Thursday, November 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

Tag: राजीव डोगरा “विमल”

गुरु शिष्य
कविता

गुरु शिष्य

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** गुरु शिष्य का रिश्ता है प्रेम भाव से निभता है, गुरु ज्ञान रत्नों का भंडार है देकर शिष्य को, दिलवाता समाज में प्रतिष्ठा मान-सम्मान है। शिष्य गुरु चरणों में जब झुकता है, तभी तो उसको ज्ञान अमृत फल मिलता है। आओ, गुरुओं का मान करें मिलकर दिल से उनका सम्मान करें। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित क...
जीने का सलीका
कविता

जीने का सलीका

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** तुम शब्दों की बात करते हो हम तुम्हें निशब्द ही घायल कर देंगे। तुम खूबसूरती की बात करते हो हम तुम्हें सादगी से ही कायल कर देंगे। तुम हमें आधुनिकता के बोझ तले दबाते आये हो हम तुम्हें अपनी परंपराओं के बल पर ही उठ कर दिखा देंगे। तुम हमें दिखावे में पनपनमा सिखाते हो हम तुम्हें सादगी से ही तुम्हें जीना सिखा देंगे। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्...
फिर से
कविता

फिर से

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** तुमको जीवन की मर्यादा के लिए उठना होगा। तुमको मानवता की उदारता के लिए फिर से उस ईश्वर के आगे झुकना होगा। तुम्हें असत्य को हराने के लिए फिर से सत्य से जुड़ना होगा। तुमको मानवता की रक्षा के लिए फिर से हार कर भी जीतना होगा। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, ...
मेरे खुदा
स्तुति

मेरे खुदा

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मैं फकीर हूं, तेरे दर का खुदा मेरी आजमाइश न कर। तू पीर है मेरा, मेरे खुदा मेरी जग हंसाई न कर। मैं कमजोर लाचार हूं, मेरे खुदा मेरा तू हम राही बन। मैं अनजान हूं, तेरी इस कायनात से मेरे खुदा तू मेरा हमराज बन। मैं मुरीद हूं तेरा मेरे खुदा, तू अब मेरा मुर्शिद बन। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशि...
वजह
कविता

वजह

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मुस्कुराहट की वजह हो तुम मुस्कुराने की हसरत हो तुम। चाहत की वजह हो तुम दिल लगाने की हसरत हो तुम। आशिक बनने की वजह हो तुम इश्क करने की हसरत हो तुम। दर्द मिलने की वजह हो तुम दवा बनने की हसरत हो तुम। जिंदा रहने की वजह हो तुम ता उम्र साथ रहने की हसरत हो तुम। चाहत की वजह हो तुम चाहने की हसरत हो तुम। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कवित...
लौट आना
कविता

लौट आना

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** वापिस लौट आना मेरे तरकश से ब्रह्मास्त्र छूटने से पहले, वापिस लौट आना मेरे द्वारा प्रकृति के नियम तोड़ने से पहले, वापिस लौट आना मेरा किसी और से दिल लगाने से पहले, वापिस लौट आना मेरी आंखों में अश्क सूखने से पहले, वापिस लौट आना मेरी रूह को जिस्म छोड़ने से पहले, वापिस लौट आना मेरे दिल और दिमाग में तूफान उठने से पहले। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्...
रंँग राहु
कविता

रंँग राहु

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मैं राहु हूं सबको राह दिखाता हूं। सबको राह पर लेकर भी आता हूं। मैं मस्त, अलबेला, अनभिज्ञ हूं शनिदेव का मैं संगी हूं अन्याय का तभी भंगी हूं। शनि के साथ मिल न्याय चक्कर चलाता हूँ। साढ़ेसाती में देख दुष्ट पापियों को हंसता मुस्कुराता हूँ। मैं राहु हूँ जीवन में नए-नए रंग लेकर आता हूं तभी तो हूं रंँग राहु हूँ। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक म...
दर्द की सज़ा
कविता

दर्द की सज़ा

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** हुआ न दर्द मुझे भी हुआ करता था, जब तुम बेमतलब मुझे तकलीफ देते थे। आए न आंखों में आंसू मेरी आंखों में भी आते थे, जब तुम बिना मेरे कुछ बोले मुझे दर्द दिया करते थे। टूटा न दिल मेरा भी टूट जाता था, जब तुम पास होकर भी अनजान बन निकल जाते थे। हुई न तकलीफ मुझे भी हुआ करती थी, जब तुम औरों के लिए मुझे छोड़ चले जाते थे। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्...
अनदेखे अनसुने
कविता

अनदेखे अनसुने

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** कुछ बातें अनकही हैं कुछ जज्बात अनसुने है कुछ चेहरे अनदेखे हैं कुछ ख्वाब अनसुने है कुछ रिश्ते अनदेखे हैं कुछ हसरतें अनकही है कुछ पहलू अनसुने है कुछ कहानियां अनदेखी है कुछ अंदाज अनसुने है कुछ लोग अनदेखे हैं कुछ गीत अनसुने है कुछ रास्ते अनदेखे हैं परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी क...
दिल की गहराई
कविता

दिल की गहराई

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** दिल की गहराइयों में तुम्हें छुपा रखा, अपने चेहरे की मुस्कराहट में तुमको जमा रखा है। सोचता हूं तुमको भूल जाऊं, मगर प्रकृति के कण-कण में फैली खुशबू में तुमको समा रखा है। सोचता हूं तुमको छोड़ दूं, मगर अंतर्मन की बिखरी सिमटी गहरी यादों में तुमको छुपा रखा है। सोचता हूं मैं काफ़िर हो जाऊं, मगर तेरी यादों की गहराई ने आज भी मुझे आशिक बनाए रखा। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा स...
कौन सा वक्त
कविता

कौन सा वक्त

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** न जाने कौन सा वक्त है जो वक्त के साथ सब कुछ डलता जा रहा है। न जाने कौन सा वक्त है जो वक्त के साथ सब कुछ बदलता जा रहा है। न जाने कौन सा वक्त है जो वक्त के साथ सब कुछ खामोश करता जा रहा है। न जाने कौन सा वक्त है जो वक्त के साथ सब कुछ ठहरता जा रहा है। न जाने कौन सा वक्त है जो वक्त के साथ जो सब कुछ छीनता जा रहा है। न जाने कौन सा वक्त है जो वक्त के साथ सब कुछ नजर अंदाज करता जा रहा है। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपन...
ठाकुरद्वारा स्कूल के बच्चों ने सुंदर चित्रकारी के माध्यम से नशे से दूर रहने का संदेश दिया
सामाजिक

ठाकुरद्वारा स्कूल के बच्चों ने सुंदर चित्रकारी के माध्यम से नशे से दूर रहने का संदेश दिया

कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश। राजकीय उच्च विद्यालय ठाकुरद्वारा में मनाया गया ऑनलाइन अंतर्राष्ट्रीय नशा निरोधक दिवस। बच्चों ने नशे से संबंधित जानकारी देने के लिए विभिन्न तरह की गतिविधियां की जैसे सुंदर-सुंदर चित्र बनाएं, स्लोगन बनाएं, नशे से संबंधित कविताओं का गान किया। भाषा अध्यापक राजीव डोगरा ने कहा नशा निरोधक दिवस मनाने का तात्पर्य बच्चों को नशे से दूर रखना है तथा बच्चों के अंदर के कलात्मक गुणों को बाहर निकालना ही उनका मुख्य लक्ष्य है। मुख्याध्यापक प्रवेश शर्मा ने बच्चों को नशे से संबंधित बीमारियों की जानकारी दी तथा नशे से होने वाली हानियों के बारे में संदेश दिया और कहा कि ठाकुर द्वारा स्कूल में हर दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है ताकि शिक्षा के साथ-साथ बच्चों के कलात्मक गुणों का भी विकास हो सके। कार्यक्रम को सफल बनाने में सभी अध्यापकों जैसे अमीचंद, सुनील कुमार, ज्योति प्रकाश, रविंद्र कुमार, ...
वक्त कहाँ
कविता

वक्त कहाँ

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** तुम्हें सोचने का वक्त कहाँ तुम्हें भूलने का वक्त कहाँ तुम्हें बुलाने का वक्त कहाँ आ जाते तुम ख्वाबों में तो अच्छी बात थी तुम्हें मिलने का अब वक्त कहाँ। तुम्हें कुछ कहने का वक्त कहाँ तुम्हें कुछ सुनाने का वक्त कहाँ समझ लेते खुद ही दिल की तन्हाइयों को तो अच्छी बात थी गम सुनाने का अब वक्त कहाँ। दिल लगाने का वक्त कहाँ दिल बहलाने का वक्त कहाँ रूठ कर मनाने का वक्त कहाँ तुम खुद ही इश्क कर लेते हमसे तो अच्छी बात थी बार-बार इजहार करने का वक्त कहाँ। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी ...
तुम्हारे साथ
कविता

तुम्हारे साथ

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मैं हर जगह हर पल तुम में ही हूं। तुम्हारे चेहरे पर आई हर खामोशी में मैं हूं। तुम्हारी आंखों में आई हर नमी में मैं हूं। तुम्हारे गालों में आई हर मुस्कान में मैं हूं। तुम्हारे चेहरे पर आई हर खुशी में मैं हूं। तुम्हारी आंखों में बहते हर अश्क में मैं हूं। तुम जहां रहती हो वहां की बहती हवा की खुशबू में मैं हूं। जहां तुम जाती हो उस धरा की पगडंडी की मिट्टी में मैं हूं। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाच...
सिलसिला
कविता

सिलसिला

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मोहब्बत का सिलसिला थम सा गया है। नफरतों का सिलसिला बढ़ सा गया है। सोचा था जी नहीं सकेंगे तुम्हारे बिन। मगर जीवन का सिलसिला बढ़ सा गया। फिर सोचा चलो जीवन की एक नई शुरुआत करते। मगर बनावटी ख्वाबों का सिलसिला बढ़ सा गया। फिर सोचा चलो बनावटी ख्वाबों के सहारे ही जीवन जी लेते है मगर तन्हाई का सिलसिला फिर से बढ़ सा गया। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्र...
पहले
कविता

पहले

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** युद्ध से पहले शांति का प्रस्ताव होना चाहिए। मरने से पहले जीवन का एहसास होना चाहिए। नफरत से पहले मोहब्बत का इजहार होना चाहिए। छोड़ने से पहले मिलने का गुनाह होना चाहिए। इश्क करने से पहले थोड़ी आवारगी होनी चाहिए। जुड़ने से पहले टूटने का एहसास होना चाहिए। झुकने से पहले अपने आत्मसम्मान का एहसास होना चाहिए। मिट्टी से खेलने से पहले मिट्टी में मिलने का इंतजार होना चाहिए। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं ...
कुछ इस तरह
कविता

कुछ इस तरह

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** हम बिखरगे कुछ इस तरह कि तुम संभाल भी न पाओगे। हम टूटेंगे कुछ इस तरह तुम जोड़ भी न पाओगे। हम लिखेंगे कुछ इस तरह कि तुम समझ भी न पाओगे। हम सुनाएंगे दास्तां कुछ इस तरह कि तुम कुछ कह कर भी न कह पाओगे। हम जाएंगे इस जहां से कुछ इस तरह कि तुम्हारे बुलाने पर भी कभी लौटकर न आएंगे। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख...
मृत्यु
कविता

मृत्यु

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** मृत्यु क्षण-क्षण घूम रही दिखाकर ख़ौफ़ न जाने क्यों ? इस धरा को चूम रही। न जात देख रही है न धर्म देख रही है, बस हर किसी को अपनी क्रूर नज़रों से चूर कर रही है। किसी बिगड़े हुए आशिक की तरह, न किसी की सुनती है न किसी की मानती हैं। अपनी ही निगाहों से अपनी ही मर्जी से हर किसी को घूर रही हैं। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानिय...
इंसाफ
कविता

इंसाफ

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** काल कहीं दूर नहीं है आसपास ही घूम रहा है, देख रहा है सबकी भावनाओं को, परख रहा है सब की डगमगाती आस्थाओं को, देख रहा है मानव से दानव बने इंसान की चलाकियों को। काल झांक रहा है खिड़कियों से दरवाजों से उसी तरह जिस तरह तुम झांकते हो दूसरों की बहू बेटियों को। बस फर्क इतना है काल झांक रहा है तुम्हारे किए गए गुनाहों को। और तुम आज भी छिपा रहें हो अपनी गंदी निगाहों को। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी र...
प्रलय
कविता

प्रलय

राजीव डोगरा "विमल" कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ******************** सुधरो मानव सुधरो अब भी प्रलय बाकी है, गूँज रहा है जो नाद महाकाली का, उसमें काल का अब भी नृत्य करना बाकी है। बहुत तोड़ी है अहम में लोगो की नसें, अभी काल के द्वारा तुम्हें तोड़ना बाकी है। समझते थे तुमको सब मानव, मगर बनकर रह गए तुम एक दानव। तभी रण चंडी का हुंकार भर संहार करना अभी बाकी है। परिचय :- राजीव डोगरा "विमल" निवासी - कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) सम्प्रति - भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है। आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कवि...