कान्हा
शालिनी सिंह
जिला गोंडा (उ.प्र.) भारत
********************
मेरे आये प्रभु नंदकिशोर धाम मधुवन में।
भाद्रपदा की आधी रात अंधेरी।।
घन-घन-घन-घन बादर घेरी।।
बिजुरी चमके चहुँ-ओर धाम मधुवन में।
मेरे आये....
वह देवकी माँ आठवे लाला।
कारागार का खुल गया ताला।।
माया ने अस खेला खेला।
बंधन मुक्त हुए वसुदेव धाम मधुवन में।।
मेरे आये....
पितु वासुदेव प्रभु गोकुल लाये।
देवन सज्जन के काज संवारें।।
दुष्टन के जे मारन वारे।
यशुमति के प्राणाधार धाम मधुवन में।
मेरे आये....
यशुमति लाला पालने पौढे़।
देखि-देखि यशोदा नंद हर्षे।
नारद शारद शेषहि गावै।
मेरे आये घन-आनंद श्याम धाम मधुवन में।।
मेरे आये....
मेरे कान्ह बकईया चलन जे लागे।
मोर पंख सिर शोभन लागे।।
पीताम्बर तन पहिरे मुरारी।
पहिरे गले गजमुक्तन माल धाम मधुवन में।
मेरे आये....
अंग आभूषण पहिरे गिरधारी।
लाल विशाल अंखियां कजरारी।।
धनुष भौह लाल मधुराधर।
अरे घुघराल...