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Tag: रामेश्वर पाल

होली
कविता

होली

रामेश्वर पाल बड़वाह (मध्य प्रदेश) ******************** गिर गया झुमका सैया की ठिठोली में बड़ा मजा आया अबकी होली में सहेली का संग छोड़ सैया संग खेली में बड़ा नशा आया अबकी होली में। सैया ने पकड़ी मोरी कलाई रंगों की बौछार गालों पर छाई भीगी मोरी चोली में शरमाई सैया ने नहीं छोड़ी मोरी कलाई गिर गया झुमका दोनों की ठिठोली में बड़ा मजा आया अबकी होली में। सैया ने मारी भर भर पिचकारी मोरा अंग अंग रंग डाला छुपाया था अंग वह भी रंग डाला कहीं लाल कहीं पीला कहीं काला कर डाला गिर गया झुमका न जाने किस की झोली में बड़ा मजा आया अबकी होली में। ढूंढ ढूंढ झुमका में हार गई रे सैया की ठिठोली मुझे मार गई रे नहीं मिला झुमका रंगों के बाजार में बड़ा मजा आया रे होली के त्यौहार में। परिचय :-  रामेश्वर पाल निवासी : बड़वाह (मध्य प्रदेश) विधा : कविता हास्य श्रृंगार व्यंग आदि।...
नए-नए संस्कार
कविता

नए-नए संस्कार

रामेश्वर पाल बड़वाह (मध्य प्रदेश) ******************** प्रकृति और संस्कृति मे नए-नए संस्कार आने लगे हैं पनघट की रौनक और महिलाओं के घुंघट गायब होने लगे हैं। आ गई है नई संस्कृति नए-नए नजारे आने लगे हैं पहले मनाते थे होली दिवाली अब वैलेंटाइन डे मनाने लगे हैं। होती थी रोनक घरों में त्योहारों के आने से लोग अब होटलों में जाने लगे हैं भूल गए गुजिया मालपुआ को बर्गर पिज़्ज़ा खाने लगे हैं। बच्चे भूल गए बुआ फूफा को ताऊ जी अंकल कहलाने लगे हैं खाते थे साथ बैठकर खाना अब टेबल कुर्सी सजाने लगे हैं। रहते थे साथ में दादा दादी भूल गए दादा दादी को पापा भी संडे संडे घर आने लगे हैं। परिचय :-  रामेश्वर पाल निवासी : बड़वाह (मध्य प्रदेश) विधा : कविता हास्य श्रृंगार व्यंग आदि। प्रकाशित काव्य पुस्तक : पाल की चांदनी। घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सु...
बेटियां
कविता

बेटियां

रामेश्वर पाल बड़वाह (मध्य प्रदेश) ******************** दोनों घरों की पहचान होती है बेटियां एक बहू दूसरे में मां की शान होती है बेटियां। बहू बेटियां ही चलाती हैं घर और सबको खिलाती है रोटियां पिता की खुशी और मां का अरमान होती है बेटिया। कितनी भी मुसीबत आए नहीं घबराती है बेटियां दर्द का एहसास और खुशियां की पहचान कराती है बेटियां। बहता है नीर आंखों से जब रोती है बेटियां कैसे चलता यह संसार जब ना होती बेटियां। बड़े-बड़े आंसू रुलाती है बेटियां विदा होकर जब घर से जाती है बेटियां। परिचय :-  रामेश्वर पाल निवासी : बड़वाह (मध्य प्रदेश) विधा : कविता हास्य श्रृंगार व्यंग आदि। प्रकाशित काव्य पुस्तक : पाल की चांदनी। घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, ल...