शरद पूनम का चाँद हो
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रुचिता नीमा
इंदौर म.प्र.
शरद पूनम का चाँद हो
नदी का किनारा हो
हाथों में हाथ सिर्फ तुम्हारा हो
कितना मधुर वो साथ प्यारा हो
न गम का कहीं भी इशारा हो
चाँदनी से महक रहा जहान सारा हो
शीतल किरणों सा जगमगा रहा प्यार हमारा हो
तो कितना मधुर वो साथ प्यारा हो
कि खो जाए हम एक दूसरे में ही कही
इस दुनिया से बेखबर संसार हमारा हो...
जहाँ सिर्फ मुहब्बत ही मुहब्बत हो,
और गम का न कहीं सहारा हो
तो कितना मधुर वो संसार प्यारा हो
आओ बसाए वो सपनों का जहान...
जहाँ हर पल शरद पूनम का उजास हो
उस शीतल चाँदनी में फिर राधा कृष्ण का रास हो,,
गोपियों का विश्वास हो, और मधुर मिलन की आस हो...
और ऐसा प्यारा वो संसार हमारा हो...
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लेखिका परिचय :- रुचिता नीमा जन्म २ जुलाई १९८२ आप एक कुशल ग्रहणी हैं, कविता लेखन व सोशल वर्क में आपकी गहरी रूचि है आपने जूलॉजी में एम.एस.सी., मइक्रोबॉयोलॉजी में बी.एस.सी. व इग्न...