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Tag: विनोद वर्मा

मखोल्या की खीर भाग 2
कहानी

मखोल्या की खीर भाग 2

=============================== रचयिता : विनोद वर्मा "आज़ाद" उको सरीर दुबलो ने दो असाढ़ जैसो थो। सरीर गठिलो करने सारू उ सेर में पड़ने गयो थो। अय गांव में तगड़ी बारिस होने लगी गय ने ४-५ पावणा अय गया। घर मे समान भी कम थो ने इतरा सारा लोग ! हिम्मत वाली थी पटलन, दाल चडई दी चू ला पे ने सोचने लागि के मीठा में तो कय बनाने सारू हेज नी। चावल भी खुटी गया। कय करू। मेहमान पटेल का इन्तजार कर रहे थे। चाय पिलाने का बाद पटलन ने जल्दी-जल्दी दाल-रोटी, खीर ने अचार परस्यो। मेहमान ने भरपेट भोजन करी ने पटलन से खीर का बारा में पूछ्यो तो वा बोली नी। बड़ा लोग ना का सामने वा आवाज भी नि निकालती। सो मेहमान राते रुक्यया ने हवेरे-हवेरे वापस जाता रया। रास्ता में पटेल हरिसिंह अपनी लाडी का साथे पैदल पैदल चल्या अय रया था। आमनो-सामनो होने पे पटेल से सबी जना प्रेम से मिल्या ने मेहमान नवाजी की बात बतय के खीर की त...
वर्तमान परिदृश्य और भूतकाल के 45 साल
आलेख, नैतिक शिक्षा, स्मृति

वर्तमान परिदृश्य और भूतकाल के 45 साल

रचयिता : विनोद वर्मा "आज़ाद" बालमन के भी स्वप्न है, वे भी कल्पना लोक में विचरण करते है उनके भी मन मे लालसा के साथ जिज्ञासा होती है। बच्चों के बचपन को पुस्तकों, ग्रीष्म कालीन,शीतकालीन शिविरों में झोंका जा रहा है। छुट्टियां भी कम होती जा रही है। प्रातःकाल घूमना, दौड़ लगाना, खेलकूद आदि तो जैसे जड़वत होते जा रहे है। उनकी जगह मोबाइल फोन दूरदर्शन आदि ने ले ली है। वीडियो गेम से खेल की कमी को पूरा किया जा रहा है। इससे एक तेजतर्रार व मजबूत नस्ल की अपेक्षा नही की जा सकती। कमजोर बच्चे भले पढ़ने - लिखने में आगे हो जाये लेकिन उनमें सामान्य ज्ञान का अभाव स्पष्ट देखा जा सकता है। पहले हम पढ़ाई के साथ पट्टी पहाड़े में पाव, अद्दा, पौन आदि भी सीखते थे। लेकिन आज के बच्चों को यह सब समझ नही आता। आज बच्चों को कोई सामान लाने का कहा जाए तो वह आना कानी शुरू कर देते है या बहाना बना लेते है। जबकि पहले अगर पड़ोसी भी...
जानलेवा तम्बाकू का सेवन
आलेख

जानलेवा तम्बाकू का सेवन

रचयिता : विनोद वर्मा "आज़ाद" विश्व मे ८० लाख लोग प्रतिवर्ष तम्बाकू सेवन के पश्चात होने वाले असाध्य रोगों की वजह से काल के गाल में समा रहे है, वही भारत देश मे प्रतिवर्ष १० लाख लोग जान गंवा रहे है।       विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ विश्वभर के राष्ट्र और समाजसेवी संगठन तम्बाकू के सेवन से होने वाले रोग और होने वाली मौतों से बचाने के लिए विश्वव्यापी अभियान चलाए हुए है। इतना कुछ होने के बावजूद लोग इस कचरे को खाना नही छोड़ रहे है। इसके बनाये उत्पादों पर स्पष्ट चेतावनी लिखी होने के पश्चात भी इसका सेवन करने वालों की संख्या में कमी ना के बराबर हो रही है।      मैं दो घटनाएं और तम्बाकू के उत्पादन के बारे में बताने जा रहा हूँ, घटनाएं तो दिलचस्प है पर उत्पादन गन्दगी से सराबोर......        मैं कक्षा तीसरी का छात्र था, मेरे समाज बन्धु और पुराने घर के सामने वाले जो मेरे साथ पढ़ रहे थे, मुझे बड़े प्य...
कहावतों की कविता – 1
कविता

कहावतों की कविता – 1

=========================================== रचयिता : विनोद वर्मा "आज़ाद" हिंदी स्वर का प्रथम अक्षर "अ" को लेकर कहावतों को कविता में ढालना......एक प्रयास..  (१) अपनी नरमी दुश्मन को खाय, अधजल गगरी छलकत जाय, अमरौती खा के कौन है आय, अति का फूल सैंजना डाल पात से जाय। अर्थ :-- सुखद व्यवहार से शत्रु भी पराजित हो जाता है, अधूरी योग्यता छुपती नही, संसार मे कोई अमर नही, घमंडी का सदैव नुकसान होता है।              (२) अपना हाथ जगन्नाथ, अपने मन से पूछिए मेरे मन की बात, अब की अब के साथ, जब कि जब के साथ, अपनी जांघ उघारिये आपन मरिये लाज। अर्थ :-- आत्म निर्भरता, मेरे ह्रदय की बात तुम्हारा ह्रदय ही समझ सकता है, वर्तमान को महत्व देना, किसी अपने की बदनामी करने से आपकी भी बदनामी होगी। लेखक परिचय :-  नाम - विनोद वर्मा सहायक शिक्षक (शासकीय) एम.फिल.,एम.ए. (हिंदी साहित्य), एल.एल.बी., बी.टी., वैद्य विशार...
मेरे शैक्षिक नवाचार एवं उनके प्रभाव
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मेरे शैक्षिक नवाचार एवं उनके प्रभाव

=========================================== रचयिता : विनोद वर्मा "आज़ाद" हमारे राज्य की मानक भाषा हिंदी है। यद्धपि प्रदेश में मालवी, निमाड़ी, बघेली, बुंदेली भीली आदि कई क्षेत्रीय व स्थानीय भाषाएं व बोलियां है।जो समूचे प्रदेश में बोली जाती है और वो समाज की संपर्क भाषा बन गई है। ये सभी स्थानीय भाषाएं जहाँ हिंदी से प्रभावित है वही हिंदी भाषा भी इन भाषाओं, बोलियों के रस-रूप और उसकी सुगंध ग्रहण करके अपने को समृध्द बनाती है। ठीक इन बोलियों के अनुसार ही हम शैक्षिक नवाचार को ले सकते है। नवाचार भी ऐसा हो जो अनुकरणीय हो। सम्पूर्ण प्रदेश ही नही देश में भी खेलकूद गतिविधियां एक जैसी होने लगी है। यथा-कबड्डी, खो-खो, क्रिकेट, दौड़, स्लो सायकल रेस, लम्बी कूद......आदि। ये खेल सम्पूर्ण राष्ट्र में एक साथ प्रारम्भ नही हुए, बल्कि एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने में काफी समय लगा, देशी खेल के साथ विदेशी खेल ...
रंक से बना दिया राजा
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रंक से बना दिया राजा

रंक से बना दिया राजा =========================================== रचयिता : विनोद वर्मा "आज़ाद" ये बात बरसो पुरानी है एक नन्हा बालक 6 माह का था और काल के क्रूर हाथों ने उसकी मां का साया सिर पर से उठा लिया। बड़ी भाभी ने देवर से पूछा- "भइजी अब इना बच्चा को कय होयगो ? (बड़ी मां बच्चे की परवरिश करना चाहती थी) तो उनका कहना था मेरी सास इस बच्चे को रख लेगी। लेकिन सास यानी बच्चे की नानी ने साफ मना कर दिया कि मेरा छोटा सा घर और बच्चा है तो मैं इसको नही रख पाऊंगी। फिर अपनी बड़ सास यानी पत्नी की बड़ी बहन के बारे में कहा, तो उन्होने भी मना कर दिया। तब अपनी भाभी को बच्चा सुपुर्द करने की बजाय कहा 'जी' यानी उनकी मां और राजन यानी भतीजा को ले जाऊंगा। कुछ समय उपरांत दादी और बड़े भैया ने प्रारम्भ में उन बच्चों की देखभाल की। पिता ने गन्धर्व विवाह कर लिया। उनसे एक बेटे और बेटी ने जन्म लिया। फिर जैसा कि होता है सौते...