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Tag: शाहरुख मोईन

डूबी बस्तियां सैलाब में
ग़ज़ल

डूबी बस्तियां सैलाब में

शाहरुख मोईन अररिया बिहार ******************** बड़ी उम्मीदों से जिंदगी का सफर कटता है, डूबी बस्तियां सैलाब में मेरा घर कटता है। बद जुबानों पे अब लगाम लगाया जाए, खबर है तुम्हें? ज़हर से ज़हर कटता है। कैसे कटती है मुफलिसी में जिंदगी देखो, इस दौर में शरीफ लोगों का ही सर कटता है। किताबें हैं नहीं मय्यसर गरीबों को, इसी कशमकश में कितना हुनर कटता है। कितने दर्द मिलते है जाफरानी बस्ती में, किसी का रेत में भी सफर कटता है। हो इनायत जहनी खुदादाद अब शाहरूख पे, इंकलाबी लहजों से जालिम का पर कटता है। वेवहर लड़खड़ाती, है अब ग़ज़ल मेरी, इसी पेशोपेश में जैरो-जबर कटता है। परिचय :- शाहरुख मोईन निवासी : अररिया बिहार घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि रा...
एक रात आप …
ग़ज़ल

एक रात आप …

शाहरुख मोईन अररिया बिहार ******************** साहब एक रात आप यतीमखाने में रहिए, दौलत के भूखे न बन खुदगर्ज जमाने में रहिए। हर शहंशाह ने लिखवाए कसीदे अपने दौर में, चर्चे रहे फकीरों के फकीर बन ज़माने में रहिए। मेरे संगे बुनियाद की तामीर में तो पत्थर नहीं है, आप हुजूर एक रोज मेरे भी गरीबखाने में रहिए। प्यार खुलूस इज्ज़त चाहत सब है मेरी बस्ती में, त्यौहार में कभी आप मेरे आशियाने में रहिए। मुसीबतों से जो लड़ते-लड़ते फौलाद बना हूं मैं, लाख हो नशा दौलत का मगर पैमाने में रहिए। तख्तियां कितनी भी हो मगर दरार नहीं मुझ में, वो शख्स जैसा हो आप रिश्ता निभाने में रहिए। मेरे घर के तमाम पाए ज़मींदोज़ हो चुके आब, आप सच लिख के जालिम के निशाने में रहिए। खुले आसमान में रहते हैं बहुत से लोग शाहरुख़, कभी एक रात आप उनके शामियाने में रहिए। परिचय :- शाहरुख मोईन निवासी : अररिया...
बड़ी उम्मीदों से जिंदगी का सफर कटता है
ग़ज़ल

बड़ी उम्मीदों से जिंदगी का सफर कटता है

शाहरुख मोईन अररिया बिहार ******************** बड़ी उम्मीदों से जिंदगी का सफर कटता है, डूबी बस्तियां सैलाब में मेरा घर कटता है। बद जुबानों पे अब लगाम लगाया जाए, खबर है तुम्हें? ज़हर से ज़हर कटता है। कैसे कटती है मुफलिसी में जिंदगी देखो, इस दौर में शरीफ लोगों का ही सर कटता है। किताबें हैं नहीं मय्यसर गरीबों को, इसी कशमकश में कितना हुनर कटता है। कितने दर्द मिलते है जाफरानी बस्ती में, किसी का रेत में भी सफर कटता है। हो इनायत जहनी खुदादाद अब शाहरूख पे, इंकलाबी लहजों से जालिम का पर कटता है। वेवहर लड़खड़ाती, है अब ग़ज़ल मेरी, इसी पेशोपेश में जैरो-जबर कटता है। परिचय :- शाहरुख मोईन निवासी : अररिया बिहार घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि रा...
बदली आबो-हवा देख रहा हूं
ग़ज़ल

बदली आबो-हवा देख रहा हूं

शाहरुख मोईन अररिया बिहार ******************** शहर की बदली आबो-हवा देख रहा हूं, बीमारों की कतारें हाथों में दवा देख रहा हूं। मुर्दा खोर इंसानों से मिलना है तो देखिए ये बस्ती, कितने इंसानों को पूछते मैं रास्ता देख रहा हूं। खुशियों के आंसू गम के आंसू देख रहा हूं, कितने लबों पे अभी उसका चर्चा देख रहा हूं। इंसानों की लुटती दुनियां जंगली बस्ती देख रहा हूं, कदम-कदम पर पैसों को रुपए बनते देख रहा हूं। आनी जानी दुनिया में बैठा तमाशा देख रहा हूं, सोच में हूं हकीकत देख रहा हूं या सपना देख रहा हूं। बेरोजगारों की बस्ती में भुखे सियार कितने हैं, मिट्टी के इंसानों को "शाहरुख" खाते मुर्दा देख रहा हूं। परिचय :- शाहरुख मोईन निवासी : अररिया बिहार घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अप...
मुकतदी बनते हैं हालात
ग़ज़ल

मुकतदी बनते हैं हालात

शाहरुख मोईन अररिया बिहार ******************** मुकतदी बनते हैं हालात ग़म इमामत करते हैं, हर रोज फरिश्ते टूटी झोपड़ी की जियारत करते हैं। पहन के कीमती लिवास कुछ लोग दिखाबत करते हैं, जर्रे-जर्रे में है खुदा तभी तो हम कहीं भी इबादत करते हैं। अमीरे शहर खुश हैं अब बादशाहत पे अपनी, हमको नाज़ है घर में हमारे बच्चे शरारत करते हैं। जो बदल सकते नहीं हालात तो जुल्म करना छोड़ दो, फिर ये न कहना इंकलाबी लोग बगावत करते हैं। तेरी मनमानी से गिरा सकते नहीं हम अपने हद को, पारखी लोग पारखी नजर कब कोयले की तिजारत करते हैं। मुफलिसी में नहीं जलते कितने घरों के चूल्हे, शाहरुख मेरी कौम में ऐसे लोग भी सदारत करते हैं। परिचय :- शाहरुख मोईन निवासी : अररिया बिहार घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
मंचो पे कसीदे पढ़ के
कविता

मंचो पे कसीदे पढ़ के

शाहरुख मोईन अररिया बिहार ******************** मंचो पे कसीदे पढ़ के इतना बेकार नही बनना, झूठी खबरों की रद्दी झूठा अख़बार नही बनना। जब तक सांसे होगी, इंकलाबी बातें होगी, अमीरों की तारीफ करु, ऐसा मक्कार नही बनना। हमारी आवाज़ से पिघलते है फौलाद जूल्म के, लगड़ी, गूंगी, सियासत के प्यादो, के गले का हार नही बनना। छीनने से हक मिलेगा, ये तुम जान लो, मुल्क में नफरत फैलाऊ ऐसा सरदार नही बनना। भूखे, नंगे, गरीबो, बेघर लोगो का, साथी बनना है, चंद पैसों के खातीर, हमको ज़ालिम का हथियार नही बनना। अपनी फकीरी में खुश हूं ईमान के साथ, कड़वी बातें होगी, हमको बेईमानो का राजदार नही बनना। नफरत बोने वाले के घर में बीज बहुत है, अमन फैलाना है शाहरुख हमको सरकार नही बनना। परिचय :- शाहरुख मोईन निवासी : अररिया बिहार घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार स...
दर्द सहना, दर्द लिखना मेरी पहचान रहने दो …
ग़ज़ल

दर्द सहना, दर्द लिखना मेरी पहचान रहने दो …

शाहरुख मोईन अररिया बिहार ******************** दिल में खौफ ए ख़ुदा मंदिर में भगवान रहने दो, करम इतना तो हो हमारे सब अरमान रहने दो। रोटी की कीमत, भूख की तलब पूछिए गरीब से, बेघर खुश हूं ऊंचे महलों के तो दरबान रहने दो। ठोकड़ों में जी रहे लिवास दवा न दुआ मिलती है, खुली किताब हूं मेरे सर पे आसमान रहने दो। लफ्जों का कोई ख़ास नायाब कारीगर नहीं हूं मैं, दर्द सहना दर्द लिखना मेरी ये पहचान रहने दो। परिचय :- शाहरुख मोईन निवासी : अररिया बिहार घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने ह...
बात जो भी कहते है, सच ही कहते है …
कविता

बात जो भी कहते है, सच ही कहते है …

शाहरुख मोईन अररिया बिहार ******************** बात जो भी कहते है, सच ही कहते है, गुलाब को तुम फूल, हम पंखुड़ी कहते है। ये माना हम तेरी , मुहब्बत के तलबगार नही है, फिर भी तुझको, अपनी जिंदगी कहते है। हम नही जानते पेंचो-रवम, इश्क के मगर, इश्क वालों को ही हम, आदमी कहते है। जल रहा है, अब शहर , नफरतों के कारोबार से, ऐसे लोगों को हम , सियासत के कारोबारी कहते है। हर शिकारी से अव्वल है, एक शिकारी भी अब, पल में बदले रुख हवा का, उसे ही बाज़ीगरी कहते है। तेरे नैनों नक्श को, तराशा नही हमने, रूह डालें जो पुतलो में मिट्टी के, उसे कारीगरी कहते है। गुनाह-ए-मुहब्बत हम भी, कभी-कभी करते है, बातें मुहब्बत की मगर, शहर में बन के अजनबी करते है। कितने पागल थे वो लोग, जिसने बुझा ली लौ जिंदगी की, शाहरुख़ इसी बात को तो मुहब्बत में खुदकुशी कहते है। परिचय :- शाहरु...
हम अपना मुकद्दर जो आजमाने लगे
कविता

हम अपना मुकद्दर जो आजमाने लगे

शाहरुख मोईन अररिया बिहार ******************** हम अपना मुकद्दर जो आजमाने लगे, मेरे अजीज हाथों में खंजर उठाने लगे। हवाओं में फैला है जो नफरती ज़हर, जलता देख घर मेरा वो जो मुस्कुराने लगे। खौफ के साए में हर लम्हा है कैद अब, बहसी लोग ख़ुद को जो ख़ुदा बताने लगे। मजबूर, लाचार, ग़रीबों की है किस्मत, त्योंहारों में भी वो जो आंसू बहाने लगे। कुछ बंदिशे हो हवावाजों की जुबां पे, वो पागल ख़ुद को जो ख़ुदा बताने लगे। मयस्सर हो तमाम खुशियां गमखारो को, कुछ बेईमान अब ख़ुद को जो रहनुमा बताने लगे। परिचय :- शाहरुख मोईन निवासी : अररिया बिहार घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकत...
आसारे क़यामत
कविता

आसारे क़यामत

शाहरुख मोईन अररिया बिहार ******************** जुल्म बढ़ेगा ईमान में ख़यानत आएगी, तभी तो दुनिया में कयामत आएगी। जुबानों में कड़वाहट लहजों में सख्ती, बेईमानों में बहुत दिखावत आएगी। खुशियों के दीप बुझाने वाले पैदा होंगे, पढ़े-लिखो में भी ज़हालत आएगी। जो रब खफा होगा तो बदलेगी सूरत, खामोश लहजों में भी बगावत आएगी। जुल्म बढ़ेगा, गरीबों, बेजुबानों पर, इन्सानों के लहजे में अदावत आएगी। सरियत से बेहतर, है नहीं कानून कोई, रस्ते में मेरे हर रोज सियासत आएगी। कांटे भी चुभते हैं अक्सर गुलाबों को, कातिल बना के बीच में अदालत आएगी। शाहरुख़ दागदार है गिरेबा अपना भी, शर्मसार होगी इंसानियत ऐसी दिखावत आएगी। . परिचय :- शाहरुख मोईन अररिया बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, ...
उजड़ी उजड़ी बस्ती
ग़ज़ल

उजड़ी उजड़ी बस्ती

शाहरुख मोईन अररिया बिहार ******************** उजड़ी उजड़ी बस्ती बिखरे पत्थर देख रहा हूं। मैं भी ज़ालिम का लश्कर देख रहा हूं। सोच में हूं कब बदलेगा मुकद्दर गरीबों का, धनवानों के हाथों में जो मैं खंजर देख रहा हूं। भूख गरीबी में उनको बेघर देख रहा हूं, हीरे-मोती वाली धरती को मैं बंजर देख रहा हूं। फटे लिवास बेरोजगारों की कतारें ये कैसा मंज़र, सियासी चेहरों में मैं अजगर देख रहा हूं। नकली दुध, ज़हरीला खाना, कसाई डॉक्टर, बापु मैं भी तेरे तीनों बंदर देख रहा हूं। महंगाई की मार, भ्रष्टाचार की लाठी, हाल गरीबों के क्यों इतने बदतर देख रहा हूं। कांटी जो ज़ुबान उसने तो कलम कहां गूंगी है, शाहरुख़ तुझमें पौरस भी, तुझमें सिम्न्द्र देख रहा हूं। . परिचय :- शाहरुख मोईन अररिया बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हि...
जमीर बेचकर
ग़ज़ल

जमीर बेचकर

शाहरुख मोईन अररिया बिहार ******************** जमीर बेचकर रकासो के बाजार में आ जाऊ, बुजदिल नहीं जो तेरे अख़्तियार में आ जाऊ। जब तलक लिखूंगा, सच्चाई ही लिखूंगा, वो प्यादा नहीं मैं, तेरे साथ सरकार में आ जाऊ। ये सच है तुम हमें दहस्तगर्द बना दोगे, क्या पता बनावती खबरों के साथ अख़बार में आ जाऊ। बेईमानों गद्दारों के साथ नहीं चलता मुझे, मुफलिसी में बेशक, सरे बाजार में आ जाऊ। जमीन दोज हो जाएगी, तेरे जुल्म की ईमारत, बांध के जो मैं सर पे, दस्तार में आ जाऊ। सबसे अफजल है मालिक मेरा जहां में शाहरुख़, खताए सारी माफ अदब से जो, उसके दरबार में आ जाऊ। . लेखक परिचय :- शाहरुख मोईन अररिया बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहान...
कसीदे पढ़ के
कविता

कसीदे पढ़ के

शाहरुख मोईन अररिया बिहार ******************** मंचो पर कसीदे पढ़ के इतना बेकार नहीं बनना, झूठी खबरों का रद्दी झूठा अख़बार नहीं बनना। जब तक सांसे होगी इंकलाबी बातें होगी, अमीरों की तारीफ करूं ऐसा मक्कार नहीं बनना। हमारी आवाज से पिघलते है फौलाद जुल्म के, लंगड़ी गूंगी सियासत के गले का हार नहीं बनना। छीनने से हक मिलेगा ये तुम जान लो, मुल्क में नफरत फैलाऊ ऐसा सरदार नहीं बनना। भूखें, नंगें, गरीबों,वेघर लोगों का साथी बनना है, चंद पैसों के खातिर हमको जालिम का हथियार नहीं बनना। अपनी फकीरी में खुश हूं, ईमान के साथ, कड़वी बातें होगी हमको बेईमानों का राजदार नहीं बनना। नफरत बोलने वालों के घर में बीज बहुत है, अमन फैलाना है शाहरुख हमको सरकार नहीं बनना। . लेखक परिचय :- शाहरुख मोईन अररिया बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित ...
हम भी कुछ जरा
ग़ज़ल

हम भी कुछ जरा

शाहरुख मोईन अररिया बिहार ******************** अब हम भी कुछ जरा बेहतर लिखते है, तभी तो सोने को पीतल मोम को पत्थर लिखते है। फरेब मक्कारी साजिश होती रहती है, तभी तो हम हाथों में उनके खंजर लिखते है। कतरे को दरिया कहे है दुनियां सारी, रब की रज़ा को हम समुंद्र लिखते है। मुफलिसी ने समेटे रखा मुझको दायरों में, जख्मों को कुरेद के ही बातें बेहतर लिखते है। आलम ये मेमना बन के जी रहे है लोग, जहरीली सियासत को हम अजगर लिखते है। दर्द जो लिखता हूं गरीबों के, पढ़ के खुश है सब, जालिम दुनियां कहती है हम पीकर लिखते है। शाहरुख छोड़ो ना उम्मीदें ये तो फर्क है, कागजों पे दर्द हम बहुत सहेजकर लिखते है। . लेखक परिचय :- शाहरुख मोईन अररिया बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख...
चुभो के जहरीले नश्तर
कविता

चुभो के जहरीले नश्तर

शाहरुख मोईन अररिया बिहार ******************** सबब कोई हो हम फलक का गिला नहीं करते, सच है हम अब दोस्तों से ज्यादा मिला नहीं करते। चुभो के जहरीले नश्तर उसने जख्मी किया हमको, सब देखे हैं वो तभी हम कोई फैसला नहीं करते। अब के दौर में कुछ सय्याद, कुछ जल्लाद है, दुश्मन है जान के, दिल से वो मिला नहीं करते। दौलत, शोहरत, इज़्ज़त, सबकुछ लुटाया उसपे, वो हसीन कातिल है कभी वफ़ा नहीं करते। तमाम बंदिशों की जंजीरे तोड़ के आया था मैं, इश्क वाले जाने हैं मोहब्बत में लोग क्या नहीं करते। मजनू, रांझा, रोमियो, फरहाद, अपने दौर के आशिक थे, लैला, हीर, जुलिये,शीरी, वो होती तो क्या नहीं करते। दामने इश्क पे लगें दाग़, बरसाए दुनियां ने पत्थर, नफरत करने वाले शाहरुख़ किसी का भला नहीं करते। . लेखक परिचय :- शाहरुख मोईन अररिया बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं...
चापलूसी नहीं हुई मुझसे
कविता

चापलूसी नहीं हुई मुझसे

शाहरुख मोईन अररिया बिहार ******************** चापलूसी नहीं हुई मुझसे, सो हूं पीछे मैं इस जमाने में। मयकशी चीज़ है खराब बहुत, तुम न जाना शराबखाने में। कामयाबी नहीं मिली मुझको, आज तक साथ तेरा पाने में। क्या दिखाऊंगा राह में तुझको, मैं तो नाकाम हूं जमाने में। मैंने घर पर बुलाया है उसको, वो है मजबूर आज आने में। जिसकी फुरकत में जान दी मैंने, था वो सबसे अलग ज़माने में। लेखक परिचय :- शाहरुख मोईन अररिया बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख...
हर तरफ अंधेरा
ग़ज़ल

हर तरफ अंधेरा

********** शाहरुख मोईन अररिया बिहार हर तरफ अंधेरा नफरतों का उजाला है, इन्हीं ठोकरों ने मुझको हमेशा संभाला है। कसीदे कैसे लिखते हम उनके खातिर, अब ऐसे लोगों क तो अंदाज निराला है। अब नफरतों के बीज बिखेरे जा रहे है, ऐसे सांपों को जो हम सबने पाला है। दिल में दगा और जुबां है शीरी उसकी, जालिम का हुकूमत में अब बोलबाला है। पहन के लिवास सफेद वो मसीहा बने है, मन मैला तो दिल उसका बड़ा काला है। गरीबों की बस्ती में बेरोजगारों की कतारें, मयस्सर नहीं अब भुखो को निवाला है। दुनियां के सितम से इस कद्र टूटा शाहरुख, बालिद की दुआ मां के हौसलों ने संभाला है। लेखक परिचय :- शाहरुख मोईन अररिया बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहा...
बापू जी
कविता

बापू जी

********** शाहरुख मोईन अररिया बिहार बापू जी कैसे समान करूं मैं तेरी उन सीखों का, मुल्क तो कर्जदार है अब भी भगत सिंह के चिखो का। जवान लाशों के सौदागर थे तब भी सियासतदान, बेईमानों ने बेईमानी की कब बदला हिंदुस्तान। जहरीली सियासत में देखो बांग्लादेश और पाकिस्तान, बेटे आज दुश्मन हो गए, जो थे ज़िगर ए हिंदुस्तान। आजाद भारत का पहला आतंकी कौन था, अहिंसा प्रेमी बापू का कातिल था वो, गोडेस उसका नाम। मुल्क के ज़र्रे ज़र्रे में वीरों ने प्राण गंवाए, ज़िक्र उसका ही हो,ता जो थे बेरिस्टर सियासतदान। आज के दौर में चंद नाम ही दिखते हैं शाहरुख़, तगमे के हकदार थे जो, वो ही दिखते हैं गुमनाम। .लेखिक परिचय :- नाम - शाहरुख मोईन अररिया बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, ...
होती नहीं इज्जत
ग़ज़ल

होती नहीं इज्जत

********** शाहरुख मोईन अररिया बिहार होती नहीं इज्जत जिनसे मां-बाप की, खुद की औलाद से तो उम्मीदें वफ़ा न रख। जन्नत तो खो दी तूने मां को रुला के, रूठ गए जो जमी के ख़ुदा, तो ख़ुदा से वास्ता न रख। मुमकिन नहीं कीमत उनके आंसू की अदा हो, जर्रा है तू दुनियां में कोई रुतबा न रख। माना तु अमीरे शहर है कुछ नहीं मगर है, गैरत मर गई तेरी, दिखावे का कोई ओहदा न रख। मुफलिसी में भी खुश हुं अपने मां बाप के साथ, जो लोग हैं बेकद्र, ऐसे लोगों से तू वास्ता न रख। जमी पे क्यों न हो सैलाब, कहकशाली का आलम अब, सरेआम कर दे जलील बेकद्रो को, जरा भी हया न रख। दुनियां में मयस्सर है, मुझको तमाम खुशियां मगर, शाहरुख़ बैठ के मस्ज़िदों में झूठा सज्जदा न रख। . लेखिक परिचय :- नाम - शाहरुख मोईन अररिया बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित कर...
ईमान में ख़यानत आएगी
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ईमान में ख़यानत आएगी

********** शाहरुख मोईन अररिया बिहार जुल्म बढेगा ईमान में ख़यानत आएगी, तभी तो दुनियां में क़यामत आएगी। जुवानों में कड़वाहट लहजो में सख्ती, बेईमानों में बहुत दिखावत आएगी। खुशियों के दीप बुझाने वाले पैदा होंगे, पढ़े-लिखे में भी ज़हालत आएगी। जो रब खफा होगा तो बदलेगी सूरत, ख़ामोश लहजों में भी बगावत आएगी। ज़ुल्म बढेगा ग़रीबों, बेजुबानों,पर इन्सानों के लहजे में अदावत आएगी। सरियत से बेहतर, है नहीं कानून कोई, रस्ते में मेरे हर रोज सियासत आएगी। कांटे भी चुभते है अकसर गुलाबों को, कातिल बना के बीच में अदालत आएगी। शाहरुख़ दागदार है गिरेबा अपना भी, शर्मसार होगी इंसानियत, ऐसी दिखावत आएगी। . लेखिक परिचय :- नाम - शाहरुख मोईन अररिया बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं,...
जिंदगी खुशी में जब बीते
कविता

जिंदगी खुशी में जब बीते

********** शाहरुख मोईन अररिया बिहार जिंदगी खुशी में जब बीते, कुछ भी मतलब नहीं बिताने में। लूट लो इल्म के खजाने तुम, इल्म से रोशनी है ज़माने में। वक्त की कद्र तुम नहीं करते, लगे रहते हो धन कमाने में। कितनी कीमती जिंदगी है, सोच लो तुम जरा बिताने में। रोज पीता नहीं हूं मैं यारों, जाम भर कर शराबखाने में। छोड़ना पड़ता है जहां सारा, यार उठा तो हो मनाने में। . लेखिक परिचय :- नाम - शाहरुख मोईन अररिया बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं...
हर रोज क्यों
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हर रोज क्यों

********** शाहरुख मोईन हर रोज क्यों लोग शादाब सजर काटते हैं,  इस दौर में लोग घर में ही घर काटते हैं। . बदजुबानो का बढ़ गया रुतबा भी इस क़दर,  भाई भी अब सगे भाई का सर काटते है। . अब तो उम्मीद मत रख मजबुन ऐ अख़बार से, झूठी अफ़वाह फैलाने में अच्छी ख़बर काटते हैं। . दौरे मुफलिसी में जो बिकते हैं शफ्फाफ बदन,  शहंशाहों को तो लालोओ गौहर काटते हैं। . मुश्किल से दिन रात जागकर काटते हैं,  प्रदेश में कैसे हम वक्त अहले नज़र काटते हैं। . सैलाब का है खतरा तमाम बस्तियों को मगर,  बहती नदी से लोग अक्सर नहर काटते हैं। . क्यों समझे हैं हमेशा दुनियां हमको कमतर,  अपने हुनर से हम ज़हर से ज़हर काटते हैं। . अपने हालात पर अमीरे शहर भी तमाम रात जागकर काटते हैं,  समुंद्र अपनी कद में है दरिया ही घर काटते हैं। . कुदरत की कारीगरी ने सबका भरम तोरा है, लोहे से लोहा हम पत्थर से पत्थर काटते हैं। . लेखिक परिच...
लुटती रही अस्मत
ग़ज़ल

लुटती रही अस्मत

********** रचयिता : शाहरुख मोईन लुटती रही अस्मत भरती रही कोई सिसकियां,  जहनों दिल पर गिरती रही पल-पल बिजलियां। .  उस मासूम कली की खताए क्या थी या रब ,  चमन उजरता रहा मरती रही तितलियां। .  मूरत बन भगवान खरे रहे मोन जब,  मसली जाती रही है हैवानों से कलियां। . चिखी चिल्लाई रोई और वह गिरगिरई,  बहरे हो गए मूरत सारे खुब चिखी तन्हाइयां। .  इस देश में तेरा आना लाडो दुश्वार हुआ, चिख चिख के कहती है कहानी पुरवाईया। . गुड्डे गुड़ियो से खेलने वाले बचपन का हाल,  कब तक बेटियो से होती रहेगी रुसवाईयां। . शरीयत के कानून का हो अगर ऐहतराम जो,  उजर कर तबाह हो जाएगी गुनाहों की बस्तियां। . मुहाफिज ही बन गए देखो कातिल *शाहरुख* , अदालत में दफन होकर रह गई जाने कितनी कहानियां। . लेखिक परिचय :- नाम - शाहरुख मोईन अररिया बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रक...
उन्हें जो करना है
ग़ज़ल

उन्हें जो करना है

********** रचयिता : शाहरुख मोईन उन्हें जो करना है वो कर जाएंगे,  हम दरिया है कैसे ठहर जाएंगे। .  बस्ती के लोग तिजारती हो गए, हम भी अपना हुनर आजमाएंगे। .  रास्ते का पत्थर ना समझ मुझे,  ठोकरों से मुकद्दर संवर जाएंगे। . ये संगतराश का अपना हुनर है, पत्थरों के चेहरे निखर जाएंगे। . वह अपना इरादा मुकम्मल करें, हम काम इतना तो कर जाएंगे। . सैलाब का खतरा है बस्तियों को,  दरिया तो समुंद्र में उतर जायेंगे। . बारूद ओ चिंगारी का मेल नहीं, ऐसे दाग चेहरे पे बिखर जाएंगे। .  मिट्टी के पुतलों का गुमान देखो,  राख बन के सभी बिखर जाएंगे। लेखिक परिचय :- नाम - शाहरुख मोईन अररिया बिहार आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये मेल करने ...
बहुत है गम
ग़ज़ल

बहुत है गम

********** रचयिता : शाहरुख मोईन बहुत है गम कब उसके अख्तियार मैं आता हूं , अनमोल हीरा हूं कभी-कभी बाजार में आता हूं। शोहरत की बुलंदी में लगे हैं अब बहुत, झूठी खबरों के साथ कभी-कभी अखबार में आता हूं। अब तो हर बात जुबा पे करीबी ही आती है, जहन से माजुर अमीरों के जब दरबार में आता हूं। दुखों से गरीबों के भी मुश्किलें आती है जमी पर, अश्क नहीं थकते जब गरीबों के दयार में आता हूं। चर्चों के बाजार में झूठी शोहरत वालें हैं अब, अब के माहौल में लगता है मंचों पर मैं बेकार में आता हूं। मैं तमाम दर्द सह लूंगा मगर बुजुर्गों की रजा से, अंधेरी रात का जुगनू हूं कभी-कभी तेरे द्वार में आता हूं। फूलों से मोहब्बत करने वाले जरा संभलना तुम, नाजुक जिस्म है मेरा फिर भी कांटो के अख्तियारयार में आता हूं। उछाली है उन्होंने जाने कितनी पगड़िया शाहरुख़, फिर भी मैं उसके शहर के दस्तार में आता हूं। लेखिक पर...