लो बीता है फिर एक साल
विजय गुप्ता "मुन्ना"
दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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लो बीता है फिर एक साल, क्या खोया क्या ही पाया।
हम तो गणित लगाना भूले, यूं ही किस्मत ले आया।
अच्छी बुरी खबर सदा मीडिया ने सभी को दिया होगा।
अपने हृदय स्वभाव मुताबिक शौक से ही लिया होगा।
दंगल विवाद राजनीति का नया द्वार खुलता होगा।
सनातन राह पे आने से, लाखों हृदय टूटा होगा।
पांच सौ वर्ष बहस उपरांत, भव्य राम धाम सजाया।
सम्मान मार्ग देख किसी ने, बहुतों को ही ललचाया।
लो बीता है फिर एक साल, क्या खोया क्या ही पाया।
हम तो गणित लगाना भूले, यूं ही किस्मत ले आया।
विवाद तनातनी मारकाट किस्से नित्य ही पढ़ा सुना।
धर्मजाति हत्या जिहादकथा, का मनमाना रूप चुना।
विदेश नेतृत्व लाजवाब, देश लोग ने खूब धुना।
कहीं उपलब्धि जानदार पर बहुतों ने किया अनसुना।
चुनाव अखाड़े में पटकनी करतब रोचक दिखलाया।
दिखता जहां योजना वर्चस्व, मसखरी ठिठोली छ...