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Tag: विश्वम्भर पाण्डे “व्यग्र”

सुबह सुहानी…
गीत

सुबह सुहानी…

विश्वम्भर पाण्डे "व्यग्र" गंगापुर सिटी (राजस्थान) ******************** सुबह तुम कितनी सुहानी। शीतल-मंद हवा कहे तेरी कहानी।। पूर्व में सिंदूर रंग बिखरा हो जैसे उतंग-शिखरों का रूप निखरा हो जैसे पात-पात में आई अब तो जवानी सुबह तुम कितनी सुहानी। विहग-वृंद उड़ रहे आकाश में बिखरे हुए हैं ओसविंदु घास में जा चुकी संसार से अब रातरानी सुबह तुम कितनी सुहानी। सुबह ही है जो दिन का आरंभ करती सुबह के कारण यहाँ पर सांझ ढ़लती दिवस तेरा ॠणी रहेगा हे विभारानी सुबह तुम कितनी सुहानी। प्रकृति का श्रृंगार बनकर रोज आती दिन का दे उपहार फिर चली जाती नदियां पोखर झील पर आई रवानी सुबह तुम कितनी सुहानी। दूध दुहने के स्वर भी आ रहे हैं दही-बिलौने भी गीत गा रहे हैं फैला कर पंख नाचे मयूररानी सुबह तुम कितनी सुहानी। धीरे धीरे भास्कर का आगमन छिटकती धूप से सब प्रसन्नमन पक्षियों के स...
क्या वो दिन आयेंगे …?
कविता

क्या वो दिन आयेंगे …?

विश्वम्भर पाण्डे "व्यग्र" गंगापुर सिटी (राजस्थान) ******************** मैं सदियों से शोभा थी तेरे आंगन की तू सजाता/सॅवारता/बचाता आया दुनियां के हर संताप से पर, आज मैं खरपतबार समझ, आंगन से हटा दी गई जैसे जन्म से पहले नष्ट कर दी जाती बिटिया और बिसार दी गई 'वो रीति' दकियानूसी समझ। मेरा स्थान पा लिया है अब उन गंधहीन 'कैक्टसों' ने जिन्हें, तू पाल रहा है, आज सुपुत्रों की तरह, जो दे नहीं सकते, तुझे सुवास, सिवाय काँटों के। मैंने तुझे पहचान दी तेरी बचाई जान जिसे तू जानता और जानता विज्ञान पर हाय! इस बात को तू कब समझेगा? हटाकर कटीले झाड़ मुझे फिर से आंगन में रोपेगा! सच बता, क्या वो दिन आयेंगे?? जब मैं आंगन में, तेरे लहलहाऊंगी और एक बिटिया की तरह सुखद अहसास कराऊँगी... परिचय :-  विश्वम्भर पाण्डे "व्यग्र" निवासी : गंगापुर सिटी (राजस्था...