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ड्यूटी के चक्कर में
कविता

ड्यूटी के चक्कर में

रोहित कुमार हाथरस (उत्तर प्रदेश) ******************** ड्यूटी के चक्कर में जिनके, अपने घर आजाद हैं। कुछ तो सम्मान करें उनका, जो हर पल तैनात हैं। लाठी और बंदूक लेकर सड़क पर जो २४ घण्टे रहते हैं। उ. प्र. पुलिस को नतमस्तक इनके जो यह बन्दे हैं। धूप न देखें छाँव न देखें , प्यार से सब आबाद है। कुछ तो सम्मान करें उनका, जो हर पल तैनात हैं जब हम सोते रहते हैं घरों में, वो रात-रात तक जगते हैं। सिर्फ हमारी ही सेवा में लगे बेचारे रहते हैं। खाकी वर्दी की इस सेवा भाव से, सबके दिल नौशाद हैं। कुछ तो सम्मान करें उनका, जो हर पल तैनात हैं। छोड़ पड़े घर बार है अपना, ड्यूटी पर मुस्तैद हैं। कभी - कभी लगता है उनको, हम भी यारो कैद हैं। दिल से नमन उन्हें है मेरा उनको फिर प्रणाम है। कुछ तो सम्मान करें उनका, जो हर पल तैनात हैं। छूटे घर - परिवार हैं उनके, सबसे तो वह दूर हैं। मां - बाप...
मतदान
कविता

मतदान

रोहित कुमार हाथरस (उत्तर प्रदेश) ******************** हे ! हाथरस के प्यारे मतदाता, बनो देश के भाग्य विधाता। लोकतंत्र की तुम सुनो पुकार, मत खोना मत का अधिकार। जब-जब आती है दिवाली, नहीं भूलते तुम दीप जलाना। होली जब फाल्गुन में आती, मन होता जाता है दीवाना। फिर लोकतंत्र के महापर्व पर मत से क्यों करते हो इंकार ? धूप हो या छाँव हो जागो अब तुम प्यारे मतदाता करो प्रतिज्ञा तुम अबकी बार, मत डालेंगे सब परिवार। अपने फर्ज का रखो तुम ध्यान, देश हित में करो तुम कुछ काम। जाकर सुबह करो मतदान, नहीं बड़ा इससे कोई दान। २० फरवरी दिन रविवार, बूथ पर पहुँचो सब परिवार। परिचय :-  रोहित कुमार निवासी : नरहरपुर, हाथरस, (उत्तर प्रदेश) घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानिय...