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Tag: श्रीमती शोभारानी तिवारी

पिता
कविता

पिता

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मां धरती और पिता आकाश है, टिमटिमाते तारों का विश्वास है, पिता रब की,सच्ची अरदास है, जीवन में इनकी जगह, खास है। टूटे हुए मनोबल का सहारा हैं, ऊंगली पकड़ चलना सीखाते है, मां वर्तमान को ही संवारती हैं, पिता भविष्य की चिंता करते है। पिता पतझड़ में भी मधुमास है, माता-पिता ही हमारे भगवान है, जिस घर में पिता का साया न हो वह घर नहीं, उजड़ा रेगिस्तान है। पिता साथ हैं तो दुनिया रंगीन है, वर्ना जीवन में, उदासी के साए हैं, रिश्ते, व्यवहार सब पिता से ही हैं, वर्ना तो सारे अपने भी, पराए हैं। पिता तो बस नाव की पतवार है, उनसे होते सारे सपने साकार है, पिता ही परिवार का पालनहार है वही सिखाते सभ्यता, संस्कार है। पिता से ही बच्चों की पहचान है, मॉ के मंगलसूत्र का वही शान है, हिमालय बनकर रक्षा करते स...
पुस्तकों का जीवन में महत्व
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पुस्तकों का जीवन में महत्व

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है, जो समाज में रहता है, जिसमें रहने के लिए बहुत सी बातों का ज्ञान होना चाहिए। मनुष्य का समाज में सामाजिक और मानसिक विकास भी होता है। पुराने मंदिर और इतिहास की चीजें नष्ट हो जाती है, लेकिन किताबों में सब कुछ सुरक्षित रहता है, जिसके द्वारा हम इतिहास के विषय में जान सकते हैं। अगर पुस्तक ना हो तो हम बहुत सी बातें हैं बातों से अनजान रह जाएंगे। जिस प्रकार तन को स्वस्थ रखने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार मन को स्वस्थ रखने के लिए साहित्य की आवश्यकता होती है। जीवन की वास्विकता का अनुभव करने के लिए पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए। यह भी नहीं भूलना चाहिए कि पुस्तकें ही हमारे ज्ञानकोष का भंडार है। पुस्तक इंसान की सबसे अच्छी मित्र है, हमेशा पास रहती है, वह बिना बोले ही सब कुछ कह जाती ह...
वसंत पर सरस्वती पूजा क्यों?
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वसंत पर सरस्वती पूजा क्यों?

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर (मध्य प्रदेश) ********************                     बसंत पंचमी हिंदुओं के प्रमुख त्यौहार में से एक है। वसंत ऋतु के आगमन पर उत्सव मनाने का यह दिन वसंत पंचमी है। एक पौराणिक कथा है, कि जब ब्रह्मा जी ने संसार की रचना की थी, तो उन्होंने देखा कि पूरी सृष्टि मूक है। यहां कोई बात नहीं कर रहा है, फिर ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल छिड़का, और एक सुंदर स्त्री चार भुजाओं के साथ प्रकट हुई। उसके एक हाथ में वीणा थी। जब उन्होंनेे वीणा बजाई, तब उसकी आवाज इतनी मधुर थी, कि सृष्टि में स्वर आ गया। ब्रह्मा जी ने इस देवी को सरस्वती का नाम दिया। उसके बाद से इस दिन को वसंत पंचमी के तौर पर मनाया जाता है। मॉ सरस्वती ज्ञान की देवी है, इसकी वजह से मां सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन पीले रंग का विशेष महत्व माना गया है। मां की पूजा करने से ज्ञान का विस्तार होता है, स...
अक्षय तृतीया
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अक्षय तृतीया

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** अक्षय तृतीया वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। इस दिन जो दान पुण्य किया जाता है, उसका फल अक्षय होता है, ऐसी मान्यता है, कि इस दिन को शुभ माना जाता है क्योंकि इस दिन मुहूर्त निकालने की आवश्यकता नहीं होती, इसलिए गृह प्रवेश से लेकर शादी तक अक्षय तृतीया को करना चाहते हैं। अक्षय तृतीया के दिन आज भी गांव में बाल विवाह करने की प्रथा है। बाल विवाह करने और करवाने वालों को भले ही दंड मिलता है, परंतु इसके बावजूद भी अक्षय तृतीया के दिन बहुत सी शादियां होती हैं। यह एक कुरीति है, क्योंकि १८ वर्ष से कम उम्र के बच्चे नाबालिक समझे जाते हैं, और इस उम्र में लड़कियों की शादी के करने के किसकी पढ़ाई रुक जाती है और उसका शरीर भी गर्भधारण करने के लिए भी तैयार नहीं होता। कम उम्र में शादी होने से ना ही रुतबा होता है, न ही श...
होली में
कविता

होली में

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** ईर्ष्या द्वेष को मिटा दे होली में, नफरत की दीवार गिरा दें होली में, प्रेम सहिष्णुता को अंगीकार करें, जीवन को रंगीन बना दे होली में। जीवन के वृंदावन में, रंगों की बौछार, हवा के रथ पर रंग अबीर, उड़ते घर- घर द्वार, सत्यम शिवम -सुंदरम सा, सुंदर हो विचार, सुदृढ़ एकता के बंधन में, बंध जाए संसार, रंग-भंग और मस्ती के संग, फाग गाएं होली में, जीवन को रंगीन, बना दे होली में। सुख समृद्धि हो जीवन में, चारों ओर प्रकाश, ढोल नगाड़ों के संग नाचे, मन में हो उल्लास, तन-मन केशरिया हुआ, जीवन हुआ मधुमास, आसमान रंगीन हुआ, धरती हुई पलाश, अहं के पर्वत को पिघला दे होली में, जीवन को रंगीन बना दे होली में। परिचय :- श्रीमती शोभारानी तिवारी पति - श्री ओम प्रकाश तिवारी जन्मदिन - ३०/०६/१९५७ जन्मस्थान - बिलासपुर छत्तीसगढ़ शिक्षा - एम.ए समाजश शास्त्...
स्वाभिमान
कहानी

स्वाभिमान

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ********************                                                           सीमा एक पढ़ी-लिखी बेटी थी, वह एक प्राइवेट स्कूल में नौकरी करती थी। स्कूल के बच्चों की चहेती टीचर थी। बच्चे उसे बहुत प्यार करते थे। माता-पिता ने बहुत अच्छा लड़का देखकर उसकी शादी कर दी। माता-पिता को अपने बेटी पर पूर्ण विश्वास था, कि वह अपने ससुराल में सबका दिल जीत लेगी, और कुछ ऐसा काम नहीं करेगी, जिससे उसके स्वाभिमानको चोट पहुंचे। वह बहुत जल्दी अपने ससुराल में घुल मिल गयी। सब उसे प्यार करते थे, केवल छोटी नंनद को छोड़कर। नंनद रानी हमेशा उसे नीचा दिखाने की कोशिश में लगी रहती, और ऐसा कार्य करती जिसेसे उसके अहम को ठेंस लगता, लेकिन वह परिवार में एका बना रहे, इसलिए रानी की बातों का बुरा नहीं मानती, हंसकर टाल देती थी। सीमा समझदार थी, वह जानती थी कि परिवार में रिश्तों को बनाए रख...
आखिर कब तक
आलेख

आखिर कब तक

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ********************                                                           बेटियों के साथ हर दिन कई घटनाएं घट रही है, आज यहां तो कल वहां। कभी रेप के बाद उन्हें जिन्दा जला दिया जाता है, कभी उनकी जीभ काट ली जाती है, हड्डियां तोड़ दी जाती हैं, उन्हें मरने पर मजबूर कर दिया जाता है। जो बेटियां मर रहीं हैं, वह बेटियां घर की रौनक, मां बाप के दिल की धड़कन और देश और समाज का हिस्सा थी, उनके हिस्से में आता है केवल मौत, और अगर मारने वालों को सजा होती भी है तो उन्हें बचाने के लिए नेता पहुंच जाते हैं फिर कुछ दिनों बाद वे वहशी दरिंदे स्वच्छन्द घूमने लगते हैं। आखिर हमारा समाज कहां जा रहा है। अभी-अभी हमने नवरात्रि मनाई है ,और कन्या पूजन भी किया है, उनका यह परिणाम कि एक बेटी को सरेआम गोली मार दी गई। आखिर कानून सबके लिए एक जैसा क्यों नहीं है? वहां भी बड़ा ,छोटा...
आओ इस बार अपने मन के अंदर बैठे हुए रावण का अंत करें
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आओ इस बार अपने मन के अंदर बैठे हुए रावण का अंत करें

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ********************                                                           हम हर वर्ष दशहरा में बुराई का प्रतीक रावण का पुतला जलाते हैं। पुतलों की ऊंचाई हर बार बड़ी और बड़ी होती जाती है। रावण का पुतला दहन कर हम अपने आप को राम के तुल्य मान लेते हैं, और खुश हो जाते हैं। आपको मालूम है कि रावण अपने बड़ी-बड़ी आंखों को दिखाकर और बड़े बड़े दांत दिखाकर जोर-जोर से हंसता है, और कहता है कि रे! मानव तुम लोग मुझे जिंदा जला नहीं सकते, इसलिए कागज का जला कर ही खुश हो जाते हो। मैं मरता कहां हूं? मैं तो हर वर्ष और अधिक शक्तिशाली होकर तुम्हारे सामने प्रकट हो जाता हूं, और तुम लोग मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते। सही भी तो है कि अगर हम अपने अंदर बैठे हुए रावण (बुराई) का अंत कर दे, तो फिर रावण के पुतले को जलाने की आवश्यकता ही नहीं होगी। आज हर मानव के मन में दानव कुण्डली...
वही दर्द
लघुकथा

वही दर्द

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ********************                                                            मोना को आज ट्यूशन से घर आने में देर हो गई, जैसे-तैसे वह जल्दी जल्दी चलने लगी तो तेज आंधी शुरू हो गई। उसकी किताबें बिखर गई और तेज बारिश के कारण लाइट भी चली गई। वह बहुत डर गई। अंधेरा हो गया था कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, जैसे तैसे वह एक ऑटो आकर रुका, उसने कुछ कहा नहीं और ऑटो में बैठ गई। भैया तिलक नगर जाना है, जी मैडम वह सोच रही थी कि, अच्छा हुआ ऑटो मिल गया वर्ना आज तो मुश्किल हो जाती। कुछ दूर जाने के बाद ऑटो वाला सुनसान रास्ते पर ले जाने लगा। भैया आटो रोको, आप मुझे कहां ले जा रहे हो? ऑटो वाले ने शांति से कहा कि, मैडम मेन रोड से ले जाऊंगा, तो पुलिसवाले रोकेंगे और प्रश्न पूछेंगे। आपको और देर हो जाएगी।इसलिए मैं दूसरे रास्ते से ले जा रहा हूं। आप निश्चिंत रहिए मैं आपको घर तक छ...
श्राद्ध या दिखावा
लघुकथा

श्राद्ध या दिखावा

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ******************** मीनू ने रानू से कहा, रानू चलो बाजार चलते हैं। "क्यों? अरे! तुम्हें नहीं मालूम क्या? श्राद्ध पक्ष चल रहा है। ढेर सारी सब्जियां, मिठाइयां, फल, सूखे मेवे लाना है। और उपहार में देने के लिये कपड़ें बर्तन तथा सोने व चांदी के आभूषण भी तो लेना हो। भाई हम तो अपने सास-ससुर का श्राद्ध उत्सव के जैसा मनाते हैं। दो ढाई सौ लोगों को खाना खिलाते हैं, गरीबों को दान करते हैं। मंदिर में चढ़ावा देते हैं, तभी तो हमारे पूर्वज खुश होते हैं और हमें आशीर्वाद देते हैं। क्यों रानू हमने तो तुम्हें कभी सास-ससुर का श्राद्ध करते नहीं देखा? अरे भाई इतनी भी क्या कंजूसी है? अरे भाई इतना जो कुछ है आखिर उन्हीं का तो दिया हुआ है। रानू के मुंह से तपाक से निकल गया। भाभी मैंने अपने सास- ससुर को जीवित में ही तृप्त कर दिया था। इसलिए उनका आशीष तो सदा मेरे साथ है। रानू ने...
शिक्षक
कविता

शिक्षक

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ******************** अंधकार था मेरा जीवन, मैं मूर्ख अज्ञान था, चैतन्य प्राणी होने पर भी, मैं सबसे अंजान था, जिसने दिशा का ज्ञान कराया, मानो उसका एहसान, इसीलिए तो सब करते हैं, शिक्षक का सम्मान। हम गीली मिट्टी के पुतले, हर पल उन्होंने हमें संभाला, हाथों से आकृति बनाई, फिर सांचों में हमको डाला अपना सर्वस्व समर्पित, तभी बने महान, इसीलिए तो सब करते हैं, शिक्षक का सम्मान। खुशबू के बिना फूल अधूरा, हरियाली के बिना चमन, जल के बिना अधूरी मछली, गुरु के बिना अधूरा जीवन कलपतरु के जैसे हैं वे, असंख्य गुणों की खान, इसीलिए तो सब करते हैं, शिक्षक का सम्मान। शिक्षक साहिल है नैयाके, वही राष्ट्र निर्माता हैं, इस देश के कर्णधार, भारत के भाग्य विधाता हैं, उनके चरणों में नतमस्तक, कोटि-कोटि प्रणाम, इसीलिए तो सब करते हैं, शिक्षक का सम्मान। परिचय :- श्रीमती शोभारानी तिवार...
वीर शहीद
कविता

वीर शहीद

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ******************** जन्म से मृत्यु तक मैं फर्ज निभा ऊंगा, अपना जीवन मां को अर्पण कर जाऊंगा, मां तुम ना रोना, उदास ना होना विश्वास तुम रखना, मैं फिर से आऊंगा। जो वीर वतन पर, शहीद हो गए, आंचल छोड़ मां की गोद में सो गए, खून के कतरे कतरे से इतिहास जो रचा, वही दुनिया की पहचान हो गए, उनके पद चिन्हों पर चल इतिहास दोहराऊंगा, विश्वास तुम रखना मैं फिर से आऊंगा। वीरों की बदौलत यह देश खड़ा होता है, सीमा पर देते पहरे, तब देश चैन से सोता है, यादों में मां, पत्नी न ही लाल होता है, मातृभूमि की रक्षा का सवाल होता है, श्रद्धा के सुमन उनके चरणों में चढ़ाऊंगा, विश्वास तुम रखना मैं फिर से आऊंगा। कुर्बानियों से उनके, आजादी पाई है, मुफ्त में नहीं मिली इसकी कीमत चुकाई है, फांसी पर झूले ,सीने में गोली खाई है, तब तीन रंग की विजय पताका गगन में फहराई है, तो मां के माथे पर ख...
रक्षाबंधन
कविता

रक्षाबंधन

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ******************** आज हर्षित बेला में, पुलकित है तन मन, खुशियां लेकर आया है, यह रक्षाबंधन, सूरज की स्वर्णिम किरणें, सुंदर लग रही, भाई बहन का प्यार है, त्यौहार है पावन। स्नेह का धागा जिसमें, छुपा हुआ है प्यार, वर्ण ,धर्म जाति से ऊपर, उठकर यह त्यौहार, खुशियां बांधी बहना ने, भाई की कलाई पर प्यार के धागे में बंधा, है सारा संसार, सावन की रिमझिम फुहार, संग सुरभित है चमन, खुशियां लेकर आया है, यह रक्षा बंधन। रक्षा का धागा बांध, माथे तिलक लगाती है, आरती उतारती है, मिठाई भी खिलाती है, लंबी उम्र की प्रार्थना के लिए, दुआ करती है, कर्त्तव्य का बोध करा, मन में विश्वास जगाती है, कुलदीपक है घर का, भैया तुम्हें नमन, खुशियां लेकर आया है, यह रक्षाबंधन। नेक राह पर चलकर, सबका आदर करना तुम, माता-पिता क्रोधित हों तो भी चुप रहना तुम, वृद्धाश्रम की दीवार, गिरा सको तो ग...
रिश्तो की डोर
लघुकथा

रिश्तो की डोर

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ******************** मां के ना रहने के बाद रक्षाबंधन में पहली बार सुनीता ४ वर्ष के बेटे देवांश के साथ अपने मायके जा रही थी। अंदर ही अंदर एक अजीब सा डर और घबराहट हो रही थी, कि पता नहीं भैया और भाभी मेरे साथ कैसा व्यवहार करेंगे। मेरा वैसा सम्मान होगा भी या नहीं, जैसे मां के रहने पर होता था। इसी सोच में डूबी थी, कि स्टेशन आ गया। जैसे हीइधर उधर नजर दौड़ाई वैसे ही कुछ परिचित आवाज कानों में सुनाई दी।सुनीता लाओ सामान मुझे दे दो। जैसे ही आगे बढ़ी तो सामने भैया को देखकर अच्छा लगा। घर पहुंचते ही भाभी ने बहुत अच्छा व्यवहार किया। राखी के दिन सुनीता मां की तस्वीर के सामने हाथ जोड़कर खड़ी थी, तभी भैया ने आवाज लगाई और उस उसकी आंखों से अश्रु धारा बहने लगी। भैया ने दुलारते हुए कहा, बहना हमारे रहते हुए तुम अपने को अकेला मत समझना। उसने भैया को राखी बांधी। भैया, भाभ...
डॉक्टर्स भगवान
कविता

डॉक्टर्स भगवान

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ******************** एक भगवान ने जन्म दिया, दूजा डॉक्टर भगवान हैं, बीमारियों का इलाज करके, देते जीवनदान हैं। अपनी अमृतवाणी से, लोगों में उत्साह जगाते, आप ठीक हो जाएंगे, यह विश्वास जगाते हैं, कर्म योद्धा है देश के, उन की अलग पहचान है। एक भगवान ने जन्म दिया दूजा डॉक्टर भगवान हैं। दिन-रात इलाज करते, अपना फर्ज निभाते हैं, मौत को गले लगाकर भी, औरों की जान बचाते हैं, गर्व है हमें डॉक्टर पर, पर वह भी तो इंसान हैं, एक भगवान ने जन्म दिया, दूजा डॉक्टर भगवान हैं। सैनिक सीमा की रक्षा करते, देश को बचाने में, डॉक्टर अपनी ड्यूटी करते, रोगियों को बचाने में, तो उनके उपकारों को न भूलें, वे दुनिया में महान है, एक भगवान ने जन्म दिया, दूजा डाक्टर भगवान है। परिचय :- श्रीमती शोभारानी तिवारी पति - श्री ओम प्रकाश तिवारी जन्मदिन - ३०/०६/१९५७ जन्मस्थान - बिलासपुर छत्तीसग...
सावन आयो रे
कविता

सावन आयो रे

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ******************** सावन आयो रे, सावन आयो रे, उमड़ घुमड़ कर आई बदरिया, आसमान में छाई बदरिया, चम-चम चम-चम बिजुरिया चमके, तन-मन को हर्षाए बदरिया, पशु-पक्षी नर-नारी सभी की, प्यास बुझायो रे, सावन आयो रे। छम-छम-छम पानी की बूंदे, घुंघरू की तान सुनाएं, पुरवइया के मस्त झकोरे, कानों में बंसी बजाए, भर गए सारे ताल-तलैया, बच्चे कागज की नाव चलाए, बरखा की ठंडी फुहार, तन-मन को हर्षाए, रंग उमंग और मस्ती के संग, गीत मल्हार गायो रे, सावन आयो रे। इठलाती बरखा की बूंदे, जब धरती पर आती है, महक जाती है, सौंधी खुशबू से, हरियाली छा जाती है, कल-कल स्वर में बहती नदियां, मधुर संगीत सुनाती है, हरित वर्णों में लिपटी वसुंधरा, दुल्हन सी शर्माती है, वृक्ष लताएं झूम-झूम आनंद मनायो रे, सावन आयो रे, सावन आयो रे। . परिचय :- श्रीमती शोभारानी तिवारी पति - श्री ओम प्रकाश तिवारी जन्...
पिता
कविता

पिता

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ******************** मां धरती पिता आकाश है, टिमटिमाते तारों का, अटूट विश्वास है, पिता रब की, सच्ची अरदास है, जीवन में पिता की जगह खास है। टूटे हुए मनोबल का सहारा है, मार्गदर्शक बन राह दिखाता है, मां वर्तमान तो पिता, भविष्य की चिंता करता है। पतझड़ में मधुमास है, उदास होठों की मुस्कान है, जिस घर में पिता नहीं, वह घर रेगिस्तान है। पिता है तो जीवन रंगीन है, वर्ना उदासी के साए हैं, रिश्ते नाते सब पिता से, वर्ना अपने भी पराए हैं। पिता नाव की पतवार है, पिता से ही सपने साकार है, पिता परिवार का पालनहार है पिता से ही रिश्ते में व्यवहार है। पिता से ही बच्चों की पहचान है, मंगलसूत्र की शान है, हिमालय बन परिवार की रक्षा करता है, मां प्यार पिता संस्कार है, पिता से ही है इठलाता बचपन है, रंगीन जवानी है, वर्ना नींद नही आंखों में, उदासी की कहानी है। माता पिता स्नेह का...
दर्द लघुकथा
लघुकथा

दर्द लघुकथा

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ******************** मुन्नी चलो, रमा सब सामान रख लो। राजू को गोदी में बारी-बारी से उठा लेंगे। मुन्नी ने कहा, कहां चले बापू ? रमेश ने कहा, हम अब यहां नहीं रहेंगे। इस शहर ने हमें दिया ही क्या है ? १० वर्ष हो गये, हम यहां कमाने खाने के लिए अपने गांव से शहर "मुंबई "आए थे। इन १० वर्षों में मेहनत और परिश्रम किया भवन का निर्माण किया। कभी गुंबद पर चढ़कर, कभी मंदिर के नींव में दबकर, लेकिन लॉक डाउन में जब लोगों की बारी आई तब हमारा ख्याल रखने को कोई नहीं आया। सबने हाथ झटक दिए। तीन दिनों से हम भूखे और प्यासे हैं। कोई पानी तक को पूछने नहीं आया। सेठ ने हमें नौकरी से निकाल दिया। अब क्या करें? तो हमें हमारा गांव ही दिखाई दे रहा है। धीरे से रमा ने कहां, लेकिन हम गांव जाएंगे कैसे? ट्रेन, बस तो चल नहीं रही है। रमेश ने जवाब दिया, अभी हमारे हाथ पैर सही सलामत हैं। हम पैद...
धरती का सम्मान
कविता

धरती का सम्मान

पेट की आग बुझाने को मजबूर हैं, जनसंख्या का बड़ा भाग मजदूर है, लाकडाउन में भूखे प्यासे सो जाते हैं, अपने घर, गांव, शहर से दूर हैं। चिलचिलाती धूप में नंगे पांव चले, छालों की चिंता किए बिना मजदूर चले, सिर पर गठरी, हाथ में सामान लिए, बच्चों के संग सड़क नापते कोसों दूर चले। कहीं मीनार चढ़े, तो कहीं, मंदिर के नींव में दबे, दर्द सहा गालियां खाई और अपमानभी सहे, पसीने की हर बूंद भी बहा दिया हमने, अभावों में अधनंगे चिथड़ो से तन ढके। जीवन जीने को शहर आए थे, जिंदगी बचाने को घर लौट चले, दर्द की पुकार कोई सुने नहीं, बेबस, दुखी और लाचार हो चले। एक दूजे का हाथ पकड़कर जाएंगे, रोटी के लिए भगवान से भी लड़ जायेंगे, अपनी भुजाओं पर भरोसा है हमको, दो जून की रोटी प्रेम से कमा कर खाएंगे। . परिचय :- श्रीमती शोभारानी तिवारी पति - श्री ओम प्रकाश तिवारी जन्मदिन - ३०/०६/१९५७ जन्मस्थान - बिलासपुर छत्तीसगढ़ शिक्षा - ए...
मजदूर
कविता

मजदूर

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ******************** पेट की आग बुझाने को मजबूर हैं, जनसंख्या का बड़ा भाग मजदूर है, लाकडाउन में भूखे प्यासे सो जाते हैं, अपने घर, गांव, शहर से दूर हैं। चिलचिलाती धूप में नंगे पांव चले, छालों की चिंता किए बिना मजदूर चले, सिर पर गठरी, हाथ में सामान लिए, बच्चों के संग सड़क नापते कोसों दूर चले। कहीं मीनार चढ़े, तो कहीं, मंदिर के नींव में दबे, दर्द सहा गालियां खाई और अपमानभी सहे, पसीने की हर बूंद भी बहा दिया हमने, अभावों में अधनंगे चिथड़ो से तन ढके। जीवन जीने को शहर आए थे, जिंदगी बचाने को घर लौट चले, दर्द की पुकार कोई सुने नहीं, बेबस, दुखी और लाचार हो चले। एक दूजे का हाथ पकड़कर जाएंगे, रोटी के लिए भगवान से भी लड़ जायेंगे, अपनी भुजाओं पर भरोसा है हमको, दो जून की रोटी प्रेम से कमा कर खाएंगे। . परिचय :- श्रीमती शोभारानी तिवारी पति - श्री ओम प्रकाश तिवारी...
मां तो बस मां होती है
आलेख

मां तो बस मां होती है

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ******************** बच्चा जब जन्म लेता है तो सबसे पहले मां की गोद को ही अपनी दुनिया समझता है। मां बच्चे को दूध पिला देती है, और वह तृप्त हो जाता है। गोद में अपने आप को सुरक्षित महसूस करता है। मां का अर्थ है ममता का भाव। मां शब्द सुनकर खुशी होती है। मां तो अपने बच्चे को तब से प्यार करती है, जब बच्चा उसकी कोख में होता है। बच्चे की हर धड़कन में मां का श्वास होता है। बच्चा मां का स्पर्श पहचानता है। ईश्वर द्वारा प्रदत्त अनुपम कृति उपहार है मां ईश्वर नहीं तो ईश्वर ने अपनी जगह मां को ही भेज दिया। मां मामता और वात्सल्य से परिपूर्ण होती है। मां परिवार के नींव का पत्थर होती है, जिस पर परिवार रूपी महल मजबूती से खड़ा रहता है। मां बच्चे को सभ्यता और संस्कृति की घुट्टी पिला-पिला कर बड़ा करती है। मां मैं विनम्रता, दया, त्याग, करुणा क्षमा इत्यादि गुण विद्यमान होते...
मैं मजदूर हूं
कविता

मैं मजदूर हूं

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ******************** हां मैं मजदूर हूं, हां मैं मजदूर हूं, समुद्र की छाती चीरकर, बांध बनाया, अपने हाथों से, सृष्टि का निर्माण किया, चट्टानों को काटकर,राह बनाई, रेगिस्तान को, हरा भरा किया, फिर भी आत्म सम्मान, से दूर हूं। हां मैं मजदूर हूं, हां मैं मजदूर हूं। अन्न उगाता हूं धरती से, पर भूखा रह जाता हूं, औरों के तन ढकता वस्त्रों से, बिना कफन मर जाता हूं, पेट की आग बुझाने को, मैं मजबूर हूं, हां मैं मजदूर हूं, हां मैं मजदूर हूं। निर्धन का खून चूस-चूस कर, अपना घर ही भरते हैं, नागों जैसा फन फैलाए, मजदूरों को डरते हैं, जिंदगी का बोझ कंधों पर उठाता हूं, हां मैं मजदूर हूं, हां मैं मजदूर हूं। जिनका वर्तमान गिरवी, भविष्य अंधकार है, धरा बिछौना छत आसमां, ना कोई बहार है, बोल ना पाता मालिक के आगे, अपना सर झुकाता हूं, हां मैं मजदूर हूं, हां मैं मजदूर हूं। . प...
ज्ञान का भंडार है पुस्तक
कविता

ज्ञान का भंडार है पुस्तक

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ******************** ज्ञान का भंडार है, भाषाओं का विस्तार है, जीवन के नींव का पत्थर, प्रगति का आधार है। ज्ञान का फैला प्रकाश, सभ्यता का हुआ विकास, डूबेंगे जितना मिलेगा उतना, भूगोल विज्ञान का इतिहास। पढ़ लिखकर बने बुद्धिमान, यथार्थ से होती पहचान, चिंतन भी संभव है, मानव का होता कल्याण। विचारों में परिवर्तन हो जाता, अंधकार दूर हो जाता, पुस्तक के प्रभाव से, पूरा जीवन ही बदल जाता। एक अच्छी मित्र बनकर, मन को आनंदित करती है, प्रेम करना सिखाती, शब्द को आकार देती है। दुःख सुख मेंसमभाव रखती, नैतिकता का पाठ पढ़ाती है, चुपचाप रहती नहीं बोलती, बिन बोले सब कह जाती है। उपनिषद और पुराण रामायण गीता और कुरान, धर्म ग्रंथ सबसे महान हर ग्रंथ को मेरा प्रणाम, हर ग्रंथ को मेरा प्रणाम। . परिचय :- श्रीमती शोभारानी तिवारी पति - श्री ओम प्रकाश तिवारी जन्मदिन - ३०/०६/१९५७ ज...
मां
कविता

मां

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ******************** मां पूरे कुनबे को, प्रेम सूत्र में बांधे रखती है, निःस्वार्थ भाव से बच्चों का, लालन-पालन करती है, अपने आंचल की छांव में सुरक्षित रखती है, खुद पतझड़ सहकर, सबको बहार देती है। मां से ही रंगीन सुबह, सुहानी शाम है, मां से ही जीवन में उत्थान है, ऋषि-मुनि भी उनके आगे, सिर झुकाते हैं, क्योंकि इस धरती पर, मां सबसे महान है। लक्ष्य को चुनौती बनाकर, आगे बढ़ती जाती है, परिवार के नींव का, पत्थर होती है मां, टूटे हुए मनोबल का, विश्वास है धड़कते हुए दिलों का, श्वास है मां। मां के चरणों में जन्नत, चारों धाम हैं, हसीन हैं सपने, सुहानी शाम है , मां शब्द में सारा ब्रह्माण्ड है मां के चरणों में, बारम्बार प्रणाम है। . परिचय :- श्रीमती शोभारानी तिवारी पति - श्री ओम प्रकाश तिवारी जन्मदिन - ३०/०६/१९५७ जन्मस्थान - बिलासपुर छत्तीसगढ़ शिक्षा - एम.ए समाज...
जिंदगी बचाना है
कविता

जिंदगी बचाना है

श्रीमती शोभारानी तिवारी इंदौर म.प्र. ******************** मजबूत इरादों संग, कोरोना को हराना है, अनमोल है ये जिंदगी, इसको हमें बचाना है। कठिन समय है लेकिन, हम भी तो कमजोर नहीं, प्राकृतिक आपदा का, होता किसी पर जोर नहीं, हम सब मिलकर, एकता की मिसाल देंगे, हवा में जहर घुल रहा, जिसका ओर छोर नहीं, बार-बार हाथ धोएं, स्वच्छता अपनाना है, अनमोल है ये जिंदगी, इसको हमें बचाना है। संक्रमण के बचाव में, घर पर ही रहना होगा, हाथ नहीं मिलाना, अपनी संस्कृति अपनाना होगा, काल बनकर घूम रहा है यह कोरोना, पास-पास नहीं हमको, दूरी अपनाना होगा, भारत में आशा के, दीप जलाना है, अनमोल है यह जिंदगी, इसको हमें बचाना है। . परिचय :- श्रीमती शोभारानी तिवारी पति - श्री ओम प्रकाश तिवारी जन्मदिन - ३०/०६/१९५७ जन्मस्थान - बिलासपुर छत्तीसगढ़ शिक्षा - एम.ए समाजश शास्त्र, बी टी आई. व्यवसाय - शासकीय शिक्षक सन् १९७७ से वर्तमान म...