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Tag: विवेक नीमा

जल बिन सब सून
कविता

जल बिन सब सून

विवेक नीमा देवास (मध्य प्रदेश) ******************** पंच तत्व में है अनमोल जीवन आधार जल करते जो बर्बाद आज उसे पछताओगे तुम कल। जल बिन होगा सूना सागर नदियाँ होंगी सूखी जो न सहेजा इस अमृत को धरती होगी भूखी। पीयूष रूपी गंगा जल का कर न सकोगे वंदन प्यासे कंठ से गूंजेगा चहुँ क्षुधित जीवन का क्रंदन अंधाधुंध जो करते रहोगे भूमि जल का दोहन न देख सकोगे अंबर में तुम वारिद का आरोहण। जल से ही तो जीवन हुआ धरती पर साकार जो मोल न समझे इसका तुम यह जीवन है बेकार। परिचय : विवेक नीमा निवासी : देवास (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी कॉम, बी.ए, एम ए (जनसंचार), एम.ए. (हिंदी साहित्य), पी.जी.डी.एफ.एम घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिच...
दस्तक है बसंत की
कविता

दस्तक है बसंत की

विवेक नीमा देवास (मध्य प्रदेश) ******************** शिशिर की चादर ओढ़े सूरज को रही धरा निहार हरी दूब पर तड़के देखो मुस्काती सी रखी निहार। नव अरुण की आभा से निखर रहा किसलय है शीतल पवन में घोल रहा मधुरस की सौरभ मलय है। सुसज्जित होकर बोर से लहरा रही अमराई है ऋतुराज के आगाज से वसुधा भी मुस्काई है। बिदाई की बेला में पहुँच रही अब शीत है परिवर्तन और परिवर्द्धन तो कुदरत की ही रीत है। सुकुमार प्रकृति में देखो दस्तक है बसंत की लौटने वाली हैं खुशियाँ जीवन के अनंत की।। परिचय : विवेक नीमा निवासी : देवास (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी कॉम, बी.ए, एम ए (जनसंचार), एम.ए. (हिंदी साहित्य), पी.जी.डी.एफ.एम घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक म...
स्वागत शिशिर का
कविता

स्वागत शिशिर का

विवेक नीमा देवास (मध्य प्रदेश) ******************** पौष माह की श्वेत धुंध में आओ करें स्वागत शिशिर का आँख मिचौली खेल रहा जो घन में लुक-छुप रहे मिहिर का। धवल गिरि के शिखरों पर भी वृक्ष लताएँ सिकुड़ी सिमटी खेत, वाटिका उपवन में भी पत्तों पर है शबनम लिपटी। कोहरे की चादर में देखो छुप कर बैठा है प्रभात भी सूरज के डूबते ही देखो ठिठुर-ठिठुर ढल रही रात भी। तिल गुड़ की मिठास से देखो महक उठी रसोई सभी की दिनभर पसरी दिखती देखो बिस्तर में रजाई सभी की। मालकोंस के गूंज रहे स्वर सिगड़ी इठलाती जलकर चौपालों पर अलाव जले ताप रहे तन जन मिलकर। कुदरत के आँचल में भरा षड ऋतुओं का खजाना जीवन को सुंदरता देता इन ऋतुओं का आना जाना। परिचय : विवेक नीमा निवासी : देवास (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी कॉम, बी.ए, एम ए (जनसंचार), एम.ए. (हिंदी साहित्य), पी.जी.डी.एफ.एम घोषणा पत्र : मैं यह प्रमा...
फिर भी चलते ही जाना है
कविता

फिर भी चलते ही जाना है

विवेक नीमा देवास (मध्य प्रदेश) ******************** संघर्षों की अमित कहानी जीवन की सच्चाई है पीड़ा और तंग हाली में भी जिंदगी ने खुशियां पाई है। कष्टों की परिभाषा क्या सोचो और विचार करो कठिन डगर पर भी तुम थोड़ा सुकून तलाश करो कितनों का घर तो देखो खुला आसमान बसेरा है सुख दुःख की क्या बात करें जीवन में कष्ट घनेरा है। फिर भी चलते ही जाना नियति है यह कुदरत की रुको नहीं तुम कर्म करो बदलो रेखा किस्मत की। परिचय : विवेक नीमा निवासी : देवास (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी कॉम, बी.ए, एम ए (जनसंचार), एम.ए. (हिंदी साहित्य), पी.जी.डी.एफ.एम घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट...
कथा आजादी की
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कथा आजादी की

विवेक नीमा देवास (मध्य प्रदेश) ******************** दो शतकों तक देश में रहकर मिटा न पाए जिसकी हस्ती भारत ही वह पुण्य धरा है जन-जन के जो हृदय में बसती।। लॉर्ड कैनिंग से जनरल डायर तक लूट रहे थे सब धन को पर तोड़ न पाया फिर भी कोई देश प्रेम भरे मन को।। सर्वस्व निछावर करने बैठे माँ के थे वो सच्चे लाल और झुका न पाया कोई फिरंगी उनके गर्वित, उन्नत भाल।। राजगुरु, सुखदेव, भगत और लाल, बाल या पाल सभी डटे रहे वो महासमर में कि गौरव वसुधा का न घटे कभी।। बहते लहू पर वतन की मिट्टी जोश दिलों में जगा रही थी देश प्रेम की ज्वाला मन में आजादी का भाव जगा रही थी।। जलियाँवाला बाग की घटना रोक न पाई इंकलाब को आँखों ने जो देख रखा था स्वतंत्र देश के पुण्य ख्वाब को।। आंदोलन की सतत आँधी ने अंग्रेजों की नींव हिला दी असहयोग और भारत छोड़ो ने उनको नानी याद दिला दी।। क्रांति का पर...
समता की बातें
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समता की बातें

विवेक नीमा देवास (मध्य प्रदेश) ******************** हर घर में नारी अपने ख्वाबों का आकाश चुने पाने को अपनी हर मंजिल अपना दृढ़ विश्वास बुने। जीवन की हर खुशियों पर उसको नित अधिकार मिले बाबुल हो या आंगन प्रिय का आदर और सम्मान मिले। सूनी राहों पर बैठे गीदड़ चरित्र हीन तिनका भर हैं जो दंभ भरे अपने पौरुष का क्या सच में भी वो नर हैं? कदम-कदम पर अबला को लूट रहे जो अभिमानी दुःशासन से दानव देखो राह सरे करते मनमानी। जन्मी बेटी है बोझ बढ़ेगा ये सोच नहीं बर्बादी है करते हैं जो गर्भ में हत्या परिजन वे भी अपराधी हैं। नारी से ही जन्मा नर है भूल रहा क्यों ये सच्चाई माँ, बहन, पत्नी और बेटी संग रही बनकर परछाई। उसे भी हक है पंख फैलाए आसमान में उड़ने का पाने को बेटों सा मान सदा अपनों से भी लड़ने का। दिल्ली हो या राहें मणिपुर की खौफ न हो नारी के मन में दहेज प्रताड़न...
माँ मानसरोवर
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माँ मानसरोवर

विवेक नीमा देवास (मध्य प्रदेश) ******************** माँ मानसरोवर, ऋषिकेश, माँ हरिद्वार, माँ संगम है माँ मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे का एक दृश्य विहंगम है। माँ आशा, अभिलाषा, उम्मीदें, माँ प्रेम का बहता सागर है माँ ममता, करुणा, आदर की एक छलकती गागर है। माँ शक्ति, भक्ति, अभिव्यक्ति, माँ ही गौरव गाथा है माँ ही तो हर संतति की बनती भाग्य विधाता है। माँ चंदा की चाँदनी, माँ ही सूरज का ताप है माँ व्याकुल मन को सहलाती लोरी,राग, आलाप है। माँ सागर से भी गहरी है, माँ पर्वत सी विशाल है माँ के आशीषों से ही तो ऊँचा सबका भाल है । माँ ही शीतल फुहार है, माँ ही धूप और धाम है माँ के चरणों में ही तो बसते चारों धाम है। माँ से ही सब खुशियाँ हैं, माँ से ही सारे सपने हैं माँ से ही तो जीवन में होते रिश्ते सारे अपने हैं। माँ ही चोट पर मरहम है, माँ हर उलझन का हल है माँ से ह...
सातों सागर होंगे पार
कविता

सातों सागर होंगे पार

विवेक नीमा देवास (मध्य प्रदेश) ******************** रुखसत हो चले दिनकर हो रहा तम का विस्तार, लौटेगा कल फिर आशा से जीवन में लेकर संचार। माझी की कश्ती भी देखो खोज रही फिर से नव तीर, सागर में भी उठती लहरें अरुण को वंदन करता नीर। फैल रही क्षतिज तक आभा लगती जैसे ज्योति दीप, जल में पड़ती उसकी छाया जैसे मोती रचती सीप। ज्यों-ज्यों फैल रहा अंधियारा जोश से भर चलती पतवार, जब तक है सांसों का स्पंदन रोक न पाए कोई धार। जीवन का है सत्य यही तो थम कर रहना होती हार चलते रहने से ही हर पल सातों सागर होंगे पार। परिचय : विवेक नीमा निवासी : देवास (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी कॉम, बी.ए, एम ए (जनसंचार), एम.ए. (हिंदी साहित्य), पी.जी.डी.एफ.एम घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानिया...
लिख दो कहानी
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लिख दो कहानी

विवेक नीमा देवास (मध्य प्रदेश) ******************** समय की धारा में बह रहा है जीवन हर दिन है रंगीन और उन्मत है मन। पल पल बदलती सबकी जिंदगानी है कर्म है अमर और जीवन फानी है। कल,आज, कल में सब कुछ समाया है समेट लो खुशियाँ बाकी तो सब माया है जीवन के कागज पर लिख दो कहानी जियो हर पल ऐसे जैसे दो पल हो बाकी पा लो वो सब कुछ देखा हो जो ख्वाब कही उड़ न जाए तितली और खुली रह जाए किताब। परिचय : विवेक नीमा निवासी : देवास (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी कॉम, बी.ए, एम ए (जनसंचार), एम.ए. (हिंदी साहित्य), पी.जी.डी.एफ.एम घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक...
नारी क्या है?
कविता

नारी क्या है?

विवेक नीमा देवास (मध्य प्रदेश) ******************** वो मानसरोवर, ऋषिकेश वो रामेश्वर वो संगम है वो मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे का एक दृश्य विहंगम है।। वो लक्ष्मी, अहिल्या, नारायणी वो केशव की मीरा है वो सीता, सावित्री, गंगा वो बहती पवन समीरा है।। वो जननी, भगिनी और बेटी भाभी, बुआ और रंभा है वो काली, कल्याणी,दुर्गा कभी बन जाती वो अंबा है।। वो आशा, अभिलाषा, उम्मीदें वो प्रेम का बहता सागर है वो दया, करुणा,आदर की एक झलकती गागर है।।4 वो अपने हाथों के प्यालों से सदा प्रेम नीर बहाती है वह संकट में उलझे मन को हरदम ही सहलाती है।। वो मन के कोमल पंखों से ऊँची उड़ान भी भरती है वो सीने में कई दर्द छुपा कर ख्याल सभी का रखती है।। वो माथे की बिंदिया है वो भरी मांग है सिंदूरी वो है स्वर्णिम कंठ हार वो कंगन भी है बहुरंगी।। वो राखी की पावन डोरी वो चुनरवाली गणगौरी वो ...
बहारों से कह दो
कविता

बहारों से कह दो

विवेक नीमा देवास (मध्य प्रदेश) ******************** मुदित हो रही वसुधा रानी ढल चली देखो शिशिर चली बयार बसंती कोमल गीत गाए नवल मिहिर। फागुन का आगाज है मौसम ने ली अंगड़ाई पीली सरसों भी इठलाती वासंती ऋतु आई। मुस्काकर वसुंधरा ने धरा है अदभुत रूप फिर आए है सबको रिझाने देखो! ऋतुओं के भूप। गुल से रोशन होंगे सारे गुलशन हो या आँगन प्रीत का रंग चढ़ेगा सब पर प्रियतमा हो या साजन। बहारों से कह दो तुम अब भरने दो परवाज़ जी लेने दो थोड़ी खुशियाँ बन कुदरत हमराज।। परिचय : विवेक नीमा निवासी : देवास (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी कॉम, बी.ए, एम ए (जनसंचार), एम.ए. (हिंदी साहित्य), पी.जी.डी.एफ.एम घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपन...
हर पल ऐसे ही जीना है
कविता

हर पल ऐसे ही जीना है

विवेक नीमा देवास (मध्य प्रदेश) ******************** कल की चिंता में न डूबकर आज ही तो जीवन सोचकर बहाना तुझे पसीना है हर पल ऐसे ही जीना है। तेरा-मेरा से ऊपर उठकर सबका सच्चा साथी बनकर पल से पल को सीना है हर पल ऐसे ही जीना है। क्या लाए, क्या जाओ लेकर दुनिया को मीठे बोल ही देकर बजती जीवन वीणा है हर पल ऐसे ही जीना है। अहं भाव को सदा ही तजकर दुर्गम पथ का राही बनकर हर मन को यूं ही जीतना है हर पल ऐसे ही जीना है।। अंतर्मन के द्वंद से उठकर मन में आशा की लहरें भरकर जीवन का मधुरस पीना है हर पल ऐसे ही जीना है। परिचय : विवेक नीमा निवासी : देवास (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी कॉम, बी.ए, एम ए (जनसंचार), एम.ए. (हिंदी साहित्य), पी.जी.डी.एफ.एम घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, क...
दस्तक है बसंत की
कविता

दस्तक है बसंत की

विवेक नीमा देवास (मध्य प्रदेश) ******************** शिशिर की चादर ओढ़े सूरज को रही धरा निहार हरी दूब पर तड़के देखो मुस्काती सी रखी निहार। नव अरुण की आभा से निखर रहा किसलय है शीतल पवन में घोल रहा मधुरस की सौरभ मलय है। सुसज्जित होकर बोर से लहरा रही अमराई है ऋतुराज के आगाज से वसुधा भी मुस्काई है। बिदाई की बेला में पहुँच रही अब शीत है परिवर्तन और परिवर्द्धन तो कुदरत की ही रीत है। सुकुमार प्रकृति में देखो दस्तक है बसंत की लौटने वाली हैं खुशियाँ जीवन के अनंत की।। परिचय : विवेक नीमा निवासी : देवास (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी कॉम, बी.ए, एम ए (जनसंचार), एम.ए. (हिंदी साहित्य), पी.जी.डी.एफ.एम घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक...
उषा का आगमन
कविता

उषा का आगमन

विवेक नीमा देवास (मध्य प्रदेश) ******************** उषा का आगमन नव चेतना का भाव है अरुणोदय की बेला फिर नया पड़ाव है गगन में गूंज रहा पंछी का कलरव शबनम शरमा कर हो रही है नीरव पुष्प खिल उठे अब हर गुलशन नाच रहा अलि नित होकर मगन दरबारी के सुर से सज्जित है धरती आभा तिमिर का हरण है करती हल धर की हलचल है खलिहानों में मलय पवन बह रही है मैदानों में दीप्त दिशाओं में मचा है शोर मिहिर की आभा से सज गया है भोर। परिचय : विवेक नीमा निवासी : देवास (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी कॉम, बी.ए, एम ए (जनसंचार), एम.ए. (हिंदी साहित्य), पी.जी.डी.एफ.एम घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा स...
हिंदवासी तुम हिंदी बोलो
कविता

हिंदवासी तुम हिंदी बोलो

विवेक नीमा देवास (मध्य प्रदेश) ******************** ज्ञान की भाषा हिंदी है विज्ञान की भाषा हिंदी है जन मन के संप्रेषण के कौशल की भाषा हिंदी है। मीरा की भाषा हिंदी है कबीरा की भाषा हिंदी है गीत संगीत और महाकाव्य को गढ़ती भाषा हिंदी है। पूरब की भाषा हिंदी है पश्चिम की भाषा हिंदी है उत्तर से दक्षिण तक के विस्तार की भाषा हिंदी है। शासन की भाषा हिंदी है शिक्षण की भाषा हिंदी है रविंद्रनाथ के जन-गण में गूंज रही भाषा हिंदी है। दर्शन की भाषा हिंदी है प्रदर्शन की भाषा हिंदी है मन में भावों के कोपल के अंकुरण की भाषा हिंदी है मेरी भाषा हिंदी है तेरी भाषा भी हिंदी है भारत के जनजीवन की गौरव गाथा भी हिंदी है फिर क्यों हमने भुलाई हिंदी है पर भाषा की लगाई बिंदी है भूल गए हम सब पल में रिश्तों की भाषा हिंदी है। भाषा की रानी हिंदी है फिर भी बेगानी हिंदी है अपने...
देव गजानन
भजन, स्तुति

देव गजानन

विवेक नीमा देवास (मध्य प्रदेश) ******************** प्रथम पूज्य तुम देव गजानन भक्तों के तुम प्रिय सदानन। माता-पिता को करके वंदन की प्रदक्षिणा गौरी नंदन। मातृ भक्त प्रभु तुम-सा न दूजा सर्व देवों में प्रथम हो पूजा। सृष्टि के तुम हो प्रतिपालक यश और श्री के तुम संचालक। मोदक प्रिय तुम मंगल दाता शुभ कारक तुम सिद्धि प्रदाता। करे "विवेक" कर जोड़ निवेदन जग कल्याण करो शिवनंदन। परिचय : विवेक नीमा निवासी : देवास (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी कॉम, बी.ए, एम ए (जनसंचार), एम.ए. (हिंदी साहित्य), पी.जी.डी.एफ.एम घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक...
तिरंगे की आवाज़
कविता

तिरंगे की आवाज़

विवेक नीमा देवास (मध्य प्रदेश) ******************** आज़ादी की अमर कथा का, एक-एक पहलू खोल रहा, लाल किले के परकोटे से, लहरान तिरंगा बोल रहा || भारत माँ के वीर जवानों, सरहद पर तुम छा जाओ, करता यदि कोई गुस्ताखी, सबक उसे तुम सिखलाओ || शौर्य भगतसिंह का मत भूलो, मत भूलो मंगल की हुंकार, सुखदेव,तिलक और गाँधी को भी, मुझ से तो था अतुलित प्यार || महफूज़ रखों इस आज़ादी को, जो बलिदानों से आई है, वीरों के प्राण न्यौछावर करके, कठिनाई से पाई है || याद उन्हें भी करना होगा, अहिंसा थी जिनका हथियार, थाम रखी थी अपने हाथों रण में नौका की पतवार || नमन करो उन माताओं को, जिनने खोए अपने लाल, डटे रहे जो अविचल होकर चाहे शत्रु हो विकराल || वीरों की इन भार्याओं का, क्या त्याग न जौहर से कम है, खोकर अपना सुहाग देश पर आंखें उनकी नहीं नम है|| वीरों की चिता की अग्नि मे तुम तेज सूर...
वर्षा का उत्सव
कविता

वर्षा का उत्सव

विवेक नीमा देवास (मध्य प्रदेश) ******************** ऋतु सुहानी सावन की चली पवन मनभावन सी श्यामल मेघा देखो छाए अमृत रूपी वृष्टि लाए।। चपला की है चमक निराली हलधर की आई है दिवाली ताल, तलैया नदी और सागर भर जाएगी अब सबकी गागर।। नाच रहे हैं मोर मुदित हो दादुर भी टर्राये क्षुधित हो कूके पपीहा, कोयल काली झूले पड़ गए अंबुआ की डाली।। रूप धरा का निखर उठा है हरित वर्ण-सा बिखर उठा है वर्षा का उत्सव आया है धन-धान्य खुशियाँ लाया है।। परिचय : विवेक नीमा निवासी : देवास (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी कॉम, बी.ए, एम ए (जनसंचार), एम.ए. (हिंदी साहित्य), पी.जी.डी.एफ.एम घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रका...
पहली बूंद बारिश की
कविता

पहली बूंद बारिश की

विवेक नीमा देवास (मध्य प्रदेश) ******************** बीती बेला उष्ण काल की ऋतु आ पहुँची फिर पावस की। मेघ मुदित हो नित लहराते वृष्टि का संदेशा लाते। तप्त धरा थी राह निहारे जग में जीवन वर्षा के सहारे। श्यामल बादल जल्दी आओ वसुधा की तुम क्षुधा मिटाओ। कूक उठी अब कोयल डाली हलधर बजा रहा है ताली। नदियाँ प्यासी सूखे सब सर आकर जल्दी कर दो तर। बारिश की पहली बूंद जो बरसे देखो धरती का कण-कण हरसे। परिचय : विवेक नीमा निवासी : देवास (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी कॉम, बी.ए, एम ए (जनसंचार), एम.ए. (हिंदी साहित्य), पी.जी.डी.एफ.एम घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्...
अंकुरण का जश्न
कविता

अंकुरण का जश्न

विवेक नीमा देवास (मध्य प्रदेश) ******************** जीवन की सुंदरता वन से, करो रक्षा धरती की मन से। धरा हरित और शोभित वन हो, पोषण का संकल्प सघन हो। भर दो धरती का कोष अपार, पुनः करो एक बार विचार। यदि नहीं होगी हरीतिमा धरा पर, संकट होगा बड़ा जीवन पर। बंजर भूमि और दूषित वायु, काया रोगी और अल्पायु। मत भूलो जीवन का मूल, लालच को सब जाओ भूल। चहुँ ओर सब वृक्ष लगाओ, अंकुरण का जश्न मनाओ। परिचय : विवेक नीमा निवासी : देवास (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी कॉम, बी.ए, एम ए (जनसंचार), एम.ए. (हिंदी साहित्य), पी.जी.डी.एफ.एम घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्...
जीवन रंगमंच है
कविता

जीवन रंगमंच है

विवेक नीमा देवास (मध्य प्रदेश) ******************** यह जीवन है रंगमंच, किरदार निभाते जाना तुम। अभिनय में हों लाख मुश्किलें सब को हँसाते जाना तुम। हुनर मंच का जीवन सा है प्यार लुटाते जाना तुम काँटे लाख हो राहों में गर फूल ही चुनते जाना तुम। चेहरे कई मिलेंगे हर पल झूठ व सच पहचानना तुम होंगे अश्व सवार अनेकों अपनी लगाम संभालना तुम। पट के पीछे का खेल निराला चतुर खिलाड़ी बनना तुम जीवन रथ का चक्र अनोखा उसमें घूमते जाना तुम। वायु वेग सा समय चलेगा सही समय पहचानना तुम। जब तक पर्दा न गिर जाए आगे बढ़ते ही जाना तुम। पथ के पैमाने बदलेंगे पर खुद को न बदलना तुम यह जीवन है रंगमंच किरदार निभाते जाना तुम।। परिचय : विवेक नीमा निवासी : देवास (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी कॉम, बी.ए, एम ए (जनसंचार), एम.ए. (हिंदी साहित्य), पी.जी.डी.एफ.एम घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ ...
युद्ध की विभीषिका
कविता

युद्ध की विभीषिका

विवेक नीमा देवास (मध्य प्रदेश) ******************** युद्ध की विभीषिका का साक्षी इतिहास है क्या समर से हुआ कभी मानव का विकास है? वसुंधरा पर जब-जब गूंजा रणभेरी का नाद है मिटी सभ्यता, समूल नाश का हुआ शंखनाद है। क्या शक्ति से जीतकर बनता कोई महान है? युद्ध शोक से रोता हर पल मानव का अंतर प्राण है। अब तक इतने युद्ध हुए क्या भला किसी का होता है? बल हिंसा और शस्त्र प्रयोग से धरती का मन भी रोता है। अहं भाव जब मानव मन पर हावी होता जाएगा पर पीड़ा को भूल सदा वह रण में डूबा जाएगा। कब तक युद्ध सहेगी धरती सोचो और विचार करो विश्व बंधुत्व और शांति, अहिंसा का मिलकर सभी प्रचार करो। मन का द्वेष मिटाकर ही तो होगा नित सबका उत्थान युद्ध रोक कर लाना होगा फिर से नवजीवन का विहान।। परिचय : विवेक नीमा निवासी : देवास (मध्य प्रदेश) शिक्षा : बी कॉम, बी.ए, एम ए (जनसंचार), एम....