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Tag: विनोद सिंह गुर्जर

बापू तेरे तीन बंदर
कविता

बापू तेरे तीन बंदर

********** विनोद सिंह गुर्जर महू (इंदौर) बापू तेरे तीन बंदर। पड़े कैद में देखो अंदर।।... बुरा मत बोलो बुरा बोलने वाले आगे, सत्य बोलने वाले भागे। गुरूओं का अपमान हो रहा, चेलो के अब भाग्य जागे। मतलब में सब तैर रहे हैं। बिन हाथों के पैर रहे हैं । बुरा मत देखो बुरा देखना ही पड़ता है। अच्छा घूरे पर सड़ता है।। एक तरफ मानवता रोती, छप्पन भोग श्याम चड़ता है। पत्थर से आशाऐं जोड़ी। लालच की चूनर ओढ़ी।। बुरा मत सुनो बड़ा मजा है, निंदा करना । अपनों को शर्मिदा करना।। गंगा को मैली बतलाकर, दाग दिखाकर चंदा करना।। अच्छा है तू आज नहीं है। बेशर्मों को लाज नहीं है।। राम वेश में रावण यहां पर। लक्ष्मण नजरें सीता मां पर।। पैसे के सब आज पुजारी। दया भाव ना, बस गद्दारी।। गांधी जी शत नमन तुम्हें है। सत्य हिंद से दमन तुम्हें है।। परिचय :-   विनोद सिंह गुर्जर आर्मी महू में सेवारत होकर साहित्य सेवा मे...
हे पिता तुमको नमन
कविता

हे पिता तुमको नमन

********** विनोद सिंह गुर्जर महू (इंदौर) इस धरा पर मेरा अस्तित्व ही, बड़ा सबसे प्रमाण। हे पिता तुमको नमन, सादर नमन, सादर नमन।। नेह श्रृण कैसे उतारूं, असमय किया तुमने प्रयाण । हे पिता तुमको नमन, सादर नमन, सादर नमन।। उंगली पकड़ कांधे बिठाना और गोदी में लिटाना। स्लेट खड़िया द्वारा अक्षर कुछ बताना फिर मिटाना।। इस धरा के सारे सुख वैभव तुम्हारे बिन अधूरे। हे सृजक तुम ही नहीं जब, क्या सृजन के स्वप्न पूरे।। मुझसे असीमित लालसायें और इच्छाएं नमन। सादर नमन सादर नमन ... हे पिता तुमको नमन, सादर नमन... सादर नमन...।। . परिचय :-   विनोद सिंह गुर्जर आर्मी महू में सेवारत होकर साहित्य सेवा में भी क्रिया शील हैं। आप अभा साहित्य परिषद मालवा प्रांत कार्यकारिणी सदस्य हैं एवं पत्र-पत्रिकाओं के अलावा इंदौर आकाशवाणी केन्द्र से कई बार प्रसारण, कवि सम्मेलन में भी सहभागिता रही है। आप भी अपनी कव...
मध्यप्रदेश नवलेखन संघ भोपाल के तत्त्वाधान में विनोद सिंह गुर्जर को राजभाषा वाड्मय अलंकरण सम्मान
साहित्यिक

मध्यप्रदेश नवलेखन संघ भोपाल के तत्त्वाधान में विनोद सिंह गुर्जर को राजभाषा वाड्मय अलंकरण सम्मान

भोपाल। कवि विनोद सिंह गुर्जर को राजभाषा वाड्मय अलंकरण सम्मान मध्यप्रदेश नवलेखन संघ भोपाल के तत्त्वाधान में महादेवी वर्मा सभागार, हिन्दी भवन, भोपाल में  कार्यक्रम मुख्य अतिथि पीसी शर्मा, मंत्री ' जनसंपर्क विधि एवं विधायी, मप्र शासन भोपाल के द्वारा सम्मान अन्य गणमान्य जनों की उपस्थिति में दिया गया। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें...🙏🏻 आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindi...
दोहावली
कविता

दोहावली

********** विनोद सिंह गुर्जर महू (इंदौर) पुत्र भरे बाजार रहा, पिता की कॉलर खींच। कलयुग के ये राम हैं, अधम, असुर सम नींच।। . बाप की सेवा छोड़कर, पत्नी बने गुलाम। मां घर की दासी बनी, बीबी है गुलफाम।। . मां पर ताने कस रही, बहू नये नित रोज। बेटा के लिए बाप भी, बना आज है बोझ।। . खुशियां सब तर्पण करीं, बेटा - बेटी संग। स्वप्न खाक में मिल गए, औलाद हुई बेढंग।। . वृद्धाश्रम ले जा रहे, माता - पिता बीमार। धर्म निभाते आजकल, ऐसे श्रवण कुमार।। . परिचय :-   विनोद सिंह गुर्जर आर्मी महू में सेवारत होकर साहित्य सेवा में भी क्रिया शील हैं। आप अभा साहित्य परिषद मालवा प्रांत कार्यकारिणी सदस्य हैं एवं पत्र-पत्रिकाओं के अलावा इंदौर आकाशवाणी केन्द्र से कई बार प्रसारण, कवि सम्मेलन में भी सहभागिता रही है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित ...
कमला नगर रहवासी संघ महू के तत्वाधान में अभा साहित्य परिषद महू का कवि सम्मेलन संपन्न
साहित्यिक

कमला नगर रहवासी संघ महू के तत्वाधान में अभा साहित्य परिषद महू का कवि सम्मेलन संपन्न

महू: कमला नगर रहवासी संघ, महू के तत्वाधान में गणेशोत्सव समिति द्वारा आयोजित अभा साहित्य परिषद, महू का कवि सम्मेलन तेज बारिश के मध्य संपन्न हुआ। डॉ रीता उपमन्यु द्वारा सभी कवियों के भाल पर तिलक लगा अगवानी की। कवियों द्वारा सुनाई गई रचनायें मध्यरात्रि तक श्रोताओं को गुदगुदाती रहीं ...हास्य श्रंगार, वीर रस व ओज की वारिश जब कवि मुख से प्रस्फुटित हुई मेघों की बारिश भी नीरस हो चली थी। धीरेंद्र कुमार जोशी द्वारा किया गया संचालन श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर वातावरण में रोमांच पैदा कर रहा था। इस सुअवसर को हमारे परिषद के छायांकन प्रभारी कृष्णकांत पंचोली जी अपने कैमरे में कैद कर अमर स्मृति सदैव के लिए चिरंजीव कर डाला। डॉ उषा किरण त्रिपाठी की अध्यक्षता में यह कवि सम्मेलन उनके मधुर व्याख्यान के साथ संपन्न हुआ । जिसमें आपने इस माह के महत्वपूर्ण पर्व भारतेन्दु हरिश्चंद्र जयंती, शिक्षक दिवस एवं महर्षि...
मैं सावन के गीत लिखू पर
कविता

मैं सावन के गीत लिखू पर

********** रचयिता : विनोद सिंह गुर्जर मैं सावन के गीत लिखू पर अभी लिखे ना जाऐंगे। झूलों और मधु गीतों के शब्द संवर ना पाऐंगे।। मन में एक सैलाब उठा है जन-गण-मन के क्रंदन  का। भ्रष्टाचार से दूषित वायु और मांटी के चंदन का। आज भुजाऐं कवि की कंपित और लेखनी बोल रही। भारत मां के गद्दारों के, छुपे राज वो खोल रही।। नेताओं के वादे सुनकर पाँच साल कब बीत चले। इनकी मीठी चुपड़ी बातों के, घट अब सारे रीत चले।। रोड हमारी बनी नहीं, पानी घर तक ना पहुँचाया। किसको व्यथा सुनायें अपनी, किसने हमको समझाया। अपराधों को जन्म दे रहे नित नूतन परिवेश में। कल फिर बनकर आयेंगे भाग्य विधाता देश में।। जिसके कानो में जन की पीड़ा का, दर्द अरे कुछ कहता हो। किसी गरीब के आंख का आंसू , जिसकी आंखों बहता हो।।... वही शास्त्री जैसा नेता आज हमें नहीं दिखता है। अपनी जेब को भरने वाला सफेद पोश में दिखता है।। नेहरू कट टोपी पहन युवाओं क...
बांध लिए पग में घुंघरू
कविता

बांध लिए पग में घुंघरू

======================= रचयिता : विनोद सिंह गुर्जर मैंने बांध लिए पग में घुंघरू, ये सारा जहां ही बहका रे । जब याद में तेरे नाच उठी, सारा ही गुलिस्तां महका रे।।... मेरे अंतर्मन के तारों में, प्रिय, तूने छेड़ा राग नया । धड़कन कुछ गति तेज हुई, अनुराग  सिहर फिर जाग गया।। चाहत का पंछी निकल पड़ा, सारी रात का आलम चहका रे...। मैंने बांध लिए पग में घुंघरू .. ये सारा जहां ही बहका रे...।। मैंने अधरों पर नाम लिया, वीणा से स्वर  सप्तक फूटे। मेरी मांग सजाने को आतुर, अंबर से तारे आ  टूटे ।। तेरी याद में टपके जब आंसू, सारा मधुबन ही दहका रे... । मैंने बांध लिए पग में घुंघरू .. ये सारा जहां ही बहका रे...।। परिचय :-   विनोद सिंह गुर्जर आर्मी महू में सेवारत होकर साहित्य सेवा में भी क्रिया शील हैं। आप अभा साहित्य परिषद मालवा प्रांत कार्यकारिणी सदस्य हैं एवं पत्र-पत्रिकाओं के अलावा इंदौर आकाशवाणी...
आलोक प्रखर होता है
कविता

आलोक प्रखर होता है

======================= रचयिता : विनोद सिंह गुर्जर अंबर से टकराकर। रविरश्मि कुछ गाकर। वैभव नभ के लाकर। प्रकाश अमर होता है।।... आलोक प्रखर होता है ।।... बचपन में स्वप्न संजोना । धैर्य युवा में खोना। देख बुढापा रोना। जीवन नश्वर होता है।।... आलोक प्रखर होता है ।।... वंशी मधुर बजाना। स्वर साधक बन पाना। चित्त में राग सजाना। मनमोह असर होता है।।... आलोक प्रखर होता है ।। परिचय :-   विनोद सिंह गुर्जर आर्मी महू में सेवारत होकर साहित्य सेवा में भी क्रिया शील हैं। आप अभा साहित्य परिषद मालवा प्रांत कार्यकारिणी सदस्य हैं एवं पत्र-पत्रिकाओं के अलावा इंदौर आकाशवाणी केन्द्र से कई बार प्रसारण, कवि सम्मेलन में भी सहभागिता रही है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके ह...
जिंदगी की बेरूखी से
कविता

जिंदगी की बेरूखी से

======================= रचयिता : विनोद सिंह गुर्जर जिंदगी की बेरूखी से ऊब चले हम। सांझ ढले गिरे मगर, खूब चले हम।।.... जो मिला उसीने प्यार इस कदर किया। मेरी चाहतों को लूट दर्द भर दिया।। रूसवाई के भंवर में गहरे डूब चले हम।।.. जिंदगी की बेरूखी से ऊब चले हम। सांझ ढले गिरे मगर, खूब चले हम।।.... सोचा चांद को तो सिर्फ हमसे प्यार है। क्या पता उसके तो आशिक हजार हैं।। आसमां के तारे जैसे टूट चले हम ।।.. जिंदगी की बेरूखी से ऊब चले हम। सांझ ढले गिरे मगर, खूब चले हम।।.... गीत विरह में कभी गाया नहीं था।। प्रेम का बसंत जब आया नहीं था। हरी-भरी साख थे, सूख चले हम।।... जिंदगी की बेरूखी से ऊब चले हम। सांझ ढले गिरे मगर, खूब चले हम।।.... परिचय :-   विनोद सिंह गुर्जर आर्मी महू में सेवारत होकर साहित्य सेवा में भी क्रिया शील हैं। आप अभा साहित्य परिषद मालवा प्रांत कार्यकारिणी सदस्य हैं एवं पत्र-पत्रिक...
कच्चे चूल्हे
कविता

कच्चे चूल्हे

======================= रचयिता : विनोद सिंह गुर्जर कच्चे चूल्हे भूले, भूले सावन के झूले ।। प्रीत भी भूल चले है, दीवारो के छांव तले हैं। किससे क्या आश करें। किस पर विश्वास करें।। जिससे प्रीत बढ़ाई। वो भी है हरजाई।। ये जग नहीं अपनापन का, दुख कौन हरेगा मन का । सब मतलब के नाते। दिग्भ्रमित हमें कर जाते।। चेतनता हर जाती। सब शून्य नजर ही आती। मैं सोच रहा हूँ कैसे ? इस प्रीत से छुटकारा हो ना मोह रहे बंधन का, ना कोई जग प्यारा हो।। ह्रदय से एक आह निकले, और चाह मिटे पाने की। में मतवाला पागल बस, एक धुन हो कुछ गाने की।। वो दिवस शीघ्र आऐगा, जो मुझको तरसाते हैं। वो खुद एक दिन तरसेंगे, आंसू बन जो आते हैं।। अभी हृदय पावस है। मेघ सहज बन जाता। तेरी यादों में आकर, नेह सजल बरषाता ।। पतझर जिस दिन ये होगा। तुम तरसोगे सावन को, किंतु नहीं पाओगे, पुण्य प्रीत पावन को।। प्रकृति का है नियम सखे, परिवर्तन सब कुछ होता ...
अभा साहित्य परिषद महू द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन संपन्न
साहित्यिक

अभा साहित्य परिषद महू द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन संपन्न

महू: अभा साहित्य परिषद, महू द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन आज दिनांक २१/०८/२०१९ को शिव एकेडमी परिसर में संपन्न हुआ जिसमें महू क्षेत्र के नामचीन कवि मित्रों ने सहभागिता कर गरिमामय शुरुआत की। कार्यक्रम के आयोजक अनिल वर्मा, एवं अध्यक्षा डॉ ऊषाकिरण त्रिपाठी, उपाध्यक्ष विनोद सिंह गुर्जर, डॉ पी एस दुबे, डॉ विमल सक्सैना, दिव्या सक्सैना, बिंदु के. पंचोली, अंजना ठाकुर, डा. जगदीश चौहान, भगवान दास तरंग, दीपक जैसवानी, गगन खरे जी, अभिषेक जोशी, यश कौशल, देवांशी, प्रियदर्शिनी, के के पंचोली, रमेश जैन, राही इत्यादि कवियों द्वारा रचना पाठ किया गया। काव्य निशा में शमां को रोशन अपने कुशल संचालन द्वारा श्री रमेश जैन "राही' द्वारा की गया। श्रोताओं में पीथमपुर से पधारे  संजय सक्सैना, महू , कोदरिया से डॉ अनिमेश श्रीवास्तव एवं स्थानीयजन सम्मिलित हुए। अंत में कवियों का आभार, आयोजक अनिल वर्मा जी ने व्यक्त किया। - ...
रक्षाबंधन
कविता

रक्षाबंधन

======================= रचयिता : विनोद सिंह गुर्जर भाई के माथे पर चंदन। बहिना का प्यारा स्पंदन। करूणा का त्यौहार वंदन। रक्षाबंधन ...रक्षाबंधन।। दूर भले हम लेकिन बहिना, तू भाई का प्यारा गहना। तेरी खुशियां मेरी खुशियां, कलाई पर मैंने जो पहना।। नेह अजर और अमर रहेगा, धागा प्रेम अजब गठबंधन।।... रक्षाबंधन ...रक्षाबंधन।।.... परिचय :-   विनोद सिंह गुर्जर आर्मी महू में सेवारत होकर साहित्य सेवा में भी क्रिया शील हैं। आप अभा साहित्य परिषद मालवा प्रांत कार्यकारिणी सदस्य हैं एवं पत्र-पत्रिकाओं के अलावा इंदौर आकाशवाणी केन्द्र से कई बार प्रसारण, कवि सम्मेलन में भी सहभागिता रही है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर मेल कीजिये...
विरह की ज्वाला ने
कविता

विरह की ज्वाला ने

========================================== रचयिता : विनोद सिंह गुर्जर कहीं विरह की ज्वाला ने, मेरे अंतस से निकस तुम्हारे मन में डेरा डाला होगा। आह!  आज दिन काला होगा।...। तुमने तो मुड़कर नहीं देखा, शब्दों में बस भाव पिरोए। यादों में नीरस गए सावन, नैन, मेघ बन दिन भर रोए।। क्या-क्या स्मृति लाऊं तुमको, आह!  रुदन में हाला होगा।...। उस पथ पर मैं आज खड़ा हूँ जहां चैन पाते थे नैना। निरख-निरख कर भेद छुपाते, नहीं बताते थे मन बैना।। ऑखो में पल तैर गए हैं, आह! हृदय मतवाला होगा।...। अंदर तक झकझोर रही है, धड़कन भी सहमी-सहमी है। अब तक कह पाये ना तुमसे, आज मगर, कहनी-कहनी है।। पिछले जन्मों का कुछ तूने, आह ! नेह संभाला होगा।...।। परिचय :-   विनोद सिंह गुर्जर आर्मी महू में सेवारत होकर साहित्य सेवा में भी क्रिया शील हैं। आप अभा साहित्य परिषद मालवा प्रांत कार्यकारिणी सदस्य हैं...
लोकतंत्र जयघोष हुआ
कविता

लोकतंत्र जयघोष हुआ

========================================== रचयिता : विनोद सिंह गुर्जर केशर क्यारी महक उठी है, लोकतंत्र जयघोष हुआ। नागों के फन कुचल दिए है। तन-मन में उठ जोश हुआ।।.. देश की सीमा में होकर भी, सौतेला व्याहार रहा। भारत मां के बच्चों का पर, सदा अनोखा प्यार रहा।। विषधर के सब दांत निकाले, दूर-दूर विषदोष हुआ।।... केशर क्यारी महक उठी है, लोकतंत्र जयघोष हुआ।।.. परिचय :-   विनोद सिंह गुर्जर आर्मी महू में सेवारत होकर साहित्य सेवा में भी क्रिया शील हैं। आप अभा साहित्य परिषद मालवा प्रांत कार्यकारिणी सदस्य हैं एवं पत्र-पत्रिकाओं के अलावा इंदौर आकाशवाणी केन्द्र से कई बार प्रसारण, कवि सम्मेलन में भी सहभागिता रही है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु हिंदी में टाईप करके हमें hindirak...