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Tag: रुचिता नीमा

शरद पूनम का चाँद हो
कविता

शरद पूनम का चाँद हो

********** रुचिता नीमा इंदौर म.प्र. शरद पूनम का चाँद हो नदी का किनारा हो हाथों में हाथ सिर्फ तुम्हारा हो कितना मधुर वो साथ प्यारा हो न गम का कहीं भी इशारा हो चाँदनी से महक रहा जहान सारा हो शीतल किरणों सा जगमगा रहा प्यार हमारा हो तो कितना मधुर वो साथ प्यारा हो कि खो जाए हम एक दूसरे में ही कही इस दुनिया से बेखबर संसार हमारा हो... जहाँ सिर्फ मुहब्बत ही मुहब्बत हो, और गम का न कहीं सहारा हो तो कितना मधुर वो संसार प्यारा हो आओ बसाए वो सपनों का जहान... जहाँ हर पल शरद पूनम का उजास हो उस शीतल चाँदनी में फिर राधा कृष्ण का रास हो,, गोपियों का विश्वास हो, और मधुर मिलन की आस हो... और ऐसा प्यारा वो संसार हमारा हो... . लेखिका परिचय :-  रुचिता नीमा जन्म २ जुलाई १९८२ आप एक कुशल ग्रहणी हैं, कविता लेखन व सोशल वर्क में आपकी गहरी रूचि है आपने जूलॉजी में एम.एस.सी., मइक्रोबॉयोलॉजी में बी.एस.सी. व इग्न...
काश की कोई
कविता

काश की कोई

********** रुचिता नीमा इंदौर म.प्र. काश की कोई ऐसा हमसफ़र होता जो तन्हाई में भी साथ होता,,,,, जिससे न कुछ छिपा होता,, वो हर मर्ज की दवा होता..... जो समझ सकता अनकहे जज्बातों को, और महसूस करता दिल के अहसासों को।।। सोचो कितना हसीन सा फिर वो सफर होता जिसमे हर पल आपका अजीज हमसफ़र होता,,, फिर न मंजिल की फिक्र होती, न मुश्किलों का कोई असर होता।।। काश की ऐसा कोई हमसफ़र होता तो बहुत खूबसूरत ये जीवन का सफर होता . लेखिका परिचय :-  रुचिता नीमा जन्म २ जुलाई १९८२ आप एक कुशल ग्रहणी हैं, कविता लेखन व सोशल वर्क में आपकी गहरी रूचि है आपने जूलॉजी में एम.एस.सी., मइक्रोबॉयोलॉजी में बी.एस.सी. व इग्नू से बी.एड. किया है आप इंदौर निवासी हैं। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्र...
काश …
कविता

काश …

********** रुचिता नीमा इंदौर म.प्र. काश ... कि तुम समझ पाते मेरे मजबूर दिल के हालात काश ... की तुम देख सकते वो लहरों के तुफानो को कि वो भावनाओ को किस तरह, विचलित करते जा रहे काश ... कि तुम महसूस कर सकते मेरे इश्क़ की गहराइयों को जिसकी कोई सीमा नहीं काश ... कि तुम डूब सकते उस प्यार के दरिया में जो वक़्त के साथ साथ बढ़ते ही जा रहा, और बहते ही जा रहा काश ... कि ये काश ही न होता, बल्कि होती एक खूबसूरत सी हकीकत और होते सिर्फ 'हम' लेखिका परिचय :-  रुचिता नीमा जन्म २ जुलाई १९८२ आप एक कुशल ग्रहणी हैं, कविता लेखन व सोशल वर्क में आपकी गहरी रूचि है आपने जूलॉजी में एम.एस.सी., मइक्रोबॉयोलॉजी में बी.एस.सी. व इग्नू से बी.एड. किया है आप इंदौर निवासी हैं। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं,...
विदाई
लघुकथा

विदाई

********** रुचिता नीमा आज आसमान फिर से लालिमा लिये था, बादल किसी भी क्षण बरसने को उत्सुक थे।।। शायद उन्हें भी दर्द हो रहा था सलोनी के अपने माँ , पापा से दूर होने का कहते है विदाई बेटी की होती है, पर यहाँ तो उसकी माँ की विदाई हो गई थी। सलोनी अपने माता पिता की बहुत लाडली सन्तान थी, बचपन से नाज़ो से पली। फिर उसकी शादी भी उसके पिता ने घर के नजदीक ही एक अच्छा लड़का देखकर कर दी कि बेटी को कभी नजरों से दूर नही करेंगे। समीर भी उसे बहुत प्यार से रखता था, सब कुछ अच्छा चल रहा था। लेकिन एक दिन सलोनी की मम्मी को उनके मायके से फोन आया कि सलोनी की नानी बहुत बीमार है, और उनके मामाजी ने नानी जी की बीमारी को देखते हुए अपना ट्रांसफर दूर करवा लिया है, ताकि बीमार नानी की सेवा नही करनी पड़े। लेकिन एक बेटी से माँ का दर्द नही देख गया तो सलोनी की मम्मी को अपना घर छोड़कर उनके मायके कलकत्ता जाकर रहना पड़ रहा है। ...
मेरी तमन्ना
कविता

मेरी तमन्ना

********** रुचिता नीमा तमन्नाओं की महफ़िल सजाए बैठे है हम सबसे हाल ए दिल छिपाए बैठे है शिकवा करें भी तो किस से करे ए जिंदगी हम खुद से ही बेवजह दिल लगाए बैठे है . बहुत कुछ पाया है तुझसे ये जिंदगी, फिर भी खुद को लुटाए बैठे है।।। हम सबकुछ पाकर के भी,, कई ठोकर खाये बैठे है।।।। अब शिकवा करें भी तो किससे करें ए जिंदगी हम खुद से ही बेवजह दिल लगाए बैठे है।।।। . ये तमन्नाएँ भी हमारी ही थी ,, और हम ही इनसे हार खाकर बैठे है।।। जानते हुए कि सब कुछ नहीं मिला किसी को भी इस जहा में,,, फिर भी उम्मीदों की महफ़िल सजाए बैठे है।।।। अब कैसे समझाए इस दिल को कि हम गलत अरमान जगाए बैठे है।।।। . बस एक उम्मीद का दीपक रोशन है,, जो अंधेरे को दबाए बैठे है हम उस दीपक से ही सूरज की आस लगाए बैठे है।।। अब शिकवा करें भी तो किससे करें ये जिंदगी हम खुद से ही दिल लगाए बैठे है।।।।। . .लेखिका परिचय :-  रुचिता नीमा जन्म २ जुलाई...
हे कान्हा
कविता

हे कान्हा

======================== रचयिता : रुचिता नीमा हे कान्हा!!!!!! कैसे परिभाषित करु मैं अपने प्रेम को,,,,,, तेरा प्रेम मेरे लिये जैसे, बारिश की वो पहली बूंद,, जिससे महक उठे माटी।।।। वो रेत की तपिश में मिला एक बर्फ का टुकड़ा,,,, जो दे असीम सी ठंडक।।।।। तेरे प्रेम का अहसास है इतना शीतल की कड़ी धूप में मिल गया कोई शीतल झरना।।।। ऐसा लगा ही नही की हम एक नहीं, तू साथ नहीं, पर तू मुझसे जुदा भी नहीं,,,।।। हे राधिके!!!! मत दो हमारे प्रेम को कोई भी आकार,, और न ही यह है किसी रिश्ते का मोहताज एक रूह के दो रूप है हम,,, एक दूजे के बिन अपूर्ण है हम।।।।। निःशब्द, निर्विकार, निराकार सब सीमाओं से परे असीमित, अनन्त, अव्यक्त से हम....... राधे कृष्ण राधे कृष्ण राधे कृष्ण लेखिका परिचय :-  रुचिता नीमा जन्म २ जुलाई १९८२ आप एक कुशल ग्रहणी हैं, कविता लेखन व सोशल वर्क में आपकी गहरी रूचि है आपने जूलॉजी में एम....
कुछ बातें अनकही सी
कविता

कुछ बातें अनकही सी

======================== रचयिता : रुचिता नीमा कुछ बातें अनकही सी, अनसुनी सी हर बार रह जाती है बताना चाहती हूँ बहुत कुछ और बहुत कुछ जानना भी हर बार कोशिश करती हूँ पर न जाने क्यों तुम्हारे सामने आते ही सब कुछ, वही का वही रह जाता है कहना होता है कुछ और और कुछ और ही बयां हो जाता है पर जो कुछ भी हो, बस सार यही है, की तुम खुश रहो जहाँ भी रहो।।।।।। मैं तो हमेशा तुम्हें, तुम्हारी परछाई में नजर आऊँगी।। बस एक बार दिल की आँखों से देख लेना ..... लेखिका परिचय :-  रुचिता नीमा जन्म २ जुलाई १९८२ आप एक कुशल ग्रहणी हैं, कविता लेखन व सोशल वर्क में आपकी गहरी रूचि है आपने जूलॉजी में एम.एस.सी., मइक्रोबॉयोलॉजी में बी.एस.सी. व इग्नू से बी.एड. किया है आप इंदौर निवासी हैं। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने...
मेरा इंतजार ……..
कविता

मेरा इंतजार ……..

=================================================== रचयिता : रुचिता नीमा उसका वो कहना कि तुम इन्जार करना मैं खुद ही आऊंगा, बड़ी कशमकश में कर गया दिन पर दिन बीतते गये, पर वो इंतजार की घड़ियां कभी खत्म नही हुई इसे मेरा जुनून कहे या दीवानगी मै हर बीतते पल और बड़ी बेसब्री से इंतजार करने लगी।।। फिर एक दिन मिला वो बीच बाजार में, जैसे कोई अजनबी देख कर भी अनदेखा कर निकल गया लेकिन इस बार मेरे साथ जो हुआ वो किसी जादू से कम न था, मुझे कुछ भी अजीब नहीं लगा क्योंकि जो मेरा जुनून था, मुझे सुकून देने लगा था अब।।।। और शायद उसके मिलने का अब मुझे इंतजार ही नही रहा था, मुझे अब खुद के खुद से मिलने का इंतजार था।।। और वो घड़ी करीब आने लगी थी।।। क्योंकि अब मैं ये जान गई थी, कि वक़्त, वक़्त के साथ बदल जाता है, और कुछ कुछ हम भी दुनिया मे कुछ भी अपना नहीं सिवाय अपने परमात्मा के, जो अपने अंदर ही छि...
रंग बदलती दुनिया
कविता

रंग बदलती दुनिया

=================================================== रचयिता : रुचिता नीमा आज जब आईने में खुद को देखा तो यकीन ही नही हुआ,,, गाड़ी , बंगला सबकुछ था , पर जिसे होना था पास मेरे।।। वो न जाने कहा खो गया था, घिरा हुआ था दूसरों के साये से खुद मेरा साया ही नही था।।। बहुत खोजा उसे लेकिन वो अंत तक नहीं मिला, इस दुनिया की दौड़ में मेने खुद को ही खो दिया।।। अब पाना है बस खुद को छोड़कर बाहर की जंग जीतना है खुद से ही करकर खुद को बुलंद लेखिका परिचय :-  रुचिता नीमा जन्म २ जुलाई १९८२ आप एक कुशल ग्रहणी हैं, कविता लेखन व सोशल वर्क में आपकी गहरी रूचि है आपने जूलॉजी में एम.एस.सी., मइक्रोबॉयोलॉजी में बी.एस.सी. व इग्नू से बी.एड. किया है आप इंदौर निवासी हैं। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेत...