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Tag: शुभा शुक्ला ‘निशा’

जन्मदाता पिता-माता
कविता

जन्मदाता पिता-माता

शुभा शुक्ला 'निशा' रायपुर (छत्तीसगढ़) ******************** जग के प्यारे दो इंसान देते हमको जीवन दान एक है ममतामई मा और दूजे पिता महान प्रेम करना हमे मां सिखलाती पिता परिस्थितियों का सामना मा से हम निर्मलता पाते पिता से जीवन ज्ञान एक है ममतामई मां.... ऊपर से तो सख्त ही रहते बच्चे उनके हिय में बसते अपने कवच बने रहते जो पिता सुधरढ चट्टान एक है ममतामई मां.... पिता हमारे संबल होते मनोबल अपना बढ़ाते रहते उनके दम पर ही हम पाते जग के सुख आराम एक है ममतामई मां.... जग के प्यारे दो इंसान जिनसे मिली हमको पहचान एक है ममतामई मां और दूजे पिता महान परिचय :-  शुभा शुक्ला 'निशा' जन्म - २५-६-१९६६ पति - शरद शुक्ला पिता - श्री जे एन तिवारी माता - श्रीमती श्यामा तिवारी निवासी - रायपुर (छत्तीसगढ़) शिक्षा - बी.काम,एम.ए. हिन्दी साहित्य ,पी.जी.डिप्लोमा इन कंप्यूटर साइंस संप्रति - विश्व मैत्र...
प्रकृति  का कहर
कविता

प्रकृति का कहर

शुभा शुक्ला 'निशा' रायपुर (छत्तीसगढ़) ******************** आधुनिक परिवेश में प्रदूषण हमारी प्रमुख समस्या पर्यावरण सूरक्षित नहीं, नहीं सुरक्षित देश की प्राकृतिकता एक ओर तो चीखते रहते, हम सब पर एहसान जता कर प्लास्टिक का विरोध दिखाते जहां तहां जुलूस निकाल कर हर सरकार आती जाती अपने जलवे बिखेर के जाती पर जो आवश्यक तत्व हैं उनपर उनकी नजर ना जाती जनता भी ना अपनाये पर्यावरण के स्वस्थ उपाय स्वयं तो कुछ कर नहीं पाते एक दूजे पे उंगली उठाए सरकार के साथ हमें भी स्वच्छता का मूलमंत्र याद रखना होगा गीला कचरा सूखा कचरा अलग रखने का सतर्कता से पालन करना होगा पर्यावरण को बढ़ाने दोस्तो एक एक पेड़ लगाना है रास्ते गलियां घर चौबारो में शीतल बयार बहाना हैं प्लास्टिक की मोहमाया को आज भी हम सब तज नहीं पाये यदा कदा डिस्पोज़ल कैरी बैग प्लास्टिक के अपने काम ही आएं जो हम ध्यान ना रख पाए तो भुगतान हमे ही करना ...
मेरी मम्मा
कविता

मेरी मम्मा

शुभा शुक्ला 'निशा' रायपुर (छत्तीसगढ़) ********************   मेरी मम्मा प्यारी मम्मा तुझसे जग देखूंगी मम्मा कोख में तेरी रहकर जाना जग से न्यारी मेरी मम्मा तेरे शीतल सुंदर मनोभाव ने मुझमें कोमल आत्मिक संस्कार जगाया मेरे लिए जग से लडने के अद्भुत विचार ने मुझमें भी आत्म विश्वास जगाया तू तो मेरी जननी है तू साक्षात जगजननि है मैं जनम लूगी ऐसी धरा पर जहां सृष्टि की रचयिता जननी है है इतना विश्वास कि तू मां मुझको इस संसार में लायेगी अभूतपूर्व सौंदर्य और रहस्यों से परिपूर्ण जहां की सैर करायेगी पर दुनिया के तानों की तु बिल्कुल परवाह नहीं करना 'बेटी जन दी' के पत्थर खाकर कोख में मेरा वध मत करना मैं तो तेरी लाडली हूं मां मैं जग से निराली तेरी राजकुमारी पाप ना लेना भ्रुण हत्या का विनती करे सुत आज तिहारी तुम तो मेरी प्यारी मम्मा आज के युग की नारी हो लड़ जाओगी सारे जग से मां तुम ईश्व...
लॉकडाउन
कविता

लॉकडाउन

शुभा शुक्ला 'निशा' रायपुर (छत्तीसगढ़) ******************** https://www.youtube.com/watch?v=v4wPeqvbsdw   लॉकडाउन लॉकडॉउन शहरवासियों लगा है लॉक डाउन सावधान सावधान देशवासियों हो जाओ लॉक डाउन हल्के में ना कोरोना को लो शहरवासियों घर से ना निकलो बेफिकर रायपुर वासियों एक एक से होके ये सबको करता है बीमार सावधान .... मुंह पे लगाके मास्क बाहर निकलना है साबुन से हाथ बार बार हमको धोना है संकट की घड़ी टालने अब हो जाओ तैयार सावधान ... एक चीन ही क्या काम था दुश्मनी भंजाने को ऊपर से ये जमाती हैं पीड़ित बढाने को। इंसानियत को भूल के बैठा है ये इंसान सावधान .... छतीसगढ में मातम ज्यादा नहीं हुआ औरों की अपेक्षा हमने कम ही है खोया तो क्यूं निकल के जिंदगी को कर रहे बर्बाद सावधान .... छत्तीसगढ़ तो किस्मत से था बड़ा धनी भूपेश जी के जैसा पाया मुख्यमंत्री महामारी के खिलाफ किया जंग ए एलान सावधान साव...
मां और ममता
दोहा

मां और ममता

शुभा शुक्ला 'निशा' रायपुर (छत्तीसगढ़) ******************** माता ऐसी छावनी जा में कुटुंब समाए अपने बच्चो के गुण अवगुण छाती में लेत बसाय माता ऐसी शख्सियत जिसके सामने कुछ भी नहीं सारी दुनिया चूक करे पर मां कभी गलती करती नहीं सबसे पहले जन्म देकर लाती हमे इस दुनिया में कैसे कैसे कष्ट भोगकर पालती हमें इस दुनिया में बच्चे उसके कैसे भी हों होते उसकी आंख के तारे बेटी हो या फिर हो बेटा दोनों उसको जान से प्यारे यशोमती मैया बनकर कान्हा को माखन रोटी खिलाती महिषासुरमर्दिनी बनके फिर भक्तों को दुष्टों से बचाती लाख बुराई हो औलाद में पर वो किसी की नहीं सुनती उसकी अंधी ममता के आगे किसी की नहीं चलती मां का है अद्भुत दरबार जिसमें त्याग प्रेम और बलिदान जिसने जो चाहा वो पाया मिलता उसे पूरा सम्मान मदर टेरेसा भी इक मां थी करुणामयी ममता की मूरत कितने भूखे नंगों ने देखी इनमें अपनी मां की सूरत अपनी मां की क...
हे मां शेरावाली
कविता

हे मां शेरावाली

शुभा शुक्ला 'निशा' रायपुर (छत्तीसगढ़) ******************** काल के फंदे से हमको छुडाओ हे मां शेरावाली।। करोना के पंजे से हमको बचालो हे वैष्णव महारानी मां...... हे शारदे किरपा करो महामाई बचा लो मैंया छुडा लो भैया चरणों में तेरी जयकार जयकार रे... हे शारदे... धरती पे कैसा वाइरस आया मौत का खतरा छाया मुंह फैला कर मासूमों को अपना ग्रास बनाया तुझपे सबकी है श्रद्धा अपार बचालो मैया छुड़ा लो मैया चरणों में तेरे जयकार जयकार रे... हे शारदे... वैसे तो इंसा ने खुद अपने पाव कुल्हाड़ी दे मारी जैसी उसकी करनी थी तो ये सजा भी कम ही है माई सबका जीवन हुआ दुश्वार बचा लो मैया छुड़ा लो मैया चरणों में तेरी जयकार जयकार रे... हे शारदे... तुम हो हमारी प्यारी माता भक्तो की दुख हरता जिसका नहीं गर कोई जगत में तेरे प्रेम से भरता अपने बच्चो को तू ही सम्हाल ओ शेरा वाली, पहाड़ा वाली चरणों में तेरी जयकार जयकार री हे...