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Tag: श्रीमती आभा चौहान

रस्मो रिवाज
कविता

रस्मो रिवाज

श्रीमती आभा चौहान अहमदाबाद (गुजरात) ******************** यह रस्मो के बंधन है प्यार के धागे न जाने क्यों लोग इससे है दूर भागे ये रस्में कोई बेड़िया नहीं यह तो अपनी संस्कृति अपनी पहचान है पाश्चात्य संस्कृति को छोड़ो अपने देश का यह अभिमान है प्रेम से अपनाओगे गर इन्हें तो अपनों का मिलेगा प्यार रस्में निभा लोगे हंसते हुए तो खुश होगा सारा परिवार हां कभी-कभी इन को निभाने में शायद होता है थोड़ा मुश्किल पर है तो यह संस्कार हमारे हम सबकी रगो में हैं शामिल यह एक रस्म ही तो है , भाई के सर पर बंधा हुआ सेहरा कलाई पर बंधी राखी भाई के प्यार हो जाता है इससे और गहरा कितनी सुंदर है यह रस्मे दिल से इन्हें अपना लो दूर मत भागो इनसे गले से अपने लगा लो। परिचय :- श्रीमती आभा चौहान निवासी :- अहमदाबाद गुजरात घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भ...
अन्नदाता
कविता

अन्नदाता

श्रीमती आभा चौहान अहमदाबाद (गुजरात) ******************** हम सबका अन्नदाता किसान है कहलाता अपनी कड़ी मेहनत से रोटी देता सारे जग को पर उसका परिवार कोसता है अपनी किस्मत को न जाने कितनी मेहनत कर इस फसल को है उगाता बंजर धरती को भी पुकारता है कहकर माता जो सब को भरपेट है खिलाता वो कभी कभी खुद भूखा है सो जाता हमारे देश का किसान जो रोज हल चलाता है इतनी मेहनत करने पर भी कितना कम वो पाता है सारा देश भूखा मरेगा अगर किसान यू आत्महत्या करेगा। हम सबको मिलकर हर किसान को बचाना है अपने अन्नदाता को उसका हक दिलाना है। परिचय :- श्रीमती आभा चौहान निवासी :- अहमदाबाद गुजरात घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिंदी रक...