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Tag: श्रीमती निर्मला वर्मा

ममता भरे आंचल को पहचानो
कविता

ममता भरे आंचल को पहचानो

श्रीमती निर्मला वर्मा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** हे महिलाओं .... ओ महिलाओं .... ममता भरे माँ के मन और आंचल को पहचानो, सौम्य आवरण से तन-मन संभालो। विष फैल रहा वासना का इन दृश्यों से, अपनी अस्मिता के साथ इस समाज को बचा लो।। हिम्मत है जब इतनी कि धरती से आसमान तक फहराए हैं तुमने परचम, हिम्मत को हिकारत में ना बदलो कि, लाज में डूब जाए नारी का धरम। लाचार ना बनो इतनी कि तन की ही कीमत रह जाए, मन दब जाए इतना कि रिश्तो की बलि चढ़ जाए। तन ढल जाएगा जब, कीमत भी चली जाएगी। रिश्तो की छांव के लिए जिंदगी तरस जाएगी।। रुको .... जरा सुनो इस अर्थ के अंधड़ से बचकर उस मार्ग पर चल दो, जिस मार्ग में तुमने शासन को संभाला है, आसमान में अंतरिक्ष की ऊंचाई को नापा है, कितने 'तुलसी' को महामार्ग दिखलाया है, महापुरुषों की जननी का महाश्रेष्ठ पद पाया है, ...
दामिनी की आवाज
कविता

दामिनी की आवाज

श्रीमती निर्मला वर्मा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** लगता है पौरुष की परिभाषा बदल रही है बहन बेटी की रक्षा और दुलार की जगह हवस की भावना पनप रही है लगता है पौरुष की परिभाषा बदल रही है क्या वक्त, क्या जगह, क्या उम्र, क्या ब्याहता, कुमारी कन्या या वृद्धा सभी पर वासना कहर ढा रही हैं लगता है पौरुष की परिभाषा बदल रही है एक "शक्ति" का प्रतीक पर छः छह दानवों ने अपनी घिनौनी ताकत दिखाई पुरुष होने की क्रूर से क्रूरतम हैवानियत दिखाई नारी की सुरक्षा खतरे में दिख रही है लगता है पौरुष की परिभाषा बदल रही है उन दरिंदों के लिए अबला असहाय होने लगी, किंतु उसकी "कराह" सिहिनी की गर्जना बनी दामिनी नाम दिया है उसकी आह को क्योंकि दामिनी जब कड़कती है गरजती है तो आसमान से धरती को हिला देती है आज इस धरती की "दामिनी" ने हिला दिया है देश को क्षण भर की ...