंदगी का संगीत, सुरों का साज हैं। यही तो जिंदगी का ताज हैं। जिसने जिंदगी के संगीत को समझा, जिसने जीवन के सप्त सुर को गुनगुनाया। वहीं तो दुख के सुर को सुख-सुर में, परिवर्तन कर जीवन को, गीत और संगीत से सजा पाया। जिंदगी के ढोल को सुर-संगीतमय बजा पाया। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया न...
रोशनी
कविता

रोशनी

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** अपना सूरज खुद बन जाओ। अपने मन-मंदिर में रोशनी, फैलाते चलो दिव्य रोशनी, जगमग करते चलो। अपने कर्म श्रेष्ठ करते चलो। मन सुंदर स्वच्छ बनाओ। फिर स्वत: ही मन उजाला, ही उजाला फैला जाएगा। सेवा भाव रख कर श्रेष्ठ, कर्म करते चलो जिससे, दूसरों के जीवन को सुमन, सा महका कर खुशबू फैला दें। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें ...
पिता
कविता

पिता

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** परिवार का आधार स्तंभ हैं पिता, परिवार का मुखिया हैं पिता, पिता हैं परिवार की बरगद-सी छांव, पिता ढाल हैं, पिता आदर्श हैं। पिता हैं दिये की बाती, जब तक हैं पिता तब तक, जगमगाता हैं परिवार, घर की रौनक हैं पिता, पिता हो चाहे बीमार, परिवार-जनों की खुशी-खातिर, अपने दुख-दर्द छुपाता हैं। कभी-कभी गम के घूंट, अकेले ही पीता हैं। अंतस में हो चाहे तिमिर, अधरों पर लिए मुस्कान, सुगंधित पुष्प-सी महक, महकाता हैं पिता, पिता परिवार का मान हैं। स्वाभिमान हैं। परिवार का ताज-सरताज हैं। पिता हैं परिवार का दिव्य-प्रकाश, अपने कर्तव्य पूर्ण कर, पिता दिये की बाती सम प्रज्ज्वलित हो, प्रकाश फैलाता। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित...
सेवानिवृति की सुहानी बेला
कविता

सेवानिवृति की सुहानी बेला

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** सेवानिवृत्ति की सुहानी बेला आयी। मन में अपार खुशियां छायी। तरूणावस्था में शिक्षक-पद पाया। सतत शिक्षा दे कर्तव्य पथ निभाया। छात्र-छात्राओं के अंतस अज्ञान मिटाया। ज्ञान-दीप से ज्ञान-ज्योति जलायी। शिक्षक बन शिक्षक कहलाया। अपना कर्तव्य निष्ठा, ईमानदारी से निभाया। अपार खुशियों-सम मिठाई खायी। बाधाएं पार करते हुए विजय पायी। बच्चों की अठखेलियां याद आयी। बीमारी में भी कर्तव्य-गीत गायी। छात्र-छात्राओं के उर उच्च स्थान पायी। शिक्षक-रूप में बनी छात्राओं की माई। छात्र-छात्राओं के जीवन में प्रकाश फैलाया। छात्र-छात्राओं की नींव पक्की करवाई। अब स्वयं से बात करने का समय निकाल पाई। स्वास्थ्य के प्रति सचेत हो पाई। प्रभु से जुड़ने का समय निकाल पाई। खुद को योग से जोड़ पाई। परिचय :- श्रीमती संगीता स...
प्रकृति संरक्षण
कविता

प्रकृति संरक्षण

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** प्रकृति का दोहन करते हो, और पर्यावरण दिवस मनाते हो, हम सबको मिलकर, प्रकृति संरक्षण करना है, पेड़-पौधे नित नव लगाना हैं, पेड़ काटने से रोकना हैं, वायु प्रदूषण रोकना हैं, व्यर्थ जल बहने से रोकना हैं, जल संरक्षण का संकल्प लेना हैं। अधिक से अधिक पेड़ लगाना हैं, जन्मदिन पर एक पेड़ अवशय लगाना हैं, यही नारा चहुंओर फैला कर, जन-जन को जागृत करना है, वैवाहिक वर्षगांठ पर, एक पौधा उपहार में भेट देना है, वायु प्रदूषण रोकना हैं, अपने मित्र के जन्मदिन पर, एक पौधा अवश्य भेंट करना है, जो भी फल खाएं, उसके बीज संभाल कर रखना हैं। जब कभी अपने शहर से बाहर जाएं, तो रास्ते में किनारे पर, फेंकते जाना है, अपनी कॉलोनी और पूरे मोहल्ले में संगठित हो, अधिक से अधिक को पौधे लगाना हैं। सारे भारतवासियों क...
हाँ-हाँ अब मैं बासठ की हो गई
कविता

हाँ-हाँ अब मैं बासठ की हो गई

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** हाँ-हाँ अब मैं बासठ की हो गई। अब पहले जैसी कार्य क्षमता कहॉं गई पता नहीं। ना तो सिर में अब पहले जैसे बाल हैं। ना ही अब पहले जैसे फूले हुए गाल हैं। अब तो घने बालों की लंबी चोटी भी नहीं। अब तो पिचके हुए गाल हैं। तरुण अवस्था में जो स्निग्ध, चिकनी त्वचायुक्त चेहरा था। वह भी तो लुप्त हो गया। अब तो मुख पर गहरी आड़ी-तिरछी, रेखाएं दिखाई पड़ती हैं। जैसे कोई उबड़-खाबड़, टूटी-फूटी सड़क। चेहरे पर झुर्रियां दिखने लगी। अब पहले जैसी तीव्र याददाश्त भी नहीं रही। शरीर की त्वचा भी ढीली हो लटकने लगी, मानो किसी ने बहुत ढीले वस्त्र पहन रखें हो। त्वचा तो छोड़ो अब तो शरीर की अस्थियां भी, गठिया रोग से ग्रसित हो गया, कभी हाथ, कभी पॉंव, कभी घुटना, कभी हाथों की उंगलियां, तो कभी पैरों की उंगलियों, में तीव्र द...
हिंदी हिंद देश की भाषा
कविता

हिंदी हिंद देश की भाषा

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** हिंदी हिंदी देश-भाषा, हिंदी हैं हमारी मातृभाषा, हिंदी हैं हमारा मान, हिंदी हैं हमारा स्वाभिमान। हिंदी हैं हिंद देश की शान। हिंदी हैं हिंद का मान। हिंदी हैं हिंद देश की राजभाषा। हिंदी है हिंदी की सर्वोत्तम एकमात्र भाषा। सकल विश्व में सर्वोपरि हैं,हिंदी भाषा। हिंदी वर्णमाला आरंभ होती 'अ' से अनपढ़। हिंदी वर्णमाला अंत होती 'ज्ञ' से ज्ञानी। हिंदी हैं हर जन-जन की भाषा। आओ-आओ हम सब मिलकर, हिंदी भाषा का सम्मान करें। हर जन बोले हिंदी भाषा, हर जन पढ़ें हिंदी भाषा, हर जन लिखें हिंदी भाषा। हिंदी हिंद देश में उन्नति करें नित, हिंदी भाषा से ही हिंद देश विकास करें। हिंदी भाषी हम हिंदुस्तानी हैं। हिंदी भाषा ही हमारी जुबान हैं। हिंदी भाषा हिंद देश में अनेकता में एकता, हिंद देश में विविध भाषाओं ...
भारत का इतिहास
कविता

भारत का इतिहास

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** कभी हम भारतवासियों ने एक, सपना देखा था,चंद्रमॉं पर तिरंगा फहराना, ये भारतीयों का सपना आज पूर्ण हुआ। तेईस अगस्त दो हजार तेईस संध्याकाल। चंद्रयान-तीन चॉंद के धरातल पर आया। भारत में चहुंओर और खुशियां लाया। भारतवासियों के उर अपार आनंद छाया। भारत में नव इतिहास रचाया। सकल विश्व में भारत का सिर गर्व से ऊंचा करवाया। आज अतीत में देखा स्वप्न पूर्ण हुआ। इसरो के वैज्ञानिकों का महत्वपूर्ण योगदान, इन सभी को देते भारतीय हार्दिक बधाई। सारे विश्व को चौका दिया दक्षिण ध्रुव पर, विक्रम को कुशलतापूर्वक पहुॅंचा कर। अब तो हम चाॉंद पर झंडा फहराकर, जन-गण-मन राष्ट्रगान गाऍंगे, राष्ट्रगीत वंदेमातरम गाऍंगे। जय हिंद,जय हिंद गाऍंगे। भारत विश्व गुरु कहलायेगा। भारत की सफलता से हम सब हर्षाऍंगे। हम सभी भारतवासी उ...
प्रकृति संरक्षण
कविता

प्रकृति संरक्षण

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** प्रकृति का दोहन करते हो, और पर्यावरण दिवस मनाते हो, हम सबको मिलकर, प्रकृति संरक्षण करना है, पेड़-पौधे नित नव लगाना हैं, पेड़ काटने से रोकना हैं, वायु प्रदूषण रोकना हैं, व्यर्थ जल बहने से रोकना हैं, जल संरक्षण का संकल्प लेना हैं। अधिक से अधिक पेड़ लगाना हैं, जन्मदिन पर एक पेड़ अवशय लगाना हैं, यही नारा चहुंओर फैला कर, जन-जन को जागृत करना है, वैवाहिक वर्षगांठ पर, एक पौधा उपहार में भेट देना है, वायु प्रदूषण रोकना हैं, अपने मित्र के जन्मदिन पर, एक पौधा अवश्य भेंट करना है, जो भी फल खाएं, उसके बीज संभाल कर रखना हैं। जब कभी अपने शहर से बाहर जाएं, तो रास्ते में किनारे पर, फेंकते जाना है, अपनी कॉलोनी और पूरे मोहल्ले में संगठित हो, अधिक से अधिक को पौधे लगाना हैं। सारे भारतवासियों क...
बारिश की बूॅंदें
कविता

बारिश की बूॅंदें

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** मैं हूॅं बारिश की बूंदें, मैं भी तो प्रभु की सुंदर रचना ही हूॅं। जब सावन की बरसात आती हैं, तब मैं गगन से चलकर। अठखेलियां करती हुई, धरा से मिलन करने आती हूॅं। मैं रिमझिम-रिमझिम वर्षा संग, सबके उर उमंग भरती हूॅं। मैं हूॅं बारिश की बूॅंदें, अति लघु जल कण, अल्पायु हूॅं। मैं धरा पर आकर स्वयं खुश हो, मानव के अधरों पर मुस्कान बिखेरती हूॅं, मैं जब रज में मिलूॅं, सौंधी सुगंध। माटी सी महकाती हूॅं, धरावासियों के तन भिगो रोमांच भरुॅं। मैं हूॅं बारिश की बूॅंदें, जब पेड़, लता, वृक्ष, पत्तों पर गिरती हूॅं। कुछ काल रहती हूॅं, तब भानु प्रकाश किरणें मुझे धवल, सूक्षम मोती सा चमका, मेरा सौन्दर्य बढ़ाती हैं। दादुर, मोर, पपीहा, कोयल, तोता, चिड़िया, मधुर गान करें। मैं हूं बारिश की बूॅंदें, जब मैं ...
हनुमान जन्म
भजन, स्तुति

हनुमान जन्म

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** चैत्र मास पूर्णिमा आई, हनुमान जन्मोत्सव अपने संग लाई। हम सबके उर में अपार आनंद पाई, चहुंओर हर्ष की लहर छाई। हम सब हनुमान जन्मोत्सव धूमधाम से मनाई। हे!हनुमान तेरे दर्शन को नैना तरस गए, हे!पवन पुत्र हनुमान। आज भारत भू जन्मे हो। हे! राम भक्त हनुमान, तुम्हें हम करबद्ध हो सादर करें प्रणाम। सबहि भक्त तेरे चरणों में लिपट जाए। हे!पवन पुत्र तुम तो शंकर अवतारी हो। अंजनी लाल हो जग के तुम, तेरी महिमा अति न्यारी, निराली अनंत। तुम सूरज निगल बजरंगी कहलाए हो। लंका जला सीता सूचना लाए, लक्ष्मण प्राण बचाने, पूरा पर्वत उठा लाए। हम सब तेरा गुणगान करें। ऐसा वरदान दो। घर-घर तेरा नाम करें, दुष्ट दलन तुम कहलाए, भक्तों के कष्ट हरने आए हो। दो शक्ति हमें इतनी अपार, हम तेरी सेवा निस्वार्थ भाव से कर पाए...
नारी का समर्पण
कविता

नारी का समर्पण

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** देखो-देखो नारी समर्पण, इस जग में सबसे न्यारा और प्यारा। इतिहास भी साक्षी है, हर नारी बोले, हर पुरुष नारी तोले, बिन बात पति बोले, पत्नी से हौले-हौले, तुम सारा दिन करती ही क्या हो ? प्रश्न सुन पत्नी का क्रोध खौलें, पत्नी कहे मत दिखाओ, नयनों के गोले, तुम कितने हो भोले, ऐसी कटु वाणी से रिश्ते हो जाते पोले। तुम सब पुरुष पहन लो मानवता के चोल़े, हर्ष से भर लो अपने-अपने झोले। जीवन नैया तुम्हारी क्यों डोले ? यह जानो और समझो। तुम बजाओ शहनाई, और सुंदर जीवन संगीत के ढोलक-ढोले। अपने-अपने अंतस भरे अहंकार कालिमा धौले। हटाओ घृणा, द्वेष, ईर्ष्या के फफोले। समझो नारी समर्पण का मोल, भस्म करो पंच विकार ज्ञान यज्ञों की अग्नि में, मत करो नारी से अति अपेक्षा का लोभ। अब जान भी जाओ और मान भी जाओ। न...
हरिहर संग खेले फाग
कविता

हरिहर संग खेले फाग

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** फागुन आयौ, होली लायौ। मस्ती भरो माहौल चहुंओर छायौ। आओ हम सब हरिहर संग। खेले फाग हम सब गोपियां बन। होली अंतस हर्ष हिलौरें ले अपार। आओ-आओ हम सब हरि संग। खेले ऐसे फाग। खूब ढोल, मंजीरा बजावे। मस्त हो नाचे-कूदे धूम मचावे। लाल, गुलाबी, हरा, पीला। गुलाल हरी मस्तक लगावै। आओ-आओ हम सब। हरिहर संग ऐसी होली खेले। मन मस्त हो। हम सब लाल, हरा, गुलाबी, नीला, पीला रंग पिचकारी। भर-भर हरी बसन पर डारे। हम सब हरिहर के पीछे रंग। डालने पिचकारी ले भागे। हरि हम सब गोपियों से बचने। छुप-छुप जावे। भीगने से बचने और चुपके से हम। गोपियों पर रंग रंगभरी पिचकारी मारे। कभी-कभी हम गोपियों को पकड़। हमारे गाल पर लाल गुलाल लगावे। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : ...
फागुन आया
कविता

फागुन आया

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** फागुन मास आया। संग फाग लाया। चहुंओर हर्ष छाया। होलिका दहन कराया। हम सब वसंतोत्सव मनाए। सकल भारतवासी होली उत्सव मनावै। हम सब लाल, गुलाबी, हरा, नारंगी रंग अरु। गुलाल एक-दूजे के गाल पर मल-मल। सब रंग भर-भर पिचकारी चलावे। होली आपस में प्रेम बढ़ावें। ब्रज, मथुरा, होली राधा-कृष्ण। होली याद दिलावे। ब्रज, गोकुल, वृंदावन, मथुरा। फूलों की होली खूब। धमाल मचावे। लठमार होली खूब धूम मचावै। होली पर शक्ति उर उमंग छावे। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते ह...
कालो के काल महाकाल
भजन, स्तुति

कालो के काल महाकाल

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** कालो के काल महाकाल शिव भोला महान महाकाल महिमा अपरंपार। आज महाशिवरात्रि आई। संग अपने अति उल्लास उमंग लाई। भारत-भू पर शिव भोले अवतरित हुए। हम सब भारतीयों के उर अपार हर्षाए। जन-जन के घट-घट में शिव समाए। हर भक्त शिव भोले। ओम नमः शिवाय की रट लगावे। सबही भक्त भोर से रात्रि तक। शिव भोले का जाप करें। शिव भोले भक्तों का कष्ट हरे। हर पल शिव भोले को सम्मुख पावे। सकल भारत वायुमंडल शिवमय बनावै। मंदिर-मंदिर, घर-घर घंटा-घंटी ध्वनि बाजे। शिव भजन-कीर्तन कर्णप्रिय मन भावे। भांग, धतूरा, आंकड़ा, बेलपत्र। दूध भक्त चढ़ावे। शिव भोले भक्तों के लिए संदेशा लाए। सभी भक्त अपने अंतस भरे। काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार। विकार तज विकारमुक्त पावन। जीवन बना, शिव भोले को पावे। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश ...
सुभाष चंद्र बोस
कविता

सुभाष चंद्र बोस

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** आज राष्ट्रीय पराक्रम दिवस आया। संग अपने सुभाष चंद्र बोस जयंती लाया। हम सबको नेता सुभाष चंद्र बोस याद दिलाया। ऐसा भारत मां का वीर सपूत महान देशभक्त कहलाया। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम महानायक। बनके आया जिसको हम सब भारतीय। करें शत-शत नमन जिसने नारा लगाया। तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा। भारत के युवाओं के रक्त में जोश। जंग का जज्बा संग ऊर्जा भर। देशभक्ति को जन-जन में जगाया। उसने ही आजाद हिंद फौज बनाया। उसने अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने। दृढ़ संकल्प दिखाया। वह कोई साधारण मानव नहीं था। वह तो असाधारण कोई देवआत्मा बन आया था। भारत मां सुभाषचंद्र बोस जैसे वीर सपूत। आज भी अपनी धरा पर चाहती है। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह ...
प्यासी आत्मा
कविता

प्यासी आत्मा

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** प्रेम स्नेह की प्यासी आत्माएं। परमात्मा प्रेम बिन तरसे नित। बिन परमात्मा प्रेम। आत्माओं की प्यास बुझती ही कहां है। आत्माओं की अभिलाषा यही सदा। परमपिता परमात्मा से आत्माओं का मिलन। हो अद्भुत, अनमोल, अतुलनीय, अनुभूति। परमपिता परमात्मा हम। सब आत्माओं का पिता। उसके लिए सभी संतानों के लिए एक। समान प्रेम वह तो प्रेम का सागर है। परमपिता परमात्मा सदा ही सकल। आत्माओं को हर्षित देख-देख मुस्काए। प्रतिदिन मीठे बच्चे, प्यारे बच्चे कह। अमृतवेला वरदान देने आए नित। ज्ञान अमृत का प्याला पिला। प्यासी आत्माओं की प्यास बुझा कर। हर आत्मा को सशक्त, निश्चिंत और निर्भीक बनावे। परम पिता परमात्मा को जो नित पल-पल। स्मृत कर सत्कर्म करे। पंच विकार काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार तज पावन बने। तभी परमपिता परमात्मा सब। ...
मृत्यु की रात
लघुकथा

मृत्यु की रात

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** घर में निर्मला की मम्मी उसका भाई राजू छोटी बहन पिंकी घर में थे। पिता भोपाल से बाहर अपनी छोटी बहन की सगाई करने गए थे। तभी दो और तीन दिसंबर की रात १९८४ को मृत्यु की रात बन कर आई। निर्मला की मकान मालिक ने दरवाजा खटखटाया बोली धुआं-धुआं फैला है और आंखों में जलन हो रही है। जैसे ही दरवाजा खोला तो बाहर भीड़ दौड़े जा रही जान बचाने। निर्मला का भाई भी मोहल्ले वालों के साथ जान बचाने कहां गया पता ही नहीं। निर्मला की मां बहन छोटी अपनी सहेली के घर पहुंचे सहेली से बोली- "चलो हम भी कहीं चलते हैं।" सहेली के पति भी बाहर गए हुए थे। उनके तीन बच्चे थे। वह बोली- "हम कहीं नहीं जाते"। हम तो यही घर में रहते हैं। जिसको भी उल्टी आ रही है। उल्टी घर में ही कर लो, लेकिन घर में ही रहेंगे, तो कम से कम घर वालों को अपनी लाश मरने के बाद मिल तो जा...
गोवर्धन
कविता

गोवर्धन

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** आज आया गोवर्धन पर्व। कार्तिक मास शुक्ल पक्ष एकम तिथि। हम सबके उर आनंद उपजाया। संग अपने हर्ष अपार लाया। चहुंओर उल्लास छाया। हे!कृष्ण मुरारी तुम हो। गोकुल, मथुरा, ब्रज जन उद्धारी। तुमरो जो सुमिरन करे। वाके संकट इक क्षण में दूर करें। हे! कृष्ण मुरारी गोपाल गिरधारी। तुम्ही इंद्रदेव पूजन। जन-जन तै तजवाई। गोवर्धन पूजन शुभारंभ करवाई। इंद्रदेव अहंकार तजवाई। हे! कृष्ण मुरारी, कान्हा। एक कनिष्ठ उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठा इंद्र की अतिवृष्टि से। लोगों को बचाय कै। तुम गोवर्धनधारी कहलाए। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी...
भोर
कविता

भोर

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** अहा! देखो खिड़की से बाहर। कितना सुंदर दृश्य गगन पूर्व दिशा। उदित सूरज अपनी लालिमा युक्त। किरणें फैला भोर होने का संदेशा लेकर आया। रवि निशा की विदाई करे। अरु उषा अभिनंदन करें। सारे संसार में अंतरिक्ष स्थित हो। धरा पर उजियाला फैलाने रवि आया। दिनकर ने हम सबको निंद्रा से जगाया। हम सबको जागृत कर। जीवन चक्रानुसार कर्म पथ पर। कर्म करने हम सबके उर उमंग। ऊर्जा भर जीवन पथ पर अग्रसर करने आया। परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अप...
करवा चौथ
कविता

करवा चौथ

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया भोपाल (मध्यप्रदेश) ******************** आई-आई करवा चौथ आई। संग चौथ माता आशीष देने आई। मैं तो चौथ माता से वरदान मांगू। अखंड सौभाग्य का। मैं तो चौथ माता की पूजन अर्चन करूं। मस्तक झुका अपना सर्वस्व अर्पण करूं। अपनी झोली वरदानो से भर पूर्ण करूं। मैं तो चौथ माता से वरदान मांगू। अखंड सौभाग्य का। मैं तो करवा चौथ पर सोलह सिंगार कर। सर्वस्व समर्पण कर सच्चे हृदय से वंदन करूं। चौथ माता को रिझाऊं अरू प्रसन्न। करने का प्रयत्न सर्वस्व करूं। मैं तो पति के दीर्घायु होने के लिए। निर्जला व्रत रखूं। रात्रि चंद्रोदय होने पर चंद्र को अधर्य दूं। पति को रोली, चंदन, अक्षत, टीका लगा वंदन करूं। पति से आशीष पाऊं। अरू पति नाम का टीका, सिंदूर, महावर, मेहंदी, बिंदी लगाऊं। पायल, बिछिया, चूड़ियां पति। नाम की पहनूं। सदा पहनने का आशीष पाऊं। ...