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हे महागौरी माता
स्तुति

हे महागौरी माता

रूपेश कुमार चैनपुर (बिहार) ******************** हे महागौरी माता, चार भुजा धारिणी माँ, वृषभ की सवारी करती, अभय मुद्रा धारिणी, दाहिने भुजा त्रिशूल, बाएँ मे डमरू,वर धारिणी, तेरी महिमा है अपरम्पार, तू सबको देती आशीर्वाद। श्वेतांबर धारण करतीं, गौर वर्ण से प्रसिद्ध है तू, भगवान शिव की तू अर्धांगिनी से जानी जाती माँ तू, धवल चाँदनी की छाया में, माँ तुम्हारा स्थान है अनमोल, शांति, सौम्यता का प्रतीक, तू करती है सबका कल्याण। माँ तेरे मस्तक पर सजा है, चंद्रमा की तेज आभा, दुष्टों का नाश करती, देती भक्तों को जीवन की राह, कमल पर बैठी है तू, सौम्य और नीरस तेरा है शैली, भक्तों के दिल में बसी, तेरा अद्भुत अलौकिक चमत्कार। शक्ति और भक्ति का संगम तू है साक्षात स्वरूप माँ, हर दुख-दर्द को मिटाती तू है, सच्ची आस्था का धूप माँ, तेरे चरणों की धूल से माँ, मिलता मन मस्ति...
नया साल नया दौर
कविता

नया साल नया दौर

रूपेश कुमार चैनपुर (बिहार) ******************** जीवन के रंग मे खुशियों के संग में, सुबह की लाली घटा शाम की तन्हाई में, हरे भरे पेड़ों पर चिड़िया चहकती रहे, खेत खलिहानों मे फसल लहलहाती रहे, नई रोशनी मे नये जीवन की शुरुआत हो, सबको जीने की नई दिशा, नया राह मिले, गाँव मे खुशियों की नयी सौगात हो, सबको अपनी अभिव्यक्तियों का नया संसार मिले, मन मस्तिष्क मे नये दुनिया की स्वागत की आशायें हो, जीवन मे नये उद्देश्यों का लौ जले, प्रेम की ज्योति जले खुश्बुओं की महक उठे, विज्ञान , तकनीकी , साहित्य की ज्वाला और जले, दुनिया मे लोक कलाओं का चहुंदिश विकास हो, सभ्यता और संस्कृति को नया आयाम मिले, दुनिया मे आपस मे भाईचारे का संबंध हो, ना झगड़ा ना झंझठ का वास हो, पग -पग में दिल और प्यार का मिलन हो, जाति धर्म को मिटाकर सबकी धड़कनो की आवाज़ बनो, ऐसा नया हो नये साल क...
शिक्षक का ज्ञान
कविता

शिक्षक का ज्ञान

रूपेश कुमार चैनपुर (बिहार) ******************** ज्ञान का सागर हैं शिक्षक, महासागर हैं शिक्षक, जीवन का मान हैं शिक्षक, सृष्टि का अवतार हैं शिक्षक। हमें ज्ञान की ज्योति देते हैं, हमें नवज्योति दिखाते हैं, विज्ञान प्रौद्योगिकी कला को सिखाते हैं, हमें माता-पिता से ऊंचा पद प्रतिष्ठा देते हैं। सृजन के सृजन से, हमें चलना सिखाते हैं, हमें अंधेरों से, रोशनी की राह दिखाते है । ब्रह्मा का रूप तुम-कों मैं, हमेशा दिल से देते हैं, शिक्षक सृजन है सृष्टि का, पूरा विश्व मानता हैं। परिचय :- रूपेश कुमार छात्र एव युवा साहित्यकार शिक्षा : स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डीपलोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी ! निवास : चैनपुर, सीवान बिहार सचिव : राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य स...
आया रे आया रक्षाबंधन आया
कविता

आया रे आया रक्षाबंधन आया

रूपेश कुमार चैनपुर (बिहार) ******************** आया जी आया रक्षाबंधन का त्यौहार, भाई-बहनों के प्यार का त्यौहार आया, जीवन के जन्मों-जन्मों का साथ लेकर आया, बहना भाई के जीवन की रक्षा का मनु-हार लेकर आया, आया रे आया रक्षाबंधन का त्यौहार लेकर आया संसार के हर दुखों से भाई की रक्षा का वचन लिया, जन्म से लेकर मृत्यु तक जीवन की रक्षा का आशीर्वाद लेकर आया, हर संकट में हौसला बढ़ाती बहन भाई को आलोकित करने आयी, प्यार दुलार भाई पर लुटाती हमेशा प्यार लेकर आयी, आया रे आया रक्षाबंधन का त्यौहार लेकर आया, जीने की हजारों-हजार साल तक कामना लेकर आया, भाई के हर दुखों को हरने की दुआ लेकर आया, उनके सुखी जीवन की कामना करती दुलार लेकर आयी, अपना अमृत सागर सुख चैन लुटाती प्यार लेकर आयी, आया रे आया रक्षाबंधन का त्यौहार लेकर आया, बहन भाई की एक शान होती है, जीवन में हर परिस्थितियों स...
गणतंत्र का झंडा
कविता

गणतंत्र का झंडा

रूपेश कुमार चैनपुर (बिहार) ******************** आजादी के झंडे को हम, आत्मविश्वास से फहराएंगे, जीवन की उपलब्धियों को हम, देश के नाम कराएंगे, संविधान के अनुच्छेदों को, शब्द-शब्द हम देश के काम आएंगे, आजादी के लहू को हम, जीवन भर याद रखेंगे, 26 जनवरी को शपथ ग्रहण कर, सविधान की लाज बचायेंगे, आजादी के वीर सपूतों को हम, जिंदगी भर यादों में समेट कर रखेंगे, अंग्रेजों के काले कारनामे, कभी ना हम भूल पायेंगे, जीवन भर की लालसाएं, भारत माँ के चरणों में लौटाएंगे, माँ भारती को सोने की चिड़ियाँ, फिर से हम बनायेंगे, आतताइयों की बदसूरती से, सदा भारत माँ को बचाएंगे, लाल किले पर गणतंत्र का, झंडा हम फहराएंगे, अपने आजाद भारत का हम, संविधान कभी ना भूल पायेंगे, विश्व का सबसे बड़ा लिखित सविधान का, गौरव हम हमेशा बढ़ाएंगे, ४४८ अनुच्छेद,१२ अनुसुचियां, 25 भाग को और,...
शिक्षक जीवन की आत्मा है
कविता

शिक्षक जीवन की आत्मा है

रूपेश कुमार चैनपुर (बिहार) ******************** शिक्षक जीवन की आत्मा है, शिक्षक ही जीवन के परमात्मा है, बिन शिक्षक जीवन कहाॅं, शिक्षक जीवन की प्राणवायु है, शिक्षक बिन जीवन है अधूरा, खाली-खाली, सुना-सुना, शिक्षक जीवन की रोशनी है, शिक्षक जीवन का उजाला है, शिक्षक दुनियाॅं को राह दिखलाते, शिक्षक जीवन की मंजिल बनाते, शिक्षक जीवन के लिए मूल्यवान होते, शिक्षक जीवन को संवारते है, शिक्षक बिन जीवन की कल्पना नही होती, शिक्षक बिन ज्ञान की प्राप्ति नही होती, शिक्षक हमें चलना सिखलाते, शिक्षक हमारे ज्ञान की ज्योति जलाते हैं ! परिचय :- रूपेश कुमार छात्र एव युवा साहित्यकार शिक्षा : स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डीपलोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी ! निवास : चैनपुर...
स्वतंत्रता का झंडा
कविता

स्वतंत्रता का झंडा

रूपेश कुमार चैनपुर, सीवान (बिहार) ******************** भारत के आजादी पर्व को, मिल-जुलकर हम मनाएंगे, देश के अमर शहीदों के हम, जण गण मन दोहराएंगे, देश के खातिर हम सब अपना लहू दान कर जाएँगे, देश के वीर शहीदों पर हम, इतिहास नया बनवाएँगे आजादी के दीवाने हम हैं बस आजादी लाएंगे, माँ भारती के आँचल की हम लाज हमेशा बचायेंगे, केसरी माथे पर बांधा हरे से उपवन है साजा सफेदी दिल में बसा कर हम इस तिरंगे को आसमां तक पहुंचाएगे, तिरंगे के तीन रंगों का, अस्तित्व कभी न मिटने देंगे, बल, शांति और हरियाली, मतलब अब समझाएँगे, देश के गद्दारों को, मिट्टी मे हम मिला देंगे, जान जाए तो जाए पर, दुश्मन के आगे शीश नहीं झुकने देंगे, भगत, सुभाष, चन्द्रशेखर, महात्मा, गोखले, उधम, राजेन्द्र, मंगल, लक्ष्मीबाई, के सपनों को सच कर जाएँगे, स्वतंत्रता का झंडा हम, शान से युगों-...
ज्ञानोत्कर्ष अकादमी ने किया गुरुओं का सम्मान
साहित्यिक

ज्ञानोत्कर्ष अकादमी ने किया गुरुओं का सम्मान

भारत देश के बिहार राज्य मे स्थित ज्ञानोत्कर्ष अकेडमी के संस्थापक ने हमारे भारत देश के विभिन्न राज्यों से शिक्षा के क्षेत्र मे कार्य करने वाले गुरुओं को महर्षि वेदव्यास सम्मान-२०२१ देकर सम्मानित किया संस्था के संस्थापक रुपेश कुमार जी ने अपने उद्बोधन से कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए कहा की बिन गुरु ज्ञान है सूना और जिंदगी मे गुरुओं का महत्व बताते हुए गुरू को सदैव सम्मान देने की बात कही संस्था की संरक्षक सह वरिष्ठ कवयित्री ममता गिनोड़िया जी ने भी खुशी जाहिर करते हुए समस्त गुरुओं को बधाई देते हुए नमस्कार किया संस्था की राष्ट्रीय सचिव कवयित्री और मंच संचालिका वीना आडवानी ने कहा की वो भी कभी शिक्षिका थी विद्यालय मे परंतु आज साहित्यिक जगत मे ही जितना मेरा ज्ञान है वो सभी को सिखा कर आनंद पाती हूं साथ ही राष्ट्रीय महासचिव एव पूर्व शिक्षिका गरिमा विनित भाटिया जी ने भी खुशी का इज़हार किया गुरुओं के सम्...
गुरु जीवन है
कविता

गुरु जीवन है

रूपेश कुमार चैनपुर, सीवान (बिहार) ******************** विश्व मे सबसे पहले पूजें जाते है गुरु, विश्व मे सबसे महान होते है गुरु, गुरु बिन ज्ञान कि कल्पना नही कि जाती, गुरु बिन मानवता का कोई अस्तित्व नही होता, गुरु हमें ज्ञान कि शिक्षा, दीक्षा देते है, गुरु हमारे सपनों को हमेशा साकार करते है, जीवन के सबसे पहले गुरु माँ-बाप होते है, जीवन के सबसे पहली पाठशाला हमारी घर होती है, सबके लिए गुरुओं कि जरुरत होती है, भले शिक्षा हो या कला, खेल, अभिनय, गुरु बिन कुछ नही है सकारमय, गुरु बिन जीवन है अंधकारमय, गुरु बिन जीवन है अशिक्षित, गुरु बिन जीवन है पशुओं के समान, जहां गुरु नही होते वहाँ बुद्धि नही होती, जहां गुरु नही होते वह जगह जंगल के समान है, गुरु से ज्ञान कि उत्पति होती है, ज्ञान से विज्ञान, साहित्य, कला, अभिनय, समाजिक रहन सहन कि उत्पति हो...
जिंदगी एक अनबुझ कहानी तो है
कविता

जिंदगी एक अनबुझ कहानी तो है

रूपेश कुमार चैनपुर, सीवान (बिहार) ******************** जिंदगी एक अनबुझ कहानी तो है, कोई समझे या ना नही समझे तो, जन्म और मृत्यु की ये कहानी तो है, कोई पागल यही नही समझे तो, प्यार की ये अनबुझ कहानी तो है, कोई मानें या ना नही मानें तो, बचपन, जवानी, बुढ़ापे तो है, कोई जाने या ना नही जाने तो, खेल, पढ़ाई और जॉब की रवानी तो है, कोई निभाये या ना निभाये तो है, प्यार और धोखा की ये रुबानी तो है, कोई विश्वास करे या ना नही करे तो, गाँव, शहर और नगरों का ये अंतर नही, अपनी जीवनशैली बदलने से क्या फायदा, गीत, गजल और कविता मे वो बात नही, जो अध्यात्मिक भजनों मे मिलती हमें, मनुष्य, जीव-जंतु और पेड़-पौधे एक ही है, फिर सबको मसलने से क्या फायदा, जाति धर्म, रंग-भेद और खान-पान से मतलब नही, फिर सबसे दुश्मनी करने से क्या फायदा, हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सबका खून ए...
आज का भारत
कविता

आज का भारत

रूपेश कुमार चैनपुर, सीवान (बिहार) ******************** जहाँ कभी पुष्प वाटिका हुआ करती थी, वहाँ आज लाशों का अंबार लगा हुआ है , जो जमीन कभी सोने की चिड़िया होती थी, वहाँ आज लाशों का विछावन बिछा है , जो कभी विश्व का भाग्य विधाता हुआ करता था, वो आज भिखारी बना घुमाता है, जहाँ कभी मंदिरो मे मेले लगते थे, आज वहाँ शमशानों पर मेले लगते है, जहाँ कभी सभी धर्मो का सम्मान हुआ करता था, आज वहाँ धार्मिक कट्टरता हुआ करती है, जो कभी साधु-संतों की नगरी हुआ करती थी, आज वहाँ आज बाजार बना बैठा है, जहाँ कभी ईमानदारी की आवाजें गूँजती थी, आज वहाँ बेईमानों का अड्डा हुआ करता है, जहाँ के ज्ञान व विज्ञान की कभी विश्व पूजा करता था, आज वहा अज्ञानता का पर्याय बना बैठा है, जहाँ कभी दानी ज्ञानी महाराजाओं का राज हुआ करता था, आज वहाँ अनपढ़ बेईमानों का राज हुआ करता है, जहाँ क...
“राष्ट्रीय आंचलिक संस्था” मे श्रीमती कमला सिन्हा सम्मान-२०२१ संपन्न हुआ”
साहित्यिक

“राष्ट्रीय आंचलिक संस्था” मे श्रीमती कमला सिन्हा सम्मान-२०२१ संपन्न हुआ”

भारत की साहित्यिक संस्था "राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान" द्वारा श्रीमती कमला सिन्हा जी के स्मृति मे आयोजित अखिल भारतीय साहित्यिक प्रतियोगिता संपन्न हुआ! इस कार्यक्रम को संस्था के राष्ट्रीय महासचिव रूपेश कुमार द्वारा आयोजित किया गया "श्रीमती कमला सिन्हा" के प्रथम स्मृति दिवस पर आयोजित कार्यक्रम मे कमला जी के भतीजे रूपेश कुमार ने कहा की श्रीमती कमला सिन्हा एक धार्मिक, धर्मप्रयाण, एव समाजिक सरोकार से परिपूर्ण महिला थी! इनके पति सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया के अति महत्वपूर्ण पद आंतरिक लेखा निरीक्षक के पद से सेवा मुक्त हुए थे ! इनका पुरा जीवन आध्यात्मिकता मे गुजरा था ! लेकिन ईश्वर के आगे किसी की नही चलती है ! काल की कपाल ने एक झोखे मे नश्वर शरीर से अमर आत्मा को हम सभी से दूर कर दिया ! इस विशाल प्रतियोगिता मे पूरे भारत के सभी प्रांतों के एक से बढ़कर एक साहित्यकारों ने भाग लिया! सभी की रचनाएँ काबिले...
होली आई रे
कविता

होली आई रे

रूपेश कुमार चैनपुर, सीवान (बिहार) ******************** होली आई रे आई रे होली आई रे, जीवन को रंगों से रंगायी रे, मन मे पुलकित पंख लगायी रे, लाल हरा रंग रंगाई रे ! होली आई रे आई रे होली आई रे, मन तन के दिल मे आग लगायी रे, जीवन को मदहोश करायी रे, मन में बसंत बहार लायी रे ! होली आई रे आई रे होली आई रे, जीवन को सातों रंगों से रंग मे मिलाई रे, प्यार और भाईचारे का नदियाँ बहाई रे, हिंदू-मुस्लिम का भेदभाव मिटायी रे ! होली आई रे आई रे होली आई रे, रिश्ते नाते को एक डोरे मे बाधि रे, मंदिर मस्जिद को अपनाई रे, दिल मे दुनिया-जहान को समाई रे ! होली आई रे आई रे होली आई रे ! परिचय :- रूपेश कुमार शिक्षा : स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डिप्लोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी ! निवास : चैनपुर, सीवान बि...
मै क्या करूँ
कविता

मै क्या करूँ

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** मै क्या करूँ, समझ नहीं पा रहा हूं, आखिर क्यों मै इतना सोचता हू, मै इतना जीवन के सपने देखता था, मै क्यों इतना पागल होता हूं, दिल मे हमेशा दर्दो का महफिल लगा होता है, आंखों में हमेशा आंसू भरा रहता है, आखिर क्यों ऐसा मेरे साथ ही होता है, जब भी अकेला होता हूं, आंखों में पानी भर जाता है, दिल करता है, मै स्वयं को समाप्त कर लू, ऐसा क्यों होता है, शायद मेरी जिन्दगी की आखिरी शब्द हो, या शायद मै ही आखिरी हू, अब इस दर्द से मुझे रहा नहीं जा रहा है, आखिर क्यों मै अलग महसूस करता हू, स्वयं को मै डिप्रेशन में महसूस कर रहा हूं, कुछ सोच नही पाता हू, दुनिया की दुनियादारी, समाज की मजबुरी, मुझे ना जीने देती है ना मरने देती है, मै क्या करूँ, कोई बताए मुझे, या आत्म को स्वयं मे लिप्त कर दू, मुझे इस नश्वर दुनिया में, सिर्फ अशांति ही अशांति, जी करता है जोगी ही...
भगवान शिव
कविता

भगवान शिव

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** जहाँ सारा दुनिया जिसकी शरण मे, नमन है उस भगवान शिव के चरण मे, हम बने उस महाकाल के चरणों की धूल, आओ हम-सब मिल कर चढ़ाये उनके चरणों में श्रद्धा के फूल! महाकाल की हमेशा बनी रहे मुझ पर छाया, पलट दे मेरी किस्मत की काया, मिले मुझको सब कुछ इस दुनिया में हमेशा, जो कभी किसी को न मिल पाया इस जीवन में! महाकाल जब आएंगे मेरे द्वार, मेरे जीवन के गोद में भर देंगे सारी खुशियां, कभी रहे न जीवन में मेरे दुखः-दर्द, मेरे चारों तरफ हमेशा हो जाए सुख ही सुख! प्रभु शिव का नारा लगा कर हम, सारी दुनिया में हो गए हैं प्यारे-न्यारे, मेरे दुश्मन भी मुझसे बार-बार बोले, मेरे प्यारे भगवान महाकाल के भक्त हो गए हो तुम सबसे न्यारे! परिचय :- रूपेश कुमार शिक्षा - स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डीपलोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यू...
इश्क ही वो इश्क ही क्या
कविता

इश्क ही वो इश्क ही क्या

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** इश्क ही वो इश्क ही क्या, जिसमें जीवन की ना रुसवाईया हो, ना उसमें दर्द भरी तनहाईयाँ हो, और ना नयनों मे आँशु की बरसात हो, और ना उसमें तड़प हो ना गरज हो, तो वो फिर इश्क ही क्या है! इश्क ही वो इश्क ही क्या , जिसमें सातों जन्मों-जन्मों का स्वप्न ना हो, जिसमें खुशियों की अंबार ना हो, जिसमें तारों को तोड़कर लाने जैसी स्वप्न ना हो, जिसमें रात को दिन और दिन को रात ना लगे, तो वो फिर इश्क ही क्या है! इश्क ही वो इश्क ही क्या, जिसमें बिन दर्द का दर्द ना हो, जिसमें बिन नींद का चैन ना हो, जिसमें बिन रोग का रोगी ना हो, जिसमें जाति-धर्म मिट ना जाएँ, तो वो फिर इश्क ही क्या है ! इश्क मे अंधापन होना चाहिए, ना जाति ना धर्म सिर्फ प्रेम का भूत हो, जिसमें ना जिस्म की लालसा हो, ना कुछ लेने का लोभ-लालच, सिर्फ निस्वार्थ प्रेम की चाह हो, असली इश्क तो वही है जो ...
आजादी के झंडे
कविता

आजादी के झंडे

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** आजादी के झंडे को हम, आत्मविश्वास से फहराएंगे, जीवन की उपलब्धियों को हम, देश के नाम करायेंगे, संविधान के अनुच्छेदों को, शब्द-शब्द हम देश के काम लाएंगे, आजादी के लहू को हम, जीवन भर याद रखेंगे, २६ जनवरी को शपथग्रहण कर, सविधान की लाज बचायेंगे, आजादी के वीर सपूतों को हम, जिंदगी भर यादों मे समेट कर रखेंगे, अंग्रेजो के काले कारनामें, कभी ना हम भूल पायेंगे, जीवन भर की लालसाएं, भारत माँ के चरणों में लौटाएंगे, माँ भारती को सोने की चिड़ियाँ, फिर से हम बनायेंगे, आतताइयों की बदसूरती से, सदा भारत माँ को बचाएंगे, लालकिले पर गणतंत्र का, झंडा हम लहराएंगे, अपने आजाद भारत का हम, सविधान कभी ना भूल पायेंगे, विश्व का सबसे बड़ा लिखित सविधान का, गौरव हम हमेशा बढ़ाएंगे , ४४८ अनुच्छेद, १२ अनुसुचियां, २५ भाग को, और ५ परिशिष्ठ को हमेशा जीवन में अपनाएंगे, हम...
मेरे जीवन के कुछ अधुरे शब्द
आलेख

मेरे जीवन के कुछ अधुरे शब्द

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** जीवन मे मुझे कुछ शब्दों से काफी नाराज़गी मिली जो कभी पूरा हुआ ही नही भले उसे किसी तरह उपयोग किया जाये अगर हुआ भी तो सिर्फ भाग्य-वालो का ही ! जैसे-रिश्ता जिसमे कभी ना कभी मन-मुटाव आ ही जाता है कैसा भी रिश्ता हो माँ से बेटा का, पिता से बेटा का, चाचा से भतीजे से, भाई से भाई का, बहन से भाई का प्रेमी से प्रेमिका का रिश्ता जैसे हाल ही मे बहुत घटना पेपर, टी.वी पर सुनने को मिलता है, आरूषी तलवार का रिश्ता माँ बाप का रिस्त्ता ! इसी प्रकार प्यार या प्रेम का रिश्ता जो जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण है जिसका जीवन मे सबसे ज्यादा एव खास स्थान है! वो बिरले ही पूरा होता है खास तौर पे देखा जाये तो अधूरा ही होता है जैसा प्रेमी प्रेमिका, माता-पिता, भाई-बहन इस आधुनिकता मे अधूरा एक शौक हो गया है जैसे लैला मजनु का रिश्ता, शीरी फरहाद का रिश्ता आदी! अगला ले ले तो...
नया साल
कविता

नया साल

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** बीत गया जो पल उसे भूल जाते है, आने वाले कल का जश्न मनाते है, अरमान है दिल मे पुड़ी और मीठाई का, पर सुखी रोटी पर संतोष कीए जाते है, मिले खुशबू बेली और चमेली का, पर रजनीगंधा की ओर बढे जाते है, हम जानते है प्रेम एक मर्ज हुआ करता है, फिर देवदास की तरह शराब पिये जाते है, कुछ गलतिया हम जानकर ही करते है, फिर भी गलतियो पे पश्चाप कीये जाते है, हम आशा और उम्मीद पर समाज बदलते है, पर देखते ही सबकुछ बदल जाते है, कल रो रहे थे 'रूपेश' गुजरे हूए ज़माने पर, आज नववर्ष पर उल्लास मनाये जाते है ! परिचय :- रूपेश कुमार शिक्षा - स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डीपलोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी ! निवास - चैनपुर, सीवान बिहार सचिव - राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य सं...
नया साल नया दौर
कविता

नया साल नया दौर

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** जीवन के रंग मे खुशियों के संग मे, सुबह की लाली, घटा शाम की तन्हाई मे, हरे-भरे पेड़ों पर, चिड़िया चहकती रहें, खेत-खलिहानों में, फसल लहलहाती रहे, नयी रोशनी में, नये जीवन की शुरुआत हो, सबको जीने की नई दिशा, नयी राह मिले। गाँव मे खुशियों की, नयी सौगात हो , सबको अपनी अभिव्यक्तियों का नया संसार मिले। मन मस्तिक मे नव दुनिया की स्वागत की आशायें हो, जीवन मे नये उद्देश्यों की लौ जले, प्रेम की ज्योति जले खुशबुओं की महक उठे, विज्ञान, तकनीकी, साहित्य की ज्वाला और जले, दुनिया में कला, नृत्य, लोक नृत्य का विकास हो, सभ्यता और संस्कृति का नया आयाम मिले, दुनियाँ में सभी का सभी से भाईचारे का संबंध हो, ना झगड़ा ना झंझट, न हाथापाई का वास हो, राहों-राहों मे दिल और प्यार का मिलन हो, जाति धर्म को मिटाकर सबकी धड़कनो की आवाज़ बनों, ऐसी हो नये साल की शुरुआत ...
दीपावली आयी है
कविता

दीपावली आयी है

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** दीपो का दिवाली आयी है, दीप जगमगाते दिवाली आयी है, मीठे मीठे मिष्ठान लेकर आयी है, लाल, पीले, हरे, नारंगी लेकर आयी है, धरती के मिट्टी से दीप जलाएंगे, दुनिया मे प्रेम का मिलन कराएंगे, चक-मक दीपों का त्यौहार आयी है, दीपों का पर्व दीपावली आयी है, फुलझड़ी, अनार, चिटपुटीया का पर्व आयी है, मोमबत्ती, रंग बिरंगे मिठाइयों का पर्व आयी है, आपस मे मिलकर धर्म-जाति का पर्व आयी है, दीपो से दुनिया का उजाले करने का पर्व आयी है, बम-बारूद पटाखे से, विषाणुओं को समाप्त करने का त्यौहार आयी है, मनुष्यों का अस्तित्व बचाने का त्यौहार आयी है, दुनिया मे रोशनी, उजाले करने का पर्व आयी है, हिंसा पे अहिंसा से, विजय दिवस मनाने का त्यौहार आयी है, अशांति पे शांतिपूर्ण तरीके से जीतने का पर्व आयी है, दीपों का पर्व दीपावली आयी है! परिचय :- रूपेश कुमार शिक्षा - स्न...
बहुत याद आता है
कविता

बहुत याद आता है

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** तुम्हारा मुझे एक टक निहारना मुझें बहुत याद आता है, तुम्हारा दुपट्टे में मुँह छिपा कर मुस्कुराना, मुझें बहुत याद आता है, नित्य नये-नये खत लिख कर देना, मुझें बहुत याद आता है, ऊपर से गुस्सा होना और भीतर ही भीतर मुझें दिल से मानना, मुझें बहुत याद आता है, तुम्हारा मुझपर अपना हक़ जमाना, मुझें बहुत याद आता है, मुझसे रूठना, बातें ना करना लेकिन मेरी खुशियों की दुआ करना, मुझें बहुत याद आता है, छुप-छुप कर मेरा स्टेटस देख मुझे याद करना, मुझें बहुत याद आता है, मेरी छोटी-छोटी बातों पर मुझसे झगड़ा करना, मुझें बहुत याद आता है, मेरी धड़कनों को अपना एहसास बनाना, मुझें बहुत याद आता है, मेरी हर एक रचना को दिल से पढ़ना, मुझें बहुत याद आता है, तुम्हें अपने प्यारे सूट मे देखना, मुझें बहुत याद आता है, तुम्हारे अधरों का रक्तिम लिपस्टिक, मुझें बहुत याद आ...
हिंदी मेरी
कविता

हिंदी मेरी

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** हिंदी मेरी मातृभाषा, हिंदी मेरी जान ! हिंदी के हम कर्मयोगी, हिंदी मेरी पहचान, हिंदी मेरी जन्मभूमि, हिंदी हमारी मान, हम हिंदी कि सेवा करते है, हम जान उसी पे लुटाते है ! हिंदी हमारी मातृभाषा, हिंदी हमारी जान ! है वतन हम हिंदुस्तान के, भारत मेरी शान, हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा, हिंदी हमारी एकता, हिंदी में हम बस्ते है , हिंदी मेरी माता ! हिंदी है हमारी मातृभाषा, हिंदी मेरी जान ! हिंदी मेरी वाणी, हिंदी मेरा गीत, ग़ज़ल, हिंदी के हम राही, हिंदी के हम सूत्र-धार, हिंदी मेरी विश्व गुरु, हिंदी मेरी धरती माता ! हिंदी है हमारी मातृभाषा, हिंदी मेरी जान ! परिचय :- रूपेश कुमार शिक्षा - स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डीपलोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तै...
सपनों को सच होने दो
कविता

सपनों को सच होने दो

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** सपनों को सच होने दो, जीवन को मत रोने दो, जीवन है बहुमूल्य हीरा, जीवन को जग से जीने दो, सपनों को सच होने दो तुम! रह ना जाए कोई बेकार, जीवन को मत भूलने दो, जीवन है फूलों का हार, जीवन को जग जितने दो, सपनों को सच होने दो तुम! प्यार के चक्कर मे पडोगे तो, मोबाइल मे रहोगे तुम, जीवन दो पल की चीज है, इस पल को बर्बाद करोगे तुम, सपनों को सच होने दो तुम! जीवन मे ऐसा करो तुम, तुम्हारे पीछे पूरी जहाँ घूमे, ना किसी के प्यार के चक्कर मे पड़ो तुम, ऐसा करो की तुम्हारे चक्कर मे दुनिया पड़े, सपनों को सच होने दो तुम! कॉल करके रास्ते मे बुलाती हो, मिलने के बहाने पढ़ने जाती हो, अभी तक तुम ना सम्भलोगी तो तुम, तुम्हारी दुनिया नर्क बन जाएगी एक दिन, सपनों को सच होने दो तुम! शिक्षक तुम्हें ज्ञान सिखलाते, कभी ना तुमको गलत राह दिखलाते, तुम शिक्षकों का आदर करोगी तो...
माखन के चोर
कविता

माखन के चोर

रूपेश कुमार (चैनपुर बिहार) ******************** माखन के चोर, गोपियों की नैनो के मोर, तूने कैसा खेल किया, दुनिया सारी तुम्हारे है ओर, मीरा तुम्हारी दीवानी, राधा तुम्हारी दीवानी, दुनिया तुम्हारे दीवाने, तेरे हाथों युग बना घनगोर, कहीं जन्मा तू, कहीं पला तू, कहीं खेला तू, कहीं रहा तू, तेरे रूप अनेक, तेरे रंग अनेक, किसी के दिल में तू, किसी के सांसो में तू, तू दुनिया के पालन हारी, तू दुनिया के सबके दुलारे, तू है तो दुनिया है, तू है तो हम है! परिचय :- रूपेश कुमार छात्र एव युवा साहित्यकार शिक्षा - स्नाकोतर भौतिकी, इसाई धर्म (डीपलोमा), ए.डी.सी.ए (कम्युटर), बी.एड (महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी बरेली यूपी) वर्तमान-प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी ! निवास - चैनपुर, सीवान बिहार सचिव - राष्ट्रीय आंचलिक साहित्य संस्थान प्रकाशित पुस्तक - मेरी कलम रो रही है सम्मान : कुछ सहित्यिक स...