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Tag: विकाश बैनीवाल

गुलाबी गुलाल
कविता

गुलाबी गुलाल

विकाश बैनीवाल मुन्सरी, हनुमानगढ़ (राजस्थान) ******************** गुलाबी गुलाल लगाए, हाथ जो भी लग जाए। गुड़िया के लगा रंग, देखो मुन्ना खूब हर्षाए। प्रफुल्लीत हुए तन-मन, आज दिल बड़ा प्रसन्न। झाँझर चमके गोरी के, बंगड़ी बजे खन्न-खन्न। ओ यारों की टोली सजी, लगी महफिल की अर्जी। भांग पीकर मस्ती हुए है, चलाते सब अपनी मर्जी। पिचकारी फव्वार चली, रंगो-रंग हुई गली-गली। घर लौट आए अब सब, जब दोपहर-शाम ढली। दरवाज़े की कुंडी खोली है, जो दिखी सूरत भोली है। अरे लगा ग़ुलाल भागकर, यार बुरा न मान होली है। परिचय :- विकाश बैनीवाल पिता : श्री मांगेराम बैनीवाल निवासी : गांव-मुन्सरी, तहसील-भादरा जिला हनुमानगढ़ (राजस्थान) शिक्षा : स्नातक पास, बी.एड जारी है घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मं...
सजल-जरुरी तो नहीं
कविता

सजल-जरुरी तो नहीं

विकाश बैनीवाल मुन्सरी, हनुमानगढ़ (राजस्थान) ******************** तुझसे सुबह शाम मिलूँ, जरूरी तो नहीं, तेरे नाम पे गजलें कहूँ, जरूरी तो नहीं। बेशक बेइंतहा है प्यार, तुझसे जानेमन, मैं इसका दिखावा करूँ, जरूरी तो नहीं। जीना पड़ता है, परिवार-समाज देखकर, बस प्यार ही सर पर धरूँ, जरूरी तो नहीं। जग से छुपा हुआ, पवित्र रिश्ता है अपना, इस बात का हल्ला करूँ, जरूरी तो नहीं। एक बार कह दिया, अनूठा प्रेम है हमारा, जानू-जानू कहता फिरूँ, जरूरी तो नहीं। हमारी बातें तो हो जाती है, चिट्ठियों में, तेरी गली में आता रहूँ, जरूरी तो नहीं। दिल से याद करता है तुझे ये "विकाश" बस हिचकियों में ही रहूँ, जरूरी तो नहीं। परिचय :- विकाश बैनीवाल पिता : श्री मांगेराम बैनीवाल निवासी : गांव-मुन्सरी, तहसील-भादरा जिला हनुमानगढ़ (राजस्थान) शिक्षा : स्नातक पास, बी.एड जारी है घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार ...
दोस्तों की महफ़िल
ग़ज़ल

दोस्तों की महफ़िल

विकाश बैनीवाल मुन्सरी, हनुमानगढ़ (राजस्थान) ******************** अरसों बाद आज सजी दोस्तों की महफ़िल, मस्ती के गुबार फूटने लगे ख़ुश हुए दिल। ग़म-ए-हयात मिटाने बिच की खीज़ मिटाने, यार मेरे जो ख़फ़ा थे वो भी हुए शामिल। ज़िंदगी की हर चीज़ मना सकते चुटकी में, मगर रूठें अपने यार मनाने बड़े मुश्किल। आई उसकी याद चार चाँद लगा दिए ग़मों ने, इश्क़ की तर्ज़ छिड़ी तो भूल गए मंज़िल। शेरो-शायरी की भरमार ग़ज़लों की हुज़ूम, 'विकाश' उलझे ख़ुशी की या ग़म की महफ़िल। परिचय :- विकाश बैनीवाल पिता : श्री मांगेराम बैनीवाल निवासी : गांव-मुन्सरी, तहसील-भादरा जिला हनुमानगढ़ (राजस्थान) शिक्षा : स्नातक पास, बी.एड जारी है घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा ...
टूटते गठबंधन और निदान
कविता

टूटते गठबंधन और निदान

विकाश बैनीवाल मुन्सरी, हनुमानगढ़ (राजस्थान) ******************** चौपाल नहीं रही, ना रहे चबूतरे, आपसी खीज ने सब तोड़ डाला। ग़लतफ़हमियो से भरे रिश्तों ने, एकांतता की और मुँह मोड़ डाला। क्या बात करें गठबंधन की हम, इसने भी एकता को निचोड़ डाला। नये रिश्तों की बेहूदी चाह में, लोगों ने पुराना घर फोड़ डाला। गलतफहमियां होती है रिश्तों में, माफ़ करना सुधारना भी जरूरी है। इंसान जो ठहरे हम सब साहब, आपस में सराहना भी जरूरी है। वहम जो है ये फ़क़त मन का मेल है, मेल को जड़ से मिटाना भी जरूरी है। गौर से देखें अनदेखे ना करें रिश्ते, जीवन में रिस्ते निभाना भी जरुरी है। परिचय :- विकाश बैनीवाल पिता : श्री मांगेराम बैनीवाल निवासी : गांव-मुन्सरी, तहसील-भादरा जिला हनुमानगढ़ (राजस्थान) शिक्षा : स्नातक पास, बी.एड जारी है घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। ...
अ-कारण
कविता

अ-कारण

विकाश बैनीवाल मुन्सरी, हनुमानगढ़ (राजस्थान) ******************** अ-कारण कोई आत्महत्या नहीं करता, जनाब ख़ुश होकर कोई नहीं मरता। आपनो के ही आघात ले बैठते है, बैगानो की बातों से कोई नहीं डरता। अ-कारण कोई आत्महत्या नहीं करता, ज़िन्दगी के बोझ से कोई नहीं दबता। तनाव बना देते है दिल मे रहने वाले, वैसे बाहर वालों से कोई फर्क नहीं पड़ता। अ-कारण कोई आत्महत्या नहीं करता, चेहरों से असलियत का पता नहीं चलता। लाज से ही कदम उठाना पड़ता है, यूँ ही जहर का घूंट अच्छा नहीं लगता। अ-कारण कोई आत्महत्या नहीं करता, जो टूट जाता वो अंदर से नहीं हँसता। मानसिक पीर भयंकर होती है, शारीरिक पीड़ा से कोई फंदा नहीं लटकता। परिचय :- विकाश बैनीवाल पिता : श्री मांगेराम बैनीवाल निवासी : गांव-मुन्सरी, तहसील-भादरा जिला हनुमानगढ़ (राजस्थान) शिक्षा : स्नातक पास, बी.एड जारी है घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्...
हमें गर्व है
कविता

हमें गर्व है

विकाश बैनीवाल मुन्सरी, हनुमानगढ़ (राजस्थान) ******************** हमें गर्व है बुजुर्गों के किए हुए उपकारों पर, गर्व है हमें माँ-बाप ने दिए सभ्य संस्कारों पर। हमें गर्व है अपने परम् पूजनीय हिंदुस्तान पर, गर्व है हमें राष्ट्र की आन-बान-शान-ईमान पर। हमें गर्व है भारत माता के वीर जवानों पर, गर्व है हमें अन्नदेवता भूमी पुत्र किसानों पर। हमें गर्व है क्रन्तिकारी कवियों के विचारों पर, गर्व है हमें कलमरूपी अमिट हथियारों पर। हमें गर्व है अपनी सामाजिक संस्कृति पर, गर्व है हमें सबसे निराली भारतीय प्रकृति पर। हमें गर्व है हमारी अनेकता में एकता की शक्ति पर, गर्व है हमें यहां भगवान के प्रति प्रेम की भक्ति पर। हमें गर्व है अशफ़ाक़, आज़ाद और सरदार पर, गर्व है हमें उस सच्चे बादशाह के पहरेदार पर। हमें गर्व है लाला, लोहपुरुष, कलाम और अटल पर, गर्व है जवानों की बंदूकों और किसानों के हल पर। हमें गर्व है ...
सत्य की जीत है
कविता

सत्य की जीत है

विकाश बैनीवाल मुन्सरी, हनुमानगढ़ (राजस्थान) ******************** सत्य सुन्दर है, सौम्य सुदर्शन है सत्य खुद्दार, सत्य की जीत है, सरसता, कोमलता सत्य वाणी में सौहार्द, सत्य के प्रेम की प्रीत है। सत्य ईमान है, इज्जतदार है हर इक प्राणी का श्रृंगार है। सत्य में लाज़ है, लिहाज़ है ज़िंदगी जीने का आधार है। सत्य में संस्कारों की संहिता भारतीय समाज की संस्कृति है, चाँद-सूरज, नभ-धरा सत्य सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड, सत्य प्रकृति है। पवित्र गुरु-ग्रंथ साहब है सत्य सत्य है रामायण और पुराण, ऋषि-मुनियों, की वाणी सत्य सत्य है वास्तविक पाक कुरान। सत्य अहिंसा, पुण्य कर्म है अखंड-अमिट, सत्य अटल है, राजा हरिश्चन्द्र जी है सत्य युगांतर है सत्य, आज-कल है। सत्य पथ पर चलना सदैव सत्य हमारे पूर्वजों की रीत है, वक़्त लगता है सत्यता को हाँ धर्म और सत्य की जीत है। परिचय :- विकाश बैनीवाल पिता : श्री मांगेराम बैनीवाल निवासी...