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Tag: शिवेंद्र शर्मा

कविता पर कविता
कविता

कविता पर कविता

शिवेंद्र शर्मा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** अन्तर्मन के भावों का, स्पन्दन कविता होती है l दुखित हृदय की पीड़ा का, क्रंदन कविता होती है l लोभ लुभावन शब्दों से, न कविता निर्मित होती है l पोथी, पुराण के पढ़ने से, कविता लिखी न होती है ह्रदय से निकले भावों को, शब्द, पंख मिल जाते हैं l तब सतरंगी आसमान में, ज्ञान का शंख बजाते हैं l जब अनीति और अधर्म, यहाँ हावी होने लगता हैं l शोषण, अत्याचारों पर, जब खून उबलने लगता है l जब घोर निराशा के बादल, ऊपर मंडराने लगते हैं, रोते-रोते जब पीड़ित के, नैना पथराने लगते हैं l जब दुखियारी जनता भी, दो रोटी पाने तरसती है l पालक, पोषक प्रकृति ही, जब आँसू झरने लगती है l तब कवि ह्रदय की पीड़ा, कविता बन कर आती है l लाने समाज में परिवर्तन, अपना धर्म निभाती है l परिचय :-  शिवेंद्र शर्मा पिता : स्व. श्री भगव...
नव बर्षाभिनन्दन
कविता

नव बर्षाभिनन्दन

शिवेंद्र शर्मा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** जो फिजा है द्वेष नफरत की, वो अब होना नहीं चाहिए। पाई जो उपलब्धियां हमनें, उन्हें यूं खोना नहीं चाहिए। जुर्म और अत्याचार हुए बहुत, अमन चैन अब होना ही चाहिए। त्रस्त हैं, हैवानियत की दास्तानों से, आदमी में आदमियत होना ही चाहिए। शहरों में गंदगी और दिमाग में फितूर, जो हुआ अब तक, होना नहीं चाहिए। नहीं है हम, किसी से कम जहाँ में, देश का मान, कम होना नहीं चाहिए। स्वच्छ हो भारत, पर्यावरण सुधरे, सबको स्वस्थमय, अब होना ही चाहिए। न हो प्राकृतिक आपदाओं से तबाही, नववर्ष सबको सुखद होना ही चाहिए। परिचय :-  शिवेंद्र शर्मा पिता : स्व. श्री भगवती प्रसाद शर्मा जन्म दिनांक : २७/११/१९६३ गुना (म. प्र.) निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) प्रकाशित पुस्तकें : दस्ताने जबरिया, बीन पानी सब सून, सब पढ़ें आगे बढ़ें, उज्जैनी महिमा एवं ...
पृथ्वी दिवस मनाएँ…. पर्यावरण बचाएँ….
कविता

पृथ्वी दिवस मनाएँ…. पर्यावरण बचाएँ….

शिवेंद्र शर्मा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** जल, जंगल और जमीनें, प्राणाधार हमारे हैं। पूजनीय थे पहले सब, अब हम इनके हत्यारे हैं बंजर होती धरती को, रेगिस्तान नहीं बनने देंगे। बहुत हुई है बर्बादी, अब पेड़ नहीं कटने देंगे। पर्यावरण से है जीवन, इसकी रक्षा करनी होगी। गाँव-गाँव से शहरों तक, अलख जगानी ही होगी। परिचय :-  शिवेंद्र शर्मा पिता : बी.पी. शर्मा जन्म दिनांक : २७/११/१९६३ निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश) प्रकाशित पुस्तकें : दस्ताने जबरिया, बीन पानी सब सून, सब पढ़ें आगे बढ़ें, उज्जैनी महिमा एवं अन्य १२५ कविताएं व गीतों की रचना आदि। सम्मान : ४० राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय सम्मान सम्प्रति : सिविल इंजिनियर (भारत सरकार) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अ...
कोरोना दूर भगाना है
कविता

कोरोना दूर भगाना है

शिवेंद्र शर्मा इंदौर (मध्य प्रदेश) ******************** जाग उठो, अब जाग उठो, हम सबकी जान बचाना है, इस कोरोना महामारी से, भारत को मुक्त कराना है। इटली, चीन सी दशा देश की, अब न देखी जाती है, कीड़े, मकोड़ों की नाई, ये मौत न देखी जाती है। देख के मंजर अति भयानक, फिर तुम्हे समझाना है, इस कोरोना महामारी से,.... घर में ही रहना है भाई, बाहर नहीं निकलना है साबुन लगा के बार बार, हाथों को धोते रहना है दूर ही रहना है सबसे, नहिं करीब अब आना है इस कोरोना महामारी से,.... बहुत जरूरी होने पर ही, तुमको बाहर जाना है निकलो मास्क पहन कर ही, फिर जल्दी घर में आना है। आई भीषण विपदा से, सबको हमे बचाना है। इस कोरोना महामारी से,... जरा सी लापरवाही भी, मँहगी बड़ी पड़ सकती है। खुद के साथ साथ मुसीबत, घर वालों की बड़ सकती है। जरा सी दिक्कत होने पर, डॉक्टर को दिखलाना है। इस कोरोना महामारी से, भारत को मुक्त कराना है...